भारत में महिला जनसंख्या कम होने का क्या कारण है? - bhaarat mein mahila janasankhya kam hone ka kya kaaran hai?

भारत में साक्षरता [1] [2] दर 74.04 है (2011), जो की 1947 में मात्र 18 % थी। भारत की साक्षरता दर विश्व की साक्षरता दर से 84% कम है।

भारत में साक्षरता के मामले में पुरुष और महिलाओं में काफ़ी अंतर है जहां पुरुषों की साक्षरता दर 82.14 है वहीं महिलाओं में इसका प्रतिशत केवल 65.46 है। महिलाओं में कम साक्षरता का कारण परिवार और आबादी की जानकारी कमी है। भारत मे साक्षरता पहले के अपेक्षा काफी बेहतर हुई है। जहां तक मेरा मानना है कि आने वाले 15 से 20 सालों में भारत की वैश्विक साक्षरता दर 99.50 प्रतिशत होने की सम्भावना है।

तुलनात्मक साक्षरता आँकड़े[संपादित करें]

भारत में 6-14 साल के आयु वर्ग के प्रत्येक बालक और बालिका को स्कूल में मुफ़्त शिक्षा का अधिकार है। यहाँ पर 40%से अधिक बालिकायें 10 वीं कक्षा के उपरांत स्कूल त्याग देती है।

कम साक्षरता दर के लिए कारण[संपादित करें]

  • विद्यालयों की कमी (भारत में लगभग 6 लाख स्कूल के कमरों की कमी है)
  • स्कूल में शौचालय आदि की कमी
  • जातिवाद (भारत में एक मुद्दा है)
  • गरीबी (अधिक जनसंख्या के कारण साक्षरता में कमी)
  • जागरूकता की कमी
आज़ादी के समय भारत की साक्षरता दर मात्र बारह (12%) प्रतिशत थी जो बढ़ कर लगभग चोहत्तर (74%) प्रतिशत हो गयी है। परन्तु अब भी भारत संसार के सामान्य दर (पिच्यासी प्रतिशत 85%) से बहुत पीछे है।

भारत में संसार की सबसे अधिक अनपढ़ जनसंख्या निवास करती है। वर्तमान स्थिति कुछ इस प्रकार है: • पुरुष साक्षरता: बयासी प्रतिशत (82%) • स्त्री साक्षरता: पैंसठ प्रतिशत (65%) • सर्वाधिक साक्षरत दर (राज्य): केरल (चोरान्वे प्रतिशत 94%) • न्यूनतम साक्षरता दर (राज्य): ANDHRA PRADESH (66.4)) • सर्वाधिक साक्षरता दर (केन्द्र प्रशासित): लक्षद्वीप (बानवे प्रतिशत 92%)

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

  • //web.archive.org/web/20160707231654///m.timesofindia.com/business/india-business/Daily-wagers-in-worker-definition/articleshow/2005951.cms
  • //web.archive.org/web/20190909035106///www.csc.gov.in/
  1. "संग्रहीत प्रति". मूल से 27 फ़रवरी 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 20 नवंबर 2019.
  2. "संग्रहीत प्रति". मूल से 25 सितंबर 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 15 नवंबर 2019.

महिलाओं के मुक़ाबले पुरुष कम क्यों जीते हैं

5 फ़रवरी 2019

इमेज स्रोत, Getty Images

दुनियाभर में महिलाओं की उम्र पुरुषों के मुक़ाबले ज़्यादा होती है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक़, साल 2016 में महिलाओं की वैश्विक आबादी की औसत उम्र 72 साल थी.

लेकिन लैंगिक आधार पर महिलाओं की औसत उम्र 74 साल दो महीने थी. वहीं, पुरुषों की औसत उम्र 69 साल आठ महीने थी.

साल 2010 की जनणना के मुताबिक़, अमरीका में 100 साल से भी ज़्यादा उम्र वाले लोगों की संख्या 53, 364 है. इनमें से पुरुषों की संख्या मात्र 9162 थी. जबकि महिलाओं की संख्या 44,202 थी.

ऐसे में वो क्या बात है जिसकी वजह से महिलाओं की औसत उम्र लंबी होती है और उन्हें किस चीज़ का लाभ मिलता है.

आइए समझते हैं इसके लिए तीन ज़िम्मेदार कारण...

1 - जीन्स

ह्यूमन मॉर्टेलिटी इंडेक्स के पास इस समय 40 देशों से जुड़े आंकड़े मौजूद हैं. इनमें स्वीडन और फ्रांस जैसे देशों के 1751 और 1816 के आंकड़े शामिल हैं.

लेकिन रूस और जापान जैसे देशों के आंकड़े सिर्फ 20वीं शताब्दी के उपलब्ध हैं.

लेकिन इस डेटाबेस में हर साल महिलाओं की औसत उम्र के सामने पुरुष पिछड़ते देख रहे हैं.

ऐसा लगता है कि पुरुष अपने जीन आधारित ढांचे की वजह से कम उम्र का शिकार होते हैं.

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2 - भ्रूण

यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के प्रोफेसर डेविड जेम्स कहते हैं, "पुरुषों के भ्रूणों की मृत्यु दर महिला भ्रूणों की अपेक्षा ज़्यादा है."

ये मुमकिन है कि इसके लिए क्रोमोजोम ज़िम्मेदार होते हों जो लिंग निश्चित करते हैं.

महिलाओं में XX क्रोमोजोम होते हैं, वहीं पुरुषों में XY क्रोमोजोम होते हैं.

क्रोमोजोम में जीन होते हैं.

एक्स क्रोमोजोम में कई ऐसे जीन होते हैं जोकि आपको ज़िंदा रखते हैं.

बीबीसी के क्राउड साइंस रेडियो प्रोग्राम में प्रोफेसर डेविड जेम्स बताते हैं, "अगर आपके एक्स क्रोमोजोम में जेनेटिक गड़बड़ी है और आप एक महिला हैं तो आपके पास एक बैकअप है. लेकिन अगर आप एक पुरुष हैं तो आपके पास कोई बैकअप नहीं है."

वहीं, एक्सटर यूनिवर्सिटी में पढ़ाने वाले लोर्ना हैरिस कहती हैं, "लेट प्रेग्नेंसी के मामलों में लड़कों के मरने की संभावना लड़कियों की अपेक्षा 20 से 30 फीसदी ज़्यादा होती है."

पक्षियों में नर पक्षियों के पास एक्स क्रोमोजोम की दो प्रतियां होती हैं, और वह मादा पक्षियों के मुक़ाबले ज़्यादा जीते हैं.

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हारमोन्स

किशोरावस्था में लड़के और लड़कियां हारमोन से जुड़े बदलावों की वजह से आदमियों और महिलाओं के रूप में बदलना शुरू होते हैं.

पुरुषों के शरीर में होने वाले तमाम बदलाव जैसे शारीरिक विकास और ताकत प्रदान करने वाला टेस्टोस्टेरोन पुरुष शरीर में गहरी आवाज़ और सीने पर बालों के लिए भी ज़िम्मेदार होता है.

किशारावस्था के अंतिम चरण में जब पुरुषों के शरीर में टेस्टोस्टेरॉन में बढ़ोतरी होना शुरू होती है तब मृत्यु दर भी तेज़ी से बढ़ती है.

विशेषज्ञ कहते हैं कि इसकी एक वजह ये हो सकती है कि पुरुष जोख़िम भरी गतिविधियों जैसे हाथापाई, तेज गति पर बाइकों और कारों को चलाना और आत्महत्या करते हैं.

कुछ साल पहले एक कोरियाई वैज्ञानिक हैन-नैम पार्क ने चोजुन साम्राज्य के 19वीं शताब्दी के आंकड़ों का विस्तार से अध्ययन किया था.

उन्होंने 81 किन्नरों से जुड़े आंकड़ों का अध्ययन किया जिनके अंडकोषों को किशोरावस्था से पहले ही काट दिया गया था.

पार्क को अपने अध्ययन में ये पता चला कि दरबार के पुरुषों की औसत उम्र 50 वर्ष थी जबकि इन किन्नरों की औसत आयु 70 साल थी.

हालांकि, सभी तरह के किन्नरों पर किए अध्ययनों में ऐसे नतीजे सामने नहीं आए हैं. लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि बिना अंडकोषों के जीने वाले पुरुषों और जानवरों की उम्र लंबी होती है.

महिलाओं के सेक्स हार्मोन ऑस्ट्रेजेन को एंटी-ऑक्सिडेंट के रूप में भी देखा जाता है. सरल शब्दों में कहें तो ये हार्मोन उन ज़हरीले रसायनों को मिटा देता है तो जो कोशिकाओं के लिए तनाव पैदा करते हैं.

जानवरों के साथ किए गए प्रयोगों में सामने आता है कि जिन मादाओं में ऑस्ट्रेजेन हार्मोन नहीं होता है, उनकी उम्र लंबी नहीं होती है. जबकि जिन मादाओं में ये कमी पूरी कर दी जाती है उनकी उम्र लंबी होती है.

ये ठीक उसी तरह है जैसा किन्नरों के मामले में सामने आया था.

स्पेन में वैज्ञानिकों ने साल 2015 में एक शोध पत्र पेश किया था जो ये सिद्ध करता है कि ऑस्ट्रेजेन उम्र बढ़ने वाले जीनों के असर को बढ़ाता है. इसमें एंटी-ऑक्सिडेंट एंजाइम्स भी शामिल हैं.

ऑस्ट्रेजेन खराब कोलेस्ट्रॉल को भी ख़त्म करता है और इस तरह से ये दिल की बीमारियों के ख़िलाफ़ सुरक्षा प्रदान कर सकता है.

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3. पेशा और व्यवहार

दुनिया के संघर्षग्रस्त क्षेत्रों में पुरुषों की औसत आयु कम होती है.

लेकिन ऐसे क्षेत्र जहां स्वास्थ्य सेवाएँ पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं हैं, वहां, कई महिलाएं बच्चे को जन्म देते वक़्त मर जाती हैं.

इसके साथ ही सिगरेट, शराब और ज़रूरत से ज़्यादा खानपान भी अहम कारण हैं. ये दुनिया के अलग-अलग देशों में मृत्यु दर में लैंगिक आधार पर होने वाले अंतरों को दर्शाती हैं.

उदाहरण के लिए रूसी पुरुषों के अपनी औसत आयु से 13 साल पहले ही मृत्यु होने की आशंका होती है. इसकी आंशिक वजह शराब का अत्यधिक सेवन है.

लंबी ज़िंदगी लेकिन बीमारियों की गिरफ़्त

लेकिन महिलाओं को एक तरफा फायदा नहीं मिलता है. हालांकि, महिलाएं पुरुषों के मुक़ाबले ज़्यादा जीती हैं लेकिन वे बुढ़ापे में बीमारियों का शिकार ज़्यादा रहती हैं.

दुनिया के कई देशों में 16 से 60 साल के बीच की महिलाओं को पुरुषों के मुक़ाबले डॉक्टर के पास जाने की ज़रूरत ज़्यादा होती है.

बायोमेडिकल जर्नल सेल प्रेस में प्रकाशित एक लेख में अलाबामा यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर स्टीवन एन. अस्टड और कैथलीन ई- फिशर लिखती हैं, "पश्चिमी दुनिया में महिलाएं डॉक्टरों के पास ज़्यादा जाती हैं, ज़्यादा दवाइयां लेती हैं, बीमारी की वजह से दफ़्तर में ज़्यादा दिनों के लिए अनुपस्थित रहती हैं और पुरुषों के मुक़ाबले अस्पतालों पर ज़्यादा खर्च करती हैं."

इन विशेषज्ञों ने ये भी लिखा है, "भारत, चीन, बांग्लादेश, मिस्र, इंडोनेशिया, ग्वाटेमाला, जमैका, मलेशिया, मैक्सिको, फिलिपींस, थाइलैंड और ट्यूनीशिया में महिलाओं के बुढ़ापे में शारीरिक बीमारियाँ ज़्यादा पाई जाती है."

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कम हो रहा है अंतर

हालिया अध्ययन बताते हैं कि आने वाले सालों में औसत आयु को लेकर पुरुषों और महिलाओं में अंतर कम हो जाएगा.

इंपीरियल कॉलेज लंदन का एक अध्ययन बताता है कि साल 2030 में महिलाओं और पुरुषों के बीच औसत आयु का अंतर मात्र 1 साल और 9 महीने रह जाएगा.

ब्रिटेन के राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के मुताबिक़, ब्रिटेन में अभी पैदा होने वाले लड़के की जीवन प्रत्याशा 79 साल, 2 महीने है और लड़कियों की उम्र 82 साल, 9 महीने है.

सेस बिज़नेस स्कूल के सांख्यिकी विभाग के प्रोफेसर लेस मेही ने अपने अध्ययन में अनुमान लगाया है कि साल 2032 तक महिलाओं और पुरुषों के बीच उम्र को लेकर ये अंतर ख़त्म हो जाएगा.

ब्रिटेन के अख़बार द गार्डियन में लेस मेही कहते हैं, "तंबाकू और शराब के सेवन में कमी आने से पुरुषों को फायदा पहुंचा है क्योंकि वह महिलाओं के मुक़ाबले ज़्यादा सिगरेट और शराब पीते थे."

वह लिखते हैं, "हमने दिल की बीमारियों को रोकने की दिशा में उल्लेखनीय काम किया है जो पुरुषों में आम तौर पर देखी जाती है."

इसके साथ ही वह देश जहां सड़क दुर्घटनाओं में कमी आ रही है, वहां भी पुरुषों की उम्र में बढ़ोतरी हो रही है.

महिलाओं की साक्षरता में कमी के क्या कारण है?

महिलाओं में कम साक्षरता का कारण परिवार और आबादी की जानकारी कमी है। भारत मे साक्षरता पहले के अपेक्षा काफी बेहतर हुई है। जहां तक मेरा मानना है कि आने वाले 15 से 20 सालों में भारत की वैश्विक साक्षरता दर 99.50 प्रतिशत होने की सम्भावना है। भारत में साक्षरता [1] [2] दर 74.04 है (2011), जो की 1947 में मात्र 18 % थी।

महिलाओं में कम साक्षरता दर का मुख्य कारण क्या है?

हालात यह हैं कि आज भी बड़ी संख्या में महिलाएँ अक्षर ज्ञान से भी वंचित हैं। साक्षरता शिक्षा की प्रारंभिक अवस्था है।

भारत में स्त्रियों की अपेक्षा पुरुषों की संख्या अधिक क्यों है?

दुनियाभर में महिलाओं की उम्र पुरुषों के मुक़ाबले ज़्यादा होती है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक़, साल 2016 में महिलाओं की वैश्विक आबादी की औसत उम्र 72 साल थी. लेकिन लैंगिक आधार पर महिलाओं की औसत उम्र 74 साल दो महीने थी. वहीं, पुरुषों की औसत उम्र 69 साल आठ महीने थी.

भारत में महिला जनसंख्या प्रतिशत कितना है?

जनसांख्यिकी 2011 के जनगणना के आधार पर.

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