गर्मियों में पानी की समस्या को देखते हुए अगर आप फूलों के पौधे नहीं लगा पा रहे हैं तो परेशान न हों। बहुत से ऐसी विभिन्न प्रजातियों के पौधे हैं, जिनके लिए बहुत कम मात्र में पानी की जरूरत होती है। ऐसे...
लाइव हिन्दुस्तान टीमMon, 04 Apr 2011 04:31 PM
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गर्मियों में पानी की समस्या को देखते हुए अगर आप फूलों के पौधे नहीं लगा पा रहे हैं तो परेशान न हों। बहुत से ऐसी विभिन्न प्रजातियों के पौधे हैं, जिनके लिए बहुत कम मात्र में पानी की जरूरत होती है। ऐसे पौधों के बारे में जानकारी दे रही हैं प्रतिभा आर्य
गर्मियों में पानी की समस्या लगभग सभी जगह होती है। ऐसे समय में जब घरेलू जरूरतों के लिए पानी की व्यवस्था मुश्किल से होती है, तब वाटिका व छत पर लगे पौधों की सुरक्षा कैसे हो? हमारे यहां बहुत-से ऐसे विभिन्न प्रजातियों के पौधे हैं, जो पानी तो मांगते हैं, परंतु कम मात्र में। अत: ऐसे पौधों को अधिक समय तक लगाकर आप अपनी वाटिका व गमलों की रौनक बरकरार रख सकते हैं। यहां हम कुछ उन पौधों की बात करने जा रहे हैं, जो नाममात्र पानी से आपको आनंद प्रदान करेंगे।
यूफोर्बिया, सकुलेंट, कैक्टस, बोगनविलिया, लन्टाना, अपनसियाई प्रजाति के पौधों को पानी की आवश्यकता बहुत कम होती है। अपनसियाई परिवार के पौधों में काटने पर दूध जैसा श्वेत तरल पदार्थ निकलता है। अत्यंत चिकने व गाढ़े तरल पदार्थ के कारण पौधे को पानी की आवश्यकता बहुत कम पड़ती है। यूफोर्बिया इसी परिवार का एक अत्यंत सुंदर पौधा है। मध्य प्रदेश में इस प्रजाति के पौधे सड़क के बीच दूर तक लगाए जा रहे हैं और सुर्ख लाल रंग के फूलों से लदे यूफोर्बिया के पौधे सड़क के बीचोंबीच में सजे एक ऐसी आकर्षक रेखा-सी खींच देते हैं, जो दूर तक चली जाती है। कांटों के कारण पशु भी इन्हें नहीं खाते, हां वर्षा के दिनों में जब हवा में नमी व जमीन में पानी की मात्र अधिक हो जाती है, तब यूफोर्बिया में फूल कम व पत्ते अधिक आ जाते हैं। वर्षा ऋतु में इन्हें नाममात्र के जल की आवश्यकता नहीं होती है। यह पौधा गमलों में भी सुगमतापूर्वक लगाया जा सकता है। आजकल इसमें अनेक रंग उपलब्ध हैं। इसी प्रकार एक और झाड़ीनुमा पौधा है लन्टाना, जो कि जमीन पर रेंग कर चलता है और छोटी झाड़ी के रूप में भी इसकी अनेक किस्में मिलती हैं। सुनहरे पीले रंग व लाल सिंदूरी रंग के फूलों वाला झाड़ीनुमा पौधा भी मिलता है। पशु भी इसे नहीं खाते। आप इसे चाहें तो गमले में भी लगा सकते हैं और जमीन में भी, बस इस बात का ध्यान अवश्य रखें कि उसे खुली धूप अवश्य मिले और कभी भी अधिक पानी देने का लालच न करें। इसमें एक फालसई रंग की किस्म भी आती है, जो जमीन पर रेंग कर चलती है। तेज धूप वाले स्थान पर जमीन पर इसके बेलनुमा पौधे दूर-दूर तक फैल जाते हैं। फैलने के साथ-साथ इनकी जड़ें भी बन जाती हैं, जिनको वर्षा ऋतु में निकाल आप किसी और स्थान पर लगा भी सकते हैं और किसी को देकर उपकृत भी कर सकते हैं।
इन दिनों ही एक अन्य झाड़ीनुमा पौधा है बोगनविलिया, जो कि बिना पानी के खूब फूल देता है। इसे आप गमले में भी लगा सकते हैं। ऐसी लता के रूप में लगा सकते हैं, जो एकदम महाकाय रूप में दूर-दूर तक वृक्षों पर चढ़ जाती है और वाटिका में झाड़ी के रूप में लगा सकते हैं। चाहे मंडप बनाएं या फिर मेहराब के रूप में, परंतु इसे समय-समय पर नियंत्रित करना बहुत आवश्यक होता है। अन्यथा यह इतनी भारी-भरकम हो जाती है कि हवा के मामूली-से झोंके से पूरी लता या फिर झाड़ी जमीन पर गिर जाती है। इसमें शुभ्रा (श्वेत), मेरी पामर (दो रंगा मेजंटा व श्वेत), लेडी बेरिंग (गहरा पीला), थीमा (फूल मेरी पामर जैसे परंतु हरे पत्तों पर पीली आकर्षक धारियां), गोपाल (लाल फूल परंतु पत्ते श्वेत), पार्थ, बेगम सिकंदर (गहरा जामुनी), चेरी ब्लॉजम (दो रंग, दोहरी गुंथी पंखुड़ी वाले फूल) अनेक आकर्षक रंगों वाली किस्में भारत में ही विकसित की गई हैं, जिनमें से आप भी कुछ चुन सकते हैं। सकुलेंट प्रजाति के पौधे भी कम पानी में चलते हैं, परंतु मई-जून की तीखी गर्मी से इन्हें बचाना जरूरी होता है। केवल सुबह की धूप ही ये सह सकते हैं। वैसे भी इस प्रजाति के पौधे गमलों में ही ठीक रहते हैं। गार्डन में इनकी उपयोगिता कम हो जाती है। अडेनियम, पैचीपोडियम के पौधे गमलों में अत्यंत आकर्षक लगते हैं। यदि आपके पास छत अथवा बरामदा है तो सुबह की धूप का आनंद लेते हुए इनके पौधे लगाए जा सकते हैं। अधिक गर्मी होने पर हल्का-सा पानी दिया जा सकता है।
इन दिनों सदाबहार पौधे जैसे फर्न, यूनेनिमस, क्रोटन, अरेलिया, फिलोडेंड्रान, मरान्टा भी खूब अच्छे चलते हैं। परंतु प्रयत्न इस बात का होना चाहिए कि केवल सुबह की धूप ही मिले व गमलों में पानी चाहें तो दो दिन में दें, परंतु पत्तों पर छिड़काव शाम के समय रोज करें। आवश्यकता से अधिक पानी जड़ों को गला देता है। इनके लिए तो जड़ों में केवल ठंडक ही पर्याप्त होती है।
इसे सुनेंरोकेंकुछ हरे-पीले छितरे हुए पत्तों वाले पौधे जल के नीचे उगते (Underwater plants) हैं जैसे हाइड्रा। कुछ फूले हुए तनों और डण्ठलों वाले पौधे जल की सतह पर तैरते हुए मिलेंगे जैसे जलकुम्भी। इसके अलावा आपके परिचित कमल, कुमुदिनी और सिंघाड़े के पौधे भी मिलेंगे जिनका आधा भाग पानी में डूबा हुआ और आधा सतह से ऊपर उठा हुआ रहता है।
लिली का पौधा कैसे लगाते हैं?
इसे सुनेंरोकेंआधा गमला मिटटी भरने के बाद उसमे बोनेमाल पाउडर की एक परत बना ले। इसके बाद उसके ऊपर फिर से मिटटी डालकर अपने बल्ब को लगा ले। गमले में मिटटी भरने के बाद आप उसमे लिली फ्लावर के बल्ब को लगभग चार या पांच इंच की गहराई में लगा दे। जिससे की जब पौधा बड़ा हो जाये तो उसको किसी लकड़ी के सहारे से खड़ा ना करना पड़े।
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जलकुंभी सतह पर क्यों तैरती है?
इसे सुनेंरोकेंमूल रूप से अमेरिकी मूल का यह पौधा प्राय: स्थिर जल में पाया जाता है। अपने देश में यह हर जगह पाया जाता है। इसके पत्ते फूले हुए होते हैं जिस कारण यह जल पर तैरता रहता है।
पानी में कौन कौन से पौधे लगाए जाते हैं?
इसे सुनेंरोकेंकोलियस का पौधा कोलियस के पौधे के पत्तों में कई रंग होते हैं। इसे आप आसानी से कांच की बोतल में पीने वाला पानी भर कर उगा सकती हैं। सर्दियों के मौसम को इस पौधे को पानी में उगाने के लिए सबसे अच्छा मौसम माना जाता है। इसके लिए आपको 4-5 इंच की कटिंग लेनी होगी।
पौधों में तैरने का क्या कार्य है?
इसे सुनेंरोकेंतने में उत्प्लावकता बनाए रखने के लिए वायुकोष पाए जाते है। जो इन्हें जल में तैरने में मदद करते हैं। इन पौधों की पत्तियाँ कटी-फटी एवं रिबन के समान होती हैं। इन पौधों के ऊपर एक विशेष प्रकार का श्लेष्मिक आवरण होता है जो इन पौधों को पानी में गलने से बचाता है।
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कुंभी क्या है?
इसे सुनेंरोकेंकुंभी संस्कृत [संज्ञा पुल्लिंग] 1. हाथी 2. मगर ; घड़ियाल 3. एक प्रकार की मछली 4.
चंपा में फूल कब आते हैं?
इसे सुनेंरोकेंचंपा का पेड़ एक पर्णपाती है, जो उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों का मूल निवासी है, और लगभग 15 से 25 फीट तक बढ़ता है। अन्य फूलों वाले पौधों की तरह, इसके फूल प्रसिद्ध सुगंधित और सुंदर होते हैं, और यह गर्मियों की शुरुआत से खिलता है। चंपा के फूलों में एक पीला केंद्र और एक सर्पिल में पाँच सफेद पंखुड़ियों की व्यवस्था होती है।