पुरानी पेंशन पर सुप्रीम कोर्ट का क्या आदेश हुआ? - puraanee penshan par supreem kort ka kya aadesh hua?

सुप्रीम कोर्ट ने दिया फैसला अब लागू होगा पुरानी पेंशन देने पर लगा मुहर जिसका था इंतजार आखिर वह मिल ही गया।

Education Aditya Raj 11 months ago

राज्य सरकार ने 2005 के बाद सरकारी नौकरी में आने वाली साढ़े पांच लाख कर्मचारी एवं 48 हजार स्थायी कर्मियों के लिए न्यू पेंशन योजना 2005 (एनपीएस) में गुरुवार को नई व्यवस्था में लागू करी है। जिसके तहत हर कर्मचारी को सेवा निवृत्त होने पर 16 महिने के वेतन के बराबर ग्रेजुएटी का भुगतान किया जायेगा।

कर्मचारी के कुल जमा राशि का 40 प्रतिशत नगद भुगतान किया जाएगा तथा 60 प्रतिशत मेचुअल फंड में जमा कर पेंशन का भुगतान किया जाएगा। संचालनालय पेंशन एवं भविष्य निधि कार्यालय के इस संशोधन आदेश से प्रदेश के 6 लाख कर्मचारियों को कोई ज्यादा फायदा नहीं होने वाला है। उक्त संशोधन एनपीएस धारक कर्मचारियों को मंजूर नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने भी इसी सप्ताह आदेश जारी कर केन्द्र सरकार को एनपीएस बंद करके पुरानी पेंशन लागू करने के आदेश दिये है।

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केन्द्र सरकार पहले ही अपने राजपत्र में स्पष्ट कर चुकी है कि राज्य सरकार न्यू पेंशन योजना लागू करने के लिए बाध्य नहीं है। प्रदेश सरकार से कर्मचारियों ने पुरानी पेंशन योजना लागू करने की मांग की है, जो वर्षों से करते आ रहे है और पिछले 3 माह से आंदोलन एवं ज्ञापन के माध्यम से मुख्यमंत्री से कर रहे है क्योंकि न्यू पेंशन योजना 2005 लेखा संधारण एजेंसी कर रही है जो कि एक ट्रस्ट है और ट्रस्ट के माध्यम से 6 लाख कर्मचारियों का भविष्य एवं पेंशन सुरक्षित नहीं है। मप्र कर्मचारी मंच ने मंत्रालय के सामने न्यू पेंशन योजना 2005 की प्रतियां जलाकर विरोध दर्ज कराया था तथा न्यू पेंशन योजना वापस लेने का ज्ञापन मुख्यमंत्री को सौपा था, साथ ही पुरानी पेंशन योजना लागू करने की मांग की गई थी। 29 नवंबर 2021 से न्यू पेंशन योजना 2005 के विरोध में प्रान्तव्यापी हस्ताक्षर अभियान मप्र कर्मचारी मंच चला रहा है, जो अभी भी जारी है। सरकार द्वारा किए गए नए संशोधन को प्रदेश के 6 लाख कर्मचारियों ने नामंजूर कर दिया है और पुरानी पेंशन योजना लागू करने की मांग की है।

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नई योजना में मात्र हजार या 15 सौ रूपए पेंश

मप्र कर्मचारी मंच के प्रान्ताध्यक्ष अशोक पाणडेय ने बताया है कि प्रदेश के कर्मचारियों को न्यू पेंशन योजना 2005 के माध्यम से सेवानिवृत्त होने पर मात्र हजार या 15 सौ रूपये पेंशन बनाई जाती है, जिससे उसके परिवार का भरण पोषण व दवाई आदि का खर्चा भी पूरा नही होता है। आकस्मिक दुर्घटना हो जाने पर जमा राशि में किसी प्रकार की राशि निकालने की व्यवस्था नहीं है, इसलिए कर्मचारी मंच ने निर्णय लिया है कि न्यू पेंशन योजना 2005 को वापस लेने एवं पुरानी पेंशन योजना लागू करने की मांग को लेकर 5 दिसम्बर 2021 को चिनार पार्क में आदेश की प्रतियां जलाकर विरोध दर्ज कराया जायेगा और सोमवार को मुख्यमंत्री को पुरानी पेंशन योजना लागू करने का ज्ञापन सौपा जाएगा।

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समायोजित शिक्षा कर्मियों की जीत:पुरानी पेंशन बहाली प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर लगाई रोक

बीकानेर9 महीने पहले

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सरकार को नोटिस, 3 सप्ताह में मांगा जवाब

राजस्थान के समायोजित शिक्षाकर्मियों की सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को जीत हुई। पुरानी पेंशन बहाली प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है। वहीं राज्य सरकार को नोटिस जारी कर तीन सप्ताह में जवाब मांगा है। सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय से राजस्थान सरकार को झटका लगा है।

सोमवार को हुई ऑन लाइन सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी जिसमें पुरानी पेंशन के प्रकरण की फिर से सुनवाई करने के आदेश दिए गए थे। हालांकि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट समायोजित शिक्षाकर्मियों के लिए पुरानी पेंशन की बहाली का आदेश पहले ही दे चुका है। इसके बाद भी राजस्थान हाईकोर्ट ने राजस्थान सरकार की याचिका पर फैसले को रिकॉल करते हुए फिर से सुनवाई करने के आदेश जारी कर दिए। समायोजित शिक्षाकर्मियों ने इसी आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।

सार

Old Pension: रक्षा मंत्रालय की एचवीएफ अवाडी जो एक आयुध निर्माणी है, वहां से रिटायर हुए कर्मचारियों को एनपीएस के जरिए जो लाभ मिले हैं, उसमें रिटायरमेंट पर दो हजार रुपये से पांच हजार रुपये की एनपीएस पेंशन मिली है, जबकि पुरानी पुरानी पेंशन योजना में इन्हें यही आर्थिक लाभ कई गुना मिलता...

Old Pension: जंतर-मंतर पर अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ - फोटो : Amar Ujala

विस्तार

केंद्र सरकार में पुरानी पेंशन बहाल कराने के लिए असैनिक रक्षा कर्मचारी संगठन ‘अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ’ (एआईडीईएफ) ने सोमवार को नई दिल्ली के जंतर-मंतर पर हुंकार भरी। कर्मियों ने केंद्र सरकार को चेताते हुए कहा, अगर पुरानी पेंशन दोबारा से लागू नहीं की गई, तो इसके गंभीर परिणाम देखने को मिलेंगे। ये कर्मियों का हक है। एआईडीईएफ महासचिव सी. श्रीकुमार ने इस बाबत सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला दिया है। इस फैसले में कहा गया है कि पेंशन न तो एक इनाम है, और न ही अनुग्रह की बात है, जो कि नियोक्ता की इच्छा पर निर्भर हो।

आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने भी पुरानी पेंशन बहाल करने की मांग की है। उन्होंने जंतर-मंतर पर कर्मचारियों को संबोधित किया। स्टाफ साइड की जेसीएम के सचिव एवं रेल कर्मियों के शीर्ष नेता शिवगोपाल मिश्रा सहित कई विभागों की एसोसिएशनों एवं यूनियनों के पदाधिकारियों ने इस प्रदर्शन में भाग लिया है।

पुरानी पेंशन को लेकर क्या है सुप्रीम कोर्ट का फैसला

श्रीकुमार ने कहा, भारत के सर्वोच्च न्यायालय की पांच सदस्यीय पीठ, जिसमें मुख्य न्यायाधीश बीडी चंद्रचूड, जस्टिस बीडी तुलजापुरकर, जस्टिस ओ. चिन्नप्पा रेड्डी एवं जस्टिस बहारुल इस्लाम शामिल थे, के द्वारा भारत के संविधान के अनुच्छेद-32 के अंतर्गत रिट पिटीशन संख्या 5939 से 5941, जिसको डीएस नाकरा एवं अन्य बनाम भारत गणराज्य के नाम से जाना जाता है, में दिनांक 17 दिसंबर 1981 को दिए गए प्रसिद्ध निर्णय का उल्लेख करना आवश्यक है। इसके पैरा 31 में कहा गया है, ...चर्चा से तीन बातें सामने आती हैं। एक, पेंशन न तो एक इनाम है और न ही अनुग्रह की बात है, जो कि नियोक्ता की इच्छा पर निर्भर हो। यह 1972 के नियमों के अधीन, एक निहित अधिकार है जो प्रकृति में वैधानिक है, क्योंकि उन्हें भारतीय संविधान के अनुच्छेद 148 के खंड ‘50’ का प्रयोग करते हुए अधिनियमित किया गया है। पेंशन, अनुग्रह राशि का भुगतान नहीं है, बल्कि यह पूर्व सेवा के लिए भुगतान है। यह उन लोगों के लिए सामाजिक, आर्थिक न्याय प्रदान करने वाला एक सामाजिक कल्याणकारी उपाय है, जिन्होंने अपने जीवन के सुनहरे दिनों में, नियोक्ता के इस आश्वासन पर लगातार कड़ी मेहनत की है कि उनके बुढ़ापे में उन्हें ठोकरें खाने के लिए नहीं छोड़ दिया जाएगा।

एआईडीईएफ ने केंद्र सरकार के समक्ष रखी ये मांगें  

  • एक जनवरी 2004 को या उसके बाद भर्ती हुए कर्मचारियों के लिए लागू की गई राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली को वापस लिया जाए। कर्मियों को सीएसएस पेंशन नियम 1972 के अंतर्गत, पुरानी पेंशन योजना के दायरे में लाया जाए।
  • एक जनवरी 2004 को या उसके बाद भर्ती हुए कर्मचारियों के लिए उनके जीपीएफ खाते में रिटर्न के साथ संचित अंशदान को जमा करते हुए, जीपीएफ योजना को लागू किया जाए। अगर सरकार ये मांग मान लेती है, तो यह कदम उन कर्मियों के लिए मील का पत्थर साबित होगा, जो एक जनवरी 2004 को या उसके बाद सेवा में आए हैं। इससे सरकारी विभागों की उत्पादकता और दक्षता में सुधार होगा, जो बदले में देश की शासन प्रणाली को भी लाभान्वित करेगा।

एनपीएस एक परिभाषित पेंशन योजना नहीं है

रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत एचवीएफ अवाडी जो एक आयुध निर्माणी है, वहां से रिटायर हुए कर्मचारियों को एनपीएस के जरिए जो लाभ मिले हैं, वे हैरान करने वाले हैं। इन कर्मियों को रिटायरमेंट पर दो हजार रुपये से पांच हजार रुपये की एनपीएस पेंशन मिली है, जबकि पुरानी पुरानी पेंशन योजना में इन्हें यही आर्थिक लाभ कई गुना मिलता। एनपीएस एक परिभाषित पेंशन योजना नहीं है। यह एक अंशदायी पेंशन योजना है, जिसमें कर्मचारी और नियोक्ता के रूप में सरकार प्रत्येक माह अपना-अपना अंशदान करते हैं। एआईडीईएफ ने शुरू से ही अन्य विभागों जैसे रेलवे डाक एवं दूसरे महकमों के साथ केंद्र सरकार की इस योजना का विरोध किया है। विभिन्न मंचों से इस मुद्दे को उठाया गया है, लेकिन सरकार ने कोई सुनवाई नहीं की।

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क्या सुप्रीम कोर्ट ने पुरानी पेंशन योजना बहाल कर दी है?

एआईडीईएफ महासचिव सी. श्रीकुमार ने इस बाबत सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला दिया है। इस फैसले में कहा गया है कि पेंशन न तो एक इनाम है, और न ही अनुग्रह की बात है, जो कि नियोक्ता की इच्छा पर निर्भर हो। आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने भी पुरानी पेंशन बहाल करने की मांग की है।

पुरानी पेंशन बहाल कब होगी?

इसमें दावा किया गया है कि कैबिनेट ने नई पेंशन स्कीम (NPS) को खत्म करने और पुरानी पेंशन स्कीम (OPS) को बहाल करने का फैसला किया है। इसमें दावा किया गया है कि इसे मार्च, 2023 से लागू किया जाएगा।

पुरानी पेंशन का क्या हुआ?

पुरानी पेंशन बहाली के लिए पीएम को ज्ञापन केंद्र सरकार ने 01 जनवरी 2004 से पुरानी पेंशन व्यवस्था को समाप्त कर दिया था। यहां तक कि केंद्रीय अर्धसैनिक बल भी पेंशन दायरे से बाहर कर दिए गए। इसके बाद राज्य सरकारें भी उसी राह पर चल पड़ीं। पश्चिम बंगाल को छोड़कर बाकी प्रदेशों में पुरानी पेंशन बंद हो गई।

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