Pathik जल्दी जल्दी क्यों चलता है? - pathik jaldee jaldee kyon chalata hai?

Thursday, October 07, 2021

सवाल: पथिक जल्दी जल्दी क्यों चलता है?

उपरोक्त लिखी पंक्तियां पथिक जल्दी-जल्दी क्यों चलता है कवि डॉ हरिवंश राय बच्चन द्वारा लिखी गई है इस कविता कि कुछ चंद पंक्तियां इस प्रकार है

हो जाए ना पथ में रात कही, मंजिल भी तो है दूर नहीं सोच दिन का पंथी भी जल्दी-जल्दी चलता है।

जल्दी जल्दी ढलता है!बच्चे प्रत्याशा में होंगे निडो से झांक रहे होंगे यह ध्यान परों में चिड़ियों के भरता कितनी चंचलता है!दिन जल्दी-जल्दी ढलता है! उपरोक्त कविता में पथिक जल्दी-जल्दी इसलिए चलता है ताकि वह अपनी मंजिल तक पहुंच सके।

पथिक के जल्दी चलने का क्या कारण है?

पंथी मंजिल की ओर बढ़ने वाला कवि है। वह जल्दी-जल्दी इसलिए चलना चाहता है ताकि वह अपनी मंजिल तक पहुँच सके। यह मंजिल उसका जीवन भी हो सकती है।

दिन का पंथी कौन है?

(iii) दिन का पंथी स्वयं दिन, कवि या सूरज हो सकता है। कवि ने स्वयं को भी दिन के समान ही एक यात्री माना है। i) काव्यांश के भाव सौंदर्य पर प्रकाश डालिए।

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