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इसे सुनेंरोकेंबरगद का धार्मिक महत्व वटवृक्ष के मूल में ब्रह्मा, मध्य में विष्णु व अग्रभाग में शिव का वास माना गया है. यह पेड़ लंबे समय तक अक्षय रहता है, इसलिए इसे ‘अक्षयवट’ भी कहते हैं. अखंड सौभाग्य और आरोग्य के लिए भी वटवृक्ष की पूजा की जाती है.
इसे सुनेंरोकेंबरगद का धार्मिक महत्व वटवृक्ष के मूल में ब्रह्मा, मध्य में विष्णु व अग्रभाग में शिव का वास माना गया है. यह पेड़ लंबे समय तक अक्षय रहता है, इसलिए इसे ‘अक्षयवट’ भी कहते हैं. अखंड सौभाग्य और आरोग्य के लिए भी वटवृक्ष की पूजा की जाती है. अक्षयवट के पत्ते पर ही प्रलय के अंत में भगवान श्रीकृष्ण ने मार्कण्डेय को दर्शन दिए थे.
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हिंदू में कौन सा वृक्ष पवित्र माना जाता है?
इसे सुनेंरोकेंपीपल का वृक्ष हिन्दू धर्म में सबसे पवित्र माना जाता है. मुख्य रूप से इसको भगवान विष्णु का स्वरूप मानते हैं. इसके पत्तों, टहनियों यहाँ तक कि कोपलों में भी देवी देवताओं का वास माना जाता है.
घर में बरगद का पेड़ होने से क्या होता है?
इसे सुनेंरोकेंघर की पूर्व दिशा की ओर पीपल और बरगद के वृक्ष लगाने शुभ नहीं होते। इनसे स्वास्थ्य हानि, प्रतिष्ठा में कमी एवं अपकीर्ति के संकेत मिलते हैं।
वृक्षों का राजा कौन है?
इसे सुनेंरोकेंजंगल का राजा शेर इसलिए है क्योंकि शेर आदिकाल से ही पाए जाते है,तथा शेर को बलवान ,पराक्रमी , ओजस्वी, शक्तिशाली है , और उसकी एक गर्जना सारे प्राणियों को हिला कर रख देती है ,और इसमें राजा के सारे गुण पाए जाते है इसलिए शेर जंगल का राजा है,और संस्कृति के एक श्लोक में कहा गया है कि शेर जंगल का अघोषित राजा है।
बरगद की जड़ से बाल कैसे बढ़ाए?
- वट वृक्ष (bargad ka tree) के पत्ते लें। इसका भस्म बना लें। 20-25 ग्राम भस्म को 100 मिलीग्राम अलसी के तेल में मिलाकर सिर में लगाएं। इससे बालों की समस्या दूर होती है।
- वट
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कौन कौन से पेड़ों की पूजा की जाती है?
इसे सुनेंरोकेंशास्त्रों के अनुसार जो व्यक्ति एक पीपल, एक नीम, दस इमली, तीन कैथ, तीन बेल, तीन आंवला और पांच आम के वृक्ष लगाता है, वह पुण्यात्मा होता है और कभी नरक के दर्शन नहीं करता। इसी तरह धर्म शास्त्रों में सभी तरह से वृक्ष सहित प्रकृति के सभी तत्वों के महत्व की विवेचना की गई है।
कौन कौन से पेड़ों की पूजा होती है?
इसे सुनेंरोकेंआंवला, तुलसी और केला आंवला, तुलसी और केले के पेड़ पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का वास माना जाता है। वैसे तो तुलसी के पेड़ पर दीपक रोजाना ही जलाना चाहिए। वहीं आंवले की पूजा एकादशी पर करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं। वहीं केले के पेड़ की पूजा हर बृहस्पतिवार को की जाती है।
बरगद का पेड़ घर में क्यों नहीं लगाना चाहिए?
इसे सुनेंरोकें11. घर की पूर्व दिशा की ओर पीपल और बरगद के वृक्ष लगाने शुभ नहीं होते। इनसे स्वास्थ्य हानि, प्रतिष्ठा में कमी एवं अपकीर्ति के संकेत मिलते हैं।
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घर के आस पास कौन सा पेड़ होना चाहिए?
क्या आप जानते हैं घर में कौन सा पेड़ लगाना होता शुभ
- बरगद,पीपल, गूलर का पेड़ घर के बाहर लगाना शुभ माना जाता है।
- सामान्यत: लोग घर में नीम का पेड़ लगाना पसंद नहीं करते, लेकिन घर में इस पेड़ का लगा होना बहुत शुभ होता है।
- हिन्दू धर्म में तुलसी के इस पौधे का बहुत महत्व होता है।
मिठाइयों का राजा कौन है?
इसे सुनेंरोकेंभारत में विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न प्रकार की मिठाई बनती हैं। और वे मिठाईयां उस क्षेत्र की राजा ही होती हैं। परन्तु मिठाइयों का राजा गुड है। मिठाई का राजा जलेबी को कहां जाता है और जलेबी ही भारत की राष्ट्रीय मिठाई भी है।
फलों का राजा कौन है?
इसे सुनेंरोकेंआम को फलों के राजा और देश के राजकीय फल होने का तमगा यूं ही नहीं मिल गया। जगह-जगह के आमों की भी अपनी खास कहानी है पर दशहरी चौसा और लंगड़ा का तो कहना ही क्या।
वृक्षों की पूजा हमारे देश की समृद्ध परंपरा और जीवनशैली का अंग रहा है. वैसे तो हर पेड़-पौधे को उपयोगी जानकर उसकी रक्षा करने की परंपरा है. लेकिन वटवृक्ष या बरगद की पूजा का खास महत्व बताया गया है.
बरगद का धार्मिक महत्व
जहां तक धार्मिक महत्व की बात है, इस वृक्ष की बड़ी महिमा बताई गई है. वटवृक्ष के मूल में ब्रह्मा, मध्य में विष्णु व अग्रभाग में शिव का वास माना गया है. यह पेड़ लंबे समय तक अक्षय रहता है, इसलिए इसे 'अक्षयवट' भी कहते हैं. अखंड सौभाग्य और आरोग्य के लिए भी वटवृक्ष की पूजा की जाती है.
अक्षयवट के पत्ते पर ही प्रलय के अंत में भगवान श्रीकृष्ण ने मार्कण्डेय को दर्शन दिए थे. देवी सावित्री भी वटवृक्ष में निवास करती हैं. प्रयाग में गंगा के तट पर स्थित अक्षयवट को तुलसीदासजी ने 'तीर्थराज का छत्र' कहा है. वटवृक्ष के नीचे सावित्री ने अपने पति को पुन: जीवित किया था. तब से यह व्रत ‘वट सावित्री’ के नाम से जाना जाता है.
सौभाग्य व सुख-शांति की प्राप्ति
ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या तिथि के दिन वटवृक्ष की पूजा का विधान है. शास्त्रों में कहा गया है कि इस दिन वटवृक्ष की पूजा से सौभाग्य व स्थायी धन और सुख-शांति की प्राप्ति होती है. संयोग की बात है कि इसी दिन शनि महाराज का जन्म हुआ. सावित्री ने यमराज से अपने पति सत्यवान के प्राण की रक्षा की.
चार तरह के वटवृक्ष
बरगद को वटवृक्ष भी कहा जाता है. सनातन धर्म में वट-सावत्री नाम का एक त्योहार पूरी तरह वट को ही समर्पित है. चार वटवृक्षों का महत्व अधिक बताया गया है. ये हैं- अक्षयवट, पंचवट, वंशीवट, गयावट और सिद्धवट. कहा जाता है कि इनकी प्राचीनता के बारे में कोई नहीं जानता.
भगवान शिव जैसे योगी भी वटवृक्ष के नीचे ही समाधि लगाकर तप साधना करते थे-
तहं पुनि संभु समुझिपन आसन।
बैठे वटतर, करि कमलासन।। (बालकांड/रामचरितमानस)
आयुर्वेद में बरगद का महत्व
कई तरह रोगों को दूर करने में बरगद के सभी भाग काम आते हैं. इसके फल, जड़, छाल, पत्ती आदि सभी भागों से कई तरह के रोगों का नाश होता है.
पर्यावरण की रक्षा में उपयोगी
वायुमंडल से कार्बन डाइऑक्साइड ग्रहण करने और ऑक्सीजन छोड़ने की भी इसकी क्षमता बेजोड़ है. यह हर तरह से लोगों को जीवन देता है. ऐसे में बरगद की पूजा का खास महत्व स्वाभाविक ही है.