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व्रतों में प्रमुख व्रत नवरात्रि, पूर्णिमा, अमावस्या तथा एकादशी के हैं. उसमे भी सबसे बड़ा व्रत एकादशी का माना जाता है. चन्द्रमा की स्थिति के कारण व्यक्ति की मानसिक और शारीरिक स्थिति खराब और अच्छी होती है.
ऐसी दशा में एकादशी व्रत से चन्द्रमा के हर खराब प्रभाव को रोका जा सकता है. यहां तक कि ग्रहों के असर को भी काफी हद तक कम किया जा सकता है. क्योंकि एकादशी व्रत का सीधा प्रभाव मन और शरीर, दोनों पर पड़ता है. धन और आरोग्य की प्राप्ति होती है, हारमोन की समस्या भी ठीक होती है तथा मनोरोग दूर होते हैं. परन्तु एकादशी का लाभ तभी हो सकता है जब इसके नियमों का पालन किया जाए. इस बार वरुत्थिनी एकादशी 12 अप्रैल को है.आइए जानते हैं इस दिन कौन से काम भूलकर भी नहीं करने चाहिए...
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एकादशी के दिन चावल नहीं खाना चाहिए, इसे खाने से व्यक्ति का मन चंचल होता है और प्रभु भक्ति में मन नहीं लगता है. पौराणिक कथा के अनुसार माता शक्ति के क्रोध से बचने के लिए महर्षि मेधा ने शरीर का त्याग कर दिया और उनका अंश पृथ्वी में समा गया. चावल और जौ के रूप में महर्षि मेधा उत्पन्न हुए इसलिए चावल और जौ को जीव माना जाता है.
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वैज्ञानिक तथ्य के अनुसार चावल में जल तत्व की मात्रा अधिक होती है. जल पर चन्द्रमा का प्रभाव अधिक पड़ता है. चावल खाने से शरीर में जल की मात्रा बढ़ती है इससे मन विचलित और चंचल होता है और मन के चंचल होने से व्रत के नियमों का पालन करने में बाधा आती है.
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एकादशी की सुबह दातून करना वर्जित है. इस दिन किसी पेड़-पत्ती की फूल-पत्ती तोड़ना वर्जित है.
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एकादशी के दिन लहसुन, प्याज का सेवन करना भी वर्जित है. इसे गंध युक्त और मन में काम भाव बढ़ाने की क्षमता के कारण अशुद्ध माना गया है.
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एकादशी के दिन उपवास करें या ना करें लेकिन ब्रह्माचर्य का पालन करें. इस दिन संयम रखना जरूरी है.
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एकादशी को बिस्तर पर नहीं, जमीन पर सोना चाहिए. मांस और नशीली वस्तुओं का सेवन भूलकर ना करें. स्नान के बाद ही कुछ ग्रहण करें.
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एकादशी के दिन झूठ नहीं बोलें, इससे पाप लगता है. झूठ बोलने से मन दूषित हो जाता है और दूषित भक्ति से पूजा नहीं की जाती है. एकादशी के दिन भूलकर भी क्रोध नहीं करें.
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एकादशी के दिन पान खाना भी वर्जित माना गया है. पान खाने से मन में रजोगुण की प्रवृत्ति बढ़ती है. इसलिए एकादशी के दिन पान न खा कर व्यक्ति को सात्विक आचार-विचार रख प्रभु भक्ति में मन लगाना चाहिए.
विषयसूची
एकादशी पर बाल धोने से क्या होता है?
इसे सुनेंरोकेंएकादशी के दिन महिलाओं को अपना सिर या बाल नहीं धोना चाहिए. तथा अपने शरीर पर साबुन का इस्तेमाल भी नहीं करना चाहिए. इसके अलावा एकादशी के दिन नाख़ून और बाल काटना भी वर्जित माना जाता हैं. ऐसा माना जाता है की इस दिन यह सभी वर्जित काम करने से भगवान विष्णु अप्रसन्न होते हैं. और हमारे घर में धन की हानि होती हैं.
एकादशी को बैंगन क्यों नहीं खाना चाहिए?
इसे सुनेंरोकेंएकादशी, द्वादशी और तेरस के दिन बैंगन खाना मना है। इससे संतान को कष्ट होता है।
एकादशी के दूसरे दिन क्या नहीं खाना चाहिए?
इसे सुनेंरोकें* एकादशी (ग्यारस) के दिन व्रतधारी व्यक्ति को गाजर, शलजम, गोभी, पालक, इत्यादि का सेवन नहीं करना चाहिए। * एकादशी पर श्री विष्णु की पूजा में मीठा पान चढ़ाया जाता है, लेकिन इस दिन पान खाना भी वर्जित है। * फलों में केला, आम, अंगूर, बादाम, पिस्ता इत्यादि अमृत फलों का सेवन करें।
औरतों को बाल कब धोना चाहिए?
इसे सुनेंरोकेंज्योतिष के अनुसार शुक्रवार, रविवार के दिन बाल धोना चाहिए, बाकी दिन यानि सोमवार, मंगलवार, बुधवार, गुरुवार, शनिवार को बाल नहीं धोना चाहिए। बाल कटवाने के लिए बुधवार, शुक्रवार का दिन सही होता है। औरतों के लिए ये वाकई एक मुश्किल सवाल है क्योंकि उनके बाल पुरुषों के बालों की तुलना में लंबे और घने होते हैं।
व्रत में बैंगन खा सकते हैं क्या?
इसे सुनेंरोकें13. तेरस (त्रयोदशी) को बैंगन खाना निषेध है। 14. अमावस्या, पूर्णिमा, सक्रांति, चतुर्दशी और अष्टमी, रविवार श्राद्ध एवं व्रत के दिन स्त्री सहवास तथा तिल का तेल, लाल रंग का साग तथा कांसे के पात्र में भोजन करना निषेध है।
द्वादशी को क्या खाना चाहिए?
इसे सुनेंरोकेंएकादशी व्रत के दिन चावल खाना मना होता है, लेकिन द्वादशी के दिन चावल खाना उत्तम माना जाता है . मान्यता है कि इस दिन चावल खाने से प्राणी रेंगने वाले जीव की योनि में जन्म पाता है, लेकिन द्वादशी को चावल खाकर व्रत का पारण करने से इस योनि से मुक्ति भी मिल जाती है.
एकादशी के दिन क्या दान करें?
इसे सुनेंरोकेंशास्त्रों के अनुसार, एकादशी के दिन ब्राह्मणों को जूत दान करना बहुत शुभ होता है. इसके अलावा अन्नदान, छाता दान, बिस्तर दान, वस्त्र दान करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है. आप चाहे तो चने और गुड़ का भी दान कर सकते हैं.