शीतोष्ण पर्णपाती वन बायोम उष्णकटिबंधीय सदाबहार वर्षा वन बायोम शीतोष्ण घास प्रदेश बायोम सवान बायोम
Answer : B
Solution : विषुवत रेखा को पृथ्वी के सबसे विविध प्रकार के जीवों और वनस्पतियों की उत्पत्ति का कारण माना जाता है। पृथ्वी के उष्णकटिबन्धीय सदाबहार वर्षा वन , जहाँ अधिक वर्षा एवं अधिक गर्मी पाई जाती है सर्वाधिक जैव विविधता के लिए पहचाना जाता है।
शीतोष्ण पर्णपाती वन बायोमउष्णकटिबन्धीय सदाबहार वर्षा वन बायोमशीतोष्ण घास प्रदेश बायोम सवाना बायोम
Answer : B
Solution : विषुवत् रेखा को पृथ्वी का सबसे विविध प्रकार के जीवों और वनस्पतियों की उत्पत्ति का कारण माना जाता है। पृथ्वी के उष्णकटिबन्धीय सदाबहार वर्षा वन जहाँ अधिक वर्षा एवं अधिक गर्मी पाई जाती है सर्वाधिक जैव-विविधता के लिए पहचाना जाता है।
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UPSC Civil Service Prelims General Studies Mock Test
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Last updated on Sep 21, 2022
UPPCS Cut Off and Marksheet released for the 2021 examination. Earlier, the final result for the same was released. A total of 627 candidates were selected after the interview. UPPSC PCS 2022 cycle is also ongoing. The Mains exam for the same was held between 27th September to 1st October 2022.
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Q.724 : निम्नलिखित में से किसमें सर्वाधिक जैव-विविधता पायी जाती है? |
(a) शितोष्ण पर्णपाती वन बायोम |
(b) उष्णकटिबंधीय सदाबहार वर्षा वन बायोम |
(c) शीतोष्ण घास प्रदेश बायोम |
(d) सवाना बायोम |
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Answer :उष्णकटिबंधीय सदाबहार वर्षा वन बायोम |
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► MCQ Exam ON : हिन्दी सामान्यज्ञान प्रश्नोत्तरी
संसार में सर्वाधिक जैव विविधता किस प्रकार के वनो मे पाई जाती हे ?
1) | टुंड्रा वन | |
2) | टेंगा वन | |
3) | उष्ण कटीबधीए सदाबहार वन | |
4) | मरुस्थलिया वन | |
5) | NULL |
(Complaint Here As Incorrect)
Sarwaadhik Jaiv Vividhata Payi Jati Hai
GkExams on 28-12-2018
उष्णकटिबन्धीय सदाबहार वर्षा वन बायोम
विषुवत् रेखा को पृथ्वी का सबसे विविध प्रकार के जीवों और वनस्पतियों की उत्पत्ती का कारण माना जाता है। पृथ्वी के उष्णकटिबन्धीय सदाबहार वर्षा वन जहां अधिक वर्षा एवं अधिक गर्मी पायी जाती है सर्वाधिक जैव--विविधता के लिए पहचाना जाता है।
सम्बन्धित प्रश्न
Comments Ashish on 11-11-2022
Sab de adhik javvjhita kaha pai Kati hai
Bheekam Patel on 18-08-2022
भारत में सर्वाधिक जैव विविधता कहां पाई जाती है
Firoz Khan on 14-06-2022
Which of the following region has maximum diversity
Priti on 15-03-2022
In a a food chain the saprophytic organism are
Rajani Jamnal on 13-10-2021
sarvadhik jevividhta kaha payi jati h
Sujalrawal on 19-03-2021
ऐसै क्षेत्र जहा बहुत अधिक जैव विविधता पायी जाती है
Ritika on 08-07-2019
Sarvadhik indhan kise kahte hai
Ririka on 08-07-2019
Hal he mai rahul gandhi khel puraskar se kise sammanit kiya gya h
Asalam on 02-10-2018
Sarvdhik jaiv bibidhata vala van
Q.22980: भूमध्य रेखीय सदाबहार वनों में सर्वाधिक पाई जाती है -
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भूमध्य रेखीय सदाबहार वनों में सर्वाधिक पाई जाती है - - Most of the equatorial evergreen forests are found in? - Bhumadhya rekhiy Sadabahar Vanon Me Sarwaadhik Pai Jati Hai - Rajasthan GK in hindi, वन Paryavaran Vividhata question answers in hindi pdf jatigat Vividhata questions in hindi, Know About Jaiv - Vividhata Rajasthan GK online test Rajasthan GK MCQS Online Coaching in hindi quiz book Tantra Vividhata
Anonymous on 01-01-1900
सर इस प्रश्न में (अ) सही होगा।
पृथ्वी पर जितने भी महत्त्वपूर्ण प्राकृतिक स्थान और क्षेत्र हैं, वे प्रायः खतरों में पड़े हुए हैं। इन क्षेत्रों की मूल वनस्पतियों का मात्र दस प्रतिशत अंश ही वर्तमान समय में बचा हुआ रह गया है। इन क्षेत्रों को संवेदनशील क्षेत्र यानि हॉट स्पॉट कहा जाने लगा है। इन्हें हॉट स्पॉट कहने का अभिप्राय यह है कि इनके संरक्षण के प्रति विशेष रूप से ध्यान दिया जाना चाहिए। ये संवेदनशील क्षेत्र जैव विविधता की दृष्टि से अत्यन्त समृद्ध एवं सम्पन्न हैं। इन क्षेत्रों के प्राणियों तथा उनकी प्रजातियों में स्थानीय विशेषताएँ विशेष रूप से दृष्टिगोचर होती हैं।
विश्व के पच्चीस संवेदनशील क्षेत्रों की एक सूची जारी की गई है। वैज्ञानिकों के मुताबिक जैव विविधता की दृष्टि से ये संवेदनशील क्षेत्र विशेष महत्त्वपूर्ण स्थान रखते हैं। आइए, इनके बारे में जानने की कोशिश करते हैं।
(2) कैरिबियन : कैरिबियन क्षेत्र की जलवायु अत्यधिक अस्थिर या परिवर्तनशील प्रकृति की है। इस क्षेत्र के एक द्वीप की जलवायु दूसरे द्वीप की जलवायु से नितांत भिन्न है। इन क्षेत्रों में सदाबहार झाड़ीवाली भूमि पायी जाती है। इनके बीच-बीच में सवाना का प्रसार है। कुछ अत्यंत शुष्क क्षेत्रों में कांटेदार झुरमुटों वाली वनस्पतियां पायी जाती हैं। ये क्षेत्र चौरस द्वीप के हैं। कुछ टापू तो बिल्कुल पर्वतीय व पत्तों से घिरे हुए हैं। इस क्षेत्र की जलवायु अधिक आर्द्र है। इस क्षेत्र की आर्द्र उष्णकटिबंधीय वनस्पतियों में मौसमी वन, लघु वनस्थली, दलदली वन क्षेत्र एवं पर्वतीय वन क्षेत्र पाये जाते हैं।
(3) ट्रॉपिकल एण्डीज : ट्रॉपिकल एण्डीज विश्व का सबसे समृद्ध जैव विविधता वाला क्षेत्र है। ऊँची-नीची भूमि, हिमाच्छादित पर्वतीय चोटियाँ, खड़े ढाल, गहरे दर्रे एवं एक-दूसरे से बिल्कुल अलग-थलग पड़ी घाटियों ने इस क्षेत्र में अचंभित करने वाली जैव विविधता और उनकी प्रजातियों के पनपने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायी है। ऊँचाइयों पर तृणभूमि और झाड़ियों वाली पारिस्थितिकी तंत्र व्याप्त है। इस पारिस्थितिकी तंत्र में गुच्छनुमा तृणों की प्रजातियां, घास, लाइकेंस, काई और फर्न पाये जाते हैं। इस क्षेत्र में वनस्थली, शुष्क वन, कैक्टस और कंटीली झाड़ियों का अद्भुत संसार विद्यमान है।
(4) मेसो अमेरिका का जैव भौगोलिक क्षेत्र : उत्तर अमेरिका का निआर्कटिक और दक्षिण एवं मध्य अमेरिका एवं कैरिबियन का नियोट्रॉपिकल है। यह क्षेत्र जैव विविधता की दृष्टि से जीवों एवं वनस्पतियों का विलक्षण संगम है। इस क्षेत्र का मुख्य पारिस्थितिकी तंत्र शुष्क वनों की बहुलता है। इस क्षेत्र में नितल भूमि के आर्द्र वन एवं पर्वतीय वन भी हैं। जहाँ-तहाँ दलदली और कछारी वनस्पतियाँ और जंगल भी पाये जाते हैं। प्रशांत महासागर के लम्बे तट पर चौड़े पत्तों और शंकुधारी वन भी ऊँचाइयों पर पाये जाते हैं। इस संवेदनशील क्षेत्र के बादलों से आच्छादित दक्षिण खड़े ढ़ाल पर प्राक पर्वतीय एवं पर्वतीय कठोर लकड़ी के वन पाये जाते हैं। इन जंगलों में चीखनेवाला बन्दर, जागुआर और क्वर्टजाल्सों की बहुतायत है। इस क्षेत्र में लगभग 24,000 किस्म के पौधों की प्रजातियाँ पायी जाती हैं। मेसो अमेरिका पंछियों की कुछ प्रजातियों के प्रवजन एवं मोनार्क तितलियों के शीतकालीन प्रवास का नाजुक गलियारा है।
(6) ब्राजील सेराडो : ब्राजील सेराडो वह अकेला हॉट स्पॉट है जिसमें विस्तृत सवाना जंगल एवं शुष्क वन बहुत बड़े भू-भाग में विस्तृत है। इस क्षेत्र में तरह-तरह की वनस्पतियाँ भी पायी जाती हैं जिनमें वृक्ष झाड़ियाँ, सवाना, तृणभूमि आदि हैं। इनके बीच में जहाँ-तहाँ वृक्ष और शुष्क सघन वनाच्छादित क्षेत्र हैं। इस क्षेत्र के वन सूखे एवं आग का सामना करने में सक्षम हैं।
(7) अटलांटिक वन क्षेत्र : दक्षिण अमेरिका के वर्षा वनों से बिल्कुल अलग-थलग होने के कारण अटलांटिक वनों में विलक्षण एवं मिश्रित प्रकार की विविध वनस्पतियों का विकास हुआ। इस संवेदनशील क्षेत्र के दो मुख्य पारिस्थितिक तंत्रीय क्षेत्र हैं। इन सभी क्षेत्रों में लगभग 20,000 किस्म के पौधों की प्रजातियाँ पायी जाती हैं, जिनमें से 4 प्रतिशत पौधे बिल्कुल स्थानीय प्रकृति के हैं। ये पौधे अन्यत्र नहीं पाये जाते हैं जिनमें से तीन प्रजातियाँ टैमरिन सिंह, अलागोस कुरासो (Alagoas Currasow) प्रमुख हैं। जीवों की ये प्रजातियाँ विश्व से पूर्णतः विलुप्त हो चुकी हैं।
(8) मध्य चीली : यह क्षेत्र भूमध्यसागरीय जलवायु वाला क्षेत्र है। इस क्षेत्र में बहुत बड़ी संख्या में लकड़ी वाले पौधों की प्रजातियाँ, वनस्पतियाँ एवं सघन वनीय वनस्पतियाँ पाई जाती हैं। मध्य चीली में रेगिस्तान क्षेत्र भी है। ऊँचाइयों पर पर्वतीय वन भी पाये जाते हैं। इस क्षेत्र में एण्डीयन बिल्ली, पहाड़ी विजकाचा एवं एण्डीयन गिद्ध भी पाये जाते हैं।
(9) भूमध्यसागरीय बेसिन : भूमध्यसागरीय बेसिन सुंदर दर्शनीय प्राकृतिक दृश्यों वाला क्षेत्र है। विश्व के सर्वाधिक विस्तृत द्वीप समूहों में से एक द्वीप समूह क्षेत्र भूमध्यसागरीय बेसिन में पाया जाता है। इस क्षेत्र की जलवायु ठंडी, नम, शीत ऋतु एवं उष्ण, शुष्क ग्रीष्म ऋतु वाली है। एक समय यह क्षेत्र पर्णपाती वनों से आच्छादित था, किन्तु मानवीय हस्तक्षेपों और बसावट के कारण यहाँ कठोर पत्ती वाली झाड़ियों की ही अधिक भरमार है।
(10) काकासस : तृणभूमि, अर्द्धमरूभूमि, चौड़े पत्ते वाले वृक्षों के वन, पर्वतीय कोणधारी वृक्ष एवं झाड़ी वन इस क्षेत्र के प्रमुख पारिस्थितिकी तंत्र हैं। सवाना, दलदली वन, अर्द्धनिर्जल वन स्थल भी इस क्षेत्र की जैव विविधता की विशेषताएं हैं। निकटवर्ती एशिया और यूरोप से दोगुने से अधिक जैव विविधता का विकास इस क्षेत्र की विशेषता है।
(11) मेडागास्कर एवं हिंद महासागरीय द्वीप : इन द्वीप समूहों में अनेक दुर्लभ प्रजातियों के समूह पाये जाते हैं। मेडागास्कर में आश्चर्य में डाल देने वाली पौधों की प्रजातियाँ, पंछियों के पाँच परिवार और नर वानरों के पाँच परिवार पाये जाते हैं। ये जीव इस धरती पर अन्यत्र कहीं नहीं पाये जाते। इस तरह इस अति संवेदनशील क्षेत्र के संरक्षण पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। यद्यपि मेडागास्कर क्षेत्र के 90 प्रतिशत से अधिक प्राक वन विनष्ट हो चुके हैं। फिर भी शेष 59000 किलोमीटर क्षेत्र की पारिस्थितिकी के 9.9 प्रतिशत क्षेत्र अभी भी अपनी प्राकृतिक दशा में हैं।
(12) पूर्व आर्क पर्वत एवं तटीय वन क्षेत्र : यहाँ ऊँची भूमि एवं तटीय वनों वाले सघन पौधों की प्रजातियाँ सीमित भूक्षेत्र में पायी जाती हैं। इस क्षेत्र के पर्वत एवं वन लगभग 30 से 100 मिलियन वनों से एक दूसरे से अलग-थलग पड़े हुए हैं। यहाँ कुछ ऐसी प्रजातियाँ पायी जाती हैं, जो अन्यत्र कहीं भी नहीं पायी जाती हैं। यहाँ लाल वानर और कोमल अफ्रीकी बैंगनी बानरों की प्रजातियाँ पायी जाती हैं। इसके इस क्षेत्र में सात प्रकार के अन्य दुर्लभ वानरों की प्रजातियाँ भी पायी जाती हैं।
(14) केप फ्लोरिडा क्षेत्र : विश्व के पाँच भूमध्य सागरीय वन क्षेत्रों में से एक केप फ्लोरिडा क्षेत्र है; यहाँ सदाबहार झाड़ी वन हैं, जिन्हें फाइबास कहा जाता है। इस क्षेत्र में घास के मैदान हैं, जो बंजर भूमि भी है। इस क्षेत्र में वृक्ष आपवादिक रूप में ही उगते हैं। इस क्षेत्र में वृक्ष उन्हीं विशिष्ट क्षेत्रों में उगते हैं जो आग से सुरक्षित होते हैं। ऐसा केप फ्लोरिडा का दक्षिणी तट है। इस क्षेत्र में 3200 संवन पौधों की प्रजातियाँ पायी जाती हैं, जिनमें से पौधों के छः परिवार और 5,632 प्रजातियाँ ऐसी हैं जो पृथ्वी पर और कहीं नहीं पायी जाती। यहाँ धारीदार मेढ़क, केप-सुअर, और छोटे-छोटे हिरणों की प्रजातियाँ भी पायी जाती हैं।
(15) सुकलैंट कारू : यह क्षेत्र सम्पूर्णत: अर्धनिर्जल क्षेत्र है। इस मरुभूमीय क्षेत्र में जाड़े में वर्षा होती है। यहाँ छोटी-छोटी (बौनी) झाड़ियों वाली भूमि है। विश्व की मरुभूमियों में पायी जानेवाली विलक्षण वनस्पतियों में से एक रसदार पत्ती वाली वनस्पति इस पूरे क्षेत्र में पायी जाती है। मौसमी और सालों भर उगने वाले वृक्ष यहाँ होते हैं। पर्वतीय क्षेत्रों में ऊँचे-ऊँचे घीकुँवर और झाड़ियाँ होती हैं।
(19) सुण्डलैण्ड : सुण्डलैंडीय संवेनशील क्षेत्र में अत्यधिक ऊँचाई वाले विविधतापूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र पाये जाते हैं। निम्नभूमि वर्षा वनों में द्विफलकीय मीनारनुमा वृक्ष पाये जाते हैं। बलुई एवं पथरीली तटीय बन्दरगाहों के पास तटीय वन पाये जाते हैं, जबकि दलदली तटों में भी वनों का विस्तार है। भीतरी क्षेत्रों में दलदली वन हैं। बलुई पत्थर वाली बंजर भूमि की पर्वत श्रेणियों में बंजर वन हैं। ऊँचाइयों पर स्थित वन से सघन काई भी होती है। लाइकेन, आर्किड एवं पर्वतीय वन भी है।
(20) फीलीपीन्स : शताब्दियों पूर्व फीलीपीन्स निम्न भूमि वर्षा वनों से आच्छादित था। शेष सीमित भू-क्षेत्र में मौसमी वनों, मिश्रित वन, सावाना एवं चीड़ के वृक्षों से भरे वन का विस्तार है। लेकिन अब केवल सात प्रतिशत मूल निम्नभूमि वन शेष है। अधिक ऊँचाइयों पर निम्न भूमि जंगलों की जगह पर्वतीय वन ले लेते हैं। यह क्षेत्र दुर्लभ प्रजातियों का निवास स्थान है। यह समुद्रीय जैव विविधता के लिये भी सुप्रसिद्ध है। विश्व में अब तक सात सौ प्रकार की प्रवाल-भित्तियाँ पायी जाती हैं, जिनमें से 500 किस्म की प्रवाल भित्तियाँ अकेले फीलीपीन्स में पायी जाती हैं। इस क्षेत्र में कुछ दुर्लभ प्राणियों में सेबु, फुलचुही, सुनहरी कलगी वाली उड़न लोमड़ी, जंगली मेढ़क, फीलीपीनी कोयल एवं फीलीपीनी ईगल शामिल हैं।
(22) दक्षिण-पश्चिम ऑस्ट्रेलिया : दक्षिण पश्चिम ऑस्ट्रेलिया की जलवायु भूमध्यसागरीय है। यहाँ जाड़े में वर्षा ज्यादा होती है। यहाँ की गर्मी शुष्क होती है। इस क्षेत्र में पौधों और सरीसृप की अनेक दुर्लभ प्रजातियां पायी जाती हैं। यूकेलिप्टस प्रकार के वन यहाँ विद्यमान हैं। बंजर भूमि में झाड़ियां पायी जाती हैं, जिनमें से अनेक स्थानीय प्रकार की हैं। यहाँ दलदली मेढ़क, हनी पोसम, लाल कलगी वाला तोता पाया जाता है।
(23) न्यूजीलैंड : छोटे से देश न्यूजीलैंड में बहुविध प्रकार के भू-दृश्य अवस्थित हैं। इस देश की जलवायु में भी विविधता है, जिसके कारण यहाँ की जैव विविधता में भी बहुत भिन्नता दिखायी पड़ती है। इस देश में शीतोष्ण वनों की अधिकता है। शेष भूमि में बलुआही भूमि, गुच्छ तृणभूमि एवं आर्द्र भूमि पायी जाती है।
(24) पोलीनेशिया एवं माइक्रोनेशिया : यहाँ कई प्रकार के पारिस्थितिकी तंत्र पाये जाते हैं। यहाँ बारह प्रमुख वनस्पतियों के पारिस्थितिकी तंत्र हैं। इसमें लड़ीदार वनस्पतियाँ, वर्षावन, मेघाच्छादित वन, खुले वनस्थल, सवाना, झाड़ी भूमि, कछारी वनस्पति एवं तटीय वन भूमि है। इस क्षेत्र की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यहाँ 70 प्रतिशत पक्षियों की प्रजातियाँ स्थानीय प्रकार की हैं जो अति दुर्लभ किस्म की हैं इनमें कॉलर वाले मधुशुक प्रमुख हैं।
(25) न्यू कैलेडोनिया : यहाँ की वनस्पतियां बिल्कुल प्राकृतिक प्रकार की हैं। मध्य पर्वतीय क्षेत्रों में सदाबहार वन हैं। शुष्क क्षेत्रों में झाड़ी-भूमि है। विश्व की 24 दूर्लभ अरौकारिया प्रकार के वृक्षों में 19 प्रजातियाँ अकेले न्यू कैलोरिडा में पाए जाते हैं।
जीवों के प्राकृतिक वास-स्थल पर धीरे-धीरे मानवीय गतिविधियों के कारण खतरा उत्पन्न हो गया है एवं ये विनष्ट होने के कगार पर आ चुके हैं। ऐसे में जैव विविधता के इन संवेदनशील क्षेत्रों को भी संरक्षण एवं संवर्द्धन की आवश्यकता महसूस हो रही है। अतः विश्व स्तर पर जैव विविधता की क्षति की समस्या के समाधान के निमित्त इन क्षेत्रों की पारिस्थितिकी एवं प्रजातियों के संरक्षण को विशेष लक्ष्य के केन्द्र में रखा गया है। संवेदनशील क्षेत्र संबंधी रणनीतिक योजनाओं से जीवों के विलुप्त होने के संकट के समाधान में सहायता मिलेगी। इस तरह इन क्षेत्रों के जीवों और वनस्पतियों को विनष्ट या विलुप्त होने से बचाया जा सकता है।
संदर्भ :
1. Norman Myers, “The Environmentalist”, 1988 & 1990.
2. WWF, “Global 200” Ecoregions.
3. Zachas, Frank E., Habel, Bio-diversity Hot spots, distribution and Protection of Conservation Priority Areas, Jan Christian (Eds.), 2011, XVII, 546p.
सम्पर्क
रवि रौशन कुमार
प्रखण्ड शिक्षक, राजकीय मध्य विद्यालय, माधोपट्टी (दरभंगा), मोबाइल- 09708689580; ई-मेल :