श्री राम को 14 वर्ष का ही वनवास क्यों मिला? - shree raam ko 14 varsh ka hee vanavaas kyon mila?

राजा दशरथ के पुत्र भगवान श्री राम चंद्र जी को 14 साल का वनवास हुआ था है। यह बात तो सभी को पता है। जब भगवान राम जी 14 साल का वनवास काटकर अध्योध्या लौटे तो उनके आने की खुशी में अयोध्यावासियों ने घी के दीये जलाए थे। उसी दिन से दिवाली का त्यौहार मनाया जाता है। लेकिन आपने कभी यह सोचा है कि आखिर भगवान राम जी को 14 साल का ही वनवास क्यों हुआ था? 11,12,13 का क्यों नहीं हुआ था या फिर 14 साल से अधिक का क्यों नहीं हुआ?

रानी कैकयी की जिद से हुआ था वनवास

वाल्मिकी द्वारा लिखी गई रामायण के अनुसार राजा दशरथ की रानी कैकयी की जिद के चलते भगवान राम को 14 साल का वनवास हुआ था। रानी कैकयी उनकी महल की दासी मंथरा की बातों में आ गई थी और कैकयी ने राजा दशरथ से वचन मांगा था की वह उनके बेटे भरत को राजगद्दी पर बिठाए और राम को 14 साल के लिए वनवास भेज दें। राजा दशरथ ये वचन देते वक्त बेहद दुख थे, लेकिन वह कुछ नहीं कर सके। हालंाकि राजा दशरथ के इस वचन का भगवान राम भी विरोध कर सकते थे लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया।

इसलिए हुआ था 14 साल का वनवास, 10 या 12 का नहीं

दरअसल, रानी कैकयी ने राम को 11,12,13 साल की जगह 14 साल के लिए वनवास भेजा था। क्योंकि रानी कैकयी प्रशासनिक नियम जानती थीं। नियम के अनुसार त्रेतायुग में यह नियम था कि यदि कोई राजा अपनी गद्दी को 14 साल तक छोड़ देता है तो वह राजा बनने का अधिकार खो देता है। यही वजह रही कि कैकयी ने राम के लिए पूरे 14 वर्ष का वनवास मांगा। हालांकि कैकयी के बेटे भरत ने उनकी इस चाल को कामयाब नहीं होने दिया और राम की गद्दी पर बैठने से इनकार कर दिया। जब राम वनवास पूरा करके लौटे तो भरत ने उन्हें उनकी राजगद्दी ससम्मान लौटा दी।

द्वापरयुग में था 13 साल का नियम

द्वापरयुग युग में यही नियम 13 साल का था। अगर कोई राजा 13 साल के लिए अपना राजपाठ छोड़ देता था तो उसका अधिकार खत्म हो जाता था। इसी नियम की वजह से दुर्याेधन ने पांडवों के लिए 12 वर्ष वनवास और 1 वर्ष अज्ञातवास की बात रखी थी।

राजा दशरथ की तीन रानियों में कैकेयी उन्हें सबसे ज्यादा प्रिय थी. उन्होंने ही राजा दशरथ से भगवान राम के लिए 14 वर्ष का वनवास मांगा था. यही कारण है लोगों ने कैकेयी को नकारात्मक रूप में देखा है. लेकिन कैकेयी द्वारा राजा दशरथ से भगवान राम के वनवास का वरदान मांगने के पीछे कारण क्या था. क्या वह मंथरा के बहकावे में आई थीं या फिर वे अपने पुत्र भरत को राजगद्दी सौंपना चाहती थीं. इस सवाल का जवाब हम आपको बताते हैं.

एक बार देवों और असुरों के संग्राम में देवराज इंद्र ने राजा दशरथ से मदद मांगी थी. उस वक्त राजा दशरथ के साथ रानी कैकेयी भी उनकी सारथी बनकर गई थी. युद्ध भूमि में रानी कैकेयी ने राजा दशरथ की प्राणों की रक्षा की थी जिससे खुश होकर राजा दशरथ ने कैकेयी से दो वरदान मांगने को कहा था लेकिन कैकेयी ने कहा कि वह समय आने पर वरदान मांगेगी.

आगे चलकर कैकेयी ने अपने दोनों वरदान दशरथ से मांगे जिनमें एक श्री राम के वनवास से जुड़ा था और दूसरा कि उनके पुत्र भरत को गद्दी पर बिठाने से. लेकिन ऐसे वरदान कैकेयी न मांगे क्यों?

दरअसल राजा दशरथ की रानी कैकेयी राजा अश्वपति की बेटी थी. राजा अश्वपति के राजपुरोहित श्रवण कुमार के पिता रत्नऋषि थे. कैकेयी को वेद-शास्त्रों की शिक्षा रत्नऋषि ने ही दी थी. उन्होंने कैकेयी को बताया था कि राजा दशरथ की कोई संतान राज गद्दी पर नहीं बैठ पाएगी. इसके साथ ही ज्योतिष गणना के आधार पर उन्होंने यह भी बताया था कि दशरथ की मृत्यु के बाद यदि चौदह वर्ष के दौरान कोई संतान गद्दी पर बैठी भी तो रघुवंश का नाश हो जाएगा.

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श्रवण कुमार की मृत्यु राजा दशरथ के हाथों बाण लगने से हुई थी जिसके बाद श्रवण कुमार के माता-पिता ने राजा दशरथ को श्राप दिया था कि जिस तरह से वे पुत्र के वियोग में मर रहें हैं उसी तरह राजा दशरथ की मृत्यु भी पुत्र वियोग में होगी. कैकेयी को इसके बारे में पता था. राम दशरथ के सबसे बड़े बेटे थे. राजा दशरथ की मृत्यु पुत्र वियोग में होने का मतलब था, कि राम की मृत्यु.

कैकेयी राम से बहुत प्रेम करती थी और उन्हें खोना नहीं चाहती थी इसलिए उन्होंने राम के लिए चौदह वर्षों का वनवास मांग लिया. कैकेयी यह भी नहीं चाहती थी कि राम रघुवंश के नाश का कारण बने और उन्होंने यह वरदान मांगा कि भरत को राज्य दिया जाए.

प्रभु श्री राम ने कभी माता कैकेयी को गलत नहीं कहा साथ ही जब भरत ने अपनी माता को कटु वचन कहे तो प्रभु श्री राम ने उन्हें रोका भी.

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युद्ध समाप्त होने के बाद जब राजा दशरथ को इस बारे में पता चला तो उन्होंने खुश होकर कैकेयी से दो वर मांगने को कहा। मंथरा नामक दासी के बहकावे में आकर कैकेयी ने राम के लिए 14 साल का वनवास और भरत के लिए राज्य की मांग की। अब सवाल यह आता है कि कैकेयी ने राम के लिए 14 साल का ही क्यों वनवास मांगा, 15 या 13 साल का क्यों नहीं? आइए जानते हैं।

 

बाल्मीकि द्वारा रचित रामायण के अयोध्याखंड में इस किस्से का वर्णन किया गया है। दरअसल, कैकेयी ने ऐसा प्रशासनिक कारणों के चलते किया।

उस दौर में ऐसा नियम था कि यदि कोई राजा 14 वर्ष के लिए अपना सिंहासन छोड़ देता है तो वह राजा बनने का अधिकार खो देता है। इस वजह से कैकेयी ने राम के लिए ठीक 14 साल का ही वनवास मांगा।

 

हालांकि भरत ने कैकेयी के इस सपने पर पानी फेर दिया। भरत ने सिंहासन पर बैठने से इंकार कर दिया। वनवास समाप्त कर जब प्रभु श्रीराम राज्य लौटे तो वही सिंहासन पर बैठे।

कैकेयी ने राम के लिए 14 वर्ष का वनवास ही क्यों माँगा 13 या 15 वर्ष क्यों नहीं?

बाल्मीकि द्वारा रचित रामायण के अयोध्याखंड में इस किस्से का वर्णन किया गया है। दरअसल, कैकेयी ने ऐसा प्रशासनिक कारणों के चलते किया। उस दौर में ऐसा नियम था कि यदि कोई राजा 14 वर्ष के लिए अपना सिंहासन छोड़ देता है तो वह राजा बनने का अधिकार खो देता है। इस वजह से कैकेयी ने राम के लिए ठीक 14 साल का ही वनवास मांगा।

भगवान राम को 14 वर्ष का वनवास ही क्यों मिला?

राजा दशरथ की मृत्यु पुत्र वियोग में होने का मतलब था, कि राम की मृत्यु. कैकेयी राम से बहुत प्रेम करती थी और उन्हें खोना नहीं चाहती थी इसलिए उन्होंने राम के लिए चौदह वर्षों का वनवास मांग लिया. कैकेयी यह भी नहीं चाहती थी कि राम रघुवंश के नाश का कारण बने और उन्होंने यह वरदान मांगा कि भरत को राज्य दिया जाए.

वनवास जाते समय राम जी की उम्र क्या थी?

सीता और राम के विवाह के वक्त रामजी की आयु सिर्फ 14 साल थी, जबकि सीताजी की मात्र 6 साल की थीं. शादी के बाद दोनों 12 वर्षों तक अयोध्या में रहे, इसके बाद उन्हें वनवास भोगने के लिए वन जाना पड़ा. इस समय तक सीताजी 18, राम जी 26 साल के हो गए थे. जब वे वनवास से लौटे तो सीता की आयु 32 और रामजी की उम्र 40 हो गई थी.

राम की उम्र कितनी है?

कहते हैं कि वे 11 हजार वर्षों तक जिंदा वर्तमान रहे। परंपरागत मान्यता अनुसार द्वापर युग के 8,64,000 वर्ष + राम की वर्तमानता के 11,000 वर्ष + द्वापर युग के अंत से अब तक बीते 5,121 वर्ष = कुल 8,80,111 वर्ष

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