कान दर्द की सही वजह को जानकर आप कुछ घरेलू उपायों से उसकी मदद कर सकती हैं। अगर बच्चा लगातार रोता है, परेशान रहता है, अपने कान में हाथ लगाता है तो संभवतः उसके कानों में संक्रमण हुआ है। निम्न उपायों
से बच्चे के कान के दर्द में राहत मिल सकती है।ठंडी सिकाई
यदि गर्म सिकाई बच्चे के लिए कारगर नहीं हो रही है, तो ठंडी सिकाई काम कर सकती है। हालांकि बर्फ की सिकाई करते हुए आपको काफी सतर्क रहना होगा, क्योंकि यह रक्त संचार को रोक सकता है।
आप बर्फ को वाॅटरप्रूफ बैग में डालकर इस्तेमाल कर सकती हैं या फिर एक कपड़े या तौलिए में लपेटकर बच्चे की सिकाई कर सकती हैं। अगर घर में बर्फ नहीं है, तो बोतल में ठंडा पानी भर लें और फिर इस बोतल से बच्चे की सिकाई करें।
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तुलसी पत्ता
तुलसी पत्ता तमाम मर्ज की एक दवा है। इसे हर समय अपने घर में जरूर रखें। इसमें असंख्य रोगरोधी गुण होते हैं। तुलसी पत्ते से उसका रस अच्छी तरह निचोड़ लें। इस रस की कुछ बूंदें बच्चे के कान में डाल दें। बच्चे को आराम मिलेगा।
जैतून का तेल
बच्चों में कान के संक्रमण का इलाज करने के लिए जैतून का तेल सबसे प्रभावी प्राकृतिक उपचारों में से एक है। एक साफ पैन या माइक्रोवेव में थोड़ी मात्रा में जैतून के तेल को हल्का गुनगुना कर लें।
प्रभावित हिस्से में ईयरबड्स की मदद से हल्का-हल्का तेल लगाएं। तेल यदि बाहर गिर रहा है तो किसी कपड़े से पोंछ लें। बच्चे को जल्द आराम आ जाएगा।
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लहसुन
लहसुन की कुछ कलियों को क्रश करके जैतून या तिल के तेल में गर्म कर लें। इसे भी प्रभावित हिस्से में लगाएं। ध्यान रखें कि तेल उतना ही गर्म हो, जितना कि बच्चा सह सके।
नीलगिरि के तेल को ईयरबड्स में लगाकर संक्रमित कान में उपयोग करें। नीलगिरि के तेल का उपयोग करने के लिए मेडिकेटेड काॅटन बाॅल्स का भी इस्तेमाल कर सकती हैं। इस प्रक्रिया को एक ही दिन में कई बार लगाएं। आराम आने तक ऐसा करें।
सरसों का तेल
आमतौर पर जब कान में वैक्स बहुत ज्याद हो जाती है, तो प्राकृतिक तरीके से वैक्स बाहर निकल जाती है। यदि ऐसा नहीं होता है कि कान की वैक्स सख्त हो सकती है। इससे कान में ब्लाॅकेज हो जाता है।
नतीजतन कान में दर्द और संक्रमण हो जाता है। ऐसे में बच्चे के कान में सरसों के तेल को गुनगुना करके डालें। इस प्रक्रिया को सप्ताह भर दोहराएं। वैक्स नर्म होकर अपने आप बाहर निकल आएगी।
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आधी रात को बच्चे को कान में दर्द होने पर पेरेंट्स बस किसी
तरह उस दर्द को कम करने की कोशिश कर सकते हैं जबकि कारण के बारे में जानकर, वो आसानी से समझ सकते हैं कि कान में दर्द को ठीक कैसे करना है।बच्चों के कान में दर्द का कारण
कान के मध्य हिस्से में बैक्टीरिया या वायरस की वजह से इंफेक्शन होने, ज्यादा स्विमिंग करने से कान की नलिका की लाइनिंग में इंफेक्शन होने, सर्दी-जुकाम, गले में खराश, दांत में कीड़ा लगने, टॉन्सिल की वजह से दर्द होने पर भी कान में दर्द हो सकता है।
ईयर कैनाल में फुंसी होने, ईयर वैक्स जमने पर कान बंद होने, कान बिंदवाने पर इंफेक्शन होने पर भी बच्चे को कान में दर्द की शिकायत हो सकती है।
रात में कान में दर्द हो तो क्या करें
अगर बच्चे को रात के समय कान में दर्द हो रहा है, तो आप निम्न कुछ तरीकों की मदद से इस दर्द को कम कर सकते हैं :
- रात को कान में दर्द होने पर आप बच्चे को दर्द निवारक दवा दे सकते हैं। केमिस्ट से आपको आइबूप्रोफेन मिल जाएगी जो दर्द को कम करने का काम करती है।
- गर्म सिकाई से भी दर्द कम होता है। आप एक साफ कपड़ा लें और उसे हल्का गर्म कर के बच्चे के कान पर लगाएं। इससे कान के दर्द को कम करने में मदद मिलती है।
- बच्चे के सिर को ऊपर उठाकर रखें और दर्द वाले कान को ऊपर की ओर रखने से भी दर्द कम होता है।
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कान में दर्द का इलाज
आप डॉक्टर की सलाह से बच्चे के कान में टी ट्री ऑयल की कुछ बूंदें भी डाल सकती हैं। टी ट्री ऑयल में एंटीबैक्टीरियल, एंटीसेप्टिक और एंटीइंफ्लामेट्री गुण होते हैं जिससे कान का दर्द कम करने में मदद मिलती है। आप टी ट्री ऑयल में जैतून के तेल की कुछ बूंदें मिलाकर ही कान में डालें।
यदि कान की नलिका पर दबाव पड़ने की वजह से दर्द हो रहा है तो गर्दन को घुमाने वाली एक्सरसाइज से भी प्रेशर और दर्द कुछ कम हो सकता है।
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ध्यान
डॉक्टर को कब दिखाएं
हर तरह के कान में दर्द को मेडिकल इलाज की जरूरत नहीं होती है। हालांकि, निम्न स्थितियों में आपकों डॉक्टर की मदद लेनी चाहिए :
- अगर बच्चे के कान में खिलौने या किसी चीज का टुकड़ा घुस गया है।
- गर्दन अकड़ने की वजह से।
- कान के पीछे सूजन और लालिमा दिखने पर।
- बच्चे को लगातार बुखार होने पर।
- कान से पस या खून निकलने पर।
कान में दर्द की वजह से न तो बच्चा सो पाता है और न ही कोई और काम कर पाता है। हर बार इंफेक्शन की वजह से कान में दर्द नहीं होता है इसलिए डॉक्टर की सलाह के बिना किसी भी तरह की एंटीबायोटिक का इस्तेमाल न करें।
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