बीजेपी के नेतृत्व में बनाया गया गठबंधन क्या कहलाता है? - beejepee ke netrtv mein banaaya gaya gathabandhan kya kahalaata hai?

देश की मौजूदा सियासत में कांग्रेस और बीजेपी- दोनों पार्टियां गठबंधन के सहारे सत्ता के सिंहासन पर पहुंचने की कवायद में जुटी हैं. देश में गठबंधन की राजनीति 1977 में ही शुरू हो गई थी, लेकिन इसे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने कामयाब बनाया. वाजपेयी ने 24 दलों को साथ लाकर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन यानी एनडीए बनाया और पांच साल तक सरकार चलाई. अटल की यह उपलब्धि इसलिए भी खास थी क्योंकि उनसे पहले कोई भी गठबंधन सरकार पांच साल का अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाई थी.

1998 में एनडीए का गठन

अटल बिहारी वाजपेयी ने बीजेपी को शून्य से शिखर तक पहुंचाने के काम किया है. बीजेपी के नेतृत्व में मई, 1998 में एनडीए का गठन किया. गैर- कांग्रेसी सरकार के गठन के दिशा में ये पहला कदम था. हालांकि, एक साल में गठबंधन टूट गया था, जब जयललिता ने समर्थन वापस ले लिया था.

इसके बाद 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी ने कुछ नए दलों के साथ मिलकर गठबंधन बनाया और प्रधानमंत्री बने. इस बार एनडीए में करीब 24 दल शामिल थे और उन्होंने पांच साल सरकार चलाई. हालांकि, 2004 के लोकसभा चुनाव में एनडीए को हार का मुंह देखना पड़ा.

बीजेपी की राह पर कांग्रेस

वाजपेयी के गठबंधन की राह को कांग्रेस ने अपनाया. 2004 के लोकसभा चुनाव में सोनिया गांधी ने कई दलों के साथ मिलकर कांग्रेस के नेतृत्व में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) गठन किया. कांग्रेस के नेतृत्व में यूपीए दस साल देश की सत्ता पर विराजमान रही, लेकिन 2014 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी की लहर में करारी हार का मुंह देखना पड़ा.

अब एक बार फिर देश में कांग्रेस के नेतृत्व में महागठबंधन बन रहा है, जिसमें हाल ही में एनडीए का साथ छोड़कर आए उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी आरएलएसपी और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू की पार्टी टीडीपी शामिल हुई हैं. जबकि दूसरी ओर बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए में पार्टी अध्यक्ष अमित शाह सहयोगी दलों को साथ जोड़कर रखने में लगे हैं.

हालांकि, वाजपेयी के दौर में बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए की कमान हमेशा सहयोगी दलों के पास रही है. एनडीए के संयोजक की जिम्मेदारी पहले जॉर्ज फर्नांडीज, फिर शरद यादव और चंद्रबाबू नायडू जैसे नेताओं ने संभाली थी. इसी का नतीजा था कि एनडीए की सरकार पांच साल सफलतापूर्वक चली.

2019 में लगातार दूसरी बार लोकसभा चुनाव जीतकर केंद्र की सत्ता में भाजपा के आने के 18 महीनों के भीतर उसके दो पुराने सहयोगियों- शिवसेना और अकाली दल ने उससे नाता तोड़ लिया था. अब जद (यू) ऐसा करने वाला उसका तीसरा प्रमुख राजनीतिक सहयोगी है.

(फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: वर्ष 2019 के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से संबंध तोड़ने वाला जनता दल (यूनाइटेड) उसका तीसरा प्रमुख राजनीतिक सहयोगी है.

लगातार दूसरी बार 2019 में लोकसभा चुनाव जीतकर केंद्र की सत्ता में भाजपा के आने के 18 महीनों के भीतर उसके दो पुराने सहयोगियों, शिवसेना और अकाली दल ने उससे नाता तोड़ लिया था. शिरोमणि अकाली दल ने केंद्र के निरस्त किए गए तीन विवादित कृषि कानूनों के विरोध में एनडीए छोड़ा था.

अगले लोकसभा चुनाव में दो साल से कम समय बचा है और अब जद (यू) ने उससे गठबंधन तोड़ लिया है. राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) से अलग होने वाला जद (यू) सांसदों और विधायकों के मामले में भाजपा के सहयोगियों में सबसे बड़ा दल है.

जद (यू) के जार्ज फर्नांडिस कभी राजग के संयोजक हुआ करते थे, लेकिन नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली पार्टी ने 2013 में भी भाजपा से उस वक्त नाता तोड़ लिया था, जब नरेंद्र मोदी को भाजपा की तरफ से प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया गया था.

वर्ष 2017 में कुमार ने राजद से नाता तोड़ लिया था और महागठबंधन सरकार से अलग होकर भाजपा के साथ सरकार बना ली थी. इसके बाद भाजपा और जद (यू) ने 2020 का विधानसभा चुनाव साथ मिलकर लड़ा और राज्य में सरकार बनाई, लेकिन संबंधों में तनाव के कारण मंगलवार को कुमार ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और राजद के साथ मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश किया.

पिछले नौ वर्षों में यह दूसरा मौका है, जब जद (यू) ने भाजपा से रिश्ते तोड़े हैं.

राजग से जद (यू) के बाहर होने के बाद भाजपा के लिए देश का पूर्वी हिस्सा खासा चुनौतीपूर्ण हो गया है. खासकर, पश्चिम बंगाल, ओड़िशा और बिहार. दक्षिण के राज्य पहले से ही भाजपा के लिए चुनौतीपूर्ण रहे हैं. सिर्फ कर्नाटक ही एक ऐसा राज्य है, जहां भाजपा की सरकार है. आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और केरल में अभी वह एक ताकत के रूप में उभरने की कोशिश कर रही है.

जद (यू) के अलग होने के बाद लोकसभा सीट की संख्या के हिसाब से अब दो ही ऐसे बड़े राज्य हैं, जहां भाजपा गठबंधन की सरकारें हैं और वे हैं उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र. इन दोनों राज्यों में लोकसभा की 128 सीट हैं.

बिहार, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में भाजपा सत्ता में नहीं है और इन राज्यों में लोकसभा की कुल 122 सीट हैं. हालांकि, 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने पश्चिम बंगाल में 18 और बिहार में 17 सीट पर जीत हासिल की थी.

उत्तर और पश्चिमी क्षेत्रों में मजबूत प्रर्दशन के दम पर भाजपा 2014 से केंद्र की सत्ता में है और उसकी कोशिश पूर्वी और दक्षिण क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति मजबूत करने की है.

‘सेंटर फॉर स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसायटीज’ के प्रोफेसर संजय कुमार ने भाजपा से जद (यू) के अलग होने पर कहा, ‘यह स्पष्ट संकेत है कि सहयोगी दल भाजपा के साथ सहज नहीं हैं और एक-एक कर उससे अलग होते जा रहे हैं.’

उन्होंने कहा, ‘लेकिन साथ ही इससे भाजपा को एक अवसर भी मिलता है कि जिस राज्य की क्षेत्रीय पार्टी ने उसका साथ छोड़ा है, वहां वह अपनी स्थिति मजबूत कर सके.’

अकाली दल के नरेश गुजराल ने कहा कि भाजपा ‘एकला चलो रे’ की रणनीति पर विश्वास करती है और राजग सिर्फ कागजों पर ही रह गया है.

उन्होंने कहा, ‘अभी जो उसमें (राजग) हैं, वह भी अपना अस्तित्व बचाने के लिए वहां से निकल जाएंगे.’

वर्ष 2014 से 2019 के बीच महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व वाली पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी और चंद्रबाबू के नेतृत्व वाली तेलुगु देशम पार्टी राजग से अलग हो गए.

वर्ष 2019 में शिवसेना से भाजपा का गठबंधन टूट गया और उसने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस से गठबंधन कर वहां सरकार बना ली. हालांकि, एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना का बड़ा धड़ा टूट गया और उसने भाजपा के साथ मिलकर महाराष्ट्र में सरकार बना ली. शिंदे इस गठबंधन सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं.

इनके अलावा झारखंड में सुदेश महतो के नेतृत्व वाला ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन, ओ पी राजभर के नेतृत्व वाला सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी, हनुमान बेनीवाल के नेतृत्व वाला राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी, बोडो पीपुल्स पार्टी, गोरखा जनमुक्ति मोर्चा, गोवा फॉरवर्ड पार्टी, एमडीएमके और डीएमडीके भी भाजपा के नेतृत्व वाले राजग से अलग हो गए.

केंद्रीय स्तर पर राजग में फिलहाल कम से कम 17 सहयोगी दल हैं, जबकि कई राजनीतिक संगठनों से उसका कुछ राज्यों में भी गठबंधन है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)


क्या आपको ये रिपोर्ट पसंद आई? हम एक गैर-लाभकारी संगठन हैं. हमारी पत्रकारिता को सरकार और कॉरपोरेट दबाव से मुक्त रखने के लिए आर्थिक मदद करें.

साझा करें:

  • Tweet
  • WhatsApp
  • Print
  • More

  • Email

ये भी पढ़ें...

Categories: भारत, राजनीति, विशेष

Tagged as: Bharatiya Janata Party, Bihar, BJP, Janata Dal United, JDU, left NDA, national democratic alliance, NDA, News, Nitish Kumar, politics, Shiromani Akali Dal, Shiv Sena, The Wire Hindi, West Bengal

बीजेपी के गठबंधन को क्या कहते हैं?

राष्ट्रीय जनतान्त्रिक गठबन्धन या राजग (अंग्रेजी: National Democratic Alliance or NDA) भारत में एक राजनीतिक गठबन्धन है। इसका नेतृत्व भारतीय जनता पार्टी करती है। इसके गठन के समय इसके 13 सदस्य थे।

दो राजनीतिक दलों के गठबंधन से बनी सरकार को क्या कहते हैं?

गठबन्धन सरकार एक संसदीय सरकार की कैबिनेट होती हैं, जिसमें कई राजनीतिक दल सहयोग करते हैं, जिससे गठबन्धन के भीतर किसी भी एक दल का प्रभुत्व कम रहता हैं। इस व्यवस्था का आम कारण यह दिया जाता हैं कि कोई दल अपने बलबूते संसद में बहुमत प्राप्त नहीं कर सकता।

कांग्रेस के गठबंधन को क्या कहते हैं?

संयुक्त प्रगतिशील गठबन्धन या संप्रग (अंग्रेजी: United Progressive Alliance or UPA) भारत में एक राजनीतिक गठबन्धन है। इसका नेतृत्व भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस करती है।

पार्टी गठबंधन क्या होता है?

पार्टियों के गठबंधन को भी एक चुनावी संलयन कहा जाता है। कैंब्रिज शब्दकोश इसे "आम तौर पर एक सीमित समय के लिए, किसी विशेष प्रयोजन के लिए विभिन्न राजनीतिक दलों या समूहों के मिलन को" गठबंधन के रूप में परिभाषित करता है।

संबंधित पोस्ट

Toplist

नवीनतम लेख

टैग