मांग की लोच से आप क्या समझते हैं इसे कैसे मापा जा सकता है? - maang kee loch se aap kya samajhate hain ise kaise maapa ja sakata hai?

विषयसूची

  • 1 मांग की लोच से आप क्या समझते हैं इसे कैसे मापा जाता है?
  • 2 जीवन निर्वाह सूचकांक क्या है यह किस उद्देश्य की पूर्ति करता है समझाइए?
  • 3 पूर्ति की लोच से आप क्या समझते हैं?
  • 4 जीवन निर्वाह निर्देशांक क्या है?
  • 5 मानव विकास सूचकांक क्या है व्याख्या करें?
  • 6 निर्देशांक क्या है इसके उद्देश्यों एवं उपयोगों की विवेचना कीजिए?

मांग की लोच से आप क्या समझते हैं इसे कैसे मापा जाता है?

इसे सुनेंरोकेंकिसी वस्तु की कीमत में होने वाले परिवर्तन के फलस्वरूप उस वस्तु की माँगी गई मात्रा में होने वाले परिवर्तन की माप को ही माँग की लोच कहा जाता है। इससे यह तो ज्ञात हो जाता है कि वस्तु की कीमत में कमी होने पर उस वस्तु की माँग बढ़ेगी अथवा कीमत में वृद्धि होने पर उस वस्तु की माँग कम होगी।

जीवन निर्वाह सूचकांक क्या है यह किस उद्देश्य की पूर्ति करता है समझाइए?

इसे सुनेंरोकेंश्रमिकों के जीवन-निर्वाह व्यय सूचकांक – यह सूचकांक मजदूरों के रहन-सहन के व्यय में होने वाले परिवर्तनों को मापने के लिए बनाये जाते हैं। इनकी सहायता से हम श्रमिकों की आर्थिक स्थिति में होने वाले परिवर्तनों का ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं।

सूचकांक के महत्व क्या है?

इसे सुनेंरोकेंसूचकांक एक सांख्यिकीय माप है जिसका उपयोग समय के संदर्भ में विभिन्न चरों में हुए परिवर्तनों को उनकी भौगोलिक स्थिति तथा दूसरी विशेषताओं के आधार पर, मापने के लिए परिकलित किया जाता है। इसलिए सूचकांक का व्यापक उपयोग अर्थशास्त्र, व्यवसाय में लागत व मात्रा में आए परिवर्तनों को देखने के लिए होता है।

सूचकांकों का उद्देश्य क्या है?

इसे सुनेंरोकें(i) मुद्रा के मूल्य की माप-सामान्य मूल्य स्तर में होने वाले परिवर्तनों को मापने के लिए सूचकांको का प्रयोग किया जाता है। सामान्य मूल्य-स्तर में होने वाले परिवर्तन से मुद्रा की कय शक्ति में होने वाले परिवर्तनों का अनुमान लगाया जा सकता है। में होने वाले परिवर्तनों का अनुमान लगाया जाता है।

पूर्ति की लोच से आप क्या समझते हैं?

इसे सुनेंरोकें”पूर्ति की लोच कीमत में थोड़े-से परिवर्तन के उत्तर में पूर्ति में होने वाले परिवर्तन की माप है। श् यह कीमत में परिवर्तन के कारण पूर्ति में आनुपातिक परिवर्तन की कीमत में अनुपातिक परिवर्तन से भाग देने से प्राप्त होती है।”

जीवन निर्वाह निर्देशांक क्या है?

इसे सुनेंरोकें”निर्देशांक ‘आर्थिक बैरोमीटर’ के समान होते हैं।” स्पष्ट कीजिए। 1. जीवन निर्वाह लागत निर्देशांक- इनसे हमें यह जानकारी मिलती है कि जीवन निर्वाह लागत में क्या-क्या परिवर्तन हो रहे हैं तथा इनकी सहायता से मजदूरी तथा जीवन निर्वाह लागत का समायोजन किया जा सकता है।

फिशर के सूचकांक का सूत्र क्या है?

इसे सुनेंरोकें(iii) फिशर विधि- इस विधि के अन्तर्गत लैस्पियरे तथा पाशे के सूत्रों का गुणोत्तर माध्य मान लिया जाता है। फिशर के निर्देशांक को आदर्श सूचकांक कहा जाता है। उदाहरण- निम्नलिखित ऑकड़ों से 2006 का मूल्य सूचकांक ज्ञात कीजिए।

सूचकांक क्या है इसके उपयोग तथा सीमाओं का वर्णन कीजिए?

इसे सुनेंरोकेंकोई भी सूचकांक किसी व्यवस्था या फिर वित्तीय बाजार की जानकारी देने में इस्तेमाल होता है। ये स्टॉक के समूहों द्वारा बनता है जो कि पूरे बाजार या फिर निश्चित क्षेत्र या हिस्से का प्रतिनिधित्व करता है। किसी भी सूचकांक की गणना आधार अविध और आधार सूचकांक के मूल्यांकन के आधार पर होती है।

मानव विकास सूचकांक क्या है व्याख्या करें?

इसे सुनेंरोकेंमानव विकास सूचकांक (HDI) एक सूचकांक है, जिसका उपयोग देशों को “मानव विकास” के आधार पर आंकने के लिए किया जाता है। इस सूचकांक से इस बात का पता चलता है कि कोई देश विकसित है, विकासशील है, अथवा अविकसित है। जिस देश की जीवन प्रत्याशा, शिक्षा स्तर एवं जीडीपी प्रति व्यक्ति अधिक होती है, उसे उच्च श्रेणी प्राप्त होती हैं।

निर्देशांक क्या है इसके उद्देश्यों एवं उपयोगों की विवेचना कीजिए?

इसे सुनेंरोकेंब्लेयर (Blair) के अनुसार ” निर्देशांक एक विशिष्ट प्रकार के माध्य होते हैं। ” निर्देशांक की विशेषताएँ- (i) संख्या द्वारा व्यक्त- निर्देशांक सदैव ही संख्या में व्यक्त किये जाते हैं और यह संख्या केवल एक ही होती है। (ii) माध्य के रूप में प्रस्तुत- सूचकांक परिवर्तन की केन्द्रीय प्रवृत्ति को औसत रूप में प्रकट करते हैं।

सूचकांक क्या है उनके उपयोग तथा सीमाओं का वर्णन कीजिये?

पिछले आर्टिकल में आपने मांग की लोच, प्रभावित करने वाले तत्व आदि के बारे में पढ़ा।
इस नये आर्टिकल में आज आप मांग की लोच को मापने की विधि/तरीका के बारे में जानेंगे।

  • मांग की लोच को मापने का विधि
    • बिंदु प्रणाली क्या हैं?
    • चाप प्रणाली से आप क्या समझते हैं?
    • कुल व्यय प्रणाली क्या हैं?
      • मांग की लोच इकाई के बराबर
      • इकाई से अधिक मांग की लोच
      • इकाई से कम मांग की लोच
    • प्रतिशत प्रणाली से आप क्या समझते हैं?
      • इकाई के बराबर लोच –
      • इकाई से अधिक लोच –
      • इकाई से कम लोच –
    • FAQs

मांग की लोच को मापने का विधि

मांग की लोच को निम्नलिखित तरीकों से मापा जा सकता हैं। इनमें से आप किसी का भी प्रयोग करके मांग की लोच को ज्ञात कर सकते हैं। आइए इसे कौन-कौन से विधि के द्वारा ज्ञात कर सकते हैं उसे जानते हैं –

  • बिंदु प्रणाली (Point Method)
  • चाप प्रणाली (Arc Method)
  • कुल व्यय प्रणाली (Total Outlay Method)
  • प्रतिशत प्रणाली (Percentage Method)

बिंदु प्रणाली क्या हैं?

इस प्रणाली के अंतर्गत मांग की रेखा के किसी भी बिंदु पर मांग की लोच को जानने के लिए मांग की रेखा के उस बिंदु से नीचे वाले अंश को उस बिंदु के ऊपर वाले अंश से भाग दिया जाता है तथा मांग की लोच इकाई के बराबर, अधिक या कम निकाली जाती हैं। जैसा कि आकृति में दिया गया हैं –

बिंदु प्रणाली
  1. चित्र में प फ मांग की रेखा है यदि हम इस रेखा के किसी बिंदु जैसे – क पर मांग की लोच जाना चाहे तो मांग की लोच = क फ/क प ।
    इसे इस प्रकार भी स्पष्ट किया जा सकता है मान लीजिए चित्र में मांग की रेखा 3 इंच लंबा हैं।

अब यदि क बिंदु इसके बीच में है तो क बिंदु पर मांग की लोच = क फ / क प = 1पूर्णांक 1/2″ / 1पूर्णांक 1/2″ = 1

अर्थात् मांग की लोच ईकाई के बराबर हैं।

  1. इसी प्रकार मान लिया कि क1 बिंदु प फ रेखा के ऊंचे बिंदु क1 फ2 इन्च तथा क1 प1 इंच हैं तो मांग की लोच =
    क1 फ / क1 प = 2/1= 2

अर्थात् मांग की लोच ईकाई से अधिक हैं।

  1. जब क2 बिंदु मांग की रेखा प फ के बिल्कुल नजदीक है तो वहां मांग = क2 फ / क2 प = 3/0 = 3/0 अनन्त यानि की Infinity बराबर हैं।
  2. अंत में प फ रेखा पर फ बिंदु के ठीक नजदीक क प बिंदु पर मांग की लोच = क4 फ / क4प = 0/3 = 0
    अर्थात् मांग की लोच इस बिंदु पर Zero के बराबर हैं।

जब किसी संपूर्ण संख्या को 0 से भाग दिया जाता है तो भागफल .00 अनंत होता हैं। मांग की लोच की यह प्रणाली अत्यंत ही व्यावहारिक है।

चाप प्रणाली से आप क्या समझते हैं?

इस प्रणाली के अंतर्गत नए एवं प्राचीन मूल्य तथा मांग के औसत के आधार पर मांग की लोच निकाली जाती है। इस विधि के अंतर्गत मांग की लोच को मापने का सूत्र इस प्रकार से हैं –

चाप प्रणाली

कुल व्यय प्रणाली क्या हैं?

इस प्रणाली में किसी वस्तु के ऊपर मूल्य परिवर्तन के पहले और बाद में व्यय की जाने वाली कुल राशि से तुलना की जाती है और यह देखा जाता है कि कुल व्यय की राशि पहले से अधिक है या कम अथवा बराबर हैं।
इसमें मांग की लोच की तीन भाग आती हैं –

  1. मांग की लोच इकाई के बराबर
  2. इकाई से अधिक
  3. इकाई से कम

मांग की लोच इकाई के बराबर

( e = 1 ) किसी वस्तु पर किए जाने वाले कुल व्यय पर किये जाने वाले कुल व्यय में उसके मूल्य में परिवर्तन के परिणाम स्वरूप कोई परिवर्तन नहीं होता तो मांग की लोच इकाई के बराबर कही जाएगी। मूल्य में परिवर्तन होने पर भी कुल व्यय प्रभावित नहीं रहता । इसे उदाहरण के माध्यम से स्पष्ट किया गया हैं-

मांग की लोच इकाई के बराबर

उपरोक्त उदाहरण से यह स्पष्ट होता है कि किसी भी मूल्य पर वस्तु के ऊपर व्यय की जाने वाली कुल राशि एक समान रहती हैं।

इकाई से अधिक मांग की लोच

( e = less than 1 ) किसी वस्तु के मूल्य में वृद्धि के परिणाम स्वरूप कुल व्यय पहले की अपेक्षा कम तथा मूल्य में कमी से कुल व्यय अधिक हो जाता है तो इसे इकाई से अधिक मांग की लोच कहते हैं। इससे मूल्य में जिस अनुपात में परिवर्तन होता है उससे अधिक मांग में परिवर्तन होता हैं। नीचे उदाहरण के माध्यम से बताया गया हैं –

इकाई से अधिक मांग की लोच

इकाई से कम मांग की लोच

( e = more than 1 ) किसी वस्तु के मूल्य में वृद्धि से कुल व्यय में वृद्धि तथा मूल्य में कमी से कुल व्यय में कमी जब होती है तो मांग की लोच इकाई से कम कही जाती हैं। इसमें मूल्य का जिस अनुपात में परिवर्तन होता है, मांग में उससे कम अनुपात में ही परिवर्तन होता है। उदाहरण नीचे दिया गया हैं –

इकाई से कम मांग की लोच

प्रतिशत प्रणाली से आप क्या समझते हैं?

इस विधि के अंतर्गत मांग की लोच को मापने का एक सूत्र विकसित किया गया हैं। मांग की लोच बराबर =

मांग में परिवर्तन का प्रतिशत / मूल्य में परिवर्तन
P.C. change in demand / P.C. change in Price

इस सूत्र के माध्यम से यह पता लगाया जाता है की मांग की लोच इकाई के बराबर है या अधिक है या फिर इकाई से कम है।

इकाई के बराबर लोच –

वस्तु के मूल्य में जिस अनुपात में कमी या वृद्धि होती है मांग में भी ठीक उसी अनुपात में कमी या वृद्धि होती है तो मांग की लोच इकाई के बराबर कहलाती हैं। उदाहरण के रूप में

रेडियो के मूल्य में 50% वृद्धि हुई परिणाम स्वरुप इसकी मांग में ठीक 50% कमी हो जाए तो घड़ी की मांग की लोच

(ED) = मांग में प्रतिशत अंतर/ मूल्य में प्रतिशत अंतर = 50/50 =1
इस प्रकार मांग की लोच एक है अर्थात इकाई के बराबर हैं।

इकाई से अधिक लोच

जब किसी वस्तु के मूल्य में परिवर्तन का प्रतिशत मांग में परिवर्तन के प्रतिशत से कम होता है तो मांग की लोच इकाई से कम होती है जैसे

घड़ी के मूल्य में 50% परिवर्तन के फलस्वरूप उसकी मांग में 75% परिवर्तन हो जाता है तो वह घड़ी की मांग की लोच

(ED) = मांग में प्रतिशत अंतर / मूल्य में प्रतिशत अंतर = 75/50 = 1.5
इस प्रकार मांग की लोच 1.5 है अर्थात इकाई से अधिक हैं।

इकाई से कम लोच

जब किसी वस्तु के मूल्य के प्रतिशत परिवर्तन कम होता है तब मांग की लोच इकाई से कम होती है। जैसे रेडियो के मूल्य में 75% परिवर्तन के फलस्वरूप उसकी मांग में केवल 50% का ही परिवर्तन हो तो रेडियो की मांग की लोच

(ED) = मांग में प्रतिशत अंतर / मूल्य में प्रतिशत अंतर = 50/75 = 0.5
इस प्रकार मांग की लोच 0.5 हैं अर्थात् इकाई से कम है।

FAQs

प्रश्न संख्या 01 – मांग की लोच विधि में कुल व्यय प्रणाली का प्रतिपादन किसने किया ?

उत्तर – मार्शल ने ।

संबंधित पोस्ट

Toplist

नवीनतम लेख

टैग