जीएसटी किस सूची का विषय है - jeeesatee kis soochee ka vishay hai

जी0एस0टी0 एवं केन्द्र एवं राज्यों के वित्तीय सम्बन्ध

  • वर्तमान में संविधान द्वारा केन्द्र तथा राज्यों की वित्तीय शक्तियों को परिभाषित किया गया है तथा इसमें एक-दूसरे के क्षेत्रों में कोई हस्तक्षेप नहीं है।
  • भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची में केन्द्रीय सूची, राज्य सूची तथा समवर्ती सूची की व्यवस्था की गयी है तथा उपरोक्त के माध्यम से केन्द्र एवं राज्य के मध्य शक्तियों का बटवांरा किया गया है।
  • केन्द्र को मानवीय प्रयोग हेतु शराब, ओपियम एवं नारकोटिक्स आदि को छोड़कर अन्य सभी वस्तुओ के निर्माण पर करारोपण का अधिकार है। जबकि राज्यों को वस्तुओं की बिक्री पर करारोपण का अधिकार है।
  • केन्दीय बिक्री की स्थिति में केन्द्र को करारोपण का अधिकार है, लेकिन यह कर राज्यों द्वारा एकत्र किया जाता है तथा राज्यों द्वारा स्वयं रख लिया जाता है। सेवाओ के मामले में केवल केन्द्र सरकार को ही सेवाकर लगाने का अधिकार है।
  • जी0एस0टी0 लागू किए जाने पर केन्द्र एवं राज्य दोनों को कर लगाने एवं एकत्र करने का अधिकार दिए जाने हेतु संविधान संशोधन अपेक्षित था तथा केन्द्र एवं राज्यों को एक समान क्षेत्राधिकार दिए जाने के लिए एक विशिष्ट संरचना स्थापित किया जाना आवश्यक था, जिसमें जी0एस0टी0 के स्वरूप एवं क्रियान्वयन के संबंध में केन्द्र एवं राज्य दोनों द्वारा संयुक्त रूप से निर्णय लिया जा सके तथा इसे प्रभावी बनाने के लिए इस संरचना को संविधान द्वारा शक्ति प्रदत्त होना भी अपेक्षित थी।
  • उपयुक्त सभी का समाधान किए जाने हेतु संसद द्वारा 101वाँ संविधान संशोधन विधेयक पारित किया गया है। इस के मुख्य बिन्दु निम्नवत है-

  • होम
  • वीडियो
  • सर्च
  • वेब स्टोरीज
  • ई-पेपर

  • होम
  • वीडियो
  • सर्च
  • वेब स्टोरीज
  • ई-पेपर

  • Hindi News
  • Goods And Services Tax Is Growth Engine For State Economies

भारत में सबसे बड़े कराधान सुधारों में से एक वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) सभी राज्य अर्थव्यवस्थाओं को एकीकृत और समग्र विकास को बढ़ावा देने के लिए तैयार है। जीएसटी अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए एक एकल, एकीकृत भारतीय बाजार बनाएगा। जीएसटी एक अप्रैल,2016 से लागू किया जाएगा।

केंद्र सरकार ने लोकसभा में 19 दिसंबर 2014 को वस्तु एवं सेवाकर से संबंधित विधेयक 2014 पेश किया था। संविधान (122वां संशोधन) विधेयक 2014 संविधान में नए अनुच्छेद 246A, 269A,अनुच्छेद 279A को शामिल करेगा और अनुच्छेद 268A को समाप्त कर देगा, जो संविधान में 88वें संविधान संशोधन अधिनियम 2003 द्वारा शामिल किया गया था।

यह संविधान संशोधन विधेयक संविधान की सातवीं अनुसूची में दी गयी संघ सूची से प्रविष्टि 92 और 92C और राज्य सूची से प्रविष्टि 52 और 55 समाप्त करेगा। सरकार ने यह विधेयक देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित क्षेत्रों में अप्रत्यक्ष करों की एक जैसी प्रणाली को स्थापित करने के उद्देश्य से पेश किया है।

इसके अलावा इस विधेयक के द्वारा अनुच्छेद 248, 249, 250, 268, 269, 270, 271, 286, 366, 368 छठी अनुसूची, संघ सूची की प्रविष्टि 84 और संविधान की सातवीं अनुसूची की राज्य सूची में प्रविष्टि 54 और 62 को संशोधित करने का भी प्रावधान है। जीएसटी की नई प्रणाली से राज्यों को राजस्व का किसी प्रकार का घाटा नहीं होगा। वास्तव में इससे राज्यों का राजस्व पहले से ज्यादा बढ़ेगा। इसे संसद से दो तिहाई बहुमत से पास कराना होगा। कम से कम इसका 15 राज्यों की विधानसभाओं से पास होना जरूरी होगा।

अनुच्छेद 246A: प्रत्येक राज्य के विधानमंडल वस्तु कर एवं सेवाकर संबंधित कानून को बना सकते हैं, बशर्ते कि वो कानून संसद द्वारा अनुच्छेद 246A(2) के तहत पारित किए गए किसी भी अधिनियम की अवहेलना नहीं करता हो।

अनुच्छेद 246A(2): केवल संसद के पास यह अधिकार होगा की वह माल की आपूर्ति या सेवाओं के अन्तर्राज्यीय व्यापार या वाणिज्य के विषय में वस्तु कर एवं सेवाकर संबंधित कानून को बना सकती है।

अनुच्छेद 269A: अन्तर्राज्यीय व्यापार के सन्दर्भ में माल की आपूर्ति और सेवाओं पर जो जीएसटी लगाया जायेगा, उसको केवल केंद्र सरकार द्वारा ही एकत्र किया जायेगा। हालांकि जीएसटी परिषद की सिफारिश पर विधि द्वारा तय किए गए ढंग से संघ और राज्यों के बीच इसे विभाजित किया जाएगा।

अनुच्छेद 279A: यह विधेयक भारत के राष्ट्रपति को 122 संविधान संशोधन अधिनियम 2014 के प्रारंभ होने के 60 दिनों के अंदर जीएसटी परिषद का गठन करने का अधिकार देता है।

dainikbhaskar.com के लिए सत्यव्रत त्रिपाठी।

आगे की स्लाइड्स में पढ़िए, विधेयक के मुख्य प्रावधान...

३० जून २०१७ की मध्यरात्रि में भारत के प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी गुड्स एंड सर्विसिज़ टैक्स (जीएसटी) पर भाषण करते हुए

वस्तु एवं सेवा कर ( संक्षेप मे: वसेक या जीएसटी अंग्रेज़ी: GST, अंग्रेज़ी: Goods and Services Tax) भारत में १ जुलाई २०१७ से लागू एक महत्वपूर्ण अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था है जिसे सरकार व कई अर्थशास्त्रियों द्वारा इसे स्वतंत्रता के पश्चात् सबसे बड़ा आर्थिक सुधार बताया है।[1] [2] इसके लागू होने से केन्द्र सरकार एवम् विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा भिन्न भिन्न दरों पर लगाए जा रहे विभिन्न करों को हटाकर पूरे देश के लिए एक ही अप्रत्‍यक्ष कर प्रणाली लागू हो गयी है।[3] इस कर व्यवस्था को लागू करने के लिए भारतीय संविधान में संशोधन किया गया था।[4]

वस्तु एवं सेवा कर, वस्तु एवं सेवा कर परिषद द्वारा संचालित है। भारत के वित्त मंत्री इसके अध्यक्ष होते हैं। जीएसटी के तहत, वस्तुओं और सेवाओं को निम्न दरों पर लगाया जाता है, 0%, 5%, 12%, 18% और,28% (5 TYPES) । मोटे कीमती और अर्ध कीमती पत्थरों पर 0.25% की एक विशेष दर तथा सोने पर 3% की दर है।

कर की प्रकृति[संपादित करें]

जीएसटी एक मूल्य वर्धित कर है जो कि विनिर्माता से लेकर उपभोक्‍ता तक वस्‍तुओं और सेवाओं की आपूर्ति पर एक एकल कर है। प्रत्‍येक चरण पर भुगतान किये गये इनपुट करों का लाभ मूल्‍य संवर्धन के बाद के चरण में उपलब्‍ध होगा जो प्रत्‍येक चरण में मूल्‍य संवर्धन पर जीएसटी को आवश्‍यक रूप से एक कर बना देता है। अंतिम उपभोक्‍ताओं को इस प्रकार आपूर्ति श्रृंखला में अंतिम डीलर द्वारा लगाया गया जीएसटी ही वहन करना होगा। इससे पिछले चरणों के सभी मुनाफे समाप्‍त हो जायेंगे।[5][6][7]

चुंगी, सेंट्रल सेल्स टैक्स (सीएसटी), राज्य स्तर के सेल्स टैक्स या वैट, एंट्री टैक्स, लॉटरी टैक्स, स्टैंप ड्यूटी, टेलिकॉम लाइसेंस फी, टर्नओवर टैक्स, बिजली के इस्तेमाल या बिक्री पर लगने वाले टैक्स, सामान के ट्रांसपोटेर्शन पर लगने वाले टैक्स इत्यादि अनेकों करों के स्थान पर अब यह एक ही कर लागू किया जा रहा है।[8]

GST पंजीकरण प्रक्रिया[संपादित करें]

आप सरकारी पोर्टल के माध्यम से जीएसटी के लिए ऑनलाइन पंजीकरण कर सकते हैं,[9] या आप जीएसटी सेवा केंद्र में पंजीकरण कर सकते हैं।[10]

संभावित लाभ[संपादित करें]

वित्त मंत्रालय द्वारा जारी विज्ञप्ति के अनुसार इस व्यवस्था से निम्न लाभ संभावित हैं[5][11][12]:

व्‍यापार और उद्योग के लिए[संपादित करें]

  • आसान अनुपालन, पारदर्शिता: एक मजबूत और व्‍यापक सूचना प्रौद्योगिकी प्रणाली भारत में जीएसटी व्‍यवस्‍था की नींव होगी इसलिए पंजीकरण, रिटर्न, भुगतान आदि जैसी सभी कर भुगतान सेवाएं करदाताओं को ऑनलाइन उपलब्‍ध होंगी, जिससे इसका अनुपालन बहुत सरल और पारदर्शी हो जायेगा।
  • कर दरों और संरचनाओं की एकरूपता: जीएसटी यह सुनिश्चित करेगा कि अप्रत्‍यक्ष कर दरें और ढांचे पूरे देश में एकसमान हैं। इससे निश्चिंतता में तो बढ़ोतरी होगी ही व्‍यापार करना भी आसान हो जाएगा। दूसरे शब्‍दों में जीएसटी देश में व्‍यापार के कामकाज को कर तटस्‍थ बना देगा फिर चाहे व्‍यापार करने की जगह का चुनाव कहीं भी जाये।
  • करों पर कराधान (कैसकेडिंग) की समाप्ति- मूल्‍य श्रृंखला और समस्‍त राज्‍यों की सीमाओं से बाहर टैक्‍स क्रेडिट की सुचारू प्रणाली से यह सुनिश्चित होगा कि करों पर कम से कम कराधान हों। इससे व्‍यापार करने में आने वाली छुपी हुई लागत कम होगी।
  • प्रतिस्‍पर्धा में सुधार – व्‍यापार करने में लेन-देन लागत घटने से व्‍यापार और उद्योग के लिए प्रतिस्‍पर्धा में सुधार को बढ़ावा मिलेगा।
  • विनिर्माताओं और निर्यातकों को लाभ – जीएसटी में केन्‍द्र और राज्‍यों के करों के शामिल होने और इनपुट वस्‍तुएं और सेवाएं पूर्ण और व्‍यापक रूप से समाहित होने और केन्‍द्रीय बिक्री कर चरणबद्ध रूप से बाहर हो जाने से स्‍थानीय रूप से निर्मित वस्‍तुओं और सेवाओं की लागत कम हो जाएगी। इससे भारतीय वस्‍तुओं और सेवाओं की अंतर्राष्‍ट्रीय बाजार में होने वाली प्रतिस्‍पर्धा में बढ़ोतरी होगी और भारतीय निर्यात को भी बढ़ावा मिलेगा। पूरे देश में कर दरों और प्रक्रियाओं की एकरूपता से अनुपालन लागत घटाने में लंबा रास्‍ता तय करना होगा।

केन्‍द्र और राज्‍य सरकारों के लिए[संपादित करें]

  • सरल और आसान प्रशासन - केन्‍द्र और राज्‍य स्‍तर पर बहुआयामी अप्रत्‍यक्ष करों को जीएसटी लागू करके हटाया जा रहा है। मजबूत सूचना प्रौद्योगिकी प्रणाली पर आधारित जीएसटी केन्‍द्र और राज्‍यों द्वारा अभी तक लगाए गए सभी अन्‍य प्रत्‍यक्ष करों की तुलना में प्रशासनिक नजरिए से बहुत सरल और आसान होगा।
  • कदाचार पर बेहतर नियंत्रण – मजबूत सूचना प्रौद्योगिकी बुनियादी ढांचे के कारण जीएसटी से बेहतर कर अनुपालन परिणाम प्राप्‍त होंगे। मूल्‍य संवर्धन की श्रृंखला में एक चरण से दूसरे चरण में इनपुट कर क्रेडिट कर सुगम हस्‍तांतरण जीएसटी के स्‍वरूप में एक अंत:निर्मित तंत्र है, जिससे व्‍यापारियों को कर अनुपालन में प्रोत्‍साहन दिया जाएगा।
  • अधिक राजस्‍व निपुणता – जीएसटी से सरकार के कर राजस्‍व की वसूली लागत में कमी आने की उम्‍मीद है। इसलिए इससे उच्‍च राजस्‍व निपुणता को बढ़ावा मिलेगा।

उपभोक्‍ताओं के लिए[संपादित करें]

  • वस्‍तुओं और सेवाओं के मूल्‍य के अनुपा‍ती एकल एवं पारदर्शी कर – केन्‍द्र और राज्‍यों द्वारा लगाए गए बहुल अप्रत्‍यक्ष करों या मूल्‍य संवर्धन के प्रगामी चरणों में उपलब्‍ध गैर-इनपुट कर क्रेडिट के कारण आज देश में अनेक छिपे करों से अधिकांश वस्‍तुओं और सेवाओं की लागत पर प्रभाव पड़ता है। जीएसटी के अधीन विनिर्माता से लेकर उपभोक्‍ताओं तक केवल एक ही कर लगेगा, जिससे अंतिम उपभोक्‍ता पर लगने वाले करों में पारदर्शिता को बढ़ावा मिलेगा।
  • समग्र कर भार में राहत – निपुणता बढ़ने और कदाचार पर रोक लगने के कारण अधिकांश उपभोक्‍ता वस्‍तुओं पर समग्र कर भार कम होगा, जिससे उपभोक्‍ताओं को लाभ मिलेगा।

समिति[संपादित करें]

इसका सुझाव विजय केलकर समिति (2002) ने दिया था। यह कर वस्तु एवं सेवा कर परिषद् द्वारा निर्धारित किया जा रहा है जिसके अध्यक्ष केन्द्रीय वित्त (निर्मला सीतारमण) मंत्री हैं। असीम दास गुप्ता समिति ने स्वरूप दिया राज्य सभा मे असम में सबसे पहले स्वीकारकर कानून बना दिया।

दरें[संपादित करें]

जीएसटी काउंसिल ने पाँच तरह के कर निर्धारित किये हैं, ये 0,5, 12, 18 एवं 28 प्रतिशत | हालांकि बहुत सी चीजों को जीएसटी से छूट दी गई है उन वस्तुओं पर कोई भी कर नहीं लगेगा या जीएसटी नहीं लगेगा जबकि लग्जरी एवं महंगे सामान पर जीएसटी के अलावा सेस भी लगेगा। सरकार के अनुसार इसमें से 81 प्रतिशत चीजें जीएसटी  की 18 प्रतिशत की श्रेणी तक आएंगी |

आदर्श स्थिति में इस व्यवस्था में समस्त कर एक ही दर पर लगाए जाने चाहिएँ, किन्तु भारत में राज्य व केन्द्र तथा एक ही वस्तु या सेवा पर भिन्न-भिन्न राज्यों में भिन्न दरें आदि होने से प्रारम्भ में ४ दरें निर्धारित की गईं ताकि वर्तमान राजस्व में अधिक अंतर न पड़े। ये चार दरें 5%, 12‍%, 18‍% तथा 28‍% हैं।‍[12] आवश्यक वस्तुओं जैसे कि दूध, लस्सी, दही, शहद, फल एवं सब्जियां, आटा, बेसन, ताजा मीट, मछली, चिकन, अंडा, ब्रेड, प्रसाद, नमक, बिंदी, सिंदूर, स्टांप, न्यायिक दस्तावेज, छपी पुस्तकें, समाचार पत्र, चूड़ियाँ और हैंडलूम आदि वस्तुओं पर जीएसटी नहीं लगेगा। [13]40लाख से कम की वार्षिक बिक्री वाले व्यापारियों को इस कर व्यवस्था से छूट दी गई है। [13]

प्राप्तियाँ[संपादित करें]

मासकर-प्राप्तिपरिवर्तन
मई  940.16 बिलियन (US$13.73 अरब)
अप्रैल  1,034.58 बिलियन (US$15.1 अरब)[14]
मार्च  892.64 बिलियन (US$13.03 अरब)[15]
February  851.74 बिलियन (US$12.44 अरब)[16]
January  863.18 बिलियन (US$12.6 अरब)[17]
December  867.06 बिलियन (US$12.66 अरब)[18]
November  808.08 बिलियन (US$11.8 अरब)[18]
October  833.46 बिलियन (US$12.17 अरब)[18]
सितम्बर  951.31 बिलियन (US$13.89 अरब)[18]
अगस्त  931.41 बिलियन (US$13.6 अरब)[18]
जुलाई  940.00 बिलियन (US$13.72 अरब)[19]

वापसी[संपादित करें]

लगभग ३८ लाख नए करदाता जीएसटी में पञ्जीकृत हुए हैं। इस प्रकार कुल करदाताओं की संख्या १ करोड़ पार कर गयी है (६४ लाख करदाता पहले से पंजीकृत थे)[20]

मासवापसी की संख्यापरिवर्तन
December 63 lakh[20]
November 64 lakh[20]
October 65 lakh[20]
September 69 lakh[20]
August 67 lakh[20]
July 63 lakh[20]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "संग्रहीत प्रति". मूल से 30 जुलाई 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 30 जून 2017.
  2. //hindi.moneycontrol.com/news/market-news/gst-beginning-of-new-tax-regime_162197.html Archived 2017-07-04 at the Wayback Machine मनीकंट्रोल.कॉम
  3. "GST से क्या होगा सस्ता और क्या महंगा". मूल से 27 अक्तूबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 31 अक्तूबर 2017.
  4. "जीएसटी बिल की 7 अहम बातें". मूल से 9 नवंबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 31 अक्तूबर 2017.
  5. ↑ अ आ "संग्रहीत प्रति". मूल से 18 जून 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 19 मई 2017.
  6. नवभारत टाइम्स. "जीएसटी लागू होने के बाद भी ई-कॉमर्स साइट्स पर मिल रहा 80% तक डिस्काउंट". मूल से 10 जुलाई 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 7 जुलाई 2017.
  7. एनडीटीवी. "जीएसटी लागू : बचे माल पर नई कीमत नहीं छापी तो जेल की हवा खानी पड़ सकती है : रिपोर्ट". मूल से 7 जुलाई 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 7 जुलाई 2017.
  8. "जीएसटी : टाटा मोटर्स ने 2,17,000 रुपये तक घटाए वाहनों के दाम". मूल से 6 जुलाई 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 7 जुलाई 2017.
  9. "Online GST Registration process". etaxadvisor.com. मूल से 17 जून 2020 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 19 जून 2020.
  10. "How to Register for GST Online". bajajfinserv.in. मूल से 25 जुलाई 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 19 जून 2020.
  11. "संग्रहीत प्रति" (PDF). मूल (PDF) से 22 जून 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 30 जून 2017.
  12. ↑ अ आ "संग्रहीत प्रति". मूल से 6 जनवरी 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 6 जनवरी 2019.
  13. ↑ अ आ "संग्रहीत प्रति". मूल से 30 जून 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 30 जून 2017.
  14. "In a first, GST collection for April tops Rs 1 lakh crore", Financial Express, 1 May 2018, मूल से 26 जून 2018 को पुरालेखित, अभिगमन तिथि 1 जुलाई 2018
  15. "Upswing in GST revenue trends: Rs 892.64 bn collected in March, says Adhia", Business Standard, 2 April 2018
  16. "GST collection falls to Rs 85,174 crore in February; only 69% file returns", The Times of India, 27 March 2018, मूल से 22 जुलाई 2018 को पुरालेखित, अभिगमन तिथि 1 जुलाई 2018
  17. "GST collection for January comes in at Rs 86,318 crore", The Economic Times, 27 February 2018, मूल से 17 जून 2018 को पुरालेखित, अभिगमन तिथि 1 जुलाई 2018
  18. ↑ अ आ इ ई उ "GST revenue for December rises to Rs 86,703 crore; halts 2-month reverse trend", Business Today, 11 February 2018, मूल से 17 जून 2018 को पुरालेखित, अभिगमन तिथि 1 जुलाई 2018
  19. "GST collections dip for second month in Nov to Rs 80,808 crore", The Economic Times, 27 December 2017, मूल से 17 जून 2018 को पुरालेखित, अभिगमन तिथि 1 जुलाई 2018
  20. ↑ अ आ इ ई उ ऊ ए "Why many registered taxpayers are not filing GST returns", Business Today, 27 February 2018, मूल से 1 जुलाई 2018 को पुरालेखित, अभिगमन तिथि 1 जुलाई 2018

//web.archive.org/web/20190729080404///www.paisabazaar.com/tax/gst-rates/

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

  • एक सौ प्रथम संशोधन (भारत का संविधान) (या, वस्तु एवं सेवा कर विधेयक (भारत))
  • कर सुधार
  • भारत के 500 और 1000 रुपये के नोटों का विमुद्रीकरण
  • भारत में कराधान

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

  • आधिकारिक जालस्थल
  • CBEC GST कानून
  • माल एवं सेवा कर परिषद (GST काउन्सिल)
  • जी एस टी(GST) या वस्तु एवं सेवा कर : एक आसान व्याख्या
  • वस्‍तु एवं सेवा कर (जीएसटी) से संबंधित बार-बार पूछे जाने वाले प्रश्‍न
  • वस्तु एवं सेवा कर: आजादी के बाद का सबसे बड़ा टैक्स सुधार
  • GST नंबर कैसे लें
  • जीएसटी को एक साल : अर्थव्यवस्था में आया बड़ा सुधार (१ जुलाई २०१८)
  • जीएसटी से भरा मोदी सरकार का खजाना, मई में कलेक्शन 1 लाख करोड़ रुपए के पार (जून २०१९)

जीएसटी कौन सा कर है?

उत्तर: जीएसटी समूचे देश के लिए एक अप्रत्यक्ष कर है, जो भारत को एक एकीकृत सामान्य बाजार बनाएगा । जीएसटी विनिर्माता से उपभोक्ता तक माल और सेवाओं की आपूर्ति पर एकल कर है।

जीएसटी कितने प्रकार के होते हैं?

जीएसटी टैक्स प्रणाली के अनुसार, 4 अलग-अलग टाइप्स ऑफ़ जीएसटी हैं:.
एकीकृत माल और सेवा टैक्स (IGST).
राज्य वस्तु एवं सेवा टैक्स (एसजीएसटी).
केंद्रीय माल और सेवा टैक्स (सीजीएसटी).
केंद्र शासित प्रदेश माल और सेवा टैक्स (UTGST).

जीएसटी संविधान में कौन सा अनुच्छेद?

संविधान 7 Page 17 का अनुच्छेद 246ए केंद्र और राज्यों को कर लगाने और जी.एस.टी.

GST कब लगता है?

GST सिस्टम में, टैक्स की वसूली तब होती है, जब कोई सामान (goods) या सेवा (service) को बेचा जाता है। वस्तु या सेवा की अंतिम कीमत में उस पर निर्धारित GST टैक्स भी शामिल होता है। वस्तु या सेवा की सप्लाई देने वाला (seller), इसे सप्लाई लेने वाले (Consumer) से वसूलता है। बाद में इसे सरकार के खाते मे जमा कर देता है।

संबंधित पोस्ट

Toplist

नवीनतम लेख

टैग