ज्योतिष शास्त्र में गरीबी दूर करने के लिए कई कारगर उपाय बताए गए हैं. इन उपायों को अपनाने से सभी प्रकार की ग्रह बाधाएं दूर हो जाती हैं. यदि किसी वजह से धन प्राप्त करने में कोई समस्या आ रही हो तो इन उपायों से वे सभी परेशानियां भी दूर हो जाती हैं. यदि आप भी किसी ग्रह बाधा से पीडि़त हैं और आपके पर्स में अधिक समय तक पैसा नहीं टिकता तो यह उपाय अवश्य करें. पूजन में अक्षत का उपयोग अनिवार्य है. किसी भी पूजन के समय गुलाल, हल्दी, अबीर और कुंकुम अर्पित करने के बाद अक्षत चढ़ाए जाते हैं. अक्षत न हो तो पूजा पूर्ण नहीं मानी जाती.
क्यों की जाती है शिव के लिंग रूप की पूजा?
शास्त्रों के अनुसार पूजन कर्म में चावल का काफी महत्व रहता है. देवी-देवता को तो इसे समर्पित किया जाता है साथ ही किसी व्यक्ति को जब तिलक लगाया जाता है तब भी अक्षत का उपयोग किया जाता है. अक्षत का उपयोग कर आप घर की दरिद्रता दूर कर सकते हैं. जानिये कैसे...
...तो इसलिए प्रिय है भगवान शिव को सावन का महीना
भगवान शिव को सोमवार के दिन चावल चढ़ाएं. लेकिन ध्यान रहे कि चावल टूटे न हों.
अगर नौकरी की तलाश कर रहे हैं या वर्तमान ऑफिस में परेशान हैं तो मीठे चावल बनाकर कौवों को खिला दें.
पैसों की तंगी है तो आधा किलो चावल लेकर किसी एकांत शिवलिंग के पास बैठें और भगवान शिव पर एक मुट्ठी चावल चढ़ाएं. इसके बाद बचे चावल को किसी जरूरतमंद या गरीब को दान कर दें. यह उपाय पूर्णिमा के बाद आने वाले सोमवार से करें और लगातार 5 सोमवार तक करें. घर में पैसा आना शुरू हो जाएगा.
क्या आप जानते हैं भगवान शिव की बहन के बारे में...
पितृदोष के चलते हमें कई तरह की समस्याओं से जूझना पड़ता है. ऐसे में पितृदोष दूर करने के लिए चावल की खीर तथा रोटी कौवों को खिलाएं. इससे आपको अपने पितरों का आशीष प्राप्त होगा और रुके हुए काम बनने लगेंगे.
सोमवार के दिन जौ अर्पित करने से आपके सुख में वृद्धि होगी. तेज बुद्धि पाने की कामना है तो शक्कर युक्त दूध से शिवलिंग का अभिषेक करें.
इसे सुनेंरोकेंशिवपुराण के अनुसार, धन लाभ के लिए शिवलिंग पर चावल चढ़ाना चाहिए। 3. चावल का दान करने से शुक्र से संबंधित दोष दूर होते हैं और सभी प्रकार के सुख मिलते हैं।
दान कब देना चाहिए?
इसे सुनेंरोकेंजो भी दोपहर में भोजन कि वस्तु दान करता है, वह भी बहुत से पुण्य इकट्ठा कर लेता है। इसलिए एक दिन के तीनों समय कुछ दान जरूर करना चाहिए। कोई भी दिन दान से मुक्त नहीं होना चाहिए। अगर कोई भी एक पखवाड़े या एक महीने के लिए कुछ भी भोजन दान नहीं करता है, तो मैं भी उसे उतने ही समय के लिए भूखा रखता हूं।
आटा दान करने से क्या होता है?
इसे सुनेंरोकेंजो व्यक्ति प्रतिदिन विधिपूर्वक अन्नदान करता है वह संसार के समस्त फल प्राप्त कर लेता है। अपनी सामर्थ्य एवं सुविधा के अनुसार कुछ न कुछ अन्नदान अवश्य करना चाहिए। इससे परम कल्याण की प्राप्ति होती है। विशेष रूप से अन्न का दान जीवन में सम्मान का कारक होता है।
क्या चीज दान नहीं करना चाहिए?
इसे सुनेंरोकेंकहा जाता है कि धन समृद्धि के लिए झाड़ू को ऐसी जगह पर रखना चाहिए जहां आने-जाने वाले की नजर ना जाए। जहां तक दान की बात है तो दान स्वरूप कभी भी किसी को झाड़ू का दान नहीं देना चाहिए। ऐसी लोक मान्यता है कि इससे बरकत चली जाती यानी लक्ष्मी रूठ जाती हैं।
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मंदिर में झाड़ू दान करने से क्या होता है?
इसे सुनेंरोकेंझाड़ू हमारे घर से गंदगी रूपी दरिद्रता को दूर करती है और साफ-सफाई के रूप में महालक्ष्मी की कृपा दिलवाती है. जिस घर साफ-सफाई होती है, वहां लक्ष्मी का वास होता है. देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए घर के आसपास किसी भी मंदिर में तीन झाड़ू रख आएं. यह पुराने समय से चली आ रही परंपरा है.
दान में अहम कब और क्यों आ जाता है?
इसे सुनेंरोकेंअगर हम किसी को कोई वस्तु दे रहे हैं लेकिन देने का भाव अर्थात इच्छा नहीं है तो वह दान झूठा हुआ, उसका कोई अर्थ नहीं। इसी प्रकार जब हम देते हैं और उसके पीछे यह भावना होती है, जैसे पुण्य मिलेगा या फिर परमात्मा इसके प्रत्युत्तर में कुछ देगा तो हमारी नजर लेने पर है, देने पर नहीं तो क्या यह एक सौदा नहीं हुआ?
झाड़ू का दान कब करना चाहिए?
इसे सुनेंरोकेंआर्थिक दिक्कतों को दूर करने के लिए आप धनतेरस के दिन झाड़ू से जुड़ा महाउपाय कर सकते हैं. मान्यता है कि धनतेरस के दिन झाड़ू खरीदना अत्यधिक शुभ होता है. जीवन से जुड़ी आर्थिक परेशानियों को दूर करने के लिए आप किसी मंदिर में चुपचाप तीन नई झाड़ू खरीद कर रख आएं या फिर किसी सफाईकर्मी को नई झाड़ू दान करें.
दान कब नहीं करना चाहिए?
इसे सुनेंरोकें* सोना, पीतल, केसर, धार्मिक साहित्य या वस्तुएं आदि का दान नहीं करना चाहिए अन्यथा ‘घर का जोगी जोगड़ा, आन गांव का सिद्ध’ जैसी हालत होने लगेगी अर्थात मान-सम्मान में कमी रहेगी। शुक्र जब जन्म पत्रिका में वृष या तुला राशि में हो, स्वराशि तथा मीन राशि में हो तो उच्च भाव का होता है।
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दान कितना करना चाहिए?
इसे सुनेंरोकेंहर व्यक्ति को अपनी आमदनी की न्यूनतम 10 फीसदी दान करना चाहिए। दान उसी को दीजिए जो दान लेने के योग्य हो। दान के तौर पर धन, संपत्ति आथवा द्रव्य दान दे सकते हैं। कभी भी किसी की अमानत दान के तौर पर नहीं देना चाहिए।
इन उपायों से ग्रहों के दोष दूर हो सकते हैं साथ ही धन लाभ के योग भी बनते हैं…
- शादी नहीं हो रही तो हर गुरुवार को केसरिया भात (मीठे चावल) का भोग भगवान विष्णु को लगाएं।
- शिवपुराण के अनुसार, धन लाभ के लिए शिवलिंग पर चावल चढ़ाना चाहिए।
- चावल का दान करने से शुक्र से संबंधित दोष दूर होते हैं और सभी प्रकार के सुख मिलते हैं।
चावल के मांड को चेहरे पर कैसे लगाएं?
इसे सुनेंरोकेंइसके लिए ठंडा माड़ ज्यादा प्रभावी ढंग से काम करता है। इसलिए माड़ को ठंडा होने के लिए रख दें और रूई की मदद से इसे अपने चेहरे पर लगाएं।
ब्राह्मण को दान देने से क्या होता है?
इसे सुनेंरोकेंरोगी की सेवा करना, देवताओं का पूजन और ब्राह्मणों के पैर धोना, गौ दान के समान है । * दीन, अंधे, निर्धन, अनाथ, गूंगे, जड़, विकलांग तथा रोगी मनुष्य की सेवा के लिए जो धन दिया जाता है, उसका पुण्य महान होता है । * विद्याहीन ब्राह्मणों को दान नहीं देना चाहिए। इस प्रकार के दान से ब्राह्मण की हानि होती है ।
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महादान क्या है?
इसे सुनेंरोकेंकन्या दान को महादान कहा जाता है। सनातन धर्म में कन्या दान को सर्वोत्तम माना गया है। यह दान कन्या के माता-पिता द्वारा उसके विवाह संस्कार पर किया जाता है। इस दान में माता-पिता अपनी पुत्री का हाथ वर के हाथ में रखते हुए संकल्प लेते हैं।
इसे सुनेंरोकें- शास्त्रों की मानें तो स्टील के बर्तनों (Steel Utensils) का भी दान कभी नहीं करना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से घर की सुख-शांति में कमी आती है. – अगर भोजन का दान कर रहे हों तो ध्यान रहे कि वह भोजन ताजा बना हुआ हो. बासी भोजन (Stale Food) का दान भूल से भी ना करें.
इसे सुनेंरोकेंजो ग्रह जन्म कुंडली में उच्च राशि या अपनी स्वयं की राशि में स्थित हों, (स्वग्रही) उनसे संबंधित वस्तुओं का दान व्यक्ति को कभी भूलकर भी नहीं करना चाहिए। सूर्य मेष राशि में होने पर उच्च तथा सिंह राशि में होने पर अपनी स्वराशि का होता है अत: * लाल या गुलाबी रंग के पदार्थों का दान न करें।
ब्राह्मणों को दान में दिया जाने वाला भूभाग क्या कहलाता था?
इसे सुनेंरोकेंचोल काल में ब्राह्मणों को करमुक्त भूमि को चतुर्वेदी मंगलम एवं दान दी जाने वाली भूमि को ‘ब्रह्मदेय’ कहलाती थी।
किस प्रकार का दान उत्तम है और कौन सा नहीं?
इसे सुनेंरोकेंसात्विक, राजस और तामस, इन भेदों से दान तीन प्रकार का कहा गया है। जो दान पवित्र स्थान में और उत्तम समय में ऐसे व्यक्ति को दिया जाता है जिसने दाता पर किसी प्रकार का उपकार न किया हो वह सात्विक दान है।