दीपक को किसका प्रतीक माना जाता है? - deepak ko kisaka prateek maana jaata hai?

Vastu Shastra: हिंदू धर्म में वास्तु शास्त्र का बहुत महत्व है, वास्तु शास्त्र में हमें दिशाओं के बारे में कई जानकारी मिलती है, साथ ही ये भी पता चलता है कि घर से निगेटिविटी दूर करके पॉजिटिविटी कैसे लाएं। ऐसा ही वास्तु घर के पूजाघर के लिए भी होता है। पूजाघर में दीपक का खास स्थान होता है। दीपक को पॉजिटिविटी का प्रतीक माना जाता है, दीपक जलाने से घर की निगेटिव ऊर्जा खत्म होती है। लेकिन दीपक जलाने का भी खास तरीका है, अगर आप उन बातों का पालन नहीं करेंगे तो परेशानी खड़ी हो सकती है। 

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दीपक जलाते वक्त इस बात का ध्यान आपको रखना है कि दीपक हमेशा भगवान की मूर्ति या उनकी तस्वीर के सामने रखें, कभी भी कहीं पर भी दीपक न रख दें। इसके अलावा अगर आप तेल का दीपक जला रहे हैं तो हमेशा अपने राइट साइड और घी का दीपक जला रहे हैं तो हमेशा लेफ्ट साइड रखना चाहिए।

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दीपक की बाती का भी रखें ध्यान

दीपक जलाने से दीपक की बाती का ध्यान रखें, सही बाती के इस्तेमाल से ही दीपक जलाने का फायदा है। अगर आप तेल का दीपक जला रहे हैं तो बाती लाल धागे से बनी हो, वहीं अगर घी का दीपक जला रहे हैं तो रुई की बाती का इस्तेमाल करें।

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दीपक रखने की सही दिशा

  1. दीपक कभी पश्चिम दिशा में न जलाएं, इससे गरीबी आती है और तेजी से धन का नाश होता है। शाम के वक्त मुख्य दरवाजे पर दीपक जलाने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और आपका घर धन-धान्य से भर देती हैं।
  2. दक्षिण दिशा मां लक्ष्मी और यम दोनों का निवास होता है। इसलिए दक्षिण दिशा में दीपक जलाकर आप एक साथ मां लक्ष्मी और यमराज दोनों को खुश कर सकते हैं। इतना तो आपको पता ही है मां लक्ष्मी खुश होंगी तो धन आएगा और यमराज खुश होंगे तो असमय मौत नहीं आएगी।
  3. उत्तर दिशा में दीपक जलाने से घर में गरीबी आती है आप दीपक की लौ इस दिशा में कर सकते हैं।
  4. घर में सुबह-शाम दीपक जलाने से घर में सुख का माहौल रहता है और पॉजिटिव एनर्जी बनी रहती है।

Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। । इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है। 

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Diwali 2022: हिंदू धर्म में पूजा व पर्व में दीपक जलाने का विशेष महत्व है. इसे जीवन में अंधकार यानी अज्ञान के गमन व प्रकाश स्वरूप ज्ञान के आगमन का प्रतीक माना जाता है. वास्तु व वैज्ञानिक आधार पर भी दीप प्रज्ज्वलन सकारात्मक उर्जा बढ़ाने वाला होता है. यही वजह है कि हिंदू धर्म के हर संस्कार में इसका महत्व है, पर बहुत कम लोग ये जानते हैं कि जिस दीपक को शुभ का प्रतीक माना गया है, उसे बुझाना भी उतना ही अशुभ माना जाता है. आज हम इसी से संबंधित मान्यताओं के बारे में बताने जा रहे हैं.

प्रस्तुत कविता में 'दीपक' ईश्वर के प्रति आस्था एवं आत्मा का और प्रियतम उसके आराध्य ईश्वर का प्रतीक है। कवयित्री दीपक से जीवन की प्रत्येक विषम परिस्थिति से जूँझ कर प्रसन्नतापूर्वक ज्योति फैलाने का आग्रह करती है। वह प्रियतम का पथ आलोकित करना चाहती है।

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Question 2:

निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर दीजिए −

दीपक से किस बात का आग्रह किया जा रहा है और क्यों?

Answer:

महादेवी वर्मा ने दीपक से यह प्रार्थना की है कि वह निरंतर जलता रहे। अर्थात इसकी आस्था बनी रहे। वह आग्रह इसलिए करती हैं क्योंकि वे अपने जीवन में ईश्वर का स्थान सबसे बड़ा मानती हैं। ईश्वर को पाना ही उनका लक्ष्य है।

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Question 3:

निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर दीजिए −

'विश्व-शलभ' दीपक के साथ क्यों जल जाना चाहता है?

Answer:

'विश्व-शलभ' अर्थात पतंगा दीपक के साथ जल जाना चाहता है। जिस प्रकार पतंगा दीये के प्रति प्रेम के कारण उसकी लौ के आस-पास घूमकर अपना जीवन समाप्त कर देता है, इसी प्रकार संसार के लोग भी अपने अहंकार को समाप्त करके आस्था रुपी दीये की लौ के समक्ष अपना समर्पण करना चाहते हैं ताकि प्रभु को पा सके।

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Question 4:

निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर दीजिए −

आपकी दृष्टि में 'मधुर मधुर मेरे दीपक जल' कविता का सौंदर्य इनमें से किस पर निर्भर है −

(क) शब्दों की आवृति पर।

(ख) सफल बिंब अंकन पर।

Answer:

इस कविता की सुंदरता दोनों पर निर्भर है। पुनरुक्ति रुप में शब्द का प्रयोग है − मधुर-मधुर, युग-युग, सिहर-सिहर, विहँस-विहँस आदि कविता को लयबद्ध बनाते हुए प्रभावी बनाने में सक्षम हैं। दूसरी ओर बिंब योजना भी सफल है। 'विश्व-शलभ सिर धुन कहता', 'मृदुल मोम सा घुल रे मृदु तन' जैसे बिंब हैं।

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Question 5:

निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर दीजिए −

कवयित्री किसका पथ आलोकित करना चाह रही हैं?

Answer:

कवयित्री अपने मन के आस्था रुपी दीपक से अपने प्रियतम का पथ आलोकित करना चाहती हैं। उनका प्रियतम ईश्वर है।

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Question 6:

निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर दीजिए −

कवयित्री को आकाश के तारे स्नेहहीन से क्यों प्रतीत हो रहे हैं?

Answer:

कवयित्री को आकाश के तारे स्नेहहीन नज़र आते हैं। अर्थात मनुष्य में एक दूसरे से प्रेम और सौहार्द की भावना समाप्त हो गई है। उनमें आपस में कोई स्नेह नहीं है। इसलिए उसे आकाश के तारे स्नेहहीन लगते हैं।

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Question 7:

निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर दीजिए −

पतंगा अपने क्षोभ को किस प्रकार व्यक्त कर रहा है?

Answer:

जिस प्रकार पतंगा दीये की लौ में अपना सब कुछ समाप्त करना चाहता है पर कर नहीं पाता, उसी तरह मनुष्य अपना सर्वस्व समर्पित करके ईश्वर को पाना चाहता है परन्तु अपने अहंकार को नहीं छोड़ पाता। इसलिए पछतावा करता है।

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Question 8:

निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर दीजिए −

'मधुर-मधुर, पुलक-पुलक, सिहर-सिहर और विहँस-विहँस, कवयित्री ने दीपक को हर बार अलग-अलग तरह से जलने को क्यों कहा है? स्पष्ट कीजिए।

Answer:

कवयित्री अपने आत्मदीपक को तरह-तरह से जलने के लिए कहती हैं मीठी, प्रेममयी, खुशी के साथ, काँपते हुए, उत्साह और प्रसन्नता से। कवयित्री चाहती है कि हर परिस्थितियों में यह दीपक जलता रहे और प्रभु का पथ आलोकित करता रहे। इसलिए कवयित्री ने दीपक को हर बार अलग-अलग तरह से जलने को कहा है।

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Question 9:

निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर दीजिए −

नीचे दी गई काव्य-पंक्तियों को पढ़िए और प्रश्नों के उत्तर दीजिए −

जलते नभ में देख असंख्यक,

स्नेहहीन नित कितने दीपक;

जलमय सागर का उर जलता,

विद्युत ले घिरता है बादल!

विहँस विहँस मेरे दीपक जल!

(क) 'स्नेहहीन दीपक' से क्या तात्पर्य है?

(ख) सागर को 'जलमय' कहने का क्या अभिप्राय है और उसका हृदय क्यों जलता है?

(ग) बादलों की क्या विशेषता बताई गई है?

(घ) कवयित्री दीपक को 'विहँस विहँस' जलने के लिए क्यों कह रही हैं?

Answer:

(क) स्नेहहीन दीपक से तात्पर्य बिना तेल का दीपक अर्थात प्रभु भक्ति से शून्य व्यक्ति।

(ख) कवयित्री ने सागर को संसार कहा है और जलमय का अर्थ है सांसारिकता में लिप्त। अत: सागर को जलमय कहने से तात्पर्य है सांसारिकता से भरपूर संसार। सागर में अथाह पानी है परन्तु किसी के उपयोग में नहीं आता। इसी तरह बिना ईश्वर भक्ति के व्यक्ति बेकार है। बादल में परोपकार की भावना होती है। वे वर्षा करके संसार को हराभरा बनाते हैं तथा बिजली की चमक से संसार को आलोकित करते हैं, जिसे देखकर सागर का हृदय जलता है।

(ग) बादलों में जल भरा रहता है और वे वर्षा करके संसार को हराभरा बनाते हैं। बिजली की चमक से संसार को आलोकित करते हैं। इस प्रकार वह परोपकारी स्वभाव का होता है।

(घ) कवयित्री दीपक को उत्साह से तथा प्रसन्नता से जलने के लिए कहती हैं क्योंकि वे अपने आस्था रुपी दीपक की लौ से सभी के मन में आस्था जगाना चाहती हैं।

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Question 10:

निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर दीजिए −

क्या मीराबाई और आधुनिक मीरा 'महादेवी वर्मा' इन दोनों ने अपने-अपने आराध्य देव से मिलने कि लिए जो युक्तियाँ अपनाई हैं, उनमें आपको कुछ समानता या अतंर प्रतीत होता है? अपने विचार प्रकट कीजिए?

Answer:

महादेवी वर्मा ने ईश्वर को निराकार ब्रह्म माना है। वे उसे प्रियतम मानती हैं। सर्वस्व समर्पण की चाह भी की है लेकिन उसके स्वरुप की चर्चा नहीं की। मीराबाई श्री कृष्ण को आराध्य, प्रियतम मानती हैं और उनकी सेविका बनकर रहना चाहती हैं। उनके स्वरुप और सौंदर्य की रचना भी की है। दोनों में केवल यही अंतर है कि महादेवी अपने आराध्य को निर्गुण मानती हैं और मीरा सगुण उपासक हैं।

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Question 1:

भाव स्पष्ट कीजिए-

दे प्रकाश का सिंधु अपरिमित,

तेरे जीवन का अणु गल गल!

Answer:

कवयित्री का मानना है कि मेरे आस्था के दीपक तू जल-जलकर अपने जीवन के एक-एक कण को गला दे और उस प्रकाश को सागर की भाँति विस्तृत रुप में फैला दे ताकि दूसरे लोग भी उसका लाभ उठा सके।

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Question 2:

भाव स्पष्ट कीजिए-

युग-युग प्रतिदिन प्रतिक्षण प्रतिपल,

प्रियतम का पथ आलोकित कर!

Answer:

इन पंक्तियों में कवयित्री का यह भाव है कि आस्था रुपी दीपक हमेशा जलता रहे। युगों-युगों तक प्रकाश फैलाता रहे। प्रियतम रुपी ईश्वर का मार्ग प्रकाशित करता रहे अर्थात ईश्वर में आस्था बनी रहे।

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Question 3:

भाव स्पष्ट कीजिए-

मृदुल मोम सा घुल रे मृदु तन!

Answer:

इस पंक्ति में कवयित्री का मानना है कि इस कोमल तन को मोम की भाँति घुलना होगा तभी तो प्रियतम तक पहुँचना संभव हो पाएगा। अर्थात ईश्वर की प्राप्ति के लिए कठिन साधना की आवश्यकता है।

Deepak किसका प्रतीक है?

इसलिए दीपक की रोशनी को ज्ञान का प्रतीक माना गया है। पुराणों में दीपक को सकारात्मकता का प्रतीक व दरिद्रता को दूर करने वाला भी कहा गया है। दीपक जलाने का कारण यह है कि हम अज्ञान का अंधकार मिटाकर अपने जीवन में ज्ञान के प्रकाश के लिए पुरुषार्थ करें।

दीपक किसका प्रतीक है Class 10 Kabir?

उत्तर:- कवि के अनुसार जिस प्रकार दीपक के जलने पर अंधकार अपने आप दूर हो जाता है और उजाला फैल जाता है। उसी प्रकार ज्ञान रुपी दीपक जब हृदय में जलता है तो अज्ञान रुपी अंधकार मिट जाता है। यहाँ दीपक ज्ञान के प्रकाश का प्रतीक है और अँधियारा ज्ञान का प्रतीक है।

दीपक किसका प्रतीक है तथा क्यों?

दीपक ज्योति का प्रतीक है क्योंकि अंधेरे को दूर करता है।

दीपक का इतिहास क्या है?

विशेषज्ञों के मत के अनुसार शुरूआत में दीपक पत्थर को तराशकर बनाए गए होंगे। लेकिन धीरे-धीरे सभ्यता के विकास के साथ मिट्टी के दीपक बने। दीयाबत्ती या मोमबत्ती का आविष्कार भी 5 हजार साल से पहले हो गया था। इसके लिए वनस्पति तेल या जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल होता था।

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