यमक अलंकार की परिभाषा क्या होती है? - yamak alankaar kee paribhaasha kya hotee hai?

अर्थात जब कविता में एक शब्द दो या दो से अधिक बार आये, और हर बार उसका अर्थ भिन्न हो वहां यमक अलंकार होता है.

उदाहरण –

जैसे- कनक-कनक ते सौ गुनी, मादकता अधिकाय।
या खाए बौराय जग, वा पाए बौराय।।

उपर्युक्त लिखे उदाहरण में कनक शब्द दो बार आया है और दोनों ही बार उसका अर्थ भिन्न है एक कनक का अर्थ – सोना, तथा दूसरे कनक का अर्थ – धतूरा है। इस प्रकार एक ही शब्द दो या दो से अधिक बार आये और उसका अर्थ हर बार भिन्न हो वहां यमक अलंकार होता है।

जिस प्रकार अनुप्रास अलंकार में एक ही वर्ण बार-बार आता है उसी प्रकार यमक अलंकार में भी एक ही शब्द दो या दो से अधिक बार आता है और इस प्रकार विशिष्ट शब्दों के प्रयोग के कारण काव्य की शोभा बढ़ जाती है।

यमक अलंकार के 25 उदाहरण

यमक अलंकार के उदाहरणव्याख्या1. सपना सपना समझकर भूल न जानायहाँ एक सपना शब्द का अर्थ – किसी का नाम, तथा दूसरे सपना शब्द का अर्थ – रात में आने वाला स्वप्न2. तीन बेर खाती थी वो तीन बेर खाती है।तीन बेर – तीन बेर के दाने, तीन बेर – तीन बार3. माला फेरत जुग भया, मिटा ना मनका फेर,
कर का मनका डारि के मन का मनका फेर।।मनका – माला का दाना, मन का – हृदय का4. कहै कवि बेनी, बेनी ब्याल की चुराई लानी।बेनी – कवि, बेनी – चोटी5. रति-रति शोभा सब रति के सरीर कीरति-रति – जरा सी, रति – कामदेव की पत्नी6. भजन कहयौ ताते भज्यौ, भज्यौ न एको बारभज्यौ – भजन किया, भज्यौ – भाग किया7. सजना है मुझे सजना के लिए एक सजना का अर्थ – श्रृंगार करना, दूसरे सजना का अर्थ – प्रियतम, प्रेमी, पति8. दीरघ साँस न लेइ दुख, सुख साँई मति भूल,
दई दई क्यों करत हैं, दई दई सु कबूल।। 9. काली घटा का घमंड घटाघटा -‘वर्षा की घटा’, घटा – ‘कम हुआ’10. जेते तुम तारे, तेते नभ में न तारे 11. हरि हरि रूप दियो नारद को12. जिसकी समानता किसी ने कभी पायी नहीं,
पायी के नहीं अब वे ही लाल माई के। 13. सारंग ले सारंग चली, सारंग पूगो आय.
सारंग ले सारंग धरयौ, सारंग निकस्यो आय| |इस उदाहरण में सारंग शब्द एक है पर हर बार इसका अर्थ भिन्न है. यहाँ सारंग के अर्थ – घड़ा, सुंदरी, वर्षा, वस्त्र, सरोवर है.14. आंख लगती है तब आंख लगती ही नहीं.यहाँ एक बार ‘आंख लगती‘ है का अर्थ प्यार होना, जबकि दूसरी बार ‘आंख लगती ही नहीं’ का अर्थ – नींद न आना है.15. ऊंचे घोर मंदर के अंदर रहनवारी,
ऊँचे घोर मंदर के अंदर रहाती है।

Yamak Alankar ke 10 Udaharan

सबकी बेगम बेगम है

उधो जोग जोग हमने

तोपे बौरा उर्वशी  सुन राधिका के सुजान, तू मोहन के उर्वशी,  हवे उरवशी समान।। 

लोक में फैला सूर्यलोक 

सूर सूर तुलसी शशि

तुम्हारी नौकरी के लिए कह रखा है सालों से सालों से।

कबिरा सोई पीर है, जे जाने पर पीर। जे पर पीर न जानई, सो काफिर बेपीर।।

या मुरलीधर की अधरार-धरी अधरान धरौंगी।

खग कुल-कुल-कुल सा बोल रहा है।

पास ही रे, हीरे की खान। उसे खोजता कहाँ नादान।।

पच्छी पर छीने एसे परे पर छीने बीर, तेरी बरछी ने बर छीने है खलन के।.

जरूर पढ़ें: यमक और श्लेष अलंकार में अंतर

आपने ऊपर लिखे सभी यमक अलंकार के Example को और समझा होगा, यही की यमक अलंकार को पहचानना कितना आसान है| जब एक ही शब्द एक से अधिक बार आता है और उसका अर्थ हर बार अलग होता है तो वहां यमक अलंकार होता है |

Yamak Alankar दो प्रकार के होते है-

I. अभंग पद यमक

II. सभंग पद यमक

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    Yamak Alankar Kise Kahate Hain

    यमक अलंकार, शब्दालंकार के अंतर्गत माना जाता है। इसमें शब्दों की आवृत्ति के कारण अर्थ में भिन्नता तथा काव्य में चमत्कार उत्पन्न होने का गुण विद्यमान होता है।

    अलंकार काव्य की शोभा को बढ़ाते हैं, यमक अलंकार में भी यह गुण विद्यमान है।

    यमक अलंकार की परिभाषा

    जिस वाक्य या पद में एक ही शब्द की बार-बार पुनरावृत्ति होती है, किंतु हर बार उसका अर्थ भिन्न होता है वहां यमक अलंकार माना जाता है।

    दूसरे शब्दों में जाने तो जहां निरर्थक अथवा भिन्न-भिन्न अर्थ वाले सार्थक शब्द की आवृत्ति द्वारा चमत्कार उत्पन्न किया जाता हो वहां यमक अलंकार होता है।

    जैसे –

    काली घटा का घमंड घटा।

    यहां घटा शब्द दो बार प्रयोग हुआ है।

    घटा – बादल , घटा – कम होना है

    अतः यहां यमक अलंकार माना जाएगा।

    लपट झट से रुख जले-जले, नद नदी घट सुख चले-चले।

    यहां जले-जले और चले-चले शब्द की आवृत्ति निरर्थक हुई है। अतः यह यमक अलंकार होगा।

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    अलंकार की परिभाषा, भेद, प्रकार और उदाहरण

    अनुप्रास अलंकार

    यमक अलंकार के उदाहरण

    यमक अलंकार उदहारणअर्थ की भिन्नताकनक कनक तै सौ गुनी मादकता अधिकायकनक – सोना , कनक – धतूरा (सोना और धतूरा का नशा सौ गुनी होती है)पास ही रे हीरे की खान ,खोजता कहां और नादान ?ही रे – होना, हीरे– आभूषण(निकट ही हीरे की खान है फिर भी लोग भटकते हैं)माला फेरत जुग भया ,फिरा न मन का फेर

    कर का मनका डारि दै मन का मनका फेर।

    मनका -माला का दाना, मन का – हृदय का(माला फेरते हुए युग बीत गया किंतु मनका फेर नहीं फिरा क्योंकि हृदय और मोतियों के माला का फर्क है)काली घटा का घमंड घटाघटा– बादल, घटा– कम होना (घनघोर काले बादल का घमंड कम हुआ)तीन बेर खाती थी वे तीन बेर खाती है।बेर– समय , बेर– फल।(तीन समय बेर खाती थी तीन मात्रा में )जा दिन तै मुख फेरि हरै हँसि ,हेरि हियो जु लिया हरि जू हरिहरि-कृष्ण, हरि-चुराना (जिस दिन से कृष्ण ने मुख फेरा है मेरा हृदय भी चुरा कर ले गए हैं)कहे कवि बेनी, बेनी ब्याल की चुराए लीनी।बेनी– कवि का नाम , बेनी-चोटी।लाख-लाख जुगन हिअ हिअ राखल तईयो हिअ जरनि न गेल।हिअ -प्रेमी, हिअ-ह्रदयतब हार पहार से लागत है, अब आनि के बीच पहार परे।पहार-पर्वत ,पहार-विशालतेलनि तुलनि पूँछ जरि ,जरी लंक जराई जरी।जरी-जल गई, जरी-जड़ी हुईनिघटि रूचि मीचु घटी हूँ घटी जगजीव जतीन की छूटी चटी।घटी-घडी, घटी-कम होना।पच्छी परछीने ऐसे परे परछीने बीर,तेरी बरछी ने बर छीने खलन केपरछीने-शस्त्र, परछीने-पंख काटनातो पर वारौं उरबसी सुनि राधीके सुजान।

    तू मोहन के उरवसी हवे उरवसी समान।

    उरबसी -ह्रदय में वास ,उरबसी -अप्सरा का नाम (कृष्ण के हृदय में राधा का वास उर्वशी अप्सरा के समान है)जीवन का अंतिम धेय स्वयं जीवन है।जीवन- श्वास लेता शरीर , जीवन- संघर्षलहर-लहर कर यदि चूमे तो, किंचित विचलित मत होना।लहर– तूफान , लहर– संघर्षरती-रती सोभा सब रती के सरीर के।रती-शरीर ,रती-सुंदरता,रती-अप्सरा।

    यमक अलंकार के भेद

    यमक अलंकार के दो भेद माने गए हैं – 1 अभंग पद यमक 2 सभंग पद यमक।

    1 अभंग पद यमक –

    जब शब्द को बिना तोड़े-जोड़े एक से अधिक बार प्रयुक्त कर विभिन्न अर्थ ज्ञापित किया जाता है, तब अभंग पद यमक अलंकार होता है। जैसे –

    कनक, कनक तै सौ गुनी मादकता अधिकाय

    उपरोक्त पद में कनक शब्द का प्रयोग हुआ है, जिसमें शब्द एक जैसा है किंतु अर्थ की भिन्नता है।

    2 सभंग पद यमक –

    जब शब्द की आवृत्ति तोड़-जोड़कर की जाती है और अर्थ में इस आधार पर भिन्नता प्रकट की जाती है तब सभंग पद यमक अलंकार होता है। जैसे –

    कर का मन का डारि के ,मन का मनका फेर।

    यहां मनका मन का तीन बार शब्द का प्रयोग हुआ है। जिसमें तोड़-जोड़कर प्रयोग हुआ है। किंतु उच्चारण की दृष्टि से एक समान अर्थ देता है अतः यह सब अंग पर यमक अलंकार होगा।

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    निष्कर्ष

    उपरोक्त अध्ययन से स्पष्ट होता है कि यमक अलंकार में अर्थ की भिन्नता होती है। पूर्व अनुप्रास अलंकार के अध्ययन में हमने पाया था वहां वर्णों की आवृत्ति बार-बार हो रही थी। किंतु यहां शब्दों की आवृत्ति बार-बार हुई है। यह इसकी विशेषता है।

    शब्दों की आवृत्ति के साथ-साथ उसके अर्थ में भी भिन्नता होती है। इस अलंकार के दो भेद अभंग पद अलंकार तथा सभंग पद अलंकार है। जिसकी उपरोक्त व्याख्या हमने विस्तृत रूप से प्रस्तुत की है।

    यमक अलंकार की परिभाषा क्या है?

    जब एक शब्द प्रयोग दो बार होता है और दोनों बार उसके अर्थ अलग-अलग होते हैं तब यमक अलंकार होता है।

    यमक अलंकार का उदाहरण क्या होगा?

    सरल शब्दों में कहें तो जब एक ही शब्द काव्य में कई बार आये और सभी अर्थ अलग-अलग हो वहां यमक अलंकार होता है। उदाहरण - ऊधौ जोग जोग हम नाहीं । उदाहरण - खग-कुल कुल-कुल से बोल रहा । प्रस्तुत पंक्ति में 'कुल' शब्द दो बार आया है।

    यमक अलंकार की पहचान कैसे होती है?

    Qus-4 यमक अलंकार जब कोई शब्द एक से अधिक बार प्रयोग होता है तथा हर बार उस शब्द के अर्थ में अंतर हो तो उसे यमक अलंकार कहते हैं। उदाहरण-कनक कनक ते सौ गुनी, मादकता अधिकाय। या खाए बौरता नर या पा बौराय।।

    उत्प्रेक्षा अलंकार की परिभाषा क्या है?

    जहाँ पर उपमान के न होने पर उपमेय को ही उपमान मान लिया जाए। अथार्त जहाँ पर अप्रस्तुत को प्रस्तुत मान लिया जाए वहाँ पर उत्प्रेक्षा अलंकार होता है। इस अलंकार में- मनु, जनु, जनहु, जानो, मानहु मानो, निश्चय, ईव, ज्यों आदि शब्द आते हैं।

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