विषयसूची
- 1 वॉचडॉग पत्रकारिता क्या है?
- 2 रिपोर्टर बनने के लिए कौन सा कोर्स करें?
- 3 पत्रकार कितने तरह के होते हैं?
- 4 पत्रकार कितने प्रकार के होते?
- 5 एक कुशल संवाददाता में कौन कौन से गुण होने चाहिए?
- 6 फीचर को आत्मनिष्ठ लेखन क्यों कहा जाता है?
- 7 संवाददाता और विशेष संवाददाता में क्या अंतर है?
- 8 खोजी पत्रकारिता का जनक कौन है?
वॉचडॉग पत्रकारिता क्या है?
इसे सुनेंरोकेंवाच डॉग पत्रकारिता को खोजी पत्रकारिता भी कहते हैं। पत्रकार जब किसी नेता या प्रतिष्ठित व्यक्तित्व पर अपने पैनी नज़र से उसके भ्रष्टाचार का पर्दाफाश करता है और समाचार पत्रों या अन्य माध्यमों से उसे आम जनता तक पहुंचाता है तो ऐसी पत्रकारिता वाच डॉग पत्रकारिता कहलाती है।
जर्नलिस्ट कोर्स कितने साल का होता है?
इसे सुनेंरोकेंJournalist बनने के लिए कोर्स- जॉर्नलिस्ट या पत्रकार बनने के लिए आप डिप्लोमा इन मास कम्युनिकेशन, बैचलर इन मास कम्युनिकेशन, पीजी डिप्लोमा इन मास कम्युनिकेशन, मास्टर इन मास कम्युनिकेशन, डिप्लोमा इन जर्नलिज्म या जर्नलिज्म में डिग्री कोर्स भी कर सकते हैं।
रिपोर्टर बनने के लिए कौन सा कोर्स करें?
न्यूज़ रिपोर्टर बनने के लिए मुख्य कोर्स
- बैचलर डिग्री इन मास कम्यूनिकेशन
- पीजी डिप्लोमा इन ब्रॉडकास्ट जर्नलिज्म
- एमए इन जर्नलिज्म
- डिप्लोमा इन जर्नलिज्म
- जर्नलिज्म एंड पब्लिक रिलेशन
- पीजी डिप्लोमा इन मास मीडिया
समाचार पत्र का संपादन करने वाले को क्या कहते हैं?
इसे सुनेंरोकेंसंपादन का कार्य करने वाला व्यक्ति संपादक कहलाता है। एक संपादक रिपोर्टर को निर्देशित करता है तथा प्रकाशन से पूर्व उनकी रिपोर्ट में सुधार करता है।
पत्रकार कितने तरह के होते हैं?
4.1 खोजी पत्रकारिता
मास कम्युनिकेशन की फीस कितनी है?
इसे सुनेंरोकेंआप यंहा से भी Mass Communication Course कर सकते हैं। गवर्नमेंट कॉलेजों में फीस 10 से 20 हजार प्रतिबर्ष होती है। वंही Private Colleges में 50 हजार से 1लाख रुपए सालाना तक हो सकती हैं। इस सेक्टर में शुरुआती सैलरी 15 से 20 हजार के आस- पास होती है।
पत्रकार कितने प्रकार के होते?
मनोरंजक ढंग से लिखा गया प्रासंगिक लेख क्या कहलाता है?
इसे सुनेंरोकेंरूपक या फीचर (feature story) लोगों को रुचिकर लगने वाला ऐसा कथात्मक लेख है जो हाल के ही समाचारों से जुड़ा नहीं होता बल्कि विशेष लोग, स्थान, या घटना पर केन्द्रित होता है। विस्तार की दृष्टि से रूपक में बहुत गहराई होती है। जैैसे की आकृति, विशेषता, व्यक्तित्व, मनोरंजन आदि ।
एक कुशल संवाददाता में कौन कौन से गुण होने चाहिए?
इसे सुनेंरोकेंएक अच्छे पत्रकार में मनोवैज्ञानिक, वकील, कुशल लेखक, वक्ता और गुप्तचर के गुणों का समावेश होना चाहिए। तभी वह एक घटना में समाचार का बोध कर उसे जनता के समक्ष ला पाता है। इसके अतिरिक्त उसे दूरदर्शी भी होना चाहिए, तभी वह यह समझ पाएगा कि किस खबर का लोगों, समाज और देश पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
खोजी पत्रकारिता क्या है स्पष्ट करते हुए एक निबन्ध लिखिए?
इसे सुनेंरोकेंतथ्यों पर आधारित खबर को खोज कर निकालना खोजी पत्रकारिता है। खोजी पत्रकारिता वह है, जिसमें तथ्य जुटाने के लिए गहन पड़ताल की जाती है और जैसे जैसे जांच पड़ताल आगे बढ़ती है, उसी प्रकार रहस्य की परतें खुलती जाती है। खोजी पत्रकार संघ के सदस्यों को अपनी खोजी पत्रकारिता के लिए ही जाना जाता है।
फीचर को आत्मनिष्ठ लेखन क्यों कहा जाता है?
इसे सुनेंरोकेंइसमें मनोरंजक ढंग से तथ्यों को प्रस्तुत किया जाता है। इसके संवादों में गहराई होती है। यह सुव्यवस्थित, सृजनात्मक व आत्मनिष्ठ लेखन है, जिसका उद्देश्य पाठकों को सूचना देने, शिक्षित करने के साथ मुख्य रूप से उनका मनोरंजन करना होता है।
पत्रकारीय लेखन का सबसे जाना पहचाना रूप समाचार लेखन है समाचार को कैसे लिखा जाता है?
इसे सुनेंरोकेंपत्रकारीय लेखन का संबंध समसामयिक विषयों, विचारों व घटनाओं से है। पत्रकार को लिखते समय यह ध्यान रखना चाहिए वह सामान्य जनता के लिए लिख रहा है, इसलिए उसकी भाषा सरल व रोचक होनी चाहिए। वाक्य छोटे व सहज हों। कठिन भाषा का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए।
संवाददाता और विशेष संवाददाता में क्या अंतर है?
इसे सुनेंरोकेंयह लेख इस सटीक अंतर पर केंद्रित है। एक संवाददाता वह है जो किसी विशेष क्षेत्र या देश से किसी विशेष विषय पर समाचारों की रिपोर्ट करता है। एक रिपोर्टर एक व्यक्ति होता है जो एक समाचार पत्र या एक प्रसारण कंपनी के लिए समाचार रिपोर्ट करता है।
खोजी पत्रकारिता का आरंभ कहाँ से हुआ?
इसे सुनेंरोकेंलगता है कि विश्व में पत्रकारिता का आरंभ सन 131 ईस्वी पूर्व रोम में हुआ था। उस साल पहला दैनिक समाचार-पत्र निकलने लगा। उस का नाम था – “Acta Diurna” (दिन की घटनाएं)। वास्तव में यह पत्थर की या धातु की पट्टी होता था जिस पर समाचार अंकित होते थे।
खोजी पत्रकारिता का जनक कौन है?
इसे सुनेंरोकेंभारत में खोजी पत्रकारिता का जनक रूसी खुर्शीद करंजिया को माना जाता है। वे भारत के पहले खोजी पत्रकार थे।