गोलीय दर्पण की फोकस दूरी f, वस्तु की दूरी u तथा प्रतिबिंब की दूरी v में संबंध एक महत्वपूर्ण टॉपिक है इसके सूत्र पर आंकिक प्रश्न लगभग हर साल ही पूछ लिया जाता है इसलिए आप सभी छात्र इस सूत्र का ध्यान से समझें।
गोलीय दर्पण का सूत्र
इस सूत्र को अवतल व उत्तल दोनों दर्पणों के लिए स्थापित किया जा सकता है। दोनों में सूत्र एक जैसा ही है तथा तरीका भी एक समान है।
अवतल दर्पण के लिए सूत्र
चित्र में एक अवतल दर्पण है दर्पण के ध्रुव से वस्तु की दूरी तथा प्रतिबिंब की दूरी और दर्पण की फोकस दूरी है।
चिन्हों के नियमानुसार
वस्तु की दर्पण से दूरी PB = -u
दर्पण से प्रतिबिंब की दूरी PB’ = -v
दर्पण की फोकस दूरी PF = -f
तथा दर्पण की वक्रता त्रिज्या PC = -r = -2f
∆BAC तथा ∆CB’A’ समकोणिक हैं।
तब \frac{AB}{A’B’} = \frac{CB}{CB’} समीकरण(1)
ठीक इसी प्रकार ∆A’B’F तथा ∆MNF भी समकोणिक होंगे तब
\frac{MN}{A’B’} = \frac{FB}{FB’}
मुख्य अक्ष पर बिंदु M से लंब NM है तब MN = AB
तो \frac{AB}{A’B’} = \frac{FN}{FB’} समीकरण(2)
समीकरण(1) व समीकरण(2) की तुलना करने पर
\frac{CB}{CB’} = \frac{FN}{FB’}
यदि दर्पण का द्वारक छोटा हो तो बिंदु N ध्रुव P से बहुत समीप होगा तब
FN = FP
तो \frac{CB}{CB’} = \frac{FP}{FB’}
या \frac{PB - PC}{PC - PB’} = \frac{FP}{PB’ - FP}
इन सब के मान रखने पर
\large \frac{-u - (-2f)}{-2f - (-v)} = \large \frac{-f}{-v - (-f)}
\large \frac{2f - u}{v - 2f} = \large \frac{-f}{f - v}
(2f – u) × (f – v) = (v – 2f) × -f
2f2 – fu -2fu +uv = -fv + 2f2
uv = uf + fv
दोनों ओर uvf से भाग करने पर
\large \frac{uv}{uvf} = \large \frac{uf}{uvf} + \frac{fv}{uvf}
\footnotesize \boxed { \frac{1}{f} = \frac{1}{v} \frac{1}{u} }
यही दर्पण सूत्र है अतः इस प्रकार अवतल दर्पण के लिए सूत्र स्थापित किया जाता है।
जहां u – वस्तु से दूरी
v – प्रतिबिंब से दूरी तथा
f – फोकस दूरी है।
पढ़ें… लेंस किसे कहते हैं कितने प्रकार के होते हैं, उत्तर व उत्तल लेंस की परिभाषा
पढ़ें… संपर्क में रखे पतले लेंसों का संयोजन, समतुल्य फोकस दूरी का व्यंजक
Note – उत्तल दर्पण से सूत्र ज्ञात करने का तरीका भी बिल्कुल ऐसा ही है आप उसको करने का प्रयास करें। यह अवतल दर्पण के लिए सूत्र है।
माना कि M1 M2 एक अवतल दर्पण है जिसका ध्रुव P है, फोकस F है तथा व्रकता केन्द्र C है (चित्र)। इसकी मुख्य अक्ष के किसी बिन्दु पर एक वस्तु AB रखी है। वस्तु के सिरे A से मुख्य अक्ष के समानान्तर चलने वाली आपतित किरण AM दर्पण के बिन्दु M से टकराती है। परावर्तन के पश्चात् यह किरण दर्पण के फोकस F से होकर गुजरती है। दूसरी किरण AO दर्पण के वक्रता केन्द्र से होकर जाती है तथा परावर्तन के पश्चात् उसी मार्ग से वापस लौट जाती है। दोनों परावर्तित किरणें बिन्दु A’ पर काटती हैं। इस बिन्दु A’ से मुख्य अक्ष पर डाला गया लम्ब A’ B’, वस्तु AB की प्रतिबिम्ब है। अब, माना कि वस्तु AB की दर्पण के ध्रुव से दूरी PB = -u, प्रतिबिम्ब A’B’ की दूरी PB’ = -v, दर्पण की वक्रता त्रिज्या PC = -R तथा दर्पण की फोकस दूरी PF = -f है। (ये सभी दूरियाँ चूंकि आपतित किरण के चलने की दिशा के विपरीत दिशा में नापी जाती हैं अर्थात् दर्पण के बायीं ओर हैं; अत: चिह्न परिपाटी के अनुसार ये दूरियाँ ऋणात्मक हैं।) ΔABC तथा ΔA’B’C समकोणिक हैं।
दर्पण सूत्र में u, v तथा f का मान लिखते समय चिह्न परिपाटी के अनुसार ही चिह्नों का प्रयोग किया जाता है। अवतल दर्पण के लिए u और f के मान हमेशा ऋणात्मक होते हैं। वास्तविक प्रतिबिम्ब के लिए v का मान ऋणात्मक होता है। आभासी प्रतिबिम्ब के लिए v का मान धनात्मक होता है।
While writing the values of u, v and f in the mirror formula, the symbols are used as per the mark convention. The values of u and f are always negative for a concave mirror. For a real image, the value of v is negative. The value of v is positive for a virtual image.
भौतिक विज्ञान के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़ें। (Also read these 👇 episodes of Physics.)
दर्पण किसे कहते हैं? | समतल दर्पण में प्रतिबिम्ब कैसे बनता है? || Information About Plane Mirror
I hope the above information will be useful and important.
(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।)
Thank you.
R F Temre
rfcompetiton.com
Table of Content
- दर्पण का सूत्र क्या है – Darpan Ka Sutra
- दर्पण सूत्र किसे कहतें है – Darpan Sutra Kise Kahate Hain
- दर्पण सूत्र
- दर्पण के लिए कार्तिक चिन्ह परिपाटी के नियम
- दर्पण सूत्र का व्युत्पन्न
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दर्पण का सूत्र क्या है – Darpan Ka Sutra
जहाँ
- f = लेंस की फोक्स दूरी
- v = प्रतिबिम्ब की दर्पण से दूरी
- u = दर्पण से वस्तु की दूरी है।
दर्पण सूत्र किसे कहतें है – Darpan Sutra Kise Kahate Hain
Darpan ke Sutra ki Paribhasha :दोस्तों दर्पण सूत्र वह सूत्र है जिसकी सहायता से वस्तु, बिम्ब तथा दर्पण के फोक्स के मध्य संबंध और गणितिय आंकलन किया जा सकता है। दर्पण सूत्र की परिभाषा: ‘‘दर्पण में वस्तु की दूरी u, प्रतिबिम्ब की दूरी v तथा फोक्स दूरी f के बीच संबंध दर्शाने वाले सूत्र को दर्पण सूत्र कहतें है।’’
दर्पण सूत्र
दोस्तों दर्पण सूत्र का व्युत्पन्न करने के लिए हम एक अवतल दर्पण MPN लेंगें। जिसमें PK मुख्य अक्ष, P ध्रुव, F फोक्स, C वक्रता केन्द्र, AB वस्तु, RS प्रतिबिम्ब तथा DE = D से मुख्य अक्ष पर खींचा गया लम्ब है।
अब आपको अच्छे से दर्पण सूत्र समझ में आए इसके लिए आपको कुछ महत्वपूर्ण बातेें बता देतें है।
- AB एक वस्तु है जो ध्रुव P पर रखी गयी है। अतः AB तथा P के मध्य दूरी को हम U से प्रदर्शित करेंगें। यहाँ P अवतल दर्पण पर स्थित है। इसलिए दर्पण तथा वस्तु की दूरी U है।
- RS प्रतिबिम्ब की दर्पण से दूरी है। अतः RS तथा P के मध्य दूरी को हम V से प्रदर्शित करेंगे।
- बिन्दु D से हम मुख्य अक्ष पर DE लम्ब खींचेंगें।
अब हम कार्तिक चिन्ह परिपाटी के कुछ नियमों के बारे में जानेंगें जो हम दर्पण सूत्र के व्युत्पन्न में उपयोग में लाने वालें है।
दर्पण के लिए कार्तिक चिन्ह परिपाटी के नियम
- जब कोई प्रकाश की किरण अनन्त से मुख्य अक्ष के समान्तर गमन करती हुई दर्पण पर आपतित होती है तो दर्पण से परावर्तन के पश्चात दर्पण के फोक्स से गुजर जाती है।
- जब कोई प्रकाश की किरण दर्पण के वक्रता केन्द्र से गुजरती हुई दर्पण पर आपतित होती है तो दर्पण से परावर्तन के पच्छात वह पुनः उसी दिशा में लौट जाती है, जिस दिशा से पहले वह(प्रकाश की किरण) आयी थी।
दर्पण सूत्र का व्युत्पन्न
हमें दर्पण सूत्र प्राप्त करने के लिए दर्पण से वस्तु की दूरी U (AB तथा P के मध्य की दूरी), दर्पण से प्रतिबिम्ब की दूरी V (RS तथा P के मध्य की दूरी) तथा फोक्स दूरी F (दर्पण के मध्य बिन्दु P से F के मध्य दूरी) के मध्य संबंध स्थापित करना है।
चूँकि AB =DE
अतः समीकरण (1) और (2) में बांया पक्ष समान है
अतः समीकरण (1) और (2) से
यदि दर्पण का द्वारक बहुत छोटा हो तो
EF = PF रखने पर
Sign Convention in Mirror
- PB = वस्तु की दूरी = -U
- PS = प्रतिबिम्ब की दूरी = -V
- PF = फोक्स की दूरी = -F
- PC = वक्रता त्रिज्या = -R
मान रखने पर
चूँकि R-2F अतः
UVF का दोनों पक्षों में भाग देने पर
उक्त परिणाम ही दर्पण सूत्र है। दोस्तों हमने अवतल दर्पण में सूत्र व्युत्पन्न किया। अगर हम इसी व्युत्पन्न को उत्तल दर्पण पर करतें है तो भी हमें यहीं परिणाम प्राप्त होता है। इसलिए उत्तल व अवतल दर्पण के लिए दर्पण सूत्र समान ही है।
तो दोस्तों आज के आर्टिकल में हमने दर्पण सूत्र का व्युत्पन्न(Darpan Ka Sutra) करना सीखा। मुझे आशा है कि आपको अच्छे से समझ में आया होगा। अगर आपका कोई प्रश्न है तो आप नीचे काॅमेन्ट बाॅक्स में पूछ सकतें है। अगर आपको हमारे द्वारा दी गई जानकारी अच्छी लगी तो इसे अपने मित्रगणों के साथ में शेयर जरूर करें तथा इसी तरह की बेहतरीन जानकारी के लिए हमारे साथ बनें रहें।