मेडिकल स्टोर पर दवाई लेने पहुंचे लोग। - फोटो : Hisar कुलदीप जांगड़ा हिसार। हल्की ठंड के साथ सर्दी के मौसम की शुरुआत हो चुकी है।
इस शुरुआती सर्दी के मौसम में खांसी, जुकाम, बुखार होना आम बात है। कोरोना के लक्षण भी यही हैं, जिसके कारण लोग कोरोना के डर से डॉक्टर के पास जाने से परहेज कर रहे हैं और मेडिकल स्टोर से खांसी-जुकाम, बुखार आदि की दवा ले रहे हैं। चिकित्सकों का मानना है कि ऐसी स्थिति में संक्रमण का खतरा बढ़ने की आशंका है। टीम का किया था गठन - कैंप चौक स्थित मेडिकल स्टोर पर 3 मरीज बुखार और जुकाम की दवा ले रहे थे। उनसे पूछा गया तो कहा कि उन्हें तो
केवल नॉर्मल खांसी जुखाम है। - कैंप चौक स्थित एक दुकान पर अमर उजाला रिपोर्टर ने खांसी, जुकाम व बुखार का नाम लेकर दवा मांगी तो मेडिकल संचालक ने बिना जांच और संकोच किए 4 दिन की दवा दे दी। बुखार व जुकाम की शिकायत होने पर डॉक्टर की बजाय मेडिकल स्टोर से दवा ले रहे लोग
अमर उजाला टीम ने बुधवार को जिले के अलग-अलग स्थानों पर स्थित 8 मेडिकल स्टोर की पड़ताल की। इसमें पाया गया कि स्टोर संचालक बेखौफ होकर धड़ल्ले से लोगों को सर्दी-खांसी, जुकाम, बुखार आदि की दवा दे रहे
हैं। एक मेडिकल स्टोर पर प्रतिदिन औसतन 10 से 12 लोग ऐसे पहुंच रहे हैं जो खांसी-जुकाम व बुखार आदि से संबंधित दवा खरीद कर ले जा रहे हैं। हालांकि, स्वास्थ्य विभाग द्वारा मेडिकल स्टोर संचालकों को भी सख्त निर्देश जारी किए हुए हैं कि बिना जांच के खांसी, जुकाम, बुखार की सामान्य दवा न दें।
कोरोना के शुरुआती दौर में बिना जांच के दवा देने वाले क्लीनिक या झोलाछाप डॉक्टरों पर नकेल कसने के लिए विभाग ने जिला आयुर्वेदिक इंचार्ज की निगरानी में एक टीम गठित की थी। टीम ने कुछ दिनों
तक अभियान चलाया, जिससे काफी हद तक पाबंदी लगी थी, लेकिन काफी दिनों से टीम की कोई कार्रवाई न होने के कारण फिर से बिना जांच के दवा दी जाने लगी है।
इन जगहों पर की पड़ताल
- राजगुरु मार्केट की तीन दुकानों पर दोपहर करीब 12:00 बजे 10 से 15 मरीज खांसी, जुकाम व बुखार की दवा लेते मिले। दो मरीजों से इस बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि डॉक्टर के पास जाने पर अधिक समय और रुपये लगते हैं।
- बालसमंद गांव के मेन बाजार और बाहरी ओर बने मेडिकल स्टोर पर सुबह करीब 11:00 बजे 12 से 15 लोग खांसी, जुकाम की दवा लेते मिले। इनमें से कुछ खुद के लिए तो कुछ अपने परिजनों के लिए ले रहे थे। वह बोले कि यहां पर दवा सस्ती मिल जाती है, डॉक्टर के पास जाने पर चेकअप और दवा के अधिक पैसे लगते हैं।
- बुड़ाक गांव के मेडिकल स्टोर पर शाम के समय 10 से 15 लोग बुखार व जुकाम की दवा ले रहे थे। ऐसे में उनसे पूछा गया तो कहा कि पहले तो डॉक्टर से कोरोना टेस्ट करवाना पड़ेगा और फिर दवा
मिलेगी, वह भी महंगी, मगर यहां पर तुरंत दवा मिल जाती है।
टेस्ट कराना जरूरी
हमारे पास ओपीडी में खांसी, जुकाम, बुखार संबंधित कोई भी मरीज नहीं आता है। यदि कोई भूलवश आता है तो उसे सीधा फ्लू क्लीनिक में भेज दिया जाता है। वहीं से टेस्ट के बाद उसे दवा दी जाती है। सर्दी और कोरोना के लक्षण एक समान हैं, जिस कारण टेस्ट करवाना बेहद
जरूरी है। समय पर दवा शुरू कर दी जाए तो कोरोना से जल्द ठीक होने की संभावना है। कुछ लोग मेडिकल स्टोर से दवा लेते हैं तो वह गलत है। ऐसा करना भारी पड़ सकता है।
-डॉ. अजय चुघ, फिजिशियन, नागरिक अस्पताल, हिसार।
(संवाद)
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| Updated: Jun 7, 2022, 4:47 PM
नयी दिल्ली, सात जून (भाषा) केंद्र सरकार की योजना खांसी, सर्दी-जुकाम और दर्द समेत अन्य रोगाों में इस्तेमाल होने वाली 16 तरह की आम दवाओं मसलन पैरासीटामोल, बंद नाक खोलने की दवा और फंफूदरोधी दवा को ओवर-द-काउंटर (ओटीसी) वर्ग में शामिल करने की है। ओटीसी वर्ग की दवाओं को गैर पर्चे वाली दवा कहा जाता है और इन्हें चिकित्सक के परामर्श के बगैर खरीदा जा सकता है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने औषधि नियम-1945 में संशोधन का सुझाव दिया है, ताकि इन 16 दवाओं को सूची-के. के तहत लाया जा सके। सूची-के. की दवाओं को खरीदने के लिए चिकित्सक के
केंद्रीय
स्वास्थ्य मंत्रालय ने औषधि नियम-1945 में संशोधन का सुझाव दिया है, ताकि इन 16 दवाओं को सूची-के. के तहत लाया जा सके। सूची-के. की दवाओं को खरीदने के लिए चिकित्सक के पर्चे की जरूरत नहीं पड़ती। सूची-के. की दवाओं को लाइसेंस धारक खुदरा विक्रेता ओटीसी के तहत इन्हें आसनी से बेच सकते हैं। इस मामले में एक महीने में पक्षकारों के सुझाव आमंत्रित करने के लिए मंत्रालय द्वारा एक गजट अधिसूचना जारी की गई है। इन 16 दवाओं में पोविडोन आयोडीन (एंटीसेप्टिक और कीटाणुनाशक
एजेंट), मसूड़े की सूजन के लिए क्लोरोहेक्साइडिन माउथवॉश, क्लोट्रिमेज़ोल (एंटिफंगल क्रीम), खांसी के लिए डेक्सट्रोमेथोरफान हाइड्रोब्रोमाइड लोजेंगेस, एनाल्जेसिक मरहम डिक्लोफेनाक, बेंजोयल पेरोक्साइड (एक जीवाणुरोधी), डीफेनहाइड्रामाइन कैप्सूल (एंटीहिस्टामिनिक और एंटीएलर्जिक दवा), पैरासिटामोल, बंद नाक खोलने की दवा और जुलाब शामिल हैं।
प्रस्ताव को मंजूरी मिल जाने के बाद इन दवाओं को बिना चिकित्सक की पर्ची के दुकानों पर बेचा जा सकेगा। हालांकि कुछ सलाह के साथ इन दवाओं को बेचा जाएगा जैसे कि उपचार की अधिकतम अवधि पांच दिनों से अधिक नहीं होनी चाहिए और यदि समस्या हल नहीं होती है, तो रोगी को चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए।
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