श्वसन की प्रक्रिया में उपोत्पाद के रूप में क्या मुक्त होता है? - shvasan kee prakriya mein upotpaad ke roop mein kya mukt hota hai?

पौधों में श्वसन के संदर्भ में कौन सा कथन सत्य है?

This question was previously asked in

CTET Paper 2 Maths & Science 27th Dec 2021 (English-Hindi-Sanskrit)

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  1. श्वसन केवल दिन के समय होता है।
  2. श्वसन केवल रात के समय होता है।
  3. श्वसन दिन और रात दोनों समय होता है|
  4. ​श्वसन केवल उस समय होता है जब प्रकाश संश्लेषण नहीं हो रहा होता।

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : श्वसन दिन और रात दोनों समय होता है|

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UPSC Civil Service Prelims General Studies Mock Test

100 Questions 200 Marks 120 Mins

सही उत्तर श्वसन दिन और रात दोनों समय होता है, है ।
स्पष्टीकरण:

  • पौधों को सांस लेने और कार्बन डाइऑक्साइड मुक्त करने के लिए ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है।
  • श्वसन प्रक्रिया के दौरान, ऑक्सीजन का उपयोग किया जाता है, और कार्बन डाइऑक्साइड, जल और ऊर्जा जैसे उपोत्पाद उत्पादित होते हैं।
  • श्वसन वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा किसी जीव की कोशिकाओं को ऊर्जा प्रदान करने के लिए एंजाइमों की सहायता से जैव पदार्थ को विखंडित किया जाता है।
  • यह ऊर्जा के मुक्त होने की आधारभूत प्रक्रिया है।
  • श्वसन के दौरान खाद्य अणु ऑक्सीकृत होकर जल और कार्बन डाइऑक्साइड जैसे घटकों में विखंडित हो जाते हैं, और परिणामस्वरूप ऊर्जा ATP (एडेनोसिन ट्राइफॉस्फेट) के रूप में निकलती है।
  • पौधे दिन और रात दोनों समय श्वसन करते हैं, जिससे पौधे की अन्य विभिन्न प्रक्रियाओं के लिए आवश्यक ऊर्जा का उत्पादन होता है।
  • प्रकाश संश्लेषण केवल दिन में होता है।
  • सभी जीवित जीवों को जीवित रहने के लिए आवश्यक ऊर्जा प्राप्त करने के लिए श्वसन की आवश्यकता होती है।

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Last updated on Sep 21, 2022

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                                श्वसन

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

1. आक्सीजन की अनुपस्थिति में ग्लूकोस के आक्सीकरण को क्या कहते हैं? 

उत्तर:- अनाक्सी श्वसन

2. आक्सीजन की उपस्थिति में ग्लूकोस के आक्सीकरण को क्या कहते हैं? 

उत्तर:- आक्सी श्वसन

3. जैव कोशिकाओं में रासायनिक ऊर्जा का सार्वजनिक वाहक क्या कहलाता है? 

उत्तर:- जैव कोशिकाओं में रासायनिक ऊर्जा का सार्वजनिक वाहक ए०टी०पी० कहलाता है|

4. कोशिकीय ईंधन किसे कहते हैं? 

उत्तर:- जैव ऊर्जा के उत्पादन के लिए कोशिका मुख्यतः ग्लूकोज का उपयोग करती है| अत: ग्लूकोज को कोशिकीय ईंधन कहा जाता है|

5. संपूर्ण श्वसन क्रिया के दो प्रमुख चरणों के नाम क्या है? 

उत्तर:- प्रश्वास, उच्छ्वास

6. श्वसन जीवों के लिए क्यों आवश्यक है? 

उत्तर:- ऊर्जा के उत्पादन हेतु जीवों के लिए श्वसन आवश्यक है|

7. श्वसन की प्रक्रिया में उपोत्पाद के रूप में क्या मुक्त होता है? 

उत्तर:- कार्बन डाइऑक्साइड

8. श्वसन के दो चरणों में किस आधार पर बांटा गया है? 

उत्तर:- अवायवीय श्वसन, वायवीय श्वसन

9. अवायवीय श्वसन किसे कहते हैं? 

उत्तर:- यह श्वसन प्रक्रिया आक्सीजन की अनुपस्थिति में होती है| जीवाणु और यीस्ट क्रिया में श्वसन करते हैं| इस प्रक्रिया में इथाइल एल्कोहल, CO2 तथा ऊर्जा उत्पन्न होती है|

10. वायवीय श्वसन की क्रिया किस स्थिति में आरंभ होती है? 

उत्तर:- वायवीय श्वसन में आक्सीजन की उपस्थिति में पायरुवेट का पूर्ण विखंडन होता और यह क्रिया माइटोकोन्ड्रिया में होती है|

11. पायरुवेट का पूर्ण आक्सीकरण किस चरण में होता है|

उत्तर:- वायवीय श्वसन में

12. पौधों में श्वसन गैसों का आदान प्रदान किन अंगों से होता है? 

उत्तर:- पौधों में श्वसन गैसों का आदान प्रदान शरीर की सतह द्वारा विसरण क्रिया से होता है|

13. पौधों में गैसों का विनिमय किस क्रिया से होता है? 

उत्तर:- पौधों में गैसों का विनिमय श्वसन एवं प्रकाश संश्लेषण क्रिया से होता है

14. अमीबा तथा पैरामीशियम में श्वसन शरीर की कौन सी संरचना के माध्यम से होता है? 

उत्तर:- अमीबा तथा पैरामीशियम में श्वसन शरीर की कोशिका झिल्ली संरचना के माध्यम से होता है|

15. मछली के श्वसन अंग का नाम लिखें|

उत्तर:- गलफड़

16. स्थलीय कीट तथा मनुष्य के श्वसनांगों के नाम लिखें|

उत्तर:- स्थलीय कीट के श्वसन अंग--- श्वास नली तथा मनुष्य के श्वसन अंग ---नासिका छिद्र श्वासनली तथा फेफड़ा 

17. स्थलीय कीटों में पाए जानेवाले श्वसन का प्रकार क्या कहलाता है? 

उत्तर:- स्थलीय कीटों में पाए जाने वाले श्वसन का प्रकार श्वास नली या ट्रैकिया कहलाता है|

18. वर्टिब्रेटा के दो ऐसे वर्गों के नाम लिखें जिनमें श्वसन केवल फेफड़े में होता है|

उत्तर:- रेप्टीलिया, मैमेलिया

19. मनुष्य में श्वसन क्रिया में प्रयुक्त संपूर्ण अंगों के नाम लिखें|

उत्तर:- मनुष्य में नासिका छिद्र, लैरिंक्स, ट्रैकिया तथा फेफड़ा मिलकर श्वसन अंग कहलाता है|

20. फेफड़ों द्वारा श्वसन किन दो क्रियाओं से पूर्ण होता है? 

उत्तर:-

फेफड़ों द्वारा श्वसन प्रश्वास तथा उच्चावास क्रियाओं से पूर्ण होता है|

21. पचे हुए भोज्य पदार्थ से ऊर्जा का उत्पादन किस क्रिया से होता है? 

उत्तर:- आक्सीकरण के द्वारा

22. यीस्ट में पायरुवेट से इथेनॉल किस क्रिया द्वारा बनता है? 

उत्तर:-

किण्वन द्वारा

23. ज्यादा चलने के बाद हमारी मांसपेशियों में क्रैम्प किस योगिक के निर्माण से होता है? 

उत्तर:- आक्सी हीमोग्लोबिन के निर्माण के कारण

24. श्वसन के प्रथम चरण में बने पायरुवेट का पूर्ण आक्सीकरण कहाँ होता है? 

उत्तर:- माइटोकांड्रिया में

25. ग्रसनी कंठद्वार के नीचे कहाँ खुलती है? 

उत्तर:- स्वरयंत्र या लैरिक्स में

26. प्रत्येक श्वसनी फेफडे में प्रवेश कर विभाजित होने के बाद क्या बनाती है? 

उत्तर:- 

वायुकोष्ठिका वाहनियां

27. मनुष्य के शरीर में फेफड़ा कहाँ अवस्थित रहता है? 

उत्तर:- वक्षगुहा में

28. वक्षगुहा के पश्चभाग में अवस्थित एक गुंबद के आकार की संरचना को क्या कहलाता है? 

उत्तर:- डायाक्राम 

29. हीमोग्लोबिन कहाँ अवस्थित रहता है? 

उत्तर:- रुधिर में

30. रक्त से फेफड़े में आया कार्बन डाइऑक्साइड का बची हवा के साथ निकलने की क्रिया को क्या कहते हैं? 

उत्तर:- उच्छवास

31. श्वासोच्छवास का नियंत्रण कहाँ से होता है? 

उत्तर:: फेफड़ा से

32. श्वसन केन्द्र मस्तिष्क के किस भाग में अवस्थित रहता है? 

उत्तर:: नासिका छिद्र

लघु उत्तरीय प्रश्न

1. श्वसन सजीवों के लिए क्यों अनिवार्य है? 

उत्तर:- सजीवों को भोजन से आवश्यक ऊर्जा प्राप्त होती है| पचे हुए भोज्य पदार्थों से ऊर्जा का उत्पादन आक्सीकरण के द्वारा होता है| आक्सीकरण में आक्सीजन की उपस्थिति अनिवार्य है| आक्सीजन की अनुपस्थिति में होने वाली अवायवीय आक्सीकरण में काफी कम ऊर्जा मुक्त होती है| शरीर को पोषण के साथ साथ आक्सीजन की भी आवश्यकता होती है| सजीवों के रक्त परिसंचरण में आक्सीजन अनिवार्य है| शरीर को यह आक्सीजन श्वसन से ही प्राप्त होता है सामान्यतः आक्सीजन ग्रहण करने तथा कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ने की प्रक्रिया सांस लेना है अर्थात वृहत रुप में श्वसन उन सभी प्रक्रिया में शामिल हैं जिनके द्वारा शरीर में ऊर्जा का उत्पादन होता है| इस कारण श्वसन अनिवार्य है|

2. श्वसन की परिभाषा लिखें|

उत्तर:-

श्वसन सजीवों की अति अनिवार्य प्रक्रिया है| इसमें ग्लूकोज अणुओं का आक्सीकरण कोशिकाओं में होता है| श्वसन वैसी क्रियाओं के सम्मिलित रूप को कहते हैं, जिसमें बाहरी वातावरण से आक्सीजन ग्रहण कर शरीर की कोशिकाओं में पहुँचाया जाता है, जहाँ इसका उपयोग कोशिकीय ईंधन का आक्सीकरण कयी चरणों में विशिष्ट एंजाइमों की उपस्थिति में करके जैव ऊर्जा ATP होता का उत्पादन किया जाता है तथा इस क्रिया से उत्पन्न CO2 को फिर कोशिकाओं से शरीर के बाहर निकाल दिया जाता है|

3. संपूर्ण श्वसन की प्रक्रिया को समीकरण से दर्शाएं|उत्तर:- 

श्वसन एक रासायनिक अभिक्रिया है जिसे आक्सीकरण कहा जाता है इसके निम्न समीकरण है-----

एंजाइम

C6H12O6+6O2---------->6CO2+6H2O+ऊर्जा

इस क्रिया में ऊर्जा मुक्त होती है तथा सह उत्पाद के रूप में कार्बन डाइऑक्साइड तथा जल निकलता है|

4. ग्लूकोज के आंशिक आक्सीकरण से किन किन यौगिकों का निर्माण होता है? 

उत्तर:- ग्लूकोज के आंशिक आक्सीकरण से दो अणु पायरुवेट (तीन कार्बन वाले अणु) इथेनॉल या लैक्टिक, कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) एवं जल (H2O) का निर्माण होता है|

5. लगातार दौड़ने से व्यक्ति की पेशियों में दर्द क्यों होता है? 

उत्तर:-

लगातार दौड़ने से हमारे शरीर में ऊर्जा का खपत अधिक होता है| इस दौरान आक्सीजन पर्याप्त मात्रा में घट जाती है| आक्सीजन के अभाव में हमारी पेशियों में पायरुवेट लैक्टिक अम्ल का निर्माण होता है| यह लैक्टिक अम्ल अधिक मात्रा में हमारी पेशियों में संचित हो जाती है| इस कारण हमारी पेशियों में दर्द होने लगता है|

6. किण्वन किस प्रकार का श्वसन है? यह कहाँ होता है? 

उत्तर:-

किण्वन एक अवायवीय श्वसन है| इसमें पायरुवेट का दो अणु बनता है| यह क्रिया कोशिका द्रव्य में होती है| इसका प्रत्येक चरण विशिष्ट एंजाइम के द्वारा उत्प्रेरित होता है| किण्वन वह प्रक्रिया है जिसमें पायरुवेट आक्सीजन की अनुपस्थिति में इथेनॉल एवं CO2 में परिवर्तित हो जाता है| यह क्रिया यीस्ट में होता है|

7. श्वासनली या ट्रैकिया क्या है? 

उत्तर:- श्वासनली या ट्रैकिया द्वारा श्वसन कीटों यथा टिड्डा तथा तिलचट्टा में होता है| ट्रैकिया शरीर में भीतर स्थित अत्यंत शाखित हवा भरी नलिकाएँ है जो एक ओर सीधे उत्तकों के संपर्क में होती है तथा दूसरी ओर शरीर की सतह पर श्वास रन्ध्र नामक छिद्रों के द्वारा खुलती है| यह कीटों का श्वसन अंग है|

8. मछलियों में गिल्स कहाँ अवस्थित होते हैं? 

उत्तर:- गिल्स मछलियों में पाया जानेवाला एक विशेष प्रकार का श्वसन अंग है| मछलियों में गिल्स दो समूहों में पाये जाते हैं| गिल्स के प्रत्येक समूह सिर के पार्श्व भाग में आंख के ठीक पीछे स्थित होते हैं| प्रत्येक समूह में कयी गिल्स आगे से पीछे की ओर श्रृंखलाबद्ध तरीके से व्यवस्थित होते हैं| प्रत्येक गिल्स एक चाटी थाली में स्थित होता है जिसे गिल्स कोष्ठ कहते हैं| गिल कोष्ठ एक ओर आहारनाल की ग्रसनी में खुलता है तथा दूसरी ओर शरीर के बाहर खुलता है| प्रत्येक गिल कोष्ठ में कयी गिल पटलिकाएं होती है| मछलियाँ गिल्स से ही जल में घुले आक्सीजन को ग्रहण करता है|

9.  मानव शरीर की कौन सी संरचनाएँ श्वसन अंगों का निर्माण करती है? 

उत्तर:-

मानव में नासिका छिद्र, श्वर यंत्र या लैरिंक्स, श्वासनली या ट्रैकिया तथा फेफड़ा मिलकर श्वसन अंग का निर्माण करती है|

10. श्वासोच्छवास क्या है? 

उत्तर:- श्वसन की दोनों अवस्थाएँ प्रश्वास एवं उच्छवास को सम्मिलित रूप से श्वासोच्छवास कहलाती है| नासिका द्वारा हवा को फेफड़े तक पहुँचाना है जहाँ आक्सीजन रक्त कोशिकाओं में चला जाता है तथा रक्त से फेफड़े में आया कार्बन डाइऑक्साइड बची हवा के साथ बाहर निकल जाता है इस क्रिया को श्वासोच्छवास या सांस लेना कहते हैं|

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

1. अवायवीय एवं वायवीय श्वसन के विभेदों को स्पष्ट करें-----

अवायवीय श्वसन----

अवायवीय श्वसन आक्सीजन की अनुपस्थिति में होता है|

इस श्वसन की पूरी क्रिया कोशिका द्रव में होती है|

इसमें ग्लूकोज का आंशिक आक्सीकरण होता है|

इसमें आक्सीकरण के पश्चात पायरुवेट इथेनॉल या लैक्टिक अम्ल का निर्माण करता है तथा CO2 निकलता है|

इसमें कम ऊर्जा मुक्त होती है|

वायवीय श्वसन-----

यह आक्सीजन की उपस्थिति में होता है|

इस क्रिया का प्रथम चरण कोशिका द्रव्य में तथा द्वितीय काण्ड्रिया चरण माइटो में होता है|

इसमें ग्लूकोज आक्सीकरण के पश्चात होता है|

इसमें ग्लूकोज आक्सीकरण के पश्चात कार्बन डाइऑक्साइड एवं जल का निर्माण होता है|

इसमें अधिक ऊर्जा मुक्त होती है|

2. पायरुवेट के विखंडन के विभिन्न पथों के बारे में लिखें-----

उत्तर:-

पायरुवेट के विखण्डन के विभिन्न पथ निम्नलिखित हैं--

(1) पायरुवेट आक्सीजन की अनुपस्थिति में इथेनॉल एवं कार्बन डाइऑक्साइड में परिवर्तित हो जाता है| यह क्रिया किण्वन कहलाती है जो यिस्ट में होता है|

(2) आक्सीजन के अभाव में हमारी पेशियों में पायरुवेट से लैक्टिक अम्ल का निर्माण होता है| हमारी पेशी कोशिकाओं में अधिक मात्रा में लैक्टिक अम्ल के संचय से दर्द होने लगता है| बहुत ज्यादा चलने या दौड़ने के बाद हमारी मांसपेशियों में इसी कारण क्रैम्प या तकलीफ होती है|

(3) आक्सीजन की उपस्थिति में पायरुवेट का पूर्ण आक्सीकरण होता है एवं कार्बन डाइऑक्साइड तथा जल का निर्माण होता है| चूंकि यह क्रिया आक्सीजन की उपस्थिति में होती है, अत: इसे वायवीय श्वसन कहते हैं|

3. स्थलीय कीटों में श्वसन अंगों की रचना तथा श्वसन विधि का वर्णन करें|

उत्तर:-

स्थलीय कीटों में श्वसन अंगों की रचना----

स्थलीय कीटों में श्वसन विधि----

ट्रैकिया द्वारा श्वसन कीटों जैसे टिड्डा तथा तिलचट्टा में होता है| ट्रैकिया शरीर के भीतर स्थित अत्यंत शाखित, हवा भरी नलिकाएँ है जो एक ओर सीधे उत्तकों के संपर्क में होती है तथा दूसरी ओर शरीर की सतह पर श्वासरध्रं नामक छिद्रों के द्वारा खुलती है| यहाँ ध्यान देने योग्य बात यह है कि कीटों में ट्रैकिया के द्वारा श्वसन में गैसों का आदान प्रदान रक्त के माध्यम से नहीं होता है| इसका कारण है कि कीटों के रक्त में हीमोग्लोबिन या उसके जैसे कोई रंजक आक्सीजन को बांधने की क्षमता हो, नहीं पाए जाते हैं|

4. मछली श्वसन अंग की रचना तथा श्वसन विधि का वर्णन करें----

उत्तर:-

मछली के श्वसन अंगों की रचना-----

मछली में श्वसन विधि----

प्रत्येक मछली में गिल्स दो समूहों में पाए जाते हैं| गिल्स के प्रत्येक समूह सिर के पार्श्व भाग में आंख के ठीक पीछे स्थित होते हैं| प्रत्येक समूह में कयी गिल्स आगे से पीछे की ओर श्रृंखलाबद्ध तरीके से व्यवस्थित होते हैं| हर गिल्स एक चाटी थैली में स्थित होती है जिसे गिल कोष्ठ कहते हैं| गिल कोष्ठ एक ओर आहारनाल की ग्रसनी या फैरिंक्स में खुलता है तथा दूसरी ओर शरीर के बाहर खुलता है| प्रत्येक गिल कोष्ठ में कयी गिल पटलिकाएं होती है| मछलियों में जल की धारा मुख से आहारनाल के फैंरिक्स में पहुँचता है| यहाँ जल की धारा में स्थित भोजन तो फैंरिक्स से ग्रासनली में चला जाता है, परंतु जल गिल कोष्ठों में तथा फिर शरीर के बाहर चला जाता है| इस प्रकार, गिल्स लगातार जल के संपर्क में रहते हैं जिससे दाल में घुले आक्सीजन गिल्स की रक्त वाहिनियों में स्थित रक्त में चला जाता है तथा रक्त का कार्बन डाइऑक्साइड जल में चला जाता उ| इस प्रकार, श्वसन गैसों (आक्सीजन तथा कार्बन डाइऑक्साइड) का आदान प्रदान रक्त और जल के बीच विसरण के द्वारा होता रहता है|

5. कीटों में आक्सीजन सीधे उत्तकों को क्यों पहुँचता है? इस विधि में प्रयुक्त रचनाओं का वर्णन कार्यविधि के साथ करें|

उत्तर:-

कीटों में ट्रैकिया के द्वारा श्वसन में गैसों का आदान प्रदान रक्त के माध्यम से वहीं होता है| इसका कारण है कि कीटों के रक्त में हीमोग्लोबिन या उसके जैसे कोई रंजक जिसमें आक्सीजन का बांधने की क्षमता हो, वहीं पाए जाते हैं| कीटों जैसे ग्रासहापर, तिलचट्टा, मक्खी आदि के श्वसन की विशेषता यह है कि इसमें आक्सीजन रक्त के माध्यम से नहीं, बल्कि सीधे उत्तक को पहुँचता है| इसका कारण रक्त में हीमोग्लोबिन को न होना है|

6. मनुष्य के श्वसनांगों की रचना का वर्णन करें|

उत्तर:-

मानव के श्वसन अंग का कार्य शुद्ध वायु को शरीर के भीतर भोजन तथा अशुद्ध वायु को बाहर निकालना है| इसके प्रमुख भाग निम्नलिखित हैं----

नासा द्वार एवं मुखगुहा----

नासा द्वार से वायु शरीर के भीतर प्रदेश करती है| नाक में छोटे छोटे और बारीक बाल होते हैं जिनसे वायु छन जाती है| उसकी धूल उनसे स्पर्श वहीं रुक जाती है इस मार्ग में श्लेष्मा की परत इस कार्य में सहायता करती है| वायु नम हो जाती है| 

ग्रसनी---

ग्रसनी ग्लाटिस नामक छिद्र से श्वासनली में खुलती है| जब हम भोजन करते हैं तो ग्लाटिस त्वचा के एक उपास्थियुक्त कपाट एपिग्लाटिस से ढंका होता है है|

श्वास नली----

उपास्थि से बनी हुई श्वासनली गर्दन से नीचे आकर श्वसनी बनाती है| यह वलयों से बनी होती है जो सुनिश्चित करते हैं कि वायु मार्ग में रुकावट उत्पन्न न हो|

फुफ्फुस----

फुफ्फुस के अंदर मार्ग छोटी और छोटी नलिकाओं में विभाजित हो जाते हैं जो गुब्बारे जैसी रचना में बदल जाता है| इसे कूपिका कहते हैं| कूपिका एक सतह उपलब्ध कराती है जिससे गैसों का विनिमय हो सकता है| कूपिकाओं की भित्ति में रुधिर वाहिकाओं का विस्तीर्ण जाल होता है|

7. मनुष्य में श्वसन क्रिया का वर्णन करें|

उत्तर:-

मानव के श्वसन अंग का कार्य शुद्ध वायु को शरीर के भीतर भोजन तथा अशुद्ध वायु को बाहर निकालना है| इसके प्रमुख भाग निम्नलिखित हैं----

नासा द्वार एवं मुखगुहा----

नासा द्वार से वायु शरीर के भीतर प्रदेश करती है| नाक में छोटे छोटे और बारीक बाल होते हैं जिनसे वायु छन जाती है| उसकी धूल उनसे स्पर्श वहीं रुक जाती है इस मार्ग में श्लेष्मा की परत इस कार्य में सहायता करती है| वायु नम हो जाती है| 

ग्रसनी---

ग्रसनी ग्लाटिस नामक छिद्र से श्वासनली में खुलती है| जब हम भोजन करते हैं तो ग्लाटिस त्वचा के एक उपास्थियुक्त कपाट एपिग्लाटिस से ढंका होता है है|

श्वास नली----

उपास्थि से बनी हुई श्वासनली गर्दन से नीचे आकर श्वसनी बनाती है| यह वलयों से बनी होती है जो सुनिश्चित करते हैं कि वायु मार्ग में रुकावट उत्पन्न न हो|

फुफ्फुस----

फुफ्फुस के अंदर मार्ग छोटी और छोटी नलिकाओं में विभाजित हो जाते हैं जो गुब्बारे जैसी रचना में बदल जाता है| इसे कूपिका कहते हैं| कूपिका एक सतह उपलब्ध कराती है जिससे गैसों का विनिमय हो सकता है| कूपिकाओं की भित्ति में रुधिर वाहिकाओं का विस्तीर्ण जाल होता है|

कार्य---

जब हम श्वास अंदर लेते हैं, हमारी पसलियां ऊपर उठती है और हमारी डायफ्राम चपटा हो जाता है| इससे वक्षगुहिका बड़ी हो जाती है और वायु फुफ्फुस के भीतर चूस ली जाती है| वह विस्तृत कूपिकाओं को ढंक लेती है| रुधिर शेष शरीर से कार्बन डाइऑक्साइड कूपिकाओं में छोड़ने के लिए लाता है| कूपिका रुधिर वाहिका कूपिका वायु से आक्सीजन लेकर शरीर की सभी कोशिकाओं तक पहुँचाता है|श्वास चक्र के समय जब वायु अंदर और बाहर कार्बन डाइऑक्साइड के मोचन के लिए पर्याप्त समय मिल जाता है|

8. श्वसन और श्वासोच्छ्वास के बीच क्या विभेद है? 

उत्तर:-

श्वसन----

श्वसन सजीवों की अति अनिवार्य प्रक्रिया है| इसमें ग्लूकोज अणुओं का आक्सीकरण कोशिकाओं में होता है| श्वसन वैसी क्रियाओं के सम्मिलित रूप को कहते हैं, जिसमें बाहरी वातावरण से आक्सीजन ग्रहण कर शरीर की कोशिकाओं में पहुँचाया जाता है, जहाँ इसका उपयोग कोशिकीय ईंधन का आक्सीकरण कयी चरणों में विशिष्ट एंजाइमों की उपस्थिति में करके जैव ऊर्जा ATP का उत्पादन किया जाता है तथा इस क्रिया से उत्पन्न CO2 को फिर कोशिकाओं से शरीर के बाहर निकाल दिया जाता है|

श्वसन दो क्रिया अर्थात प्रश्वास तथा उच्छ्वास के द्वारा पूर्ण होता है|

श्वासोच्छ्वास----

श्वसन की दोनों अवस्थाएँ प्रश्वास एवं उच्छ्वास को सम्मिलित रूप से श्वासोच्छ्वास कहलाती है| नासिका द्वारा हवा को फेफड़े तक पहुँचाता है जहाँ आक्सीजन रक्त में चला जाता है तथा रक्त से फेफड़े में आया कार्बन डाइऑक्साइड बीच हवा के साथ बाहर निकल जाता है इस क्रिया को श्वासोच्छ्वास या सांस लेना कहते हैं|

श्वसन की दो अवस्थाएँ प्रश्वास तथा उच्छ्वास मिलकर श्वासोच्छ्वास कहलाती है|

9. कोशिकीय श्वसन का वर्णन करें|

उत्तर:-

श्वसन की क्रिया में ग्लूकोज अणुओं का आक्सीकरण कोशिकाओं में होता है| इसलिए इसे कोशिकीय श्वसन कहते हैं| संपूर्ण कोशिकीय श्वसन की दो अवस्थाओं-----अवायवीय श्वसन, वायवीय श्वसन में विभाजित किया जाता है|

अवायवीय श्वसन----

यह श्वसन का प्रथम चरण है| जिसके अंतर्गत ग्लूकोज (छ: कार्बन वाले अणु) का आंशिक विखण्डन आक्सीजन की अनुपस्थिति में होता है| इस क्रिया द्वारा एक अणु ग्लूकोज से दो अणु पायरुवेट (तीन कार्बन वाले अणु) का निर्माण होता है| यह क्रिया कोशिका द्रव्य में होती है तथा इसका प्रत्येक चरण विशिष्ट एंजाइम के द्वारा उत्प्रेरित होता है| इस प्रक्रिया में चूंकि ग्लूकोज अणु का आंशिक विखण्डन होता है, अत: उसमें निहित ऊर्जा पायरुवेट के बंधनों में ही संचित रह जाती है| पायरुवेट के आगे की स्थिति निम्नलिखित तीन प्रकार की हो सकती है|

क.पायरुवेट आक्सीजन की उपस्थिति में इथेनॉल एवं कार्बन डाइऑक्साइड में परिवर्तित हो जाता है| यह किण्वन कहलाती है जो यीस्ट में होता है|

ख.आक्सीजन के अभाव में हमारी पेशियों में पायरुवेट से लैक्टिक अम्ल का निर्माण होता है| हमारी पेशी कोशिकाओं में अधिक मात्रा में लैक्टिक अम्ल के संयम से दर्द होने लगता है| बहुत ज्यादा चलने या दौड़ने के बाद हमारी मांसपेशियों में इसी कारण क्रैम्प या तकलीफ होती है|

ग. आक्सीजन की उपस्थिति में पायरुवेट का पूर्ण आक्सीकरण होता है एवं कार्बन डाइऑक्साइड तथा जल का निर्माण होता है| चूंकि यह क्रिया आक्सीजन की उपस्थिति में होती है| अतः इसे वायवीय श्वसन कहते हैं|

वायवीय श्वसन----

श्वसन के प्रथम चरण में बना पायरुवेट पूर्ण आक्सीजन के लिए माइटोकोन्ड्रिया में चला जाता है| यहाँ आक्सीजन की उपस्थिति में पायरुवेट का विखण्डन होता है| तीन कार्बन वाले पायरुवेट अणु विखण्डन होकर तीन कार्बन डाइऑक्साइड के अणु बनाते हैं| इसके साथ साथ जल तथा रासायनिक ऊर्जा भी मुक्त होती है| जो ATP अणुओं में संचित हो जाती है ATP के विखण्डन से जो ऊर्जा मिलती है उससे कोशिका के अंदर होनेवाली विभिन्न जैव क्रियाएँ संचालित होती है|

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