राजस्व विभाग ने वर्ग चार और वर्ग तीन की भूमि पर मालिकाना हक देने का विधिवत आदेश जारी कर दिया है। राज्य के 40 हजार से अधिक लोगों को 2004 के सर्किल रेट पर भूमिधरी अधिकार मिलेगा। आदेश में जमीनों को चार अलग अलग कैटेगरी में बांटा गया है। उसी आधार पर सर्किल रेट की दर तय की गई है।
सचिव राजस्व सुशील कुमार शर्मा की ओर से आदेश जारी किया गया है। आदेश में साफ किया गया है कि राज्य में ऐसे कब्जाधारक जो 30 जून 1983 से पहले तक वर्ग चार और वर्ग तीन की भूमि पर काबिज रहे, उन्हें ही ये अधिकार मिलेगा। वर्ग-4 की भूमि के अवैध कब्जाधारकों और वर्ग 3 की भूमि के विधिवत पट्टा धारकों, कब्जाधारकों को भूमिधरी का अधिकार मिलेगा।
एक वर्ष के भीतर लोगों को भूमिधरी अधिकार को लेकर आवेदन करना होगा। 3.125 एकड़ से अधिक भूमि के विनियमितीकरण का प्रस्ताव शासन को भेजना होगा। एक वर्ष के भीतर मालिकाना हक न लेने वालों की जमीनें सरकार में निहित हो जाएंगी।
इन जमीनों पर नहीं मिलेगा भूमिधरी अधिकार
आदेश में साफ किया गया है कि धारा 132 के तहत ऐसे
कब्जेदारों, जिन्होंने नदी श्रेणी की भूमि, जलमग्न भूमि, चकमार्ग, खलिहान, चारागाह, सरकारी गूल, क्रबिस्तान, शमशान भूमि पर कब्जा किया है। इन जमीनों काबिज लोगों को भूमिधरी अधिकार नहीं दिया जाएगा।
यदि वर्ग चार की भूमि पर काबिज कब्जेदारों ने ऐसी जमीन पर कब्जा किया है, तो पहले ऐसी जमीनों से कब्जा हटाया जाएगा। इसी के बाद वर्ग चार की जमीन पर हक मिलेगा। तहसीलदार को बाकायदा प्रमाण पत्र देना होगा कि जिस व्यक्ति को हक दिया जा रहा है, उसके पास ऐसी जमीनों का अवैध कब्जा नहीं है।
लालकुआं
नपं के कब्जाधारकों को भी लाभ
राजस्व विभाग ने लालकुआं नगर पंचायत के अवैध कब्जेधारकों समेत पट्टाधारकों को भी भूमिधरी का लाभ देने का आदेश किया। यहां की 52.7183 हेक्टेयर भूमि पर अनधिकृत रूप से कब्जे हुए हैं। 2008 तक के ऐसे लोग, जो इन जमीनों पर अनधिकृत रूप से काबिज रहे, उन्हें भी ये लाभ मिलेगा। यहां भी 2004 के सर्किल रेट और वर्ग चार और वर्ग तीन के तहत तय नियमानुसार ही लाभ मिलेगा।
बार बार बढ़ा समय
दोनों श्रेणियों में भूमिधरी का अधिकार देने के
सम्बन्ध में 18 जुलाई 2016 और 22 जुलाई 2016 को भी पूर्व में शासनादेश हुए। हालांकि बाद के वर्षों में हर साल एक एक वर्ष के लिए समय बढ़ाया गया। अधिकार देने की अंतिम समय सीमा 25 फरवरी 2020 को समाप्त हो गई है। अब कैबिनेट में हुए फैसले के बाद आदेश जारी हुए।
ये है भूमिधरी फार्मूला
-100 वर्ग मीटर भूमि तक वर्ष 2004 के कुल सर्किल रेट का पांच प्रतिशत बतौर शुल्क देना होगा।
-101 से 200 वर्ग मीटर तक वर्ष 2004 के कुल सर्किल रेट का शत प्रतिशत शुल्क देना होगा।
-201 से 400 वर्ग मीटर तक वर्ष 2004 के कुल सर्किल रेट 110 प्रतिशत शुल्क देना होगा।
-400 वर्ग मीटर से अधिक भूमि पर 2004 के सर्किल रेट का 125 प्रतिशत शुल्क के रूप में देना होगा।
वर्ग चार की जमीन
कृषि योग्य ऐसी जमीनें जिनमें पट्टेदारों के साथ ही अवैध कब्जेदार भी काबिज हैं।
वर्ग तीन की जमीन
धारा 132 के अंतर्गत आने वाली चकमार्ग, गूल, खलिहान, कब्रिस्तान, चारागाह से मुक्त ऐसी जमीनें जो सिर्फ वैध पट्टाधारकों के
कब्जे में है।
वर्ग चार और वर्ग तीन की जमीनों पर काबिज लोगों को भूमिधरी अधिकार देने का आदेश जारी कर दिया है। 2004 के सर्किल रेट पर लोगों को ये अधिकार मिलेगा। इस आदेश से राज्य की एक बड़ी आबादी को बड़ा लाभ मिलेगा। भूमिधरी अधिकार के बाद वे जमीनों की खरीद फरोख्त के साथ ही उस पर लोन ले सकेंगे।
सुशील शर्मा, सचिव राजस्व
इस पोस्ट में उत्तरप्रदेश में राजस्व रिकॉर्ड में भूमि की श्रेणियों के बारे में बताने जा रहे हैं।इसमें भूमि श्रेणियों से संबंधित सभी प्रकार के प्रश्नों के उत्तर मिल जाएंगे।श्रेणी 1 की भूमि क्या है।श्रेणी 1 क की भूमि क्या है। श्रेणी 1ख की भूमि क्या है। श्रेणी 2 की भूमि क्या है।श्रेणी 3 की भूमि क्या है।श्रेणी 4 की भूमि क्या होती है।श्रेणी 4क की भूमि क्या होती है। श्रेणी 5 की भूमि क्या होती है।श्रेणी 5(1) की भूमि क्या होती है।श्रेणी 5(2) की भूमि क्या होती है।श्रेणी 5(3) की भूमि क्या होती है।श्रेणी 6(1) की भूमि क्या होती है।श्रेणी 6(2) की भूमि क्या होती है।श्रेणी 6(3) की भूमि क्या होती है।श्रेणी 6(4) की भूमि क्या होती है। Shreni 1 ki bhumi kya hoti hai।Shreni 1ka ki bhumi kya hoti hai ।Shreni 1kha ki bhumi kya hoti hai। Shreni 2 ki bhumi kya hoti hai।Shreni 3 ki bhumi kya hoti hai।Shreni 4 ki bhumi kya hoti hai।Shreni 5 ki bhumi kya hoti hai।Shreni 6 ki bhumi kya hoti hai।Shreni 6(2) ki bhumi kya hoti haiShreni 6(3) ki bhumi kya hoti haiShreni 6(4) ki bhumi kya hoti hai।
श्रेणी 1 की भूमि क्या है। Shreni 1 ki bhumi kya hoti hai
श्रेणी 1 - ऐसी भूमि, जिसमें सरकार अथवा गाँवसभा या अन्य स्थानीय अधिकारिकी जिसे 1950 ई. के उ. प्र. ज. वि.एवं भू. व्य. अधि.की धारा 117 - क के अधीन भूमि का प्रबन्ध सौंपा गया हो या खेती करता
हो। (राज्य सरकार की भूमि)
श्रेणी 1 क की भूमि क्या है।श्रेणी 1 ख की भूमि क्या है। Shreni 1ka ki bhumi kya hoti hai ।Shreni 1kha ki bhumi kya hoti hai
श्रेणी 1क - भूमि जो संक्रमणीय भूमिधरों के अधिकार में हो
श्रेणी 1ख - ऐसी भूमि जो गवर्नमेंट ग्रांट एक्ट के अंतर्गत व्यक्तियों के पास हो।
श्रेणी 2 की भूमि क्या है।Shreni 2 ki bhumi kya hoti hai।
श्रेणी 2 - भूमि जो असंक्रमणीय भूमिधरों के अधिकार में हो।
श्रेणी 3 की भूमि क्या है।Shreni 3 ki bhumi kya hoti hai
श्रेणी 3 - भूमि जो असामीयों के अध्यासन या अधिकार में हो।
श्रेणी 4 की भूमि क्या है।Shreni 4 ki bhumi kya hoti hai
श्रेणी 4 - भूमि जो उस दशा में बिना आगम के अध्यासीनों के अधिकार में हो जब खसरे के स्तम्भ 4 में पहले से ही किसी व्यक्तिका नाम अभिलिखित न हो( सीलिंग भूमि)।
श्रेणी 4 क - उ.प्र. अधिकतम जोत सीमा आरोपण.अधि.अन्तर्गत अर्जित की गई अतिरिक्त भूमि जो उ.प्र.जोत सी.आ.अ.के उपबन्धो के अधीन किसी
अन्तरिम अवधि के लिये किसी पट्टेदार द्वारा रखी गयी हो ।
श्रेणी 5 की भूमि क्या है।श्रेणी 5 (1), श्रेणी 5 (2),श्रेणी 5 (3क),श्रेणी 5 (3ग) ,श्रेणी 5 (3ङ) की भूमि क्या होती हैं। Shreni 5 ki bhumi kya hoti hai
श्रेणी 5 (1) -कृषि योग्य भूमि -नई परती (परतीजदीद)
श्रेणी 5 (2)- कृषि योग्य भूमि -पुरानी परती (परतीकदीम)
श्रेणी 5 (3 क)- कृषि योग्य बंजर - इमारती लकड़ी के वन । जैसे- वनविभाग, बीहड़
श्रेणी 5 (3 ग)- कृषि योग्य बंजर- स्थाई पशुचर भूमि तथा अन्य चराई की भूमियाँ
जैसे- चरागाह
श्रेणी 5 (3 ङ)- अन्य कृषि योग्य बंजर भूमि। जैसे - बंजर
श्रेणी 6(1) की भूमि क्या है।श्रेणी 6(2) की भूमि क्या है।श्रेणी 6(3) की भूमि क्या है।श्रेणी 6(4) की भूमि क्या है ।Shreni 6 ki bhumi kya hoti hai।Shreni 6(2) ki bhumi kya hoti haiShreni 6(3) ki bhumi kya hoti haiShreni 6(4) ki bhumi kya hoti hai
श्रेणी 6 (1)-अकृषित भूमि -जलमग्न भूमि।
जैसे- तालाब, नदी,नाली, बम्बा आदि।
श्रेणी 6 (2)- अकृषित भूमि - स्थल, सड़कें, रेलवे,भवन और ऐसी दूसरी भूमियां जो अकृषित उपयोगों के काम में लायी जाती हो।
जैसे- आबादी, चकरोड,खलिहान, खेल मैदान, रास्ता, खाद गड्डा, पंचायत घर, स्कूल
आदि
श्रेणी 6 (3)- कब्रिस्तान और मरघट (श्मशान), हड़वार।
श्रेणी 6 (4)- जो अन्य कारणों से अकृषित हो। जैसे - ऊसर
जमींदार विनाश के बाद की भूमि की श्रेणियाँ कौन कौन सी हैं।भूमि की श्रेणियों की सूची।
राजस्व विभाग ने भू अभिलेख एवं भू नक्शा में भूमि के सभी प्रकारों को दर्शाया गया है।भूमि कितने प्रकार की होती हैं तथा इनका क्या कोड होता है, ये आप नीचे टेबल में चेक कर सकते है।
उत्तर प्रदेश - भूमि प्रकार सूची | |||
क्रम स. | भूमि प्रकार | भूमि प्रकार का विवरण | भूमि प्रकार का कोड(गाटा यूनिक कोड का 15-16 अंक) |
1 | 1 | ऐसी भूमि, जिसमें सरकार अथवा गाँवसभा या अन्य स्थानीय अधिकारिकी जिसे 1950 ई. के उ. प्र. ज. वि.एवं भू. व्य. अधि.की धारा 117 - क के अधीन भूमि का प्रबन्ध सौंपा गया हो , खेती करता हो । | 11 |
2 | 1-क | भूमि जो संक्रमणीय भूमिधरों के अधिकार में हो। | 12 |
3 | 1क(क) | रिक्त | 13 |
4 | 1-ख | ऐसी भूमि जो गवर्नमेंट ग्रांट एक्ट केअन्तर्गत व्यक्तियों के पास हो । | 14 |
5 | 2 | भूमि जो असंक्रमणीय भूमिधरो के अधिकार में हो। | 21 |
6 | 3 | भूमि जो असामियों के अध्यासन या अधिकारमें हो। | 31 |
7 | 4 | भूमि जो उस दशा में बिना आगम के अध्यासीनों के अधिकार में हो जब खसरे के स्तम्भ 4 में पहले से ही किसी व्यक्तिका नाम अभिलिखित न हो। | 41 |
8 | 4-क | उ.प्र. अधिकतम जोत सीमा आरोपण.अधि.अन्तर्गत अर्जित की गई अतिरिक्त भूमि -(क)जो उ.प्र.जोत सी.आ.अ.के उपबन्धो के अधीन किसी अन्तरिम अवधि के लिये किसी पट्टेदार द्वारा रखी गयी हो । | 42 |
9 | 4-क(ख) | अन्य भूमि । | 43 |
10 | 5-1 | कृषि योग्य भूमि - नई परती (परतीजदीद) | 51 |
11 | 5-2 | कृषि योग्य भूमि - पुरानी परती (परतीकदीम) | 52 |
12 | 5-3-क | कृषि योग्य बंजर - इमारती लकड़ी के वन। | 53 |
13 | 5-3-ख | कृषि योग्य बंजर - ऐसे वन जिसमें अन्यप्रकर के वृक्ष,झाडि़यों के झुन्ड,झाडि़याँ इत्यादि हों। | 54 |
14 | 5-3-ग | कृषि योग्य बंजर - स्थाई पशुचर भूमि तथा अन्य चराई की भूमियाँ । | 55 |
15 | 5-3-घ | कृषि योग्य बंजर - छप्पर छाने की घास तथा बाँस की कोठियाँ । | 56 |
16 | 5-3-ङ | अन्य कृषि योग्य बंजर भूमि। | 57 |
17 | 5-क (क) | वन भूमि जिस पर अनु.जन. व अन्य परम्परागत वन निवासी (वनाधिकारों की मान्यता) अधि. - 2006 के अन्तर्गत वनाधिकार दिये गये हों - कृषि हेतु | 58 |
18 | 5-क (ख) | वन भूमि जिस पर अनु.जन. व अन्य परम्परागत वन निवासी (वनाधिकारों की मान्यता) अधि. - 2006 के अन्तर्गत वनाधिकार दिये गये हों - आबादी हेतु | 59 |
19 | 5-क (ग) | वन भूमि जिस पर अनु.जन. व अन्य परम्परागत वन निवासी (वनाधिकारों की मान्यता) अधि. - 2006 के अन्तर्गत वनाधिकार दिये गये हों - सामुदायिक वनाधिकार हेतु | 60 |
20 | 6-1 | अकृषिक भूमि - जलमग्न भूमि । | 61 |
21 | 6-2 | अकृषिक भूमि - स्थल, सड़कें, रेलवे,भवन और ऐसी दूसरी भूमियां जो अकृषित उपयोगों के काम में लायी जाती हो।(आबादी आदि) | 62 |
22 | 6-3 | कब्रिस्तान और श्मशान (मरघट) -ऐसे कब्रस्तानों और श्मशानों को छोड़कर जो खातेदारों की भूमि या आबादी क्षेत्र में स्थित हो। | 63 |
23 | 6-4 | जो अन्य कारणों से अकृषित हो । | 64 |
24 | 7 | भूमि जो असामियों के अघ्यासन या अधिकारमें हो। | 71 |
25 | 9 | भूमि के ऐसे अध्यासीन जिन्होने खसरे के स्तम्भ- 4 में उल्लिखित व्यक्ति की सहमति के बिना भूमि पर अधिकार कर लिया हो। | 91 |