क्या ब्रेन ट्यूमर को दवाओं से ठीक किया जा सकता है? - kya bren tyoomar ko davaon se theek kiya ja sakata hai?

ब्रेन ट्यूमर के सबसे आम लक्षणों में से एक सिरदर्द का बढ़ना है, यह सिरदर्द सुबह के समय अधिक तेज होता है

आपको बता दें कि हर ट्यूमर में कैंसर हो ये जरूरी नहीं होता है, लेकिन कैंसर में ट्यूमर हो ये होता है। लिहाजा ट्यूमर कितना खतरनाक है य‍ह इस बात पर डिपेंड करता है कि यह कैंसरस तो नहीं है। यहां पर आपको एक बात और बतानी जरूरी है। इसके लिए डॉक्‍टर अकसर मरीज को बायोस्‍पी और पैटस्‍कैन करवाने की सलाह देते हैं। इन दोनों के अपने अलग-अलग मायने हैं।

शरीर में ट्यूमर का पता लगाता है पैटस्‍कैन

दरअसल पैटस्‍कैन से डाक्‍टरों को इस बात का पता चलता है कि मरीज के शरीर में कहीं दूसरी जगह भी तो कहीं कोई ट्यूमर नहीं है। इसके लिए मरीज के पूरे शरीर का पैटस्‍कैन किया जाता है। वहीं बायोस्‍पी इस बात की तसदीक करती है कि शरीर में फैल रहा ट्यूमर कैंसरस है या नहीं। इसके बाद इस बात की जांच की जाती है कि यह ट्यूमर प्राइमरी है या सेकेंड्री बारी आती है कि इसकी स्‍टेज क्‍या है। जिसके बाद डाक्‍टर अपने इलाज का ब्‍यौरा तैयार करते हैं।

सेकेंडरी स्‍टेज का होता है ब्रेन ट्यूमर

लेकिन यहां पर यदि बात ब्रेन ट्यूमर की करें तो एम्‍स के डाक्‍टरों का कहना है कि अधिकतर ब्रेन में होने वाला ट्यूमर सेकेंडरी स्‍टेज का ही होता है। इसके सेकेंडरी होने का मतलब मरीज के जीवन को खतरा होता है। शराब, सिगरेट या फिर दूसरे नशे के सेवन करने वाले लोगों को अकसर कैंसर और ट्यूमर का खतरा बना रहता है। इसलिए डाक्‍टर इसकी भी जानकारी मरीज से जरूर लेते हैं।

ब्रेन ट्यूमर और इसके इलाज

अब बात करते हैं ब्रेन ट्यूमर और इसके इलाज की। भारत में हर जगह इसका इलाज नहीं है। अकसर रोगियों को कुछ बड़े अस्‍पतालों में भी इसका पूरा इलाज नहीं मिल पाता है। इस मर्ज के लिए डाक्‍टर रेडियो थेरेपी या फिर रेडियेशन थेरेपी की बात करते हैं। इसमें मरीज को एक सटीक मात्रा में रेडियेशन दिया जाता है, जिसके बाद ट्यूमर के खत्‍म होने की उम्‍मीद की जाती है। इसके अलावा कीमो थेरेपी भी इसके ही इलाज का एक हिस्‍सा है। लेकिन इन सभी के अपने कुछ साइड इफेक्‍ट भी हैं। यदि बात करें सिर्फ ब्रेन ट्यूमर की तो इसके इलाज के लिए डाक्‍टर गामा नाइफ थेरेपी को सबसे सटीक मानते हैं।

गामा नाइफ थेरेपी

इस थेरेपी में मरीज को गामा किरणों की हाईडोज दी जाती है। इसका सबसे बड़ा फायदा यही है कि इस थेरेपी के माध्‍यम से डाक्‍टर उसी हिस्‍से पर बारी-बारी से रेडियेशन देते हैं जहां पर ट्यूमर होता है। इस थेरेपी को दिए जाने का समय आधे घंटे से लेकर तीन घंटे तक होता है, जो अलग-अलग मरीजों पर अलग-अलग होता है। इसके लिए सबसे पहले मरीज के सिर पर एक स्‍टील का हल्‍के वजन वाला फ्रेम लगाया जाता है। इसके बाद बारी आती है इमेजिंग की, जिसमें डाक्‍टर मरीज के ब्रेन में ट्यूमर की सही जगह और उसका साइज पता करते हैं। इसके बाद डाक्‍टर इसके इलाज और दवा के लिए प्‍लानिंग करते हैं और अंत में मरीज को गामा नाइफ थेरेपी के लिए लेकर जाया जाता है। आपको बता दें कि गामा नाइफ थेरेपी सिर्फ ब्रेन ट्यूमर वाले मरीजों के लिए ही है। इस थेरेपी को गर्दन से नीचे नहीं दिया जा सकता है। इसलिए शरीर के दूसरे भाग में हुए ट्यूमर के लिए इलाज के दूसरे तरीकों पर ही जाना होता है।

ये है पूरा प्रोसेस

इस पूरे प्रोसेस में मरीज को एक दिन के लिए अस्‍पताल में रुकना पड़ता है। हालांकि यह थेरेपी काफी महंगी है। इतना ही नहीं भारत में यह थेरेपी हर जगह उपलब्‍ध नहीं है। दिल्‍ली, चंडीगढ़, बेंगलुरू और चेन्‍नई में ही ये थेरेपी मौजूद है। डाक्‍टरों की मानें तो इस थेरेपी के रिजल्‍ट दूसरे तरीके से काफी अच्‍छे हैं। लेकिन आपको बता दें कि अधिक उम्र के लोगों यह कारगर नहीं है। यदि मरीज 70 वर्ष या फिर उससे ऊपर की उम्र का है तो इस थेरेपी के अपने साइड इफेक्‍ट हैं। ऐसी उम्र में अकसर डाक्‍टर इस थेरेपी के लिए मना करते हैं। डाक्‍टरों की मानें तो इस उम्र के मरीजों में गामा थेरेपी के बार ब्रेन में सूजन हो जाती है जिसका कम हो पाना लगभग नामुमकिन होता है। इसकी दूसरी वजह ये भी है कि इस उम्र में मरीज इस थेरेपी को झेल नहीं पाते हैं। इसके अलावा डाक्‍टरों का ये भी कहना है कि गामा थेरेपी इस उम्र के मरीज के ट्यूमर को बहुत हद तक या पूरी तरह से खत्‍म तो कर देती है लेकिन इसके बाद के साइड इफेक्‍ट मरीज के लिए अच्‍छे नहीं होते हैं। ऐसे में मरीज का शरीर और ज्‍यादा खराब हो सकता है और उसका ब्रेन कुछ हद तक काम करना बंद कर सकता है, जिससे शरीर के पैरालाइज होने की आशंका भी बन जाती है। 

ब्रेन ट्यूमर बच्चों और वयस्कों को प्रभावित करता है और किसी भी उम्र में विकसित हो सकता है। इसका जोखिम लड़कियों की तुलना में लड़कों को अधिक है। मेनिंगियोमा एक प्रकार का ब्रेन ट्यूमर है, जो आमतौर लड़कियों को होता है। सबसे गंभीर प्रकार का ब्रेन ट्यूमर 'ग्लियोब्लास्टोमा' है, जो उन लोगों में अधिक आम होता जा रहा है जो सामान्य जनसंख्या आयु के हैं।

ब्रेन ट्यूमर कितना गंभीर है?

ब्रेन ट्यूमर - चाहे कैंसर हो या न हो - गंभीर समस्याएं पैदा कर सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि आपकी खोपड़ी कठोर है और ट्यूमर को फैलने के लिए जगह नहीं देती है। इसके अलावा, यदि आपके मस्तिष्क के उन हिस्सों के पास एक ट्यूमर विकसित होता है जो महत्वपूर्ण कार्यों को नियंत्रित करते हैं, तो यह लक्षण पैदा कर सकता है, जैसे:

  • कमजोरी
  • चलने में कठिनाई
  • संतुलन बनाए रखने में समस्या
  • सही से दिखाई नहीं देना
  • भाषा को समझने या बोलने में कठिनाई
  • याददाश्त से जुड़ी समस्या

ब्रेन ट्यूमर के लक्षण (symptoms of brain tumors)

कुछ लोग जिन्हें ब्रेन ट्यूमर है, उनमें कोई लक्षण नहीं होते हैं, खासकर अगर यह बहुत छोटा है। ब्रेन ट्यूमर के लक्षण ट्यूमर के स्थान और प्रकार के आधार पर भिन्न होते हैं।

  • सिरदर्द जो सुबह में अधिक गंभीर हो सकता है
  • दौरे पड़ना
  • भाषा को सोचने, बोलने या समझने में कठिनाई
  • आपके शरीर के एक हिस्से या एक हिस्से में कमजोरी या लकवा
  • संतुलन की समस्या या चक्कर आना
  • कम दिखाई देना
  • कम सुनाई देना
  • चेहरे का सुन्न होना या झुनझुनी होना
  • उलटी अथवा मितली
  • भ्रम और भटकाव

ब्रेन ट्यूमर के कारण (causes brain tumors)

शोधकर्ताओं के अनुसार, ब्रेन ट्यूमर तब विकसित होता है जब किसी कोशिका के गुणसूत्रों पर कुछ जीन क्षतिग्रस्त हो जाते हैं और अब ठीक से काम नहीं करते हैं, लेकिन वे निश्चित नहीं हैं कि ऐसा क्यों होता है। आपके गुणसूत्रों में आपका डीएनए आपके पूरे शरीर की कोशिकाओं को बताता है कि क्या करना है - यह उन्हें बताता है कि कब बढ़ना है, कब विभाजित करना है या गुणा करना है और/या कब मरना है।

ब्रेन ट्यूमर का मरीज कितने दिन जी सकता है?

हर प्रकार के ब्रेन ट्यूमर के लिए जीवित रहने की दर अलग-अलग होती है और यह उम्र गंभीरता और समग्र स्वास्थ्य पर भी निर्भर करता है। पांच साल की जीवित रहने की दर आपको बताती है कि ब्रेन ट्यूमर का पता चलने के बाद कितने प्रतिशत लोग कम से कम पांच साल तक जीवित रहते हैं। मेनिंगियोमा ट्यूमर में पांच साल की जीवित रहने की दर यह है-

  • 14 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए 96% से अधिक
  • 15 से 39 वर्ष की आयु के लोगों में 97%
  • 40 और उससे अधिक उम्र के वयस्कों में 87% से अधिक

क्या ब्रेन ट्यूमर को रोका जा सकता है?

दुर्भाग्य से, आप ब्रेन ट्यूमर को नहीं रोक सकते। आप स्मोकिंग और रेडिएशन खतरों से बचकर ब्रेन ट्यूमर के विकास के जोखिम को कम कर सकते हैं। अगर आपके परिवार में किसी को ब्रेन ट्यूमर का पता चला है, तो आपको अपनी जांच करानी चाहिए।

इस बात का रखें ध्यान

यदि आपको ब्रेन ट्यूमर है और आप इसका इलाज करा रहे हैं, तो उपचार और लक्षणों की निगरानी करने के लिए नियमित रूप से अपने डॉक्टर से मिलना चाहिए। यदि आपके ब्रेन ट्यूमर के लक्षण बदतर हो रहे हैं या नए लक्षण महसूस हो रहे हैं, तो आपको तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए। ब्रेन ट्यूमर के इलाज के बाद भी, आपको नियमित रूप से डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

क्या ब्रेन ट्यूमर दवा से ठीक हो सकता है?

ब्रेन ट्यूमर के विकास को धीमा करने के लिए या बढ़ने से रोकने के लिए रेडिएशन थेरेपी का इस्तेमाल किया जा सकता है। ब्रेन ट्यूमर का इलाज रेडिएशन थेरेपी से करने वाले विशिष्ट डॉक्टरों को रेडिएशन ऑन्कोलॉजिस्ट के रूप में जाना जाता है।

ब्रेन ट्यूमर कैसे खत्म होता है?

ब्रेन ट्यूमर का इलाज (Brain tumour treatment).
सर्जरी: मैलिग्नेंट ब्रेन ट्यूमर के लिए यह सबसे आम उपचार है। ... .
मिनिमल इनवेसिव सर्जरी: न्यूरो सर्जन इस ब्रेन ट्यूमर सर्जरी के लिए कैंसर कोशिकाओं को हटाने के लिए मिनिमल इनवेसिव तकनीकों का उपयोग करते हैं।.

ब्रेन ट्यूमर कितना खतरनाक हो सकता है?

कई केस में ये ट्यूमर कैंसर का रूप ले लेता है और घातक साबित होता है. कई बार ये ट्यूमर नॉन-कैंसरस भी होते हैं. यानी, इसका असर उतना खतरनाक नहीं होता है. ये दोनों ही तरह के ट्यूमर जब बढ़ते हैं, तो सिर बहुत ज्यादा भारी हो जाता है और इससे ब्रेन डैमेज होने के साथ जान जाने का खतरा भी बना रहता है.

ब्रेन ट्यूमर के इलाज में कितना खर्च आता है?

ब्रेन ट्यूमर सर्जरी में महज 40-50 हजार रुपये खर्च होंगे जबकि स्पाइन सर्जरी में 75 हजार से एक लाख रुपये खर्च आएगा। दूसरे प्रदेश में दो-तीन लाख रुपये खर्च आते हैं।

संबंधित पोस्ट

Toplist

नवीनतम लेख

टैग