What are the Factors affecting the Climate of India 15 युद्धों से जंगल क्यों प्रभावित होते हैं? - what arai thai fachtors affaichting thai chlimatai of indi 15 yuddhon se jangal kyon prabhaavit hote hain?

Solution : जब विश्व युद्ध हुए तो ब्रिटेन की युद्ध कालीन जरूरतों को पूरा करने के लिए बड़े पैमाने पर पेड़ काटे गये। इससे जंगलों को नुकसान हुआ। जब जावा पर जापान का कब्जा हुआ तो भागते हुए डच लोगों ने बड़े पैमाने पर आरा मिलों और लकड़ी के लट्ठों में आग लगा दी। यदि जापानियों को वे लकड़ियाँ मिल जातीं तो शायद वे कम पेड़ काटते। इसके अलावा, कुछ पेड़ बमबारी में भी तबाह हुए होंगे। इन उदाहरणों से पता चलता है कि युद्ध से वनों को बहुत नुकसान होता है।

Solution : युद्ध से वनों पर निम्न प्रभाव पड़ता है- जावा में जापानियों के कब्जा करने से पहले, डचों ने ‘भस्म कर भागो नीति अपनाई जिसके तहत आरा-मशीनों और सागौन के विशाल लट्ठों के ढेर जला दिए गए जिससे वे जापानियों के हाथ न लगें। इसके बाद जापानियों ने वन्य-ग्रामवासियों को जंगल काटने के लिए बाध्य करके वनों का अपने युद्ध कारखानों के लिए निर्ममता से दोहन किया। बहुत से गाँव वालों ने इस अवसर का लाभ उठाकर जंगल में अपनी खेती का विस्तार किया। युद्ध के बाद इंडोनेशियाई वन सेवा के लिए इन जमीनों को वापस हासिल कर पाना कठिन था।भारत में वन विभाग ने ब्रिटेन की लड़ाई की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अंधा-धुंध वन काटे। इस अंधा धुंध विनाश एवं राष्ट्रीय लड़ाई की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए वनों की कटाई वनों को प्रभावित करती है क्योंकि वे बहुत तेजी से खत्म होते हैं जबकि ये दोबारा पैदा होने में बहुत समय लेते हैं। स्थल सेना को अनेक आवश्यकताओं के लिए बड़े पैमाने पर लकड़ियों की आवश्यकता होती है। नौसेना की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए बनने वाले जहाजों के लिए बड़े पैमाने पर लकड़ी की आवश्यकता होती है जिसे जंगलों को काट कर पूरा किया जाता है।

Solution : युद्ध से वनों पर निम्न प्रभाव पड़ता है- जावा में जापानियों के कब्जा करने से पहले, डचों ने ‘भस्म कर भागो नीति अपनाई जिसके तहत आरा-मशीनों और सागौन के विशाल लट्ठों के ढेर जला दिए गए जिससे वे जापानियों के हाथ न लगें। इसके बाद जापानियों ने वन्य-ग्रामवासियों को जंगल काटने के लिए बाध्य करके वनों का अपने युद्ध कारखानों के लिए निर्ममता से दोहन किया। बहुत से गाँव वालों ने इस अवसर का लाभ उठाकर जंगल में अपनी खेती का विस्तार किया। युद्ध के बाद इंडोनेशियाई वन सेवा के लिए इन जमीनों को वापस हासिल कर पाना कठिन था। भारत में वन विभाग ने ब्रिटेन की लड़ाई की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अंधा-धुंध वन काटे। इस अंधा धुंध विनाश एवं राष्ट्रीय लड़ाई की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए वनों की कटाई वनों को प्रभावित करती है क्योंकि वे बहुत तेजी से खत्म होते हैं जबकि ये दोबारा पैदा होने में बहुत समय लेते हैं। स्थल सेना को अनेक आवश्यकताओं के लिए बड़े पैमाने पर लकड़ियों की आवश्यकता होती है। नौसेना की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए बनने वाले जहाजों के लिए बड़े पैमाने पर लकड़ी की आवश्यकता होती है जिसे जंगलों को काट कर पूरा किया जाता है।

Dileep Vishwakarma

5 months ago

(क) युद्ध की जरूरतों को पूरा करने के लिए लकड़ी की मांग बढ़ जाती है और अधिक से अधिक वन काटे जाते हैं। (ख) युद्ध में विशाल वन क्षेत्र अग्नि की भेंट चढ़ जाते हैं। (ग) युद्ध के समय सरकारें लकड़ी के विशाल भंडारे तथा आरा मिलों को स्वयं भी जला डालती हैं, ताकि ये संसाधन शत्रु के हाथ न लग जाए।

युद्धों से जंगल क्यों प्रभावित होते हैं?

युद्धों से वनों पर कई कारणों से प्रभाव पड़ता है:

  • भारत में वन विभाग ने ब्रिटेन की लड़ाई की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अंधाधुंध वन काटे। इस अंधाधुंध विनाश एवं राष्ट्रीय लड़ाई की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए वनों की कटाई वनों को प्रभावित करती है क्योंकि वे बहुत तेजी से खत्म होते हैं जबकि ये दोबारा पैदा होने में बहुत समय लेते हैं।
  • जावा में जापानियों के कब्जा करने से पहले, डचों ने ‘भस्म कर भागो’ नीति अपनाई जिसके तहत आरा मशीनों और सागौन के विशाल लट्ठों के ढेर जला दिए गए जिससे वे जापानियों के हाथ न लगें। इसके बाद जापानियों ने वन्य-ग्रामवासियों को जंगल काटने के लिए बाध्य करके वनों का अपने युद्ध कारखानों के लिए निर्मता से दोहन किया। बहुत से गाँव वालों ने इस अवसर का लाभ उठा कर जंगल में अपनी खेती का विस्तार किया। युद्ध के बाद इंडोनेशियाई वन सेवा के लिए इन जमीनों को वापस हासिल कर पाना कठिन था।

Concept: जावा के जंगलों में हुए बदलाव

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औपनिवेशिक काल के वन प्रबंधन में आए परिवर्तनों ने इन समूहों को कैसे प्रभावित किया :

  • झूम-खेती करने वालों को
  • घुमंतू और चरवाहा समुदायों को
  • लकड़ी और वन- उत्पादों का व्यापार करने वाली कंपनियों को
  • बागान मालिकों को
  • शिकार खेलने वाले राजाओं और अंग्रेज अफसरों को

(i)झूम-खेती करने वालों को- यूरोपीय वन रक्षको की नजर में झूम खेती वनों के लिए नुकसानदेह थीl सरकार ने झूम खेती पर रोक लगाने का फैसला किया क्योंकि उन्होंने महसूस किया कि जहां कुछ सालों के अंतर पर खेती की जा रही हो ऐसी जमीन पर रेलवे के लिए इमारती लकड़ी वाले पेड़ नहीं उगाए जा सकतेl परिणामस्वरुप उनके समुदायों को वनों में उनके घरों से जबरन हटा दिया गयाl कुछ को अपना पेशा बदलना पड़ा तो कुछ ने छोटे-बड़े विद्रोहो के जरिए प्रतिरोध व्यक्त कियाl

 
(ii) घुमंतू और चरवाहा समुदायों को- मद्रास प्रेसिडेंसी के कोरवा, कराचा व येरूकुला जैसे अनेक चरवाहे और घुमंतू समुदाय को अपनी जीविका से हाथ धोना पड़ाl इन्हे सरकार की निगरानी में फैक्ट्रियों, खदानों और बागानों में काम करने के लिए मजबूर होना पड़ाl असम में चाय बागानों में काम करने के लिए झारखंड के संथाल और उँंराव व छत्तीसगढ़ के जैसे आदिवासी मर्द और औरत दोनो की भर्ती की गईl

(iii) लकड़ी और वन-उत्पादों का व्यपार करने वाली कंपनियों को- ब्रिटिश सरकार ने कई बड़ी यूरोपीय व्यापारिक कंपनियों को विशेष इलाकों में वन उत्पादों के व्यापार की जिम्मेदारी सौंप दीl इससे भारतीय वन-उत्पादन व इमारती लकड़ी का व्यापार नष्ट हो गयाl

(iv) बागान मालिक को-यूरोपीय होने के कारण बागान मालिक लाभ प्राप्त करते थेl

(v) शिकार खेलने वाले राजाओ और अंग्रेज अफसरों को -वैसे तो जंगल में शिकार करने पर रोक थी किंतु इसमें भेदभाव किया जाता थाl इस प्रकार के नियम होने के बावजूद राजा महाराजा तथा ब्रिटिश अधिकारी इन नियमों का उलघंन करते हुए शिकार करते थेl उसके साथ सरकार की मौन सहमति थी क्योंकि बड़े जगली जानवरो को वे आदिम, असभ्य और बर्बर समुदाय का सूचक मानते थेl अतः भारत को सभ्य बनाने के नाम पर इन जानवरों का शिकार किया जाता थाl

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सन 1800 से 1920 के बीच भारतीय उपमहाद्वीप वनाच्छदित क्षेत्र में 97 लाख हेक्टर की गिरावट आयी। पहले के 10.86 करोड़ हेक्टेयर से घटकर यह क्षेत्र 9.89 करोड़ हेक्टेयर रह गया था। इस गिरावट में निम्नलिखित कारकों की भूमिका बताएँ-

  • रेलवे
  • जहाज निर्माण
  • कृषि विस्तार
  • व्यवसायिक खेती
  • चाय कॉफी के बागान
  • आदिवासी और किसान

(i) रेलवे- रेलवे के विस्तार का वन क्षेत्रों की कमी में महत्वपूर्ण योगदान रहा। रेल की पटरियाँ बिछाने के लिए आवश्यक स्लीपरों के लिए भारी संख्या में पेड़ो को काटा गया। इसका अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि 1 मील लंबी पटरी बिछाने के लिए लगभग 500 पेड़ों की आवश्यकता होती थी। रेलवे सैनिकों और वाणिज्यक वस्तुओं को एक जगह से दूसरी जगह तक लाने-ले जाने में सहायक था। इसलिए इस कार्य को बहुत तेजी से किया गया फलतः वनों का तेजी से ह्यास हुआ। 

(ii) जहाज निर्माण- जहाज निर्माण उद्योग वन क्षेत्र में कमी के लिए दूसरा सबसे बड़ा कारण रहा जो कि यूरोप में ओक वन लगभग ख़त्म हो चुके थे ऐसी स्थिति में उनकी नज़र भारतीय वनों की कठोर और टिकाऊ लकड़ी पर पड़ी उन्होंने इसकी अंधाधुध कटाई शुरु कर दी जिससे वनों का तेजी से हास हुआ। 

(iii) कृषि विस्तार- इस दौरान न केवल यूरोपीय बल्कि भारतीय आबादी भी तेजी से बढ़ रही थी। जिसके कारण कृषि उत्पादों की मांग में भी तेजी से वृद्धि हुई कृषि भूमि सिमित ही थी। किन्तु इतनी बड़ी आबादी की मांग पूरी नहीं हो रही थी। ऐसी स्थिति में औपनिवेशिक सरकार ने कृषि भूमि में वृद्धि करने की सोची। किंतु फैसला अविवेकपूर्ण ढंग से किया गया जिसके कारण वनो का ह्यास हुआ।

(iv) व्यवसायिक खेती- व्यवसायिक खेती भी वनों के हास का प्रमुख कारण है। इस तरह की खेती के लिए अधिक उपजाऊ भूमि की आवश्यकता थी। उपलब्ध भूमि पर पारंपरिक तरीके से वर्षा से खेती की जा रही थी जिसके कारण वह खास उपजाऊ नहीं रह गई थी। परिणास्वरूप उपजाऊ भूमि के लिए वनों को साफ किया जाने लगा लगा और वनों का ह्यास हुआ।

(v) चाय-कॉफी के बागान- वनों की कीमत पर चाय एवं कॉफी के बागानों के विकास को प्रोत्साहित किया गया। इसके लिए यूरोपियन लोगों को परमिट दिया गया तथा हर संभव सहायता दी गई। वनवसियों का कम-से-कम मजदूरी पर पेड़ काटकर बागान के लिए ज़मीन तैयार करने के साथ-साथ बागान के अन्य विकास संबंधी कार्यों में लगाया गया। इस तरह वर्ग तथा वनवासी दोनों को ही नुकसान पहुंचाया गया।

(vi) आदिवासी और किसान समूह- आदिवासी और किसान समूह ने अपने उद्देश्य की प्राप्ति के लिए संघर्ष किया क्योंकि यह सरकार के हाथ अपनी वन संपदा खो चुके थे। किंतु अपनी जमीन वापस मिलते ही वह वापस अपने परंपरागत कार्यों पर लौट आएl यहां तक की स्वतंत्रता के उपरांत आज भी पर वन में ही रहना पसंद करते हैं।

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15 युद्धों से जंगल क्यों प्रभावित होते हैं ?`?

(क) युद्ध की जरूरतों को पूरा करने के लिए लकड़ी की मांग बढ़ जाती है और अधिक से अधिक वन काटे जाते हैं। (ख) युद्ध में विशाल वन क्षेत्र अग्नि की भेंट चढ़ जाते हैं। (ग) युद्ध के समय सरकारें लकड़ी के विशाल भंडारे तथा आरा मिलों को स्वयं भी जला डालती हैं, ताकि ये संसाधन शत्रु के हाथ न लग जाए।

युद्ध से जंगल क्यों प्रभावित होता है?

Explanation: वन युद्धों से प्रभावित होते हैं क्योंकि वन उत्पादों का उपयोग युद्ध के दौरान विभिन्न आवश्यकताओं और आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए किया जाता है। भारत के मामले में, प्रथम विश्व युद्ध और द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, ब्रिटिश युद्ध की जरूरतों को पूरा करने के लिए वन विभाग ने स्वतंत्र रूप से पेड़ों को काट दिया।

What are the Factors affecting the Climate of India 15 युद्धों से जंगल क्यों प्रभावित होते हैं ?`?

Solution. भारत में वन विभाग ने ब्रिटेन की लड़ाई की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अंधाधुंध वन काटे। इस अंधाधुंध विनाश एवं राष्ट्रीय लड़ाई की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए वनों की कटाई वनों को प्रभावित करती है क्योंकि वे बहुत तेजी से खत्म होते हैं जबकि ये दोबारा पैदा होने में बहुत समय लेते हैं

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