वर्तमान का लोकप्रिय संचार माध्यम क्या है? - vartamaan ka lokapriy sanchaar maadhyam kya hai?

Q.47: लोकप्रिय विश्वासों को प्रसारित करने तथा लोकप्रिय संस्कृति में जेंडर भूमिका को सशक्त करने में मीडिया की भूमिका बताइए। इनसे शालाओं में कौन से उलझाव उत्पन्न होते हैं प्रकाश डालिए।

उत्तर : मीडिया संचार के विभिन्न साधनों का सामूहिक नाम है। मीडिया शब्द एक सामूहिक संज्ञा के रूप में प्रयुक्त किया जाता है। मीडिया आमलोगों तक सूचना, शिक्षा व मनोरंजन पहुंचाने का महत्त्वपूर्ण माध्यम है।

जनसंचार के माध्यमों का अर्थ है वे माध्यम जो विज्ञान तथा सूचना तकनीकी की देन हैं तथा जिनका अत्यन्त गहरा प्रभाव जन–जन पर पड़ता है। इन जनसंचार के माध्यमों में प्रमुख रूप से सम्मिलित हैं–

(1) दूरदर्शन, (2) रेडियो, (3) समाचार पत्र, (4) इंटरनेट आदि । लोग चाव से इन्हें देखते–पढ़ते हैं। लोगों में राय कायम करने में इन मीडिया के माध्यमों की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। सभी व्यक्तियों तक सूचना, समाचार, विचार, बहसआयोजन, टीका टिप्पणियों, चित्र तथा ऐसी ही अन्यान्य सूचनाओं को सम्प्रेषित करने के साधनों के रूप में मीडिया तेजी से लोकप्रिय हो रही है। मीडिया को हम व्यापक जनसंचार के माध्यम (मास मीडिया) कहते हैं जिनकी पहुँच आम जनता तक होती है । व्यापक जनसंचार के माध्यमों का लोगों के जीवन और संस्कृति पर गहरा प्रभाव पड़ता है। लोग एक समय या एक ही दिन जो कुछ पढ़ते, सुनते या देखते हैं उन पर वे सोच–विचार करते हैं और विश्लेषण करते हैं।

लोग प्रायः उन पर आपस में चर्चा करते हैं, अपने विचारों का आदान प्रदान करते हैं और इस बात का निर्णय करते हैं या विचार निर्मित करते हैं कि उनके नगर, देश या दुनिया में जो कुछ घटित हो रहा है, उनमें से क्या ठीक है और क्या गलत है। यह उनके लिए किसी विषय की तह में जाकर सोच विचार करने तथा यह महसूस करने कि क्या सही और क्या गलत है तथा अपनी राय बनाने में सहायक सिद्ध होता है। मीडिया तंत्र जनता द्वारा स्वतंत्र रूप से सोचने, तथ्यों का विश्लेषण करने और स्वयं निर्णय करने में ही लोकतंत्र की सफलता अंतर्निहित है । रेडियो और टेलीविजन समाचार आदि के द्वारा अनेक बातों के बारे में जानकारी उपलब्ध कराने के साथ–साथ मनोरंजन भी किया जाता है। यही कारण है कि मीडिया लोकप्रिय माध्यम है।

मीडिया की भूमिकाएं सकारात्मक तथा नकारात्मक दो प्रकार की हो सकती है। सकारात्मक भूमिका में अच्छे समाज के निर्माण करने लोकतंत्र को सबल बनाने, भ्रष्टाचार को उजागर करने जनमत तैयार करने, देश–दुनिया में समाचार देने, जनजागृति व शिक्षा फैलाने, राष्ट्रीय एकता व मल्यों का विकास करने इत्यादि कार्य आते हैं जबकि मीडिया की नकारात्मक भूमिका अंधविश्वासों, रूढियों कुप्रथाओं को बढ़ावा देने, किसी पंथ या राजनीतिक दल को अपनी विचारधारा का आधार बनाने, अपराध आदि की घटनाओं को विस्तार के बताने, संस्थाओं के कुकृत्यों तथा भ्रष्टाचार को उजागर करने का भय दिखाकर उनसे ब्लेकमेलिंग करने, नारियों के नग्न–अर्द्धनग्न चित्रों का प्रदर्शन कर नारी गरिमा को अपमानित करने, लोगों को लोकप्रिय विश्वासी को सबल बनाने तथा लोकप्रिय संस्कृति (फिल्म, विज्ञापन, आने आदि) का प्रसार करने वाली समाज व संस्कृति के लिए अनुपयोगी बातें आती हैं । टी.आर.पी. बढ़ाने, विज्ञापनों से पैसा कमाने, मीडिया का व्यापारीकरण व बाजारीकरण करने के प्रयास मीडिया की नकारात्मक भूमिका के उदाहरण हैं।

लोकप्रिय विश्वासों के प्रसार तथा लोकप्रिय संस्कृति में जेंडर भूमिका को सशक्त करने में मीडिया की भूमिका विश्वास वे धारणाएं हैं जिनके होने को उपयोगी मानकर लोग उन पर निष्ठा रखते हैं। जैसे आस्तिक ईश्वर की समता पर विश्वास रखते हैं । लोकप्रिय विश्वास वे हैं जो जनता में प्रिय हैं जैसे जातिवाद, सम्प्रदायवाद, प्रांतवाद, भाषावाद, जादू व प्रेत विद्या, मदिरापान तथा मादक द्रव्य सेवन इत्यादि । लोकप्रिय विश्वास व्यक्ति के व्यवहार को प्रभावित करते हैं। कभी–कभी कविता, दोहे–चौपाई आदि जो जनप्रचलित हों व्यक्तियों का लोकप्रिय विश्वास बन जाती हैं । रहीम के नीति के दोहे, कबीर की साखी, तुलसीदास की चौपाइयाँ अथवा जनश्रुतियाँ, लोकोक्तियाँ या कहावतें जनता के लोकप्रिय विश्वास बन जाते हैं।

'ढोर गँवार शूद्र पशु नारी। ये सब ताड़न के अधिकारी' जैसे लोकोक्ति लोकप्रिय विश्वास के रूप में जनता में प्रचलित हो जाती हैं इसी प्रकार कुछ जातियों में यह धारणा कि 'औरत पैर की जूती है' 'लड़कियों का जन्म लेना परिवार पर अभिशाप है' 'औरतें घर संभालने व संतान को जन्म देकर इनका पालन–पोषण करने के लिए ही होती हैं ऐसे लोकप्रिय विश्वास हैं जो जेंडर असमता तथा नारी सम्मान के विपरीत है।

मीडिया का आदर्श सकारात्मक कार्य तो जनजागरुकता फैलाना होता है किन्तु आजकल टी.आर.पी. बढ़ाने, अखबारों की बिक्री बढ़ाने, अपने को अधिक लोकप्रिय बनाने, जनता को प्रभावित करने आदि कारकों से मीडिया जेंडर असमानता तथा नारी प्रताड़ना तथा नारी हिंसा की ऐसी नकारात्मक खबरें प्रसारित करते हैं ताकि लोग चाव लेकर पढ़ें व उस पर चर्चा करें। उदाहरणार्थ–कॉलेज छात्रा से बलात्कार या सामूहिक बलात्कार, दहेज के कारण हत्या, कन्या छात्रावास दराचार का अड़ा, ऑनर किलिंग पर खाप पंचायत के निर्देश, महिला को नगर कर घुमाना, कन्या भ्रूण हत्या, विधवा का सती हो जाना तथा उस स्थान पर मेला भरना, कार्यालय में अफसर द्वारा महिला से छेड़छाड़, इत्यादि–इत्यादि निस्संदेह इन खबरों को पढ़ने के लिए लोग अखबार व सत्यकथा आदि पत्रिकाएं खरीदते हैं जिससे अखबार वालों की बिक्री बढ़ती है। लोग उन टेलीविजन के चैनलों को अधिक पसंद करते हैं जो ऐसी स्थानीय खबरों को दिखाता है। परन्तु इनका समाज पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है । युवा वर्ग पथभ्रष्ट होता है, नारियों के अपमान व हिंसा की घटनाएं बढ़ती हैं। पीड़िता अपमान सहन नहीं कर पाती तथा आत्महत्या तक कर लेती है। मीडिया द्वारा जनता के इन लोकप्रिय विश्वासों पर टी.वी. सीरियल, फिल्में आदि भी बनने लगी हैं।

जेंडर भूमिका के सकारात्मक प्रसारणों के द्वारा निसंदेह मीडिया रचनात्मक तथा समाजोपयोगी संस्कृति के निर्माण में सर्वाधिक सहयोगी हो सकता है। मीडिया चाहे तो इतिहास की वीरांगनाओं, विदुषियों, कर्मठ महारानियों, राष्ट्र नेत्रियों, बहादुर महिलाओं आदि के जीवन की उदात्त बातों का प्रसारण कर जेंडर असमता को दूर कर सकता है। वर्तमान काल की महिला राष्टनेत्रियों, वीर सैनिक महिलाओं, अपराधियों का डटकर सामना करने वाली बालिकाआ आपदाओं से लोगों की रक्षा करने वाली छात्राओं, ओलंपिक क्रीड़ा प्रतियोगिताओं में मेडल लान वाली बालाओं अपने व्यवसाय के द्वारा जनता का भला करने वाली महिला चिकित्सकों, टेक्नीशियनों, नर्सों, शिक्षिकाओं, इंजीनियरों आदि की कथाएं यदि पत्र–पत्रिकाओं तथा टी. वी. खबरों में मीडिया प्रसारित करता है तो वह अन्य लोगों विशेषकर युवा पीढी में प्रेरणा देने का कार्य करता है। परन्तु अधिकतर मीडिया इसे दूसरे दर्जे पर प्रसारित करते हैं । वे तो लोकप्रिय संस्कृति के महिलाओं को अर्द्धनग्न बनाने वाले सीरियल, फिल्मों तथा अश्लील फिल्मी गानों के प्रसारण में अधिक रुचि लेते हैं। मीडिया की यह नकारात्मक भूमिका जेंडर असमता, नारी या नारी के प्रति हिंसा, नारी को उपभोग तथा प्रदर्शन की वस्तु बनाने की नकारात्मक भूमिका से जुडी है। अश्लील कैबरे नृत्य, जलाशय या स्वीमिंग पूल पर बिकनी पहने नहाती लड़कियों, समुद्र किनारे, धूप सेंकती अर्द्ध नग्न लड़कियों के चित्र, अर्द्ध नग्न टाँगों, स्तनों, नितम्बों के उभारो को प्रदर्शित करने वाली फैशन शो और फैशन परेड इन सबके द्वारा संचार माध्यमों ने जेंडर असमता के मुद्दों को सशक्त किया है। सारांश यह है कि जहाँ जेंडर भूमिका को सशक्त करने का कार्य मीडिया को करना चाहिए वहाँ वह इस पर कम तथा जेंडर असमता को बढ़ावा देने वाली अपसंस्कृति का प्रसारण कर रहा है।

जेंडर भूमिका पर मीडिया के सकारात्मक तथा नकारात्मक प्रयासों के स्कूलों पर पड़ने वाले प्रभाव -

मीडिया स्कूलों तक भी सूचना, शिक्षा और मनोरंजन पहुँचाता है। संचार का सरल, सक्षम व सुलभ साधन होने के कारण इसने विद्यालयीन छात्र–छात्राओं तक अपनी पैठ बढ़ा ली है। निश्चय ही शिक्षा की दृष्टि से टेलीविजन नेटवर्क, इंटरनेट, आकाशवाणी (रेडियो प्रसारण), डॉक्यूमेंट्री फिल्में, पत्र–पत्रिकाएं का अत्यधिक महत्त्व है। शाला में पढ़ाए जाने वाले विभिन्न कक्षाओं के विभिन्न विषयों पर प्रसारित वर्चुअल क्लास छात्र–छात्राओं को विषयगत शिक्षा देने का मनोरंजक व प्रभावी उपकरण है। पाठ्यक्रम से जुडी पाठ्यसहगामी क्रियाओं में छात्र–छात्राओं को प्रेरित करने में टेलीविजन के प्रश्नमंच (क्विज कार्यक्रम) एकांकी कविता पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित पाठ्यक्रमेत्तर गतिविधियों से संबंधित लेख, शोध पत्र आदि छात्र–छात्रों को शिक्षित करते हैं । कक्षा शिक्षण के रूटीन से हटकर यदि प्रसार माध्यमों का सहारा लिया जाता है तो वह ज्ञान छात्रों के मस्तिष्क में स्थाई सा हो जाता है। अन्तर्राष्ट्रीय समझ, राष्ट्रीय एकीकरण, स्वास्थ्य संबंधी ज्ञान व कौशल, प्रदूषण तथा पर्यावरण, सामाजिक बुराइयों के प्रति जागरुकता, प्राकृतिक संसाधनों के सदुपयोग, वन्य प्राणियों तथा जीव जंतुओं का ज्ञान, विश्व की भौगोलिक स्थिति, वैज्ञानिक आविष्कारों का ज्ञान,सामाजिक व राष्ट्रीय उत्तरदायित्व को वहन करने की प्रवृत्ति, विश्लेषण शक्ति का निर्माण इत्यादि असीम शैक्षिक पक्षों को आज ग्रामीण क्षेत्रों तक के स्कूली छात्रों तक सेटेलाइट, इंटरनेट, टेलीविजन, रेडियो का उपयोग कर पहुँचाया जा सकता है । शैक्षिक फिल्में भी ऐतिहासिक जानकारी, वैज्ञानिक जानकारी, जीवन चरित्र की जानकारी, औद्योगिक व्यावसायिक जानकारी छात्रों को उपलब्ध कराने का लोकप्रिय माध्यम है। इस प्रकार मीडिया शिक्षा व ज्ञान के क्षेत्र में स्कूलों पर सकारात्मक प्रभाव डालता है।

स्कूली शिक्षकों को भी विषयगत नवीन ज्ञान मीडिया के उपकरण इंटरनेट, दस्तावेजी (डॉक्यूमेंट्री फिल्मों) तथा टेलीविजन से मिल सकता है जिसे नवीन व अधुनातन वैश्विक ज्ञान का उपयोग वे अपने छात्रों को शिक्षित करने में कर सकते हैं।

मीडिया स्कूलों में जनजागृति, जागरुकता तथा विभिन्न सामाजिक मुद्दों पर ज्ञान दे सकता है।

जेंडर मुद्दा जिसमें जेंडर भेदभाव, जेंडर असमानत, बालिकाओं तथा महिलाओं के विरुद्ध हिंसा व प्रताड़ना, नारीवाद, महिलाओं के विकास में बाधक तत्त्व तथा महिला विकास के अधिनियमों, कानूनों, कार्यक्रमों, महिला सशक्तिकरण आंदोलन, महिलाओं का उत्थान, महिलाओं के विरुद्ध हिंसा रोकने के उपाय, महिलाओं पर तेजाब से हमला व उससे बचाव व उपचार के उपाय, कार्यस्थलों पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न, भारतीय दंड संहिता के महिलाओं से संबंधित प्रावधान, लैंगिक संवेदनशीलता, वेश्यावृत्ति की समस्या, दहेज समस्या, बाल विवाह प्रथा, तलाक, बुरका प्रथा, अशिक्षा, निरक्षरता, वृद्ध महिलाओं तथा विधवाओं पर अत्याचार, संपत्ति से बेदखल करना, उत्तराधिकार में बालिकाओं के हकों की हत्या, महिलाओं की बढ़ती मृत्यु दर, रोजगार व नौकरियों में महिलाओं को अवसर प्राप्त न होना, राजनीतिक जीवन में महिलाओं का कम प्रवेश, बालिकाओं से छेड़छाड़ की बढ़ती घटनाएं, महिलाओं के लिए यौन शिक्षा की उपयोगिता, विधवा को सती होने के लिए बाध्य करना, लड़कियों का व्यापार तथा बिक्री खाप पंचायतों के महिला विरोधी निर्णय, आनर किलिंग के प्रकरण इत्यादि सैकड़ों मुद्दे हैं जिन पर मीडिया सकारात्मक रुख अपनाकर स्कूली छात्र–छात्राओं शिक्षक–शिक्षिकाओं को ज्ञान तथा व्यवहार में परिवर्तन लाने की जागृति व प्रेरणा दे सकता है।

यदि उक्त जेंडर भूमिकाओं पर मीडिया का रुख नकारात्मक हो तथा लोगों का मनोरंजन तथा विध्वंसात्मक ज्ञान दिया जाए तो स्कूल छात्र–छात्राएं शिक्षक–शिक्षिकाएं जो मीडिया से अत्यधिक प्रभावित हैं तथा उसकी चमक–दमक शिक्षित होने के स्थान पर लोकप्रिय संस्कृति द्वारा प्रसारित होने वाली अपसंस्कृति के शिकार हो सकते हैं। अत: मीडिया को जेंडर भूमिका को विकसित करने हेतु तथा उसे सकारात्मक मार्ग दिखाने हेतु स्कूली छात्र–छात्राओं को निम्नलिखित उपाय करने होंगे-

(1) नारी सम्मान की भावना का विकास– भारतीय संस्कृति में वैदिक काल में ही कहा गया है कि जहाँ जहाँ नारी की पूजा होती है वहाँ देवताओं का वास होता है । वैदिक काल में नर–नारी को बराबर के अधिकार थे। आज समाज में नारी के प्रति असममता तथा नारी का निरादर करने की कोशिश घर और बाहर दोनों स्थानों पर दिखाई देती है। समाचार पत्रों पत्रिकाओं टी.वी. सीरियलों, फिल्मों, इंटरनेट आदि में ऐसे प्रसारण होने चाहिए जो नारी सशक्तिकरण में सहयोग दें। स्कूली छात्र जो कल के नागरिक हैं जब मीडिया के ऐसे प्रयासों से जागृति प्राप्त करेंगे तो उनमें ये जागरण तथा सद्विचार आएंगे।

(2) नारी के प्रति संवेदनशील प्रसारण– मीडिया को विभिन्न क्षेत्रों में नाम व कीर्ति अर्जित करने वाली महिलाओं में प्रचार का प्रयत्न करना चाहिए तथा उनके कीर्तिमानों को जनता के सम्मुख लाना चाहिए। समाज सेवा, राजनीति, उद्योग, खेल, व्यवसाय, नौकरी आदि में नाम कमाने वाली महिलाओं तथा स्कूलों–कॉलेजों में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाने वाली छात्राओं के इंटरव्यू आदि के प्रसारण द्वारा मीडिया समाज तथा स्कूली छात्र–छात्राओं में नई राह दिखा सकता है।

(3) नारी पर अत्याचार की खबरों पर प्रतिबंध– प्रायः मीडिया स्त्री के साथ तथा बालिकाओं के साथ होने वाली छेड़छाड़, बलात्कार, सामूहिक बलात्कार, दहेज हत्या, आत्महत्या की खबरों को मिर्च मसाले के साथ प्रसारित करता है। ऐसा प्रसारण जनमत के सकारात्मक निर्माण में बाधक है तथा स्कूली छात्र–छात्राओं के लिए भी अहितकर है। अतः मिर्च–कसाला मिलकर तैयार की गई ऐसी खबरों घटनाओं पर प्रतिबंध लगना चाहिए।

(4) नग्नता पर रोक– फिल्मों, कैबरे नृत्य, सार्वजनिक नृत्य, फैशन शो आदि में मीडिया के कैमरे युवतियों के शरीर को निकट से दर्शाकर समाज में कामुकता का प्रसाद लेने में मदद करते हैं। ऐसे प्रसारण से छात्र–छात्रा कुप्रभावित होते हैं तथा विद्याध्ययन से उनका जी उचट जाता है। अत: नारी सम्मान की भावना तब तक जागृत नहीं हो सकती जब तक ऐसे नग्नता भरे प्रसारणों पर रोक न लगाई जाए।

(5) भद्दे व अश्लील द्विअर्थी गानों, फिल्मों आदि पर रोक– आजकल छात्र–छात्राओं में अश्लील फिल्मी गानों तथा एडल्ट अश्लील फिल्मों के प्रति रुझान बढ़ता दिखाई देता है। यदि इन पर सरकार व मीडिया द्वारा प्रतिबंध लगाया जाए तथा अच्छे गाने, शिक्षाप्रद फिल्मों को ही प्रदर्शित किया जाए तो छात्र छात्राओं में चरित्र निर्माण होगा तथा भटकाव से वे सुरक्षित रहेंगे।

(6) नारी सशक्तिकरण के उपायों, कार्यक्रमों का प्रसारण– मीडिया यदि शासन तथा गैर सरकारी संगठनों द्वारा किये जा रहे नारी सशक्तिकरण के कार्यक्रम, आयोजन, उपाय आदि अपने टेलीविजन सीरियल, फिल्मों आदि के द्वारा बताता है तथा देश व विदेशों में इस दिशा में होने वाले प्रयासों की जानकारी देता है तो इससे निश्चय ही जेंडर समता के उपायों को गति मिलेगी तथा स्कूली छात्र–छात्राओं पर भी अनुकूल प्रभाव पड़ेगा।

(7) नारी संरक्षक अधिनियमों तथा नारी कल्याणकारी कार्यक्रमों की जानकारी – मीडिया को शासन द्वारा बनाए गए बाल विवाह निषेध अधिनियम, दहेज प्रतिषेध अधिनियम, मुस्लिम महिला (तलाक पर अधिकारों की सुरक्षा अधिनियम, हिन्दू विवाह अधिनियम, भारतीय दंड संहिता के महिलाओं से संबंधित प्रावधानों की जानकारी समाचार पत्र, पत्रिकाओं, टेलीविजन आदि के माध्यम से दी जाती है तो इससे सामाजिक दृष्टिकोण बदलने में तथा स्कूली छात्र–छात्राओं के जेंडर संबंधी ज्ञान में वृद्धि होगी। इसी प्रकार शासन द्वारा चलाए जा रहे बालिका शिक्षा अभियान, किशोरी बालिका योजना, स्वास्थ्य सखी योजना, सैनेट्री मार्ट योजना, पंचधारा योजना, कामधेनु योजना, बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ योजना की जानकारी का प्रसारण किया जाता है तो यह समाज व शालेय छात्र–छात्राओं के लिए उपयोगी होगी।

सारांशतः यदि मीडिया जनता में व्याप्त लोकप्रिय संस्कृति में जेंडर भूमिका को सकारात्मक रूप से सशक्त करने में अपनी भूमिका अदा करेगा तो समाज पर सशक्त प्रभाव पड़ेगा तथा स्कूली छात्र–छात्राएं भी इससे अनुकूल रूप से प्रभावित होंगी।

जन संचार का सबसे लोकप्रिय और नया माध्यम क्या है?

इंटरनेट : इंटरनेट जनसंचार का सबसे नया लेकिन तेज़ी से लोकप्रिय हो रहा माध्यम है। एक ऐसा माध्यम जिसमें प्रिंट मीडिया, रेडियो, टेलीविज़न, किताब, सिनेमा यहाँ तक कि पुस्तकालय के सारे गुण मौजूद हैं।

जन संचार का आधुनिक व लोकप्रिय माध्यम कौन सा है?

आधुनिक माध्यम में समाचार पत्र आजभी जनसंचार में प्रभावी माध्यम है। काल क्रमानुसार इलेक्ट्रोनिक माध्यम में रेडियो ने मनोरंजन के साथ ज्ञानवर्घक जानकारी पहुचाने का कार्य किया है। दूरदर्शन ने तो घर - घर मे ंजनसंचार के क्षेत्र में अपना स्थान निश्चित किया है।

वर्तमान में संचार माध्यम के साधन क्या क्या है?

1 Answer. वर्तमान समय में संचार माध्यम के विभिन्न साधन हैं, जैसे- रेडियो, टेलीविजन, मोबाइल फोन, इन्टरनेट, समाचारपत्र आदि हैं।

नए संचार माध्यम कौन कौन से है?

पत्र-पत्रिकाएँ.
सिनेमा.
आकाशवाणी और रेडियो.
टेलीविजन.
इन्टरनेट.
सोशल मिडिया.
विज्ञापन.
विविध माध्यम.

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