मृत्यु के बाद क्या nahi करना चाहिए? - mrtyu ke baad kya nahi karana chaahie?

गरुड़ पुराण एक ऐसा महापुराण है,जिसमें जीवन की शुरुआत से लेकर मृत्यु और इसके बाद की स्थितियों का भी वर्णन मिलता है. मृत्यु के बाद शव का क्या करना चाहिए इसको लेकर भी कुछ नियम बताए गए हैं. जानिए इनके बारे में.

सनातन धर्म में अनेकों ग्रंथ और पुराण हैं. इन सभी पुराणों में देवी—देवताओं की महिमा बताई गई है और व्यक्ति को धर्म की राह पर चलने की प्रेरणा दी गई है. लेकिन गरुड़ पुराण एक ऐसा महापुराण है, जिसमें जीवन की शुरुआत से लेकर मृत्यु और इसके बाद की स्थितियों का भी वर्णन मिलता है. इसमें लोगों को धर्म के मार्ग पर जीवन जीने की प्रेरणा तो दी ही गई है, साथ ही मृत्यु के दौरान परिवार के सदस्यों को क्या करना चाहिए, मृत्यु के बाद आत्मा का क्या होता है, जैसी बातों के भी जवाब मौजूद हैं. गरुड़ पुराण लोगों को भगवान विष्णु की भक्ति की ओर अग्रसर करता है. अगर आपके परिवार में किसी की मृत्यु हो जाए तो गरुड़ पुराण में बताए इन नियमों का ध्यान जरूर रखें ताकि अनिष्ट होने से रोका जा सके.

1. सूर्यास्त के बाद कभी भी किसी शव को जलाना या दफनाना नहीं ​चाहिए. यदि ऐसी स्थिति आ जाए तो शव को घर में ही रोककर रखें और कोई व्यक्ति शव के निकट जरूर रहे. अगले दिन दाह संस्कार की प्रक्रिया को पूरा करें. माना जाता है कि सूर्यास्त के बाद अंतिम संस्कार करने से मृत व्यक्ति को शांति नहीं मिल पाती और उसे पिशाच, दानव आदि योनियों में जन्म लेना पड़ सकता है.

2. पंचक को शास्त्रों में शुभ नहीं माना गया है. मान्यता है कि पंचक के दौरान अगर दाह संस्कार कर दिया जाए तो उस परिवार से पांच लोगों की मृत्यु होती है. इसलिए मृत्यु से पहले ये जरूर देख लें कि पंचक न शुरू हुए हों. ऐसी परिस्थिति में शव को पंचक काल समाप्त होने तक घर पर संभाल कर रखें और किसी को शव देखने न दें या फिर किसी ज्योतिषी की सलाह से 4 पुतले बनाकर शव के साथ जलाएं.

3. मृत्यु के बाद किसी व्यक्ति का अंतिम संस्कार उसकी संतान से ​कराए जाने की बात शास्त्रों में लिखी हुई है. ऐसे में यदि किसी का पुत्र या पुत्री मौके पर मौजूद नहीं है, तो उसके आने का इंतजार किया जाना चाहिए और विधिवत अंतिम संस्कार प्रक्रिया कराई जानी चाहिए. यदि व्यक्ति की संतान न हो तो ज्योतिष विशेषज्ञ की राय लेकर शास्त्र संवत नियम से अंतिम संस्कार करना चाहिए.

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Updated: | Mon, 08 Nov 2021 11:46 AM (IST)

Garuda Purana: गरुड़ पुराण में निधन, आत्मा की यात्रा और मृत्यु के बाद के संस्कारों व नियमों के बारे में बताया गया है। इसमें देह से लेकर मृत शख्स की आत्मा की शांति के लिए किए जाने वाले संस्कार भी हैं। इन सभी संस्कारों को करने के पीछे की वजह भी बताई गई हैं। घर में किसी की मौत होने के बाद इन नियमों का जरूर पालन करना चाहिए। तभी आत्मा को शांति मिलेती है, वरना कष्ट झेलने पड़ते हैं। आइए जानते हैं कौन-से हैं नियम।

1. किसी की मृत्यु के बाद उसका अंतिम संस्कार करने से पहले उसे स्नान कराएं। साथ ही साफ कपड़े पहनाकर शरीर पर चंदन, घी और तिल के तेल का लेप लगाएं।

2. शव को अग्नि देने से पहले मृतक का करीबी मटके में पानी भरकर शव की परिक्रमा करता है। इसके बाद आखिरी में मटका फोड़ा जाता है। ऐसे निधन व्यक्ति के साथ मोह खत्म करने के लिए किया जाता है। जिससे आत्मा परिवार से मोह खत्म कर अपना अगला सफर शुरू कर सके।

3. अंतिम संस्कार करने के बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखना चाहिए। जिससे आत्मा को लगे कि घरवालों का उससे मोह समाप्त हो गया है।

4. अंतिम संस्कार में शामिल होने के बाद घर पहुंचने पर मिर्च या नीम को दांतों से चबाकर तोड़ना चाहिए। इसके बाद ही किसी अन्य वस्तु को छूना चाहिए।

5. गरुड़ पुराण में निधन से पहले के कुछ कार्यों के बारे में बताया गया है, जो हर व्यक्ति को जीवित रहते करना चाहिए। इसके लिए तिल, लोहा, रूई, नमक, अनाज, गौ, जलपात्र और चप्पलें दान करना चाहिए।

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।'

Posted By: Arvind Dubey

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Garuda Purana: मृत्‍यु (Death) और उसके बाद आत्‍मा (Soul) की यात्रा के अलावा गरुड़ पुराण (Garuda Purana) में मृत्‍यु के बाद के कुछ संस्‍कारों और नियमों (Rules) के बारे में भी बताया गया है. इसमें मृत देह से लेकर मृत व्‍यक्ति की आत्‍मा की शांति के लिए किए जाने वाले संस्‍कार भी शामिल हैं. इन सभी संस्‍कारों को करने की वजहें भी बताईं गईं हैं. परिवार में किसी व्‍यक्ति की मृत्‍यु होने के बाद इन नियमों का पालन जरूर करना चाहिए. 

बेहद जरूरी हैं ये नियम 

- किसी भी परिजन की मृत्‍यु के बाद उसका अंतिम संस्‍कार करने से पहले उसे स्‍नान कराएं. साथ ही साफ कपड़े पहनाकर उसके शरीर पर चंदन, घी और तिल के तेल का लेप करें. 

- शव को अग्नि देने से पहले मृतक का बेटा या करीबी छेद किए हुए मटके में पानी भरकर शव की परिक्रमा करता है. इसके बाद आखिर में यह मटका जरूर फोड़ना चाहिए. ऐसा मृतक के साथ अपना मोह खत्‍म करने के लिए किया जाता है. ताकि आत्‍मा अपने परिवार से मोह खत्‍म करके अपना अगला सफर शुरू कर सके. 

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- याद रखें कि अंतिम संस्‍कार करने के बाद परिजन मुड़कर पीछे न देखें, ताकि आत्‍मा को भी लगे कि उसके परिजनों का भी उससे मोह खत्‍म हो चुका है. 

- शव का दाह संस्‍कार करके घर पहुंचने पर मिर्च या नीम को दांतों से चबाकर तोड़ना चाहिए. इसके बाद लोहा, जल, अग्नि और पत्थर का स्पर्श करना चाहिए. 

- गरुड़ पुराण में मृत्‍यु से पहले के कुछ कामों के बारे में भी बताया है जो हर व्‍यक्ति को जीवित रहते हुए कर लेना चाहिए ताकि मरने के बाद आत्‍मा को कष्‍ट न उठाना पड़े. इसके लिए उसे तिल, लोहा, सोना, रूई, नमक, 7 अनाज, जमीन, गौ, जलपात्र और चप्‍पलें दान कर देनी चाहिए.

(नोट: इस लेख में दी गई सूचनाएं सामान्य जानकारी और मान्यताओं पर आधारित हैं. Zee News इनकी पुष्टि नहीं करता है.)

मृत्यु के 24 घंटे बाद आत्मा अपने घर वापस क्यों आती है?

बता दें कि गरुड़ पुराण में इस बारे में विस्तार से बताया गया है। गरुड़ पुराण में बताया गया है कि जब किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है तो यमराज के यमदूत उसे अपने साथ यमलोक ले जाते हैं। यहां उसके अच्छे और बुरे कर्मों का हिसाब होता है और फिर 24 घंटे के अंदर यमदूत उस प्राणी की आत्मा को वापिस घर छोड़ जाते हैं।

मृत्यु के तीसरे दिन क्या होता है?

जब व्यक्ति की मृत्यु होती है तो दाह संस्कार हो जाने के बाद तीसरे दिन उसका तीसरा मनाया जाता है, इसको उठावना के रूप में भी जाना जाता है। इसके बाद फिर 10वें दिन शांति कर्म किया जाता है। इस शांति कर्म में मुंडन आदि जो संस्कार होता है, वो सब कराया जाता है। फिर 12वें दिन पिंडदान किया जाता है।

घर में मृत्यु होने पर क्या करें?

घर लौटने पर मिर्च या नीम दांतों से चबाकर फेंक देना चाहिए। इसके बाद लोहा, अग्नि, जल और पत्थर का स्पर्श करके घर में प्रवेश करना चाहिए। मृत व्यक्ति के नाम से कम से कम 11 दिनों तक एक दीप हर शाम घर के बाहर जलाकर दीप दान करना चाहिए।

मृत्यु के बाद 13 दिन तक क्या होता है?

इतना ही नहीं, मृत्‍यु के बाद 13 दिन तक व्यक्ति की आत्मा अपने परिवार वालों के पास ही रहती है और यह देखती है कि उसके परिवार वाले उसकी आत्मा को शांत करने के लिए विधि से सारे काम कर रहे हैं या नहीं। 13 दिन बाद ही मृत व्यक्ति की यात्रा यमलोक के लिए शुरू होती है।

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