आईवीएफ के बाद क्या सावधानी रखनी चाहिए? - aaeeveeeph ke baad kya saavadhaanee rakhanee chaahie?

प्रेग्‍नेंसी को बनाए रखने के लिए आपको नियमित सही मात्रा में प्रोजेस्‍टेरोन लेने की जरूरत है। आप इसे गोली, जेल, इंजेक्‍शन के रूप में ले सकती हैं। इसके लिए आप अपने डॉक्‍टर से सलाह ले सकती हैं। आपकी स्‍वास्‍थ्‍य स्थिति के आधार पर डॉक्‍टर आपको बताएंगे कि आपके लिए प्रोजेस्‍टेरोन लेने का सही तरीका क्‍या है।

​टीएसएच लेवल भी है जरूरी

कुछ अध्‍ययनों में खून में टीएसएच हार्मोन के असामान्‍य स्‍तर और मिसकैरेज एवं गर्भधारण से जुड़ी अन्‍य समस्‍याओं की बात सामने आई है। आईवीएफ ट्रीटमेंट लेने से पहले टीएसएच लेवल चेक करवाएं और ट्रीटमेंट के दौरान भी इस पर नजर रखें।

इसके अलावा हिस्‍टेरोस्‍कोपी करवाने की सलाह दी जाती है। आईवीएफ से पहले आप हिस्‍टेरोस्‍कोपी करवा सकती हैं। इससे गर्भधारण करने में आ रही मुश्किलों का कारण बन रही गर्भाशय से जुड़ी अनेक समस्‍याओं को देखा जा सकता है। हिस्‍टेरोस्‍कोपी से मिसकैरेज का खतरा कम हो जाता है और गर्भधारण की संभावना में सुधार आता है।

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ब्‍लड टेस्‍ट भी करवा लें

खून में किसी भी तरह के विकार का पता लगाने के लिए आप ब्‍लड टेस्‍ट करवा सकती हैं। खून में थक्‍के बनने और खून गाढ़ा होने की स्थिति में भ्रूण तक सही ब्‍लड सर्कुलेशन होने में दिक्‍कत हो सकती है और इससे मिसकैरेज का खतरा भी बढ़ सकता है। दवा की मदद से खून से संबंधी विकारों को ठीक करने में मदद मिल सकती है।

​जीवनशैली पर दें ध्‍यान

आईवीएफ ट्रीटमेंट लेने से पहले आप अपनी जीवनशैली में कुछ सकारात्‍मक बदलाव कर लें। ओवरवेट हैं ताे वजन घटाएं और धूम्रपान और शराब से दूर रहें।

इसके अलावा फर्टिलिटी को बढ़ाने के लिए कोई दवा डॉक्‍टर ने बताई है जो उसका सेवन जरूर करें। कुछ मामलों में एक खुराक छूटने पर भी मिसकैरेज हो सकता है।

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​गर्भाशय ग्रीवा का रखें ध्‍यान

कई बार फर्टिलिटी ट्रीटमेंट का असर गर्भाशय ग्रीवा पर पड़ सकता है और इससे डिलीवरी से पहले ही गर्भाशय ग्रीवा का मुंंह खुल सकता है। यह गर्भपात का कारण बन सकता है। अगर आपको पहले इस तरह की कोई दिक्‍कत हो चुकी है, तो इस बार डॉक्‍टर से इस विषय में बात कर लें।

अगर आपकी उम्र 42 या इससे अधिक है तो आपमें मिसकैरेज का खतरा 50 पर्सेंट बढ़ जाता है और बच्‍चे में भी क्रोमोसोमल असामान्‍यता का खतरा अधिक रहता है। इस स्थिति में आप डोनर एग की मदद ले सकती हैं।

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इन व्रिटो फर्टिलाइज़ेशन अर्थात् कृत्रिम परिवेषी निशेचन एक ऐसी प्रक्रिया होती है जिसमें गर्भाशय से बाहर शुक्राणुओं द्वारा अंड कोशिकाओं का कृत्रिम परिवेश में निषेचन किया जाता है। जब अन्य सहायता-प्राप्त प्रजनन तकनीकें असफल साबित हो जाती है, तब कृत्रिम परिवेशी निषेचन निःसंतानता का एक प्रमुख उपचार होता है। इस प्रक्रिया में कई चरण होते हैं। इसमें डिम्बक्षरण प्रक्रिया को हार्मोन द्वारा नियंत्रित कर स्त्री की डिम्बग्रंथि से अंडाणु निकाल कर शुक्राणुओं द्वारा उनका एक तरल माध्यम में निषेचन करवाया जाता है। इसके उपरांत इस निषेचित अंडाणु अर्थात् ज़ाइगोट को रोगी के गर्भाशय में सफल गर्भाधान प्राप्त करने हेतु स्थापित किया जाता है।

भ्रूण प्रत्यारोपण से जूड़े मिथक बनाम सत्य-

 भ्रूण प्रत्यारोपण उपचार से गुज़र रहे जोड़ों में सबसे आम मिथक यह होता है कि गर्भ में प्रत्यारोपित होने के बाद महिलाएं विश्राम नहीं करेंगी तो भ्रूण गिर सकता है। इसलिए दंपतियों को पहले ही परामर्श के दौरान भ्रूण ट्रांसफर से जुड़ी बाते और सावधानियों को जान लेना एक अच्छा विकल्प होता है क्योंकि इससे इस प्रक्रिया के प्रति गलत धारणाओं से दूर रहने की पूर्ण संभावना रहती है।

 सबसे पहले तो ऐसे लोगों से सलाह लेने में परहेज करना चाहिए जिन्हें देने वाला शख़्स स्वयं ही अपरिचित हो। यह भी सत्य है कि भ्रूण ट्रांसफर के बाद दैनिक गतिविधियों को फिर से सुचारू रूप में शुरू करने से गर्भाशय और शरीर का रक्त प्रवाह सुधरने में सहायता मिलती है। इससे तनाव और चिंता कम होती है साथ ही विश्राम में भी मदद मिलती है।

 कई आईवीएफ विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रक्रिया में यदि सबसे अधिक किसी चीज़ की आवश्यकता होती है तो वह है दंपतियों को शिक्षित करने की आवश्यकता। मानव का शरीर सटीकता और गहरी समझ से बना हुआ है। इस प्रक्रिया के बाद गर्भाशय में स्थानांतरित भ्रूण को बाहर नहीं निकाला जा सकता। इस अवस्था में महिला को खुश, सुखी और स्वस्थ रहना चाहिए साथ ही जितना संभव हो तनाव से बचना चाहिए। क्योंकि इन्हीं दोनों कारणों के चलते यह प्रक्रिया असफल हो सकती है।

 एक सर्वे के अनुसार मार्च 2017 से दिसंबर 2017 के बीच आईवीएफ उपचार की चाह रखने वाले करीब 450 मरीज़ों पर एक विष्लेशण किया गया जिसमें जिन 25% लोगों ने आराम पर अधिक ध्यान दिया, उनमें गर्भाशय, आवर्तक गर्भपात व हार्मोनल असंतुलन जैसी समस्याएं अधिक देखने को मिली। वहीं जिन 75% लोगों ने भ्रूण प्रत्यारोपण के उपरांत अपनी नियमित गतिविधियों को सुचारू रूप से जारी रखा, उनमें ये प्रक्रिया पूर्ण रूप से सफल रही।

 इस प्रक्रिया में गर्भधारण की पुष्टि होने में करीब दो सप्ताह का वक्त लगता है। यह वक्त किसी भी दंपति के लिए एक संदेहात्मक चरण होता है। गर्भधारण के लिए किसी भी महिला को बिस्तर पर आराम करने के लिए मजबूर करना उसे मानसिक अवसाद से घेर सकता है जिसके परिणामस्वरूप गर्भधारण की यह प्रक्रिया असफल भी हो सकती है।

भ्रूण प्रत्यारोपण के बाद क्या सावधानी रखें-

बहुत उम्मीदों और आशाओं के साथ व कई तकनीकों द्वारा इलाज करवाने के बाद, संतानहीन दंपति आखिरकार आईवीएफ कराने का फैसला लेते हैं। लेकिन आईवीएफ की प्रक्रिया शुरू होने के बाद, उनके मन में कई सवाल होते है जैसे उनके शरीर में भ्रूण प्रत्यारोपण होने के बाद, उन्हें किस-किस तरह की सावधानियां बरतनी होंगी और क्या ऐसी आदतें होंगी जिनमें उन्हें बेहतर परिणाम के लिए बदलाव लाने होंगे?
जानें भ्रूण प्रत्यारोपण के बाद महिलाओं को क्या सावधानियां बरतनी चाहिए-

निःसंतानता की समस्या से जूझ रहे दंपतियों के लिए कृत्रिम परिवेशी निषेचन अर्थात् आईवीएफ एक बहुत प्रभावी तरीका है। इस प्रक्रिया में अंडे को निषेचित करने के बाद महिला के गर्भ में स्थानांतरित किया जाता है। इससे कई परिवारों में नन्हीं कलियां खिली हैं और उन्हें संतान सुख की प्राप्ति हुई है। लेकिन आईवीएफ क्रिया से गुज़र रहे हर दंपति को भ्रूण प्रत्यारोपण के उपरांत कुछ बेहद अहम सावधानियां बरतने की आवष्यकता होती है। आइये जानते है भ्रूण प्रत्यारोपण के बाद क्या सावधानी रखें? ये सावधानियां निम्नांकित है-

1 संभोग से बचे-
भ्रूण प्रत्यारोपण के बाद पति-पत्नी को संभोग से बचाव अर्थात् एक-दूसरे से दूरी बनाकर रखनी चाहिए। संभोग के कारण महिलाओं में वैजाइनल इंफेक्षन फैलने का अधिकतम खतरा रहता है जिससे इस प्रक्रिया के सफल होने की संभावना बहुत कम हो जाती है।

2 खुश और सन्तुष्ट रहें-

कई डाक्टरों द्वारा बताया जाता है और ऐसी सलाह भी दी जाती है कि यदि आप इस प्रक्रिया से गुज़र रहे हैं तो इसकी सफलता सबसे अधिक इस बात पर निर्भर करती है कि आप कितने खुश और चिंतामुक्त है। आपकी संतुष्टि इसकी सफलता में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

3 अधिकतम आराम और अधिकतम काम- दोनों से ही बचे-

यदि आप एक कामकाजी महिला है और इस प्रक्रिया के बाद भी आप अपने काम को जारी रखना चाहती हैं तो आप अपना काम आसानी से जारी रख सकती है बषर्ते आप अपने शरीर व मश्तिष्क को ज़्यादा कष्ट ना दें। साथ ही दोपहिया वाहन व खराब गड्डें वाली सड़कों से बचे। आप बहुत अधिक आराम से भी बचे।

इस प्रक्रिया के चलते भारी सामान उठाना भी शरीर और भ्रूण के लिए नुकसानदायक हो सकता है। कुछ डाॅक्टरों का यह भी मानना है कि महिलाओं को तब तक भारी सामान उठाने से बचना चाहिए जब तक कि वे यह सुनिश्चित ना कर लें कि वे गर्भवती हैं क्योंकि ऐसा करने से पेट की मांशपेशियों पर दबाव पड़ता है जिससे आईवीएफ प्रक्रिया पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है। इस दौरान महिलाओं को कठिन कामों से भी दूरी बनाकर रखनी चाहिए।

4 प्रक्रिया के दो हफ्ते तक स्नान नहीं ले-
डाॅक्टरों के अनुसार इस प्रक्रिया के शुरू होने के दो हफ्ते तक महिलाओं को स्नान नहीं करना चाहिए। इससे प्रत्यारोपण प्रक्रिया पर असर पड़ सकता है जिसके कारण महिला के अंदर प्रत्यारोपित अंडा अपने स्थान से हिल सकता है। अधिकतर डाॅक्टरों द्वारा इस अवस्था में महिलाओं को शॉवर बाथ लेने की सलाह दी जाती है।

5 ज़्यादा हिलने वाले व्यायाम से बचे-
आईवीएफ प्रक्रिया के चलते महिलाओं को ऐरोबिक्स और अन्य कठिन व्यायामों से बचना चाहिए। इस समय में महिलाओं को जोगिंग करने की अपेक्षा हल्के व्यायाम जैसे टहलना और पैदल चलना चाहिए। इसके अलावा ध्यान भी इस स्थिति में उपयोगी होता है।

6 प्रोजेस्ट्रोैन लें-
गर्भावस्था को बनाए रखने के लिए, डिंबक्षरण के बाद यह बहुत ज़रूरी है कि महिला के षरीर में प्रोजेस्ट्रोन हार्मोन की पर्याप्त मात्रा हो। महिलाओं के शरीर में प्रोजेस्ट्रोन एक हार्मोन होता है जिसका उत्पादन अंडाशय के द्वारा होता है। डाॅक्टरों द्वारा इनजेक्शन के माध्यम से महिला के शरीर में प्रोजेस्ट्रोन की मात्रा को पर्याप्त रखने के लिए आईवीएफकी प्र

क्रिया के बाद कृत्रिम प्रोजेस्ट्रोन दिए जाते हैं। ये प्रोजेस्ट्रोन इंजेक्शन गर्भावस्था के 12 सप्ताह तक दिए जाते हैं, जब तक कि महिला का शरीर खुद पर्याप्त हार्मोन की रचना नहीं करने लग जाता है।

भ्रूण स्थानांतरण के बाद कितने दिन आराम करते हैं?

इसके बाद भ्रूण अगले 6 से 12 दिनों के भीतर गर्भाशय की लाइनिंग में प्रत्यारोपित होता है जिससे एक सफल गर्भावस्था होती है।

आईवीएफ कराने के बाद क्या क्या सावधानी बरतनी चाहिए?

आईवीएफ ट्रीटमेंट के बाद संभोग करने से भी बचना चाहिए नहीं तो वैजाइनल इन्फेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। वैजाइनल इन्फेक्शन के कारण गर्भपात की संभावना भी बढ़ जाती है। आईवीएफ प्रक्रिया के बाद महिला को ज्यादा मेहनत वाला व्यायाम करने से बचना चाहिए। जॉगिंग या कड़ी मेहनत वाली एक्सरसाइज की जगह बेहतर होगा कि हल्के व्यायाम करें।

आईवीएफ के बाद कैसे सोना चाहिए?

आप किसी भी पोजीशन में सो सकती हैं (जिधर भी कम्फर्ट मिले), चाहे वो पेट के बल हो, लेफ्ट साइड हो या राईट साइड हो। बहुत से लोग सोचते हैं कि यदि मैं पेट के बाद सोऊँगी तो मेरा सक्सेस रेट कम हो जाएगा। जबकि, ऐसा नहीं होता है। भ्रूण स्थानान्तरण के बाद महिला किसी भी अवस्था में कैसे भी सो सकती है।

आईवीएफ फेल क्यों होता है?

कई बार गर्भाशय के आकार में कोई बदलाव हो जाने के कारण या आंतरिक गर्भाशय संबंधी समस्याएं (जैसे-एंडोमेट्रियम, यूटेराइन सेप्टम, एंडोमेट्रियल पॉलीप आदि) होने पर भी आईवीएफ साइकिल फेल हो सकता है। ऐसी महिलाएं जो शराब पीती हैं या धूम्रपान करती हैं, उनके आईवीएफ के असफल होने की संभावना अधिक होती है।

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