रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से फिल्म के क्षेत्र में बेहतर कार्य के लिए दिए जाने वाले स्व.किशोर सम्मान साहू राष्ट्रीय अलंकरण को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया. राज्य सरकार 2018 से किशोर साहू
के सम्मान राष्ट्रीय पुरस्कार देने की घोषणा की है. और पहले सम्मान के लिए प्रसिद्ध फिल्म निर्माता-निर्देशक श्याम बेनेगल का चयन किया. लेकिन चयन प्रकिया को लेकर ही सारा सवाल उठ खड़ा हुआ है. दरअसल संस्कृति विभाग के पूर्व सलाहकार अशोक तिवारी ने चयन प्रकिया को लेकर सवाल खड़े किए हैं.अशोक तिवारी ने अपने सोशल फेज पर लिखा है कि, “यह कहावत एक बार फिर छत्तीसगढ़ में सिद्ध हुई ,ऐसा प्रतीत हो रहा है। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा स्वर्गीय किशोर साहू जी के स्मृति में दिए जाने वाले सम्मान के लिए इस वर्ष चयनित दो
व्यक्तियों के नामों की घोषणा की। किंतु अफसोस हुआ कि इनमे श्री मनु नायक, जिन्होंने आज से 50 साल पहले मुंबई में पहली छत्तीसगढ़ी फिल्म बनाई थी उनका नाम पढ़ने नहीं मिला। नायक जी के अतिरिक्त भी ऐसे बहुत से लोग हैं जो छत्तीसगढ़ से हैं और जिनका फिल्म जगत में राष्ट्रीय स्तर पर कार्य करने का महत्वपूर्ण योगदान है, भले ही किसी भी रुप में हो। किंतु वे छत्तीसगढ़ के हैं और उन्होंने बॉलीवुड को अपनी सेवाएं दिए हैं। यह अपने आप में मायने रखता है चेंदरू मुरिया का उल्लेख किया जाना जरूरी है जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय
फिल्म में कार्य किया था ।चेंदरू जी की मृत्यु अभी कुछ वर्षों पहले ही हुई है और उन्होंने तब फिल्मों में काम किया था जब छत्तीसगढ़ से शायद ही कोई व्यक्ति इतनी ख्याति अर्जित किया हो।
स्वर्गीय हबीब तनवीर, स्वर्गीय सत्यदेव
दुबे, फ़िदा बाई और नत्थू दादा इनका भी उल्लेख किया जाना अच्छा लगता है जिन्होंने बॉलीवुड को महत्वपूर्ण योगदान दिया हुआ है। किंतु इन सब में से किसी को भी न हीं 10 लाख वाले नाम के लिए या फिर 2 लाख वाले नाम के लिए उपयोगी पाया गया। यह अपने आप में बड़ा विस्मयकारी लगता है और जिन लोगों को पुरस्कार के लिए चुना गया है ,क्या उनके समकक्ष या वरिष्ठ अन्य व्यक्तियों के बारे में सोचा गया था और उन्हें उपयुक्त नही होने के कारण ड्राप कर दिया गया।
अव्वल तो यह है कि इन पुरस्कारों की ज्यूरी में कोई भी ऐसा
व्यक्ति नहीं था जो छत्तीसगढ़ी भाषा का बोलने वाला हो ,या छत्तीसगढ़ी जिसकी मातृभाषा हो ,या जो छत्तीसगढ़ी फिल्मों से जुड़ा रहा हूं। उनमें से कुछ लोगों की केवल यही विशेषता थी कि वे कभी छत्तीसगढ़ में कहा करते थे, अब वर्षों से मुंबई में रहने लगे हैं ,और कतिपय व्यावसायिक हितों के लिए छत्तीसगढ़ आते रहते हैं या फिर निश्चित ही पारिवारिक कारणों से भी आते होंगे।”
दरअसल जब स्व.किशोर साहू स्मृति
सम्मान देने की घोषणा राज्य सरकार की ओर से हुई सोशल मीडिया में इसे लेकर तमाम तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही है. संस्कृति विभाग के पूर्व सलाहकार अशोक तिवारी ने भी इसे लेकर सवाल उठाएं है. अशोक तिवारी ने वाट्सएप और फेसबुक पेज पर लिखा है कि श्याम बेनेगल जी को सम्मानित करना वाकई में आनंदित करने वाला समाचार है । वे एक राष्ट्रीय छवि वाले अत्यधिक लोकप्रिय निर्माता-निर्देशक हैं और छत्तीसगढ़ शासन द्वारा उनका सम्मान किया जाना सुखद है ।लेकिन साथ ही यह भी प्रश्न उठता है क्या बेनेगल जी के समकक्ष किसी
और व्यक्ति के बारे में जूरी ने चिंतन किया था, या फिर जूरी का एक सदस्य जो पिछले लगभग तीन या चार दशक से श्याम बेनेगल जी के साथ काम कर रहा है ,उन्होंने बेनेगल जी का नाम प्रस्तावित किया होगा और सब लोगों ने उनको स्वीकार कर लिया होगा। जूरी सदस्य श्री अशोक मिश्रा, मेरी जानकारी के अनुसार आज से 30 या फिर उससे भी ज्यादा साल पहले जब भारत एक खोज नामक दूरदर्शन श्रृंखला बनाई गई थी ,जिस के निर्माता श्याम बेनेगल थे, तब से वे बेनेगल जी के साथ जुड़े हुए हैं। और उन्होंने उस सीरियल में स्क्रिप्ट लेखन के
साथ ही बेनेगल जी की ताजातरीन फिल्म जैसे वेलकम टू सज्जनपुर, वेलडन अब्बा ,समर आदि के लिए भी स्क्रिप्ट लेखन का कार्य किया हुआ है । और उसके साथ ही एक अन्य महत्वपूर्ण बात यह भी है कि श्री मनोज वर्मा जिसको 2 लाख वाले ईनाम के लिए चुना गया है, श्री अशोक मिश्रा ने उनकी फिल्म भूलन जो अभी तक रिलीज़ नहीं हुई है, उसमें अभिनय किया हुआ है । यह इस बात को प्रमाणित करता है कि दोनों ही पुरस्कार ग्राहियों से श्री अशोक मिश्र के व्यवसायिक संबंध रहे हैं। यह भी यहां उल्लेख करना जरूरी है कि जूरी के एक अन्य सदस्य श्री
रघुवीर यादव भी श्याम बेनेगल जी की फिल्म सूरज का सातवां घोड़ा में अभिनेता थे।अशोक तिवारी ये भी कहते हैं कि छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा दिए जाने वाले पुरस्कारों के बारे में हर बार कुछ न कुछ टिप्पणियां आती हैं । यह पहला अवसर है इन पुरस्कार की घोषणा के पश्चात इस संबंध में किसी ने पुरस्कारों के निर्णय को इस दृष्टि से देखने का प्रयास नहीं किया । यह अपने आप में बहुत आश्चर्य का विषय है कि राज्य सरकार द्वारा जारी विज्ञप्ति में श्री अशोक मिश्र के जीवनी से संबंधित जो बातें लिखी गई हैं वे वस्तुतः उनकी
बायोडेटा बहुत छोटा सा हिस्सा है और उनकी फिल्मों से जुड़ी हुई बातें, खासकर श्री श्याम बेनेगल के साथ उनका काम करना ,जो उनकी बायोडाटा के सबसे सशक्त पक्षों में माने जाते हैं उसका बिल्कुल उल्लेख नहीं किया गया है। एक दूसरा कथन यह भी उल्लेख करना चाहूंगा कि क्या मनोज वर्मा या राज्य का ऐसा कोई और भी कलाकार राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए हितग्राही नहीं हो सकता या राज्य का और कोई अन्य कलाकार ऐसा नहीं है जिसे मनोज वर्मा जी के समकक्ष मानकर उनके बारे में नहीं सोचा जा सकता ।और यदि हां तो क्या ज्यूरी ने
यह सब सोचा था उसके पश्चात ही निर्णय लिया होगा। मसलन मनु नायक जी इसके काबिल नही माने गए ,बावजूद इसके कि उन्होंने कितनी कठिन परिस्थियो में फ़िल्म बनाई थी। बहुत सी जिज्ञासाएं हैं जिनके उत्तर शायद कोई नहीं देगा ,और यह अनुत्तरित ही चले जाएंगे। लेकिन मेरी अपनी सोच से पहला किशोर कुमार सम्मान भी प्रस्नचिन्हों से भरा राह जाएगा।
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आलम आरा फिल्म के नायक के चयन को लेकर क्या विवाद था?
पहले फिल्म के नायक के लिए विट्ठल का चयन किया गया। परन्तु इन्हें उर्दू बोलने में मुश्किलें आती थीं। इसी कमी के कारण उन्हें हटाकर उनकी जगह मेहबूब को नायक बना दिया गया। पुन: अपना हक पाने के लिए उन्होंने मुकदमा कर दिया।
विट्ठल के चयन को लेकर क्या किस्सा चर्चित है?
विट्ठल को आलम आरा फिल्म में नायक की भूमिका से असली हटाया गया था क्योंकि उन्हें उर्दू बोलने में मुश्किल आती थी। इसके कारण वे संवादों को ठीक से नहीं बोल पाते थे । लेकिन उन्होंने इसे अपना अपमान समझा और न्यायालय में मुकदमा दायर कर दिया। उनका मुकदमा उस समय के जाने माने वकील मोहम्मद अली जिन्ना ने लड़ा।
फिल्म में नायक होने के लिए विट्ठल का मुकदमा कौन लड़ा?
विट्ठल नाराज हो गए और अपना हक पाने के लिए उन्होंने मुकदमा कर दिया। उस दौर में उनका मुकदमा मोहम्मद अली जिन्ना ने लड़ा जो तब के मशहूर वकील हुआ करते थे। विट्ठल मुकदमा जीते और भारत की पहली बोलती फ़िल्म के नायक बने।
विट्ठल का आलम आरा फिल्म से क्यों निकाल दिया गया था?
उत्तर:- विट्ठल को फ़िल्म से इसलिए हटाया गया कि उन्हें उर्दू बोलने में परेशानी होती थी। पुन: अपना हक पाने के लिए उन्होंने मुकदमा कर दिया। विट्ठल मुकदमा जीत गए और भारत की पहली बोलती फिल्म के नायक बनें।