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सर्दियों में नर्म-मुलायम और मीठी मटर मिलती है. हमें पता है कि आप इसकी सब्ज़ी भी खाते होंगे, हर सब्ज़ी में मटर डालते होंगे, मटर की कचौरी और परांठे का भी आनंद लेते होंगे, लेकिन आप में से ज़्यादातर लोग इसके छिलके को डस्टबिन का रास्ता दिखा देते होंगे, पर अब ऐसा मत कीजिएगा. मटर के छिलकों का भी इस्तेमाल कीजिएगा, क्यों? यही तो बता रहे हैं डॉक्टर दीपक आचार्य.मटर’गश्ती’ के बाद मेरा मटर ज्ञान तो यही बताता है:
200 ग्राम से कम ही चबाना, मटर का दाना
और इसके छिलकों को जरूर आज़माना…
फिर ना कहना कि पहले क्यों नहीं बताया आपने? तो मेरे यारों, दिलदारों, पिछले दिनों जंगल-वंगल घूमकर आ चुका हूं. आज बता रहा हूं सर्दियों में ख़ूब मिलनेवाले मटर के बारे में. मटर को हमारे मध्यभारत के इलाके में बटाना या बटरा भी कहते हैं, अंग्रेज़ी भाषा के शौक़ीन लोग इसे ‘ग्रीन पीस’ कहते हैं. इसके ताज़े दानों की सब्ज़ी कमाल की लगती है. दानों को दूसरी अन्य सब्ज़ियों के साथ मिलाकर कई स्वादिष्ट सब्ज़ियां भी बनाई जाती हैं. मटर के पराठे भी ग़ज़ब लगते हैं. अब ये सारी पंचायत तो आप सब को पता ही है. तो आइए, अब कुछ नई बात करें…
पहले जानिए बढ़िया-बढ़िया रेसिपी
मटर/वटाना/बटरा/ग्रीन पीस के दानों को निकालने के बाद इसके छिलकों को हमेशा डस्टबिन का रास्ता दिखा दिया जाता है. ऐसा न करें, वो ट्राय करें जो बताने जा रहा हूं. छिलकों को ख़ूब अच्छी तरह से धो लें, क्योंकि इसपर केमिकल्स हो सकते हैं. साफ़ धुलाई करने के बाद इन्हें कई तरह से इस्तेमाल कर सकते हैं. इन धुले हुए छिलकों के छोटे-छोटे टुकड़े काटकर बेसन के साथ मिक्स कर पकौड़े बना सकते हैं. इसके मिक्स में थोड़ी-सी मेथी भाजी और 2-4 काली मिर्च डालकर पकौड़े का स्वाद दोगुना करा जा सकता है. पकौड़े तो यूं भी लगते बड़े टेस्टी हैं. इसके अलावा इसका सूप बना सकते हैं, सूप तो माय गॉड, एकदम सुपर सॉलिड टेस्टी होता है. इसके लिए दो मुट्ठी बारीक़ कटे हुए छिलके, एक मुट्ठी मटर के दाने, 3 कप पानी में उबालें, जब उबलने लगे तो इसमें 2 चम्मच देसी गाय का घी और चाहें तो एक चम्मच दूध की मलाई डाल दें. ज़बर्दस्त स्वादिष्ट सूप बनता है. तो ये तो हुई मटर के छिलकों को कैसे खाया जा सकता है, कौन-सी रेसिपीज़ बन सकती हैं यानी पेट पूजा वालाी बात और अब बात करते हैं, इन छिलकों के गुणों की…
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गुणों की खान हैं मटर के छिलके
तो भई सुनिए, मटर के छिलकों में दे दनादन न्यूट्रीएंट्स पाए जाते हैं. फ़ाइबर्स, प्रोटीन्स और लगभग सभी तरह के विटामिन्स. सिफ़र् दो मुट्ठी छिलकों को अपने पेट की यात्रा करवा देंगे तो डायटरी फ़ाइबर्स की ताबड़तोड़ मात्रा आपके शरीर को मिल जाएगी. मटर जो है, वो दाल फ़ैमिली का सदस्य है इसलिए इसमें प्रोटीन भी भरपूर होता है. विटामिन C और K भी अच्छी खासी मात्रा में पाया जाता है. क्लिनिकल स्टडीज़ बताती हैं कि ‘लो ग्लायसिमिक इंडेक्स’ होने की वजह से डायबिटिक लोगों के लिए बहुत बढ़िया हैं मटर के छिलके. ज़्यादा फ़ाइबर्स होने की वजह से यह डायबिटिक रोगियों के शुगर लेवल के तेज़ी से बढ़ने को रोकता है, यानी ‘स्पाइक्स’ कंट्रोल करने में ग़ज़ब ही मददगार होते हैं ये छिलके. शारीरिक कमज़ोरी दूर करने में भी ये असरकारक हैं. फ़ाइबर्स, प्रोटीन, विटामिन्स, थायमिन, फ़ोलेट, आयरन, और क्या क्या चाहिए आपको, सब हैं इन छिलकों में… दानों से ज़्यादा दम तो छिलकों में है यानी चाय से ज़्यादा गरम तपेली है!
पर अति न करें, क्योंकि…
मटर के दानों को लिमिटेड अमाउंट में खाएं, क्योंकि उनमें ‘ऐंटी न्यूट्रीएंट्स’ होते हैं. ऐसा भला क्यों? तो सुनिए, लिमिटेड अमाउंट मतलब 200 ग्राम. इन्हें 200 ग्राम से कम ही खाएं, क्योंकि इनमें फ़ाइटिक ऐसिड और लेक्टिंस पाए जाते हैं, जो शरीर में आ जाएं तो शरीर की कोशिकाओं में दूसरे न्यूट्रीएंट्स की एंट्री रोक देते हैं. इसीलिए कहता हूं कि दाने तो खाएं ही (200 ग्राम से कम), पर छिलकों को येन केन प्रकारेण ज़रूर उपयोग में लाएं.
हमारे पातालकोट के आदिवासियों के घरों में तो इसके छिलकों की चटनी भी बनाई जाती है, ताक़त के लिए…और शहरी लोग तो शिलाजीत के चक्कर में जूते घिसे जा रहे हैं. आज की पंचायत बस इतनी सी… अब मैं चला मटर के छिलकों और दानों की सब्ज़ी और सूप बनाने, आप टपकाते रहें लार…मुझे क्या?