वनस्पति और प्राणी जगत हमारे अस्तित्व के लिए क्यों आवश्यक है? - vanaspati aur praanee jagat hamaare astitv ke lie kyon aavashyak hai?

Solution : वनस्पति जगत एवं प्राणी जगत हमारे अस्तित्व के लिए अत्यन्त आवश्यक है । मानव जीवन के लिए इनकी अनेक उपयोगिताएँ वनस्पति जगत ही वातावरण की गुणवत्ता निर्धारित करते हैं जैसे-कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा को संतुलित करना, वर्षा को आकर्षित करना., मिट्टी अपरदन रोकना, पत्तियों की खाद द्वारा मिट्टी का उर्वरता को बढ़ाना आदि । इसके साथ-साथ ये हमें अनेक प्रकार के वन उत्पाद भी उपलब्ध कराते है, जैसे-कीमती इमारती लकड़िया, जलावन, पशुओं के लिए चारा, कल कारखानों के लिए लाह, जड़ी-बूटियाँ, कत्था, शहद तथा विभिन्न प्रकार के वन्य प्राणियों के लिए निवास स्थान और चिड़ियों को निवास स्थान प्रदान करते हैं। इसी तरह प्राणी जगत भी हमारे अस्तित्व के लिए अत्यन्त आवश्यक है। क्योंकि प्रत्येक प्रजाति पारिस्थितिक तंत्र के सफल संचालन में योगदान देती हैं। सभ्यता के विकास में विभिन्न प्राणियों का सहयोग है। मनुष्य अपने आहार एवं कृषि कार्य के लिए विभिन्न प्राणियों पर आश्रित हैं। जैसे-दूध, मांस, ऊन, चमड़ा आदि के लिए पशुओं पर आश्रित हैं।

वनस्पति जगत एवं प्राणी जगत हमारे अस्तित्व के लिए क्यों आवश्यक है?...


ज्ञान गंगाअस्तित्व

Dayakant Saxena

Retd Principle

2:17

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विकी बृहस्पति जगह तो प्राणी जगत बिल करके इकोसिस्टम को चलाने का काम करते हैं इकोसिस्टम में दो चीज होती है यह तो बहुत है और एक जैविक भौतिक चीजों में सूर्य का प्रकाश ऑक्सीजन नाइट्रोजन युवा है भाई पानी बरसा गजल भूमि जलमग्न यह सारी चीजें वरिष्ठ सदस्य या भौतिक कारकों में आती है और यह भी कार्य को के अंदर जीवाणु वनस्पति और जीव जंतु आती है यह मिलकर के पारिस्थितिकी तंत्र या ईको सिस्टम का निर्माण करते हैं जिससे जगत का पालन होता है इसको करने के लिए मैं आपको समझाता हूं कि जो पौधे हैं वह बेकार के लिए के ऐसे पौधे सूर्य का प्रकाश में बाय बढ़ने के कारण लक्षण गैस लेकर मूवी से जबलपुर लेकर भोजन का निर्माण करते हैं उसको प्रकाश संश्लेषण या फोटोसिंथेसिस कहते हैं भजन साहित्य कंजूमर प्राइमरी को कहते हैं जो प्राथमिक उपभोक्ता को खाते हैं जिसे पश्चिगाला खाते हैं बच्चों के कपड़ों को खाते हैं तो यह प्राथमिक उपभोक्ता हो गई उसके बाद लापता हो गई तथा विद्युत उपभोक्ता भी नष्ट होती है क्योंकि गुप्ता भी नष्ट होती है और इनकी नष्ट होने पर इन केंद्रित होने पर इनके अंदर शरीर ऊपर करके इनको दुकान भौतिक और कौन सी जैविक कारकों का निर्माण होता है और वनस्पति जगत तथा प्राणी जगत निर्भर करता है अगर वनस्पति जगत नहीं होगा तो पानी जगत का अस्तित्व ही समाप्त हो जाएगा गांव बस्ती जगह के प्राणी जगत हमारे अस्तित्व के लिए हमारी इकोसिस्टम के लिए बहुत

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वनस्पति जगत एवं प्राणी जगत हमारे अस्तित्व के लिए क्या आवश्यक है?

भौतिक पर्यावरण तो विभिन्न जीव-जन्तुओं के अस्तित्व के लिए आवश्यक है ही, परंतु पृथ्वी पर जीवन - पोषण तंत्र के अनवरत चक्र के लिए जैविक पर्यावरण भी उतना ही आवश्यक है । इस प्रकार जीवन पोषण तंत्र मनुष्य के अस्तित्व का अविभाज्य अंग है। पारिस्थितिकी तंत्र के मनुष्य जीवन पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष क्या प्रभाव पड़ते है ।

वनस्पति जगत और प्राणी जगत में क्या अंतर है?

(i) वनस्पति जगत शब्द किसी प्रदेश या समय विशेष के पेड़ पौधों के पेड़-पौधों के लिए प्रयोग किया जाता है। (ii) इसमें जंगल, घास के मैदान आदि शामिल हैं। (i) प्राणी जगत शब्द जीव-जंतुओं की प्रजातियों के लिए प्रयोग किया जाता है। (ii) इनमें पक्षियों, मछली, जानवर, कीड़े आदि शामिल हैं।

भारत वनस्पति जगत तथा प्राणी जगत की धरोहर में क्यों धनी हैं?

उत्तर : भारत वनस्पति जगत तथा प्राणी जगत की धरोहर में धनी है क्योंकि भारत एक विशाल देश है इसलिए यहां विभिन्न प्रकार की जलवायु तथा मिट्टी पाई जाती है । परिणाम स्वरुप यहां विभिन्न प्रकार के वनस्पति मिलती है। किसी प्रदेश की प्राकृतिक वनस्पति का स्वरूप वहां की जलवायु दशाओं तथा मृदा पर निर्भर करता है।

वनस्पति जगत का क्या अर्थ है?

हमें यहाँ पर इस बात पर ध्यान देने की आवश्यकता है कि वनस्पति जगत के विषय में समयानुसार परिवर्तन आया है। फंजाई ( कवक) तथा मोनेरा तथा प्रोटिस्टा वर्ग के सदस्य, जिनमें कोशिका भित्ति होती है, अब प्लांटी वर्ग से निकाल दिए गए हैं। यद्यपि वे पहले दिए गए वर्गीकरण के अनुसार एक ही जगत में होते थे।

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