कच्चे मालों के आधार पर उद्योगों को वर्गीकृत - kachche maalon ke aadhaar par udyogon ko vargeekrt

प्रश्न 108 : कच्चे माल के आधार पर उद्योग कितने प्रकार के होते हैं? नाम लिखिए।

उत्तर- कच्चे माल के आधार पर उद्योग तीन प्रकार के होते हैं-
(i) कृषि आधारित उद्योग- जिन्हें कच्चा माल कृषि उत्पाद से प्राप्त होता है, जैसे- सूती वस्त्र उद्योग।
(ii) खनिज आधारित उद्योग- जिन्हें कच्चा माल खनिजों से प्राप्त होता है, जैसे- लोहा-इस्पात उद्योग।
(iii) वन आधारित उद्योग- जिन्हें कच्चा माल वनों से प्राप्त होता है, जैसे कागज उद्योग।

कच्चे माल के आधार पर उद्योगों को चार प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है-

⦁    कृषि आधारित उद्योग; जैसे-सूती वस्त्र उद्योग।
⦁    खनिज आधारित उद्योग; जैसे-लोहा एवं इस्पात उद्योग।
⦁    वन आधारित उद्योग; जैसे–कागज उद्योग।
⦁    उद्योगों के कच्चे माल पर आधारित उद्योग; जैसे—पेट्रो-रसायन उद्योग।

कच्चेमाल के आधार पर उद्योगों का वर्गीकरण कीजिए ।

  1. कृषि पर आधारित उद्योग - उदाहरण चीनी, चाय वनस्पति घी आदि।
  2. वन - उत्पाद पर आधरित - उदाहरण कागज़ व लुगदी, फर्नीचर, दियासलाई उद्योग ।
  3. धात्विक उद्योग : -
    1. अलौह - धातु उद्योग - एल्यूमीनियम व ताँबे उद्योग ।
    2. लौह - धातु उद्योग - लोहा - इस्पात, मशीन व औज़ार।

अफ्रीका में अपरिमित प्राकृतिक संसाधन हैं फिर भी औद्योगिक दृष्टि से यह बहुत पिछड़ा महाद्वीप है। समीक्षा कीजिए ।

उद्योगों को हर जगह स्थापित नहीं किया जा सकता, उद्योग वहीं पर स्थापित किए जाते हैं जहाँ पर इनके निर्माण में कम से कम लागत-आए व ज्यादा से ज्यादा लाभ हो । उद्योगों की अवस्थिति में कई भौगोलिक व गैर-भौगोलिक कारक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं; जैसे-कच्चामाल, बाजार, पूँजी, बैकिंग व्यवस्था, श्रम, ऊर्जा के स्रोत आदि । दक्षिणी गोलार्द्ध में स्थित अफ्रीका महाद्वीप प्राकृतिक संसाधन में उन्नत हैं; जैसे लौह-इस्पात बाक्साइट, हीरा, ताँबा, लकड़ी, खालें आदि फिर भी इस क्षेत्र में उद्योग विकसित नहीं हुए । लौह-इस्पात उद्योग का विकास इसलिए नहीं हो सका क्योंकि यहाँ कोयले की कमी है। यूरोप व यू०एस०ए० की अपेक्षा यहाँ पूँजी का भी अभाव है। इसके अतिरिक्त संचार, परिवहन व बैंकिंग नीति की प्रतिकूलता भी पिछड़े औद्योगीकरण में मुख्य भूमिका निभाते हैं। अफ्रीका में विशाल मरुस्थल, घने वन प्रदेश, विस्तृत पठारी धरातल के कारण जनसंख्या भी कम निवास करती है। अत: स्पष्ट है कि प्राकृतिक संसाधनों अर्थात् कच्चे माल के भंडार होने के बावजूद अनेक गैर-भौगोलिक व मानवीय कारण उद्योगों की अवस्थिति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं ।

निम्नलिखित में से कौन-सा कथन असत्य है?

  • हुगली के सहारे जूट के कारखाने सस्ती जल यातायात की सुविधा के कारण स्थापित हुए ।

  • चीनी, सूती वस्त्र एवं वनस्पति तेल उद्योग स्वच्छंद उद्योग हैं।

  • खनिज तेल एवं जलवियुत शक्ति के विकास ने उद्योगों की अवस्थिति कारक के रूप में कोयला शक्ति के महत्त्व को कम किया है।

  • पत्तन नगरों ने भारत में उद्योगों को आकर्षित किया है।

B.

चीनी, सूती वस्त्र एवं वनस्पति तेल उद्योग स्वच्छंद उद्योग हैं।

अधिकतर देशों में उच्च प्रौद्योगिकी उद्योग प्रमुख महानगरों के परिधि क्षेत्रों में ही क्यों विकसित हो रहे हैं? व्याख्या कीजिए।

उच्च प्रौद्योगिकी पर आधारित उद्योग तेजी से विकसित हो रहे हैं। इन उद्योगों में वैज्ञानिक अनुसंधान एवं विकास के बल पर अत्यधिक परिकृत उत्पादों का निर्माण किया जाता है। इन उद्योगों पर पारंपरिक कारकों का कोई विशेष प्रभाव नहीं होता । आज अधिकतर देशों में उच्च प्रौद्योगिक उद्योग प्रमुख महानगरों की परिधि में विकसित हो रहे हैं। इनके स्थानीयकरण में कुछ नए कारकों की भूमिका महत्त्वपूर्ण है जो निम्नलिखित हैं-

  1. ये हल्के उद्योग होते हैं जो अधिकतर कच्चेमाल की जगह उत्पादन के लिए अर्ध-निर्मित अथवा संसाधित वस्तुओं का उपयोग करते हैं।
  2. वैज्ञानिक और तकनीकी दक्षता पर निर्भर रहने के कारण ये उद्योग प्राय: विश्वविद्यालयों तथा शोध संस्थाओं के निकट स्थापित किये जाते हैं।
  3. इन उद्योगों के लिए ऊर्जा की आपूर्ति बिजली द्वारा होती है जो मुख्यत: राष्ट्रीय ग्रिड से प्राप्त होती हैं।
  4. इन उद्योगों के लिए अनुकूल जलवायु वाले महानगरीय क्षेत्र अधिक अनुकूल साबित होते हैं। महानगरों की सामाजिक, सांस्कृतिक व वैज्ञानिक गतिविधियाँ इन उद्योगों को अप्रत्यक्ष रूप से सहयोग देती है।
  5. इन उद्योगों का अंतिम उत्पाद छोटा किंतु परिष्कृत होता है। अत: इन्हें सड़क मार्गों के निकट प्रदूषण रहित आवासीय क्षेत्रों में लगाया जा सकता है।
  6. परिवहन और संचार के अति आधुनिक साधनों के बिना ये उद्योग जीवित ही नहीं रह सकते। उपभोक्ताओं, वित्तीयसंस्थाओं, सरकारी विभागों से तत्काल संपर्क बनाने तथा, शोध के विभिन्न चरणों की सफलता के लिए महानगरीय व परिवहन के साधन जरूरी हैं।

प्राथमिक एवं द्वितीयक गतिविधियों में क्या अंतर है?

प्राथमिक गतिविधियाँ - प्राथमिक गतिविधियाँ वे होती हैं जो प्रत्यक्ष रूप से पर्यावरण पर निर्भर हैं क्योंकि ये पृथ्वी के संसाधनों जैसे भूमि, जल, वनस्पति, भवन-निर्माण सामग्री एवं खनिजों के उपयोग के विषय में बतलाती हैं। इस प्रकार की क्रियाओं के अंतर्गत आखेट, भोजन, भोजन संग्रह, पशुचारण, मछली पकड़ना, वनों से लकड़ी काटना, कृषि एवं खनन कार्य शामिल किए जाते हैं।

द्वितीयक गतिविधियाँ
- द्वितीयक गतिविधियों द्वारा प्राकृतिक संसाधनों का मूल्य बढ़ जाता है। प्रकृति में पाए जाने वाले कच्चे माल का रूप बदलकर ये उसे मूल्यवान बना देती हैं। जैसे कपास से वस्त्र बनाना, लौह अयस्क से लौह-इस्पात बनाना । इस प्रकार निर्मित वस्तुएँ अधिक मूल्यवान हो जाती हैं। खेतों, वनों, खदानों एवं समुद्रों से प्राप्त वस्तुओं के बारे में भी यही बात लागू होती है। इस प्रकार द्वितीयक क्रियाएँ विनिर्माण, प्रसंस्करण और निर्माण उद्योग से संबंधित हैं। सभी निर्माण उद्योग-धंधे गौण व्यवसाय है। गौण व्यवसायों पर भौतिक तथा सांस्कृतिक वातावरण का भी प्रभाव पड़ता है। संसार के विकसित देशों जैसे सयुक्त राज्य अमेरिका, सोवियत संघ, ग्रेट ब्रिटेन, पश्चिमी जर्मनी तथा जापान मैं अभूतपूर्व मूल्य वृद्धि हुई है।

विश्व के विकसित देशों के उद्योगों के संदर्भ में आधुनिक औद्योगिक क्रियाओं की मुख्य प्रवृत्तियों की विवेचना कीजिए ।

विश्व में कुछ क्षेत्र ऐसे हैं जहाँ- उद्योगों की स्थापना के लिए अनुकूल परिस्थितियां मिल जाती हैं और वहाँ कई उद्योग स्थापित हो जाते हैं और धीरे-धीरे उद्योगों का जमघट (पुंज) बन जाता है, जिसे औद्योगिक प्रदेश या औद्योगिक संकुल कहते हैं। उद्योगों की स्थापना के लिए विशेष भौगोलिक कारक उत्तरदायी होते हैं। इन्हीं अनुकूल भौगोलिक कारकों के कारण वे क्षेत्र नए-नए उद्योगों को अपनी ओर आकर्षित करते रहते हैं। उद्योगों के जमघट में अनुकूल उत्तरदायी कारकों के अंतर्गत कच्चेमाल की सुविधा, श्रमिकों की उपलब्धता, ऊर्जा के पर्याप्त संसाधन, जलवायु तथा परिवहन सुविधाएँ आदि हैं। विश्व में प्रमुख औद्योगिक प्रदेश निम्नलिखित हैं-

  1. यूरोप के औद्योगिक प्रदेश, 
  2. उत्तरी अमेरिका के औद्योगिक प्रदेश,
  3. दक्षिणी अमेरिका के औद्योगिक प्रदेश,
  4. रूस के औद्योगिक प्रदेश,
  5. एशिया के औद्योगिक प्रदेश,
  6. अफ्रीका के औद्योगिक प्रदेश,
  7. आस्ट्रेलिया के औद्योगिक प्रदेश ।

यूरोप के औद्योगिक प्रदेश - विश्व में औद्योगिक क्रांति का श्री गणेश यूरोप महाद्वीप में ही हुआ था । यहाँ 18 वीं शताब्दी में जो औद्योगिक क्रांति आई, वह विश्व के अन्य भागों में भी धीरे-धीरे फैली जिससे औद्योगिक उत्पादनों में वृद्धि हुई ।

  1. ब्रिटेन के औद्योगिक प्रदेश - ब्रिटेन में निम्नलिखित प्रमुख औद्योगिक प्रदेश स्थित हैं-
    1. मिडलैंड औद्योगिक प्रदेश :- यह इंग्लैंड का महत्त्वपूर्ण औद्योगिक प्रदेश है, जिसका केंद्र बर्किंघम है। यहाँ छोटी-सी सूई से लेकर वायुयान तथा जलयान तक निर्मित होते हैं।
    2. स्कॉटलैंड ग्लासगो क्षेत्र :- इस क्षेत्र में ग्लासगो नगर जलयान निर्माण के लिए विश्वविख्यात है। अन्य उद्योगों में लौह-इस्पात, इंजीनियरिग तथा वस्त्र उद्योग प्रमुख हैं। 'ग्लासगो' के अतिरिक्त एडिनबरा तथा एबरडीन यहाँ के प्रमुख औद्योगिक केंद्र हैं।

    3. लंदन औद्योगिक प्रदेश :- लंदन ब्रिटेन की राजधानी होने के साथ-साथ एक प्रमुख औद्योगिक नगर भी है। इसके आसपास अनेक उद्योग स्थापित हैं, जिनमें छपाई, सीमेंट, तेल शोधन, इंजीनियरिग, वस्त्र निर्माण, फर्नीचर, विघुत्-उपकरण, खाद्य परिष्करण तथा शृंगार प्रसाधन प्रमुख हैं।

    4. दक्षिणी वेल्स औद्योगिक प्रदेश :- इस क्षेत्र के मुख्य औद्योगिक नगर फारडिफ, न्यूपोर्ट तथा स्वानसी हैं। यहाँ लौह-इस्पात, रसायन, तेल शोधन तथा कृत्रिम रेशे आदि उद्योग विकसित हैं।

  2. फ्रांस के औद्योगिक प्रदेश :- फ्रांस में निम्नलिखित प्रमुख औद्योगिक प्रदेश स्थित हैं-
    1. पेरिस औद्योगिक प्रदेश :- पेरिस यूरोप के प्रमुख औद्योगिक केंद्रों में गिना जाता है। यहीं कोयले की कमी है इसलिए भारी उद्योगों की स्थापना कम हो पाई है। यहाँ रसायन उद्योग, कागज उद्योग, मुद्रण उद्योग, कांच की वस्तुएँ, आभूषण आदि के उद्योग विकसित हैं। पेरिस शहर फैशन के लिए विश्वविख्यात है। इसे विश्व का फैशन केंद्र कहा जाता है। यहाँ आमोद-प्रमोद एवं फैशन की अनेक वस्तुएँ निर्मित होती हैं।
    2. लारेन सार प्रदेश :- यह प्रदेश लौह-इस्पात का प्रमुख केंद्र है। यहाँ सार बेसिन में कोयले की उपलब्धता के कारण लौह-इस्पात उद्योग विकसित हुआ है। लौह-इस्पात के अतिरिक्त रासायनिक उर्वरक, वस्त्र उद्योग तथा कांच उद्योग यहाँ के प्रमुख उद्योग-धंधे हैं।
  3. जर्मनी के औद्योगिक प्रदेश :- जर्मनी में निम्नलिखित प्रमुख औद्योगिक प्रदेश स्थित हैं-
    1. रूर औद्योगिक प्रदेश :- यह औद्योगिक प्रदेश विश्व के प्रमुख औद्योगिक प्रदेशों में गिना जाता है। रूर क्षेत्र में कोयला पर्याप्त मात्रा में मिलता है, जिसके कांरण भारी उद्योगों की स्थापना में सहायता मिली है। यहाँ लौह-इस्पात तथा भारी इंजीनियरिंग उद्योग विकसित अवस्था में हैं।
    2. बेवरिया औद्योगिक प्रदेश :- इस क्षेत्र में हल्के उद्योग; जैसे इलैक्ट्रॉनिक्स का सामान, घड़ी, हौजरी, रसायन पदार्थ, शराब, खाद्य-सामग्री तथा औषधियों से संबंधित उद्योग हैं।
    3. सार प्रदेश :- यह प्रदेश सार नदी के बेसिन में फैला है। यहाँ भारी इंजीनियरिंग, लौह-इस्पात, कांच का सामान, चीनी-मिट्टी के बर्तन तथा चमड़े के सामान बनाने के केंद्र हैं। यह क्षेत्र फ्रांस तथा जर्मनी की सीमा पर लगा औद्योगिक केंद्र है।
  4. इटली :- इटली में इंजीनियरिंग, शराब, रेशम तथा रासायनिक उद्योग विशेष रूप से विकसित हैं। यहाँ के औद्योगिक पुंज निम्नलिखित हैं-
    1. उत्तर में लोम्बार्डी, 
    2. नेपल्स ।
  5. नार्वे :- नार्वे के अधिकांश उद्योग यहाँ की राजधानी ओसलो के इर्द-गिर्द फैले हैं। ओसलो एक प्रमुख
    प्रशासनिक नगर के साथ-साथ औद्योगिक नगर भी है। यहाँ पर कागज उद्योग, फर्नीचर, जलयान निर्माण, लौह-इस्पात तथा मछली की डिब्बाबंदी जैसे उद्योग स्थापित हैं।

कच्चे माल के आधार पर उद्योगों को कितने भागों में बांटा गया है?

Solution : (i) कृषि आधारित उद्योग- जिन्हें कच्चा माल कृषि उत्पाद से प्राप्त होता है, जैसे- सूती वस्त्र उद्योग। (ii) खनिज आधारित उद्योग- जिन्हें कच्चा माल खनिजों से प्राप्त होता है, जैसे- लोहा-इस्पात उद्योग। (iii) वन आधारित उद्योग- जिन्हें कच्चा माल वनों से प्राप्त होता है, जैसे कागज उद्योग

उद्योगों का वर्गीकरण कैसे होता है?

उद्योगों का वर्गीकरण कई आधारों पर किया जाता है, जैसे कच्चा माल, आकार, आदि। कच्चे माल के आधार पर उद्योगों को कृषि आधारित, खनिज आधारित, समुद्र आधारित और वन आधारित उद्योगों की श्रेणी में बाँटा गया है। कृषि आधारित उद्योग: जिस उद्योग में कच्चा माल पादपों या जंतुओं से आता है उसे कृषि आधारित उद्योग कहते हैं।

माल कितने प्रकार के होते हैं?

माल को चार श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है: कच्चा माल, कपड़ा, भोजन और ईंधन। खाद्य श्रेणी में अंडे, दूध, सब्जियां, मांस, तेल और फल शामिल हैं। कपास, जिसका उपयोग वस्त्र बनाने के लिए किया जाता है, कृषि में कच्चे माल के रूप में प्रयोग किया जाता है।

कच्चे माल से आप क्या समझते हैं?

कच्चा माल (raw material) उन मूल द्रव्यों को कहते हैं जिनका उपयोग विविध शिल्पों में उत्पादन कार्य के लिए होता है। उदाहरणार्थ, चीनी मिल के लिए गन्ना, वस्त्र उद्योग के लिए रुई, कागज बनाने के लिए बाँस, ईख की छोई तथा सन और लोहे के कारखानों के लिए कच्चा लोहा आदि कच्चा माल है।

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