ईशान कोण में सीढ़ी होने से क्या होता है? - eeshaan kon mein seedhee hone se kya hota hai?

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संकलन - आचार्य रणजीत स्वामी 
धूप का मजा लेना हो या हवाओं से खुद को तरोताजा करना हो, घर की छत पर तो आप जाते ही होंगे। इसके लिए घर में सीढ़ी बनी होगी। लेकिन क्या आपके घर की सीढ़ी सिर्फ इन्हीं कामों के लिए है। वास्तु विज्ञान के अनुसार घर की सीढ़ियों से तरक्की की ऊंचाई पर भी पहुंचा जा सकता है। इसके लिए जरूरी है कि घर की सीढ़ी वास्तु के नियमों के अनुसार बनी हो। सीढ़ी में वास्तु दोष होने पर तरक्की की बजाय नुकसान उठाना पड़ सकता है।

वास्तुशास्त्र के नियम के अनुसार सीढ़ियों का निर्माण उत्तर से दक्षिण की ओर अथवा पूर्व से पश्चिम दिशा की ओर करवाना चाहिए। जो लोग पूर्व दिशा की ओर से सीढ़ी बनवा रहे हों उन्हें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि सीढ़ी पूर्व दिशा की दीवार से लगी हुई नहीं हो। पूर्वी दीवार से सीढ़ी की दूरी कम से कम तीन इंच होने पर घर वास्तु दोष से मुक्त होता है।

सीढ़ी के लिए नैऋत्य यानी दक्षिण पश्चिम दिशा उत्तम होती है। इस दिशा में सीढ़ी होने पर घर प्रगति ओर अग्रसर रहता है। वास्तुशास्त्र के अनुसार उत्तर पूर्व यानी ईशान कोण में सीढ़ियों का निर्माण नहीं करना चाहिए। इससे आर्थिक नुकसान, स्वास्थ्य की हानि, नौकरी एवं व्यवसाय में समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इस दिशा में सीढ़ी का होना अवनति का प्रतीक माना गया है। दक्षिण पूर्व में सीढ़ियों का होना भी वास्तु के अनुसार नुकसानदेय होता है। इससे बच्चों के स्वास्थ्य उतार-चढ़ाव बना रहता है।

जो लोग खुद ग्राउंड फ्लोर पर रहते हैं और किरायेदारों को ऊपरी मंजिल पर रखते हैं उन्हें मुख्य द्वार के सामने सीढ़ियों का निर्माण नहीं करना चाहिए। वास्तु विज्ञान के अनुसार इससे किरायेदार दिनोदिन उन्नति करते और मालिक मालिक की परेशानी बढ़ती रहती है।

1.सीढ़ियों के आरंभ और अंत में द्वार बनवाएं।

2.सीढ़ी के नीचे जूते-चप्पल एवं घर का बेकार सामान नहीं रखें।

3.मिट्टी के बर्तन में बरसात का जल भरकर उसे मिट्टी के ढक्कन से ढंक दें। इसे सीढ़ी के नीचे मिट्टी में दबा दें। 

4.घुमावदार सीढियों का घुमाव हमेशा बायें से दायीं ओर होना चाहिये। अर्थात सीढियों का घुमाव हमेशा घड़ी की सुईयों के घुमाव के चक्र के अनुरूप होना चाहिये, विपरित घुमाव वाली सीढियां अमंगलकारी होती है    

5.यदि भवन में पूर्व से पश्चिम की तरफ चढ़ने वाली सीढ़ियाँ हों तो भवन मालिक को लोकप्रियता और यश की प्राप्ति होती है।

6 यदि भवन में उत्तर से दक्षिण की तरफ चढ़ने वाली सीढ़ियाँ हों तो भवन मालिक को धन की प्राप्ति होती है।

7 दक्षिण दीवार के सहारे सीढ़ियाँ धनदायक होती हैं।

8 सीढ़ियाँ प्रकाशमान और चौड़ी होनी चाहिए। सीढ़ियों की विषम संख्या शुभ मानी जाती है।

9 यदि सीढ़ियाँ सीधी हों तो दाहिनी ओर ऊपर जाना चाहिए।

10 भूलकर भी भवन के मध्य भाग में सीढ़ी न बनाएँ अन्यथा बड़ी हानि हो सकती है।

11 पूर्व दिशा में सीढ़ियाँ हों, तो हृदय रोग बढाती हैं।

12 ईशान कोण में बनी सीढ़ी पुत्र संतान के विकास में बाधक होती है।

13 मुख्य दरवाजे के सामने बनी सीढ़ी आर्थिक अवसरों को समाप्त कर देती है।

14  सीढ़ियों के नीचे पूजाघर का निर्माण नहीं करना चाहिए।

15 भवन बनाते समय इस बात का ध्यान रखें कि मुख्य दरवाजे पर खड़े व्यक्ति को घर की सीढ़ियाँ दिखाई नहीं देना चाहिए

क्या है ईशान कोण

वास्तु के अनुसार घर में मौजूद गलत संरचना या बनावट पूरे घर को प्रभावित करती है। यह घर में नकारात्मक ऊर्जा बढ़ाती है। वास्तुशास्त्र के अनुसार, पूर्व और उत्तर दिशाएं जहां पर मिलती हैं उस स्थान को ईशान दिशा कहते हैं। घर में यह जगह ईशान कोण कहलाती है। वास्तु के अनुसार, इस कोण पर देवताओं और आध्यात्मिक शक्तियों निवास करती हैं। यह घर का सबसे पवित्र कोना माना गया है। भगवान शिव भी उत्तर-पूर्व दिशा में रहते हैं और उनका एक नाम भी ईशान है, इसलिए यह कोण ऊर्जा का स्रोत और शक्तिशाली माना गया है। बृहस्पतिदेव और मोक्षदायी केतु भी इसी जगह रहते हैं। इसलिए यह कोण और भी शुभ माना जाता है। जानिए इसके गलत संरचना से कैसे नुकसान उठाना पड़ सकता है।

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होती है धन हानि

यदि यह कोण ऊंचा हो तो धन हानि होती है, उन्नति रूक जाती है। यदि ईशान कोण में उत्तरी दिशा की लंबाई घट रही हो तो उस मकान की गृहस्वामिनी को आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। यह कोण भारी, अस्वस्थ, सूखा आदि हो तो गृहस्वामी की उन्नति के समान धनवृद्धि नहीं हो पाती है।

गंदगी से होता है नुकसान

यदि इस कोण में शौचालय, नगर निकासी या कोई अन्य गंदगी है तो धन संबंधी परेशानी रहती है। उन्नति में बाधा रहती है। सेप्टिक टैंक इस कोण में होने पर आर्थिक हानि होती है। इस दोष को दूर करने हेतु उपाय के रूप में टैंक के ढक्कन को लाल रंग से रंगने पर दोष का प्रभाव दूर हो जाता है।

इस दिशा में टॉयलेट नहीं बनाना चाहिए

इस दिशा(कोण) में टॉयलेट होने पर व्यक्ति का जीवन तबाह हो जाता है, उन्नति रुक जाती है, धन-हानि होती है। दोष दूर करने के लिए उपाय के रूप में दर्पण लगाना शुभ रहता है। पानी भरा बर्तन रखना चाहिए। फिश एक्वेरियम रखना चाहिए।

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सीढ़ियां पहुंचाती हैं नुकसान

इस कोण में सीढ़ियां कर्जवृद्धि आर्थिक तंगी देती है। यदि यह कोण कट या घट जाए तो भयंकर आर्थिक संकट आता है। यदि इस कोण में सीढ़ियां, किचन, कबाड़खाना आदि है तो आर्थिक तंगी रहती है। इस दिशा में शौचालय, सीढ़ी, पानी की टंकी नहीं होनी चाहिए।

निम्न उपाय अपनाकर ईशानकोण संबंधित वास्तुदोष से छुटकारा पा सकते हैं।

कैलाश पर्वत की तस्वीर है लाभकारी

इस कोण को अन्य सभी कोण से नीचा रखना चाहिए। इसे बड़ा, खुला हल्का,स्वच्छ व सुगंधयुक्त रखना चाहिए। बर्फ से ढंके कैलाश पर्वत पर साधना मुद्रा में भगवान श्री शिवजी, जिनके भाल पर चंद्र हो और जटा से गंगाजी निकल रही हों, की तस्वीर लगाना चाहिए।

पक्षियों की तस्वीर कम करती है दुष्प्रभाव

इसके बुरे प्रभाव से बचने के लिए गुरु यंत्र की स्थापना करनी चाहिए। बड़ा शीशा लगाना चाहिए। भोजन की तलाश में उड़ते पक्षियों की तस्वीर लगानी चाहिए। जल स्रोत व इसके फोटो रखनी चाहिए।

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ईशान कोण में सीढ़ी हो तो क्या करे?

इस दिशा में सीढ़ी होने पर घर प्रगति की ओर अग्रसर रहता है। वास्तुशास्त्र के अनुसार उत्तर-पूर्व यानी ईशान कोण में सी‍ढ़ियों का निर्माण नहीं करना चाहिए। इससे आर्थिक नुकसान, स्वास्थ्य की हानि, नौकरी एवं व्यवसाय में समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इस दिशा में सीढ़ी का होना अवनति का प्रतीक माना गया है।

घर की सीढ़ी कौन सी दिशा में होनी चाहिए?

वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर में सीढ़ियां हमेशा नैऋत्य यानी दक्षिण-पश्चिम, दक्षिण या पश्चिम दिशा में रखें। इस दिशा में सीढ़ियां होना उत्तम माना जाता है। इससे घर में प्रगति होती है और सुख-शांति बनी रहती है। वहीं उत्तर-पश्चिम दिशा का चयन भी सीढ़ियों के निर्माण के लिए सही माना जाता है।

ईशान कोण का वास्तु दोष कैसे दूर करें?

इस दिशा में टॉयलेट नहीं बनाना चाहिए इस दिशा(कोण) में टॉयलेट होने पर व्यक्ति का जीवन तबाह हो जाता है, उन्नति रुक जाती है, धन-हानि होती है। दोष दूर करने के लिए उपाय के रूप में दर्पण लगाना शुभ रहता है। पानी भरा बर्तन रखना चाहिए। फिश एक्वेरियम रखना चाहिए।

ईशान कोण में क्या होना चाहिए?

घर के ईशान कोण में पूजा स्थल या मंदिर का निर्माण करना चाहिए. ... .
ईशान कोण को हमेशा साफ़ सुथरा रखना चाहिए. ... .
ईशान कोण जल के स्रोत के लिए भी उत्तम होता है. ... .
बच्चों के पढ़ने का कमरा हमेशा ईशान कोण में ही होना चाहिए. ... .
ईशान कोण में तुलसी का पौधा या केले का पौधा लगाना चाहिए तथा इसका पूजन भी करना चाहिए..

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