कृष्ण बहादुर रावत, वाराणसी : आज के भागदौड़ वाली जिंदगी में लगभग हर व्यक्ति हाइपर एसिडिटी यानि अम्लपित्त से परेशान है। खाली पेट ज्यादा देर तक रहने से या अधिक तला भुना खाना खाने के बाद खट्टी डकार व पेट में गैस आदि बनने लगती है। एसिडिटी होने पर पेट में जलन, खट्टी डकारें आना, मुंह में पानी भर आना, पेट में दर्द, गैस की शिकायत, जी मिचलाना आदि लक्षण महसूस होते हैं।
राजकीय स्नातकोत्तर आयुर्वेद महाविद्यालय एवं चिकित्सालय, वाराणसी के कायचिकित्सा एवं पंचकर्म विभाग के वैद्य डा. अजय कुमार बताते हैं कि आयुर्वेद के ग्रंथों में अम्लपित्त रोग के बारे में विस्तार से बताया गया है और इसकी चिकित्सा भी बताई गयी है। पेट में अम्लता और पित्त की वृद्धि से यह रोग होता है। इसके निम्न लक्षण बताये गए है - क्या है अम्लपित्त के मुख्य लक्षण--
1. खट्टी डकारें आना
2. पेट और गले में जलन होना
3. खाना खाने की इच्छा नहीं होना
4. खाना खाने के बाद उल्टी या मिचली आना
5. कभी कब्जियत होना, कभी दस्त होना
6. भूख नही लगना अम्लपित्त के प्रमुख कारण हैं-
1. अधिक चटपटा मिर्च मसालेदार खाना जैसे अचार, चटनी, इमली, लाल और हरी मिर्च, प्याज, लहसुन
2. गोल गप्पे, आलू चाट या टिक्की, बर्गर, चाऊमीन आदि जंक फूड अधिक खाना
3. देर रात तक जागना
4.दर्द निवारक गोली का खाली पेट सेवन
5. मानसिक तनाव,
6. अधिक समय तक खाली पेट रहना
7. धूम्रपान, तम्बाकू, शराब आदि के सेवन से
8. खाली पेट चाय, कॉफी का सेवन
9. खाना खाकर बिस्तर पर लेट जाना अम्लपित्त रोग में क्या करें और क्या न करें
1. अधिक मिर्च मसाले वाली चीजों को ना खाएं।
2. अधिक गर्म काफी व चाय ना पीएं।
3. मासाहार का सेवन ना करें।
4. दही व छाछ का भी सेवन नहीं करना चाहिए।
5. खाना खाने के बाद थोडा बहुत टहलना चाहिए।
6. नियमित रूप से व्यायाम करें।
7. नींद पूरी लें। क्या खाये पीयें
1. आयुर्वेद के सिध्दात के अनुसार तिक्त रस प्रधान आहार, गेहूं के बने पदार्थ, सत्तू तथा मधु एवं शर्करा का सेवन अधिक करना चाहिए।
2. परवल की सब्जी के सेवन से लाभ मिलता है।
3. कच्चा नारियल और उसका पानी, खीरे आदि सेवन करें।
4. भोजन में हलके आहार जैसे दलिया, खिचड़ी खाएं।
5. गाय का दूध, अनार का रस, अंगूर, मौसमी, सौंफ, मुनक्का, आवला, अंजीर, पुराना चावल आदि खाद्य पदार्थ का अधिकता से सेवन करना चाहिए।
6. मिश्री, आंवला, गुलकंद, मुनक्का आदि मधुर द्रव्यों का प्रयोग करना चाहिए।
7. चाय, कॉफी, शराब, तंबाकू , कोल्ड ड्रिंक्स जैसी चीजों का सेवन न करें।
8. अधिक समय तक खाली पेट न रहें।
9. दूध का प्रयोग नियमित रूप से करें।
10. सुबह खाली पेट एक-दो गिलास पानी पिएं। आयुर्वेद से कैसे करे इलाज़-
आयुर्वेद में इसका इलाज संशमन और संशोधन दो प्रकार से किया जाता है। संशमन चिकित्सा में औषधियों का प्रयोग किया जाता है और संशोधन में पंचकर्म द्वारा इसका इलाज किया जाता है। इन सभी औषधियों का प्रयोग बिना चिकित्सक के परामर्श के बिल्कुल नही करना चाहिए।
1. अविपत्तिकर चूर्ण
2. सुतशेखर रस
3. कामदुधा रस
4. मौक्तिक कामदुधा
5. अमलपित्तान्तक रस
6. अग्नितुण्डि वटी
7. फलत्रिकादी क्वाथ पंचकर्म चिकित्सा में इसका इलाज़ वमन चिकित्सा द्वारा किया जाता है जिससे इस रोग से पूर्ण रूप से मुक्ति मिल जाती है।
हम सभी ने अपने जीवन में कभी न कभी एसिडिटी की समस्या का सामना किया है। इसे एसिड रिफ्लक्स के नाम से भी जाना जाता है। यह ऐसा खाना खाने के कारण हो सकता है जो अत्यधिक तैलीय, नमकीन, मसालेदार या मीठा होता है। कैफीन, तंबाकू और शराब का अत्यधिक सेवन समस्या को और खराब कर सकता है। एसिडिटी की मात्रा में बढ़ोतरी का एक और संभावित कारण खाना खाकर तुरंत सो जाना हो सकता है। यह सभी आदतें, और इनके साथ, दैनिक जीवन का तनाव एसिडिटी को बढ़ाने का कारण बनते हैं।
एसिडिटी के कई लक्षण हैं, बेचैनी और अम्लिकोद्गार से लेकर मतली और उल्टी तक और कई बार कब्ज़ भी। जबकि ये लक्षण दर्दनाक और असुविधाजनक हो सकते हैं, एसिडिटी के प्रभावों को रोकने के लिए और उससे बचने के लिए कई सरल उपाय हैं।
योग, एसिडिटी के लिए सबसे कुशल और प्राकृतिक इलाजों में से एक है। यह सबसे आसान और तेज तरीकों में से एक है जो न केवल अम्ल प्रतिवाह के प्रभावों को दूर करता है परन्तु, आपके पाचन तंत्र को मजबूत बनाने में भी मदद करता है।
एसिडिटी व गैस को दूर करने के लिए कुछ सरल योगासन हैं जिन्हें प्रतिदिन घर पर किया जा सकता है।
1. वज्रासन
यह आसन पेट और आंतों की ओर रक्त के प्रवाह को बढ़ाता है और भोजन को प्रभावी ढंग से पचाने में मदद करता है, भले ही आपका पाचन तंत्र कमजोर हो।
2. पवनमुक्तासन
पवनमुक्तासन का नियमित अभ्यास मल त्याग (बॉविल मूवमेंट) को उद्दीप्त करने में मदद करता है जो कि पाचन तंत्र से अपशिष्ट पदार्थ और विषाक्त पदार्थों को हटाने के लिए बहुत आवश्यक है।
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3. नाड़ी शोधन प्राणायाम (एकांतरिक नासिका से श्वास लेने की तकनीक)
यह मुद्रा शरीर में ऊर्जा बढ़ाती है और हमें तनाव व व्यग्रता मुक्त करती है। इसे आदर्श रूप से सुबह खुली हवा में और खाली पेट किया जाना चाहिए।
4. कपाल भाती प्राणायाम (मस्तक चमकाने वाली श्वास तकनीक)
यह पेट की बीमारी, मोटापा, पाचन विकार और पेट से जुड़ी ऐसी ही कई समस्याओं के उपचार में प्रभावी है।
5. उष्ट्रासन (ऊंट रुप में ठहरना)
यह आसन पीठ दर्द को कम करने के लिए विशेष रूप से अच्छा है। यह मन को शांत करने में मदद करता है और रक्त परिसंचरण में सुधार करता है। यह श्वसन प्रणाली, अंतःस्त्रावी प्रणाली और तंत्रिका तंत्र के लिए भी अच्छा है।
योग का दैनिक अभ्यास एसिडिटी और इसके प्रभावों से निपटने के लिए एक उत्कृष्ट तकनीक साबित होगा।
एसिडिटी व गैस को दूर करने के लिए कुछ और टिप्स -
जबकि योग एसिडिटी व जठर-संबंधी समस्याओं से निजात पाने का एक शानदार तरीका है, लेकिन अगर जीवनशैली में कुछ सरल से बदलाव किए जाएं और स्वस्थ भोजन की आदतें डाली जाएं, तो आप अपने संपूर्ण गैस्ट्रिक स्वास्थ्य में कमाल के परिणाम देख पाएंगे।
1 अपने आहार में अधिक फल और कच्ची सब्जियां शामिल करें।
2 तैलीय और मसालेदार भोजन का सेवन कम करें।
3 मीठा खाने से बचें।
4 सोने के ठीक पहले भोजन न करें।
5 कैफ़ीन का सेवन कम कर दें।
6 तम्बाकू और शराब के सेवन से बचना एसिडिटी कम करने में मदद कर सकता है।
7 पानी और अन्य तरल पदार्थों का सेवन बढ़ा दें जैसे छाछ और नारियल पानी।
हालांकि योगाभ्यास शरीर और मन को विकसित करने में मदद करता है और बहुत से स्वास्थ्य लाभ लाता है परंतु दवा का विकल्प नहीं है। एक प्रशिक्षित श्री श्री योग शिक्षक की देखरेख में योग मुद्राओं को सीखना और अभ्यास करना महत्वपूर्ण है। किसी भी चिकित्सा स्थिति के मामले में, डॉक्टर व श्री श्री योग शिक्षक से सलाह लेने के बाद योगासनों का अभ्यास करें। आपके निकट आर्ट ऑफ लिविंग केंद्र पर श्री श्री योग कार्यक्रम खोजें।