यूएनडीपी की मानव विकास सूचकाँक रिपोर्ट, नॉर्वे इस वर्ष भी सबसे ऊपर
इस रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2020 में 189 देशों में मानव विकास सूचकांक (HDI) की सूची में भारत 131वें स्थान पर रहा, वहीं भूटान 129वें स्थान पर, बांग्लादेश 133वें स्थान पर, नेपाल 142वें स्थान पर और पाकिस्तान 154वें स्थान पर रहा.
PHDI को शामिल करने के बाद, 50 से अधिक देश ‘उच्च मानव विकास समूह’ से बाहर हो गए, जिससे यह संकेत मिलता है कि वे जीवाश्म ईंधन और भौतिक पदचिह्न पर अत्यधिक निर्भर हैं.
भारत की राजधानी दिल्ली में, एशिया-प्रशान्त क्षेत्र के नज़रिये से ये रिपोर्ट जारी किये जाने के समय, भारत में यूएनडीपी की देश प्रतिनिधि, शोको नोडा ने कहा, “यह रिपोर्ट एकदम सही समय पर आई है. पिछले सप्ताह ही, जलवायु महत्वाकाँक्षा सम्मेलन आयोजित किया गया था, जिसमें शामिल देशों ने अपने कार्बन-पदचिन्ह घटाने के लिये प्रतिबद्धताएँ ज़ाहिर की हैं."
"अगर हम साथ मिलकर काम करें तो पृथ्वी को नष्ट किए बिना, प्रत्येक राष्ट्र के लिये मानव विकास में वृद्धि सम्भव है – यानि लम्बी आयु, अधिक शिक्षा और उच्च जीवन स्तर...”
भारत सरकार में नीति आयोग के सदस्य, रमेश चन्द ने कहा, “इस वर्ष की रिपोर्ट एक बहुत महत्वपूर्ण मुद्दा उजागर कर रही है, जो लम्बे समय से चिन्ता का विषय है. मानव विकास की व्याख्या के सन्दर्भ में ये बात सामने आ रही है – कि आख़िर हम अपनी भावी पीढ़ी को कितना वंचित कर रहे हैं. रिपोर्ट में ऐसे समाधान प्रस्तुत किये गए हैं, जिनसे उत्सर्जन में 37% की कमी आएगी और इससे हमें जलवायु लक्ष्य हासिल करने में मदद मिलेगी.”
प्रगति का नया स्वरूप
रिपोर्ट में तर्क दिया गया है कि जैसे-जैसे लोग और पृथ्वी ग्रह एक नए भूवैज्ञानिक युग, एंथ्रोपोसीन यानि मानव युग में प्रवेश कर रहे हैं, सभी देशों को प्रगति के अपने मार्गों को नया स्वरूप देना होगा. यह पूरी तरह से मनुष्यों द्वारा ग्रह पर बनायेएदबावों की जवाबदेही तय करके और बदलाव की राह में आने वाले शक्ति और अवसर के असन्तुलन को ख़त्म करके किया जा सकता है.
कोविड-19 महामारी दुनिया के सामने नवीनतम संकट है, लेकिन अगर मानव प्रकृति पर अपनी पकड़ नहीं छोड़ता, तो शायद यह अन्तिम संकट न हो.
समुद्र के स्तर में वृद्धि से ख़तरे के दायरे में आने वाले अधिकाँश लोग विकासशील देशों और विशेष रूप से एशिया और प्रशान्त में रहते हैं. पर्यावरणीय झटके पहले से ही दुनियाभर में जबरन विस्थापन का एक मुख्य कारण हैं, ऐसे में अनुमान यह है कि वर्ष 2050 तक दुनिया भर में 1 अरब से अधिक लोग विस्थापन का सामना कर सकते हैं.
समाधान तन्त्र
मानव विकास रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि सार्वजनिक कार्रवाई से इन असमानताओं का निदान सम्भव है – उदाहरण के लिये, इसमें प्रगतिशील कराधान और निवारक निवेश और बीमा के माध्यम से तटीय समुदायों की रक्षा करना शामिल है.
यह एक ऐसा क़दम है, जो दुनिया में समुद्र तटों पर रहने वाले 84 करोड़ लोगों के जीवन की रक्षा कर सकता है. लेकिन यह सुनिश्चित करने के लिये ठोस प्रयासों की ज़रूरत है, ताकि यह कार्रवाई मानव को पृथ्वी के ख़िलाफ़ न खड़ा कर दे.
भारत में संयुक्त राष्ट्र की देश प्रतिनिधि व संयोजक, रेनाटा डेज़ालिएन ने कहा, “मानव विकास सूचकाँक न केवल हमारी प्रगति दर्शाता है, बल्कि उन क्षेत्रों को भी स्पष्ट रूप से परिभाषित करता है, जिन पर अधिक ध्यान देने और जिन्हें अधिक संसाधन व हिमायत की ज़रूरत है.”
“जलवायु परिवर्तन स्पष्ट रूप से हमारे समय की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक बनकर उभर रहा है, और इस वर्ष का मानव विकास सूचकाँक इसी बात पर केन्द्रित है कि मानव विकास जलवायु संकट से कैसे जुड़ा है."
"यह संयोजन हमें अपनी जीवन शैली, व्यवहार और निर्णयों पर पुनर्विचार करने के लिये मजबूर करता है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि यह युग हमें गर्त में न ढकेल दे. यह दुनिया भर के देशों के उदाहरण प्रस्तुत करता है कि हममें से प्रत्येक उनसे कैसे प्रेरणा ले सकते हैं.”
रिपोर्ट के आधार पर, यूएनडीपी-भारत ने विकास के जटिल मुद्दे के प्रबन्धन के लिये प्रकृति, प्रोत्साहन और सामाजिक मानदण्डों के तीन स्तम्भों के आधार पर क्षेत्र के लिये समाधान तन्त्र प्रस्तावित किया है.
इनमें से कुछ हैं - तटीय झाड़ियों का संरक्षण, सौर ऊर्जा को प्रोत्साहन और एकल उपयोग प्लास्टिक का प्रयोग घटाना. रिपोर्ट में राष्ट्रीय सौर मिशन और भारत द्वारा अपनाए गए महत्वाकाँक्षी नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों का भी उल्लेख है.
रिपोर्ट के मुताबिक, मानव विकास के अगले मोर्चे में, सामाजिक विकास, मूल्यों और वित्तीय प्रोत्साहनों में आवश्यक बदलाव लाते हुए, प्रकृति के ख़िलाफ़ न जाकर, प्रकृति के साथ सुलह में काम करने की आवश्यकता होगी.
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दिल प्रकाश| भाषा | Updated: Sep 8, 2022, 11:09 PM
संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) की मानव विकास रैंकिंग (Human Development ranking) आ गई है। 2021 में भारत एक स्थान खिसककर 132वें स्थान पर पहुंच गया है। महामारी ने मानव विकास को बुरी तरह प्रभावित किया है। 32 साल में यह पहला मौका है जब ह्यूमन डेवलपमेंट पूरी तरह ठहर गया है।
यूएनडीपी के प्रशासक अचिम स्टेनर ने कहा, ‘संकट-दर-संकट से उबरने के लिए दुनिया हाथ पांव मार रही है। अनिश्चितता से भरी इस दुनिया में, हमें आम चुनौतियों से निपटने के लिए परस्पर वैश्विक एकजुटता की एक नयी भावना की आवश्यकता है।’ स्टीनर ने कहा कि एक दूसरे से जुड़े अंतर्निहित संकटों
ने भारत के विकास पथ को वैसे ही प्रभावित किया है जैसे दुनिया के अधिकांश हिस्सों में प्रभावित हुआ है। एचडीआई मानव विकास के तीन प्रमुख आयामों की प्रगति को मापता है - एक लंबा और स्वस्थ जीवन, शिक्षा तक पहुंच और एक सभ्य जीवन स्तर। इसकी गणना चार संकेतकों - जन्म के समय जीवन प्रत्याशा, स्कूली शिक्षा के औसत वर्ष, स्कूली शिक्षा के अपेक्षित वर्ष और प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय (जीएनआई) के माध्यम से की जाती है।
32 साल में पहली बार ठहर गया मानव विकास
रिपोर्ट में कहा गया है कि यह कोई भारत की इकलौता स्थिति नहीं है, बल्कि वैश्विक स्तर पर गिरावट के अनुरूप है, जो दर्शाता है कि 32 वर्षों में पहली
बार दुनिया भर में मानव विकास ठहर सा गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि मानव विकास सूचकांक की हालिया गिरावट में एक बड़ा योगदान जीवन प्रत्याशा में वैश्विक गिरावट का है, जो 2019 के 72.8 साल से घटकर 2021 में 71.4 साल हो गई है।
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