सिंधु घाटी सभ्यता के बर्तनों पर स्टडी कैसे हुई?
अक्षयेता ने 'उत्तर पश्चिमी भारत में सिंधु सभ्यता से मिट्टी के बर्तनों में चर्बी के अवशेष' नाम से अपनी स्टडी तैयार की है। रिसर्च में पुणे के डेक्कन कॉलेज के पूर्व वाइस-चांसलर और नामी आर्कियोलॉजिस्ट प्रोफेसर वसंत शिंदे और बीएचयू के प्रोफेसर रवींद्र एन सिंह ने भी अपना योगदान किया है। कैम्बिज यूनिवर्सिटी के कई लोग भी इस रिसर्च प्रोसेस का हिस्सा रहे। फोकस पांच गांवों पर रहा।
- आलमगीरपुर (मेरठ, उत्तर प्रदेश)
- मसूदपुर, लाहौरी राघो (हिसार, हरियाणा)
- खनक (भिवानी, हरियाणा
- फरमाना कस्ब (रोहतक)
- राखीगढ़ी (हिसार)
इन इलाकों से खुदाई में मिले 172 बर्तनों/बर्तन के टुकडों पर रिसर्च की गई। अक्षयेता ने द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा कि अबतक हुए ज्यादातर शोध सिंधु घाटी सभ्यता में क्या उगाया जाता था, इसपर फोकस रहे। उनकी स्टडी ये बताती है कि सिंधु घाटी संभ्यता के घरों की रसोइयों में आखिर पकता क्या था।
'बीफ और मटन बड़े चाव से खाते थे सिंधु घाटी के लोग'
स्टडी के मुताबिक, बर्तनों में जिन जानवरों की हड्डियां मिली हैं, उनमें मवेशियों/भैंसों की संख्या 50% से 60% के बीच है। भेड़/बकरियों का हिस्सा 10% के आसपास रहा। मवेशियों की हड्डियों की प्रमुखता से रिसर्चर्स ने अनुमान लगाया है कि सांस्कृतिक रूप से सभ्यता के लोग बीफ बड़े चाव से खाते थे। मटन भी खाया जाता था। स्टडी के अनुसार, 90% मवेशियों को तब तक जिंदा रखा जाता था जब तक वे तीन-साढ़े तीन साल के नहीं हो जाते थे। अनुमान यह है कि मादाओं का इस्तेमाल दूध के लिए होता था जबकि नरों से खेती-वाहन का काम लिया जाता था।
पक्षियों और हिरन का मांस बेहद कम मात्रा में
अक्षयेता की रिसर्च के अनुसार, जंगली जानवरों का मांस कम खाया जाता था। हालांकि ग्रामीण और शहरों, दोनों जगह के अवशेषों में हिरन, बारहसिंघा, चीतल, पक्षियों और जलीय जंतुओं के अंश भी मिले हैं, लेकिन कम मात्रा में। रिसर्चर्स का अनुमान है कि सिंधु घाटी सभ्यता के लोगों के आहार में हर तरह के तत्व शामिल थे।
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सिंधु घाटी के लोगों का मुख्य भोजन क्या था?
November 13, 2022
Explanation : सिंधु घाटी के लोगों का मुख्य भोजन गेहूं और जौ था। इनके भोज्य पदार्थ में गेहूँ, जौ, मटर, तिल सरसों, गाय, सुअर, बकरी का मांस आदि प्रमुख रूप से खाए जाते थे। लेकिन हालिया शोध में पता चला है कि सिंधु घाटी सभ्यता के लोग मोटे तौर पर मांसभक्षी थे। वे गाय, भैंस और बकरी के मांस खाते थे। इस तरह सिंधु सभ्यता के निवासी शाकाहारी और मांसाहारी दोनों थे।
विषयसूची
सिंधु सभ्यता के लोगों का मुख्य भोजन क्या था?
इसे सुनेंरोकेंएक हालिया शोध में बताया गया है कि सिंधु घाटी सभ्यता के लोग मोटे तौर पर मांसभक्षी थे. वे गाय, भैंस और बकरी के मांस खाते थे. सिंधु घाटी क्षेत्र में मिले मिट्टी के बर्तन और खान-पान के तौर-तरीक़े इस शोध के आधार हैं.
मोहनजो दारो के खास तालाब को क्या कहते हैं?
इसे सुनेंरोकेंअंग्रेज़ी में मोहन जोदड़ो के महास्नानघर को “द ग्रेट बाथ़” (The Great Bath) कहते हैं।
हड़प्पा सभ्यता का कार्यक्रम क्या था?
इसे सुनेंरोकें1921 में दयाराम साहनी ने हड़प्पा का उत्खनन किया। इस प्रकार इस सभ्यता का नाम हड़प्पा सभ्यता रखा गया व राखलदास बेनर्जी को मोहनजोदड़ो का खोजकर्ता माना गया। यह सभ्यता सिन्धु नदी घाटी में फैली हुई थी इसलिए इसका नाम सिन्धु घाटी सभ्यता रखा गया। प्रथम बार नगरों के उदय के कारण इसे प्रथम नगरीकरण भी कहा जाता है।
हड़प्पा सभ्यता में अनाज पीसने का साधन क्या था?
इसे सुनेंरोकेंअवतल चक्कियाँ बड़ी संख्या में मिली हैं और ऐसा प्रतीत होता है कि अनाज पीसने के लिए प्रयुक्त ये एकमात्र साधन थीं।
सिंधु सभ्यता के लोग किसकी पूजा करते थे?
इसे सुनेंरोकेंसिन्धु सभ्यता में मातृशक्ति की पूजा सर्वप्रधान थी। यहाँ से सबसे अधिक नारी की मृण्मूर्तियां प्राप्त हुई हैं। हड़प्पा से प्राप्त एक मुहर में स्त्री के गर्भ से एक पौधा निकलता हुआ दिखाया गया है। यह सम्भवतः पृथ्वी देवी की प्रतिमा है।
सिंधु सभ्यता के लोगों का व्यवसाय क्या था?
इसे सुनेंरोकेंसिंधु घाटी के लोगों का मुख्य व्यवसाय कृषि था। गेहूं, जौ, मटर, और केला जैसी फसलें उगाई गईं।
मोहनजोदड़ो का सबसे विशाल भवन कौन सा है?
इसे सुनेंरोकेंमोहनजोदड़ो की सबसे बड़ी इमारत अन्नागार या अन्नकोठार या धान्यागार है। यह 45.71 मी. लम्बा और 15.23 मी. चौडा है।
मोहनजोदड़ो का जन्म कब हुआ था?
इसे सुनेंरोकेंमोहनजोदड़ो की खोज प्रसिद्ध इतिहासकार राखलदास बनर्जी ने 1922 ई. में की थी. राखलदास बनर्जी का जन्म मुर्शिदाबाद में 12 अप्रैल 1885 को हुआ था.
हड़प्पा सभ्यता का उदय कैसे हुआ?
इसे सुनेंरोकेंसिंधु घाटी सभ्यता की उत्पत्ति/हड़प्पा सभ्यता का उद्भव:-(Origin of Indus valley Civilization):- सिन्धु-सभ्यता का उदय सिन्धु नदी और उसकी सहायक नदियों की घाटियों में हुआ। यह सभ्यता पूर्ण विकसित नगरीय सभ्यता के रूप में प्रकाश में आयी।
हड़प्पा सभ्यता का निर्धारण काल क्या था?
इसे सुनेंरोकें*डी० पी० अग्रवाल – 2300 – 1750 ई० पू०। *रेडियो कार्बन तिथि (“C-14”) के अनुसार हड़प्पा सभ्यता का काल 2350 – 1750 ई० पू० निर्धारित हुआ है, जो सर्वमान्य है।
हड़प्पा सभ्यता की सबसे विशिष्ट पूरा वस्तु क्या है?
इसे सुनेंरोकेंहड़प्पा सभ्यता का नामकरण – हड़प्पा नामक स्थान जहाँ यह संस्कृति पहली बार खोजी गई थी उसी के नाम पर किया गया है। इसका काल निर्धारण लगभग 2600 और 1900 ईसा पूर्व के बीच किया गया है। सिंधु घाटी सभ्यता की सबसे विशिष्ट पुरावस्तु – मुहर – यह सेलखड़ी नामक पत्थर से बनाई जाती थी।
हड़प्पा सभ्यता में ईंटों का अनुपात क्या था?
इसे सुनेंरोकेंसिंधु घाटी सभ्यता या हड़प्पा सभ्यता में नगर की सड़कें एवं मकान सुनियोजित ढंग से बनाये जाते थे। मकान बनाने के लिए पक्की ईंटों का प्रयोग किया जाता था। सिंधु घाटी की ईंटें एक निश्चित अनुपात में बनाई जाती थीं। ईंट की लम्बाई, चौड़ाई और मोटाई का अनुपात 4 : 2 : 1 था।