समावेश से आप क्या समझते हैं और हम इसे कैसे लागू कर सकते हैं? - samaavesh se aap kya samajhate hain aur ham ise kaise laagoo kar sakate hain?

समावेशी शिक्षा Samaveshi Shiksha का सामान्य अर्थ है- सभी छात्रों की एक साथ या एक जगह पर शिक्षा की व्यवस्था कराने को ही समावेशी शिक्षा कहा जाता हैं। समावेशी शिक्षा आधुनिक युग की नवीन खोज हैं शिक्षा के क्षेत्र में यह एक नया मार्ग हैं। जिसके आधार पर भारतीय शिक्षा प्रणाली को सुदृण बनाया गया हैं।

समावेशी शिक्षा का उद्देश्य सभी छात्रों को बिना भेदभाव किये एक साथ शिक्षा के समान अवसर उपलब्ध कराना हैं। समावेशी शिक्षा में मनोविज्ञान के सिद्धांतों का समिश्रण होता हैं अर्थात इसके अंतर्गत विद्याथियों की मानसिक क्षमता को समझकर उसके अनुरूप उनके विकास की योजना का निर्माण किया जाता हैं।

समावेशी शिक्षा (Inclusive Education) शिक्षा जगत की आधुनिक मांग हैं। जिसके आधार पर चलकर एक विशेष शिक्षा व्यवस्था का निर्माण किया गया हैं। इसके अंतर्गत दिव्यांगों, मंद बुद्धि, मेधावी छात्रों,अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति को एक साथ बैठाकर एक ही स्थान में शिक्षा दिलाने की व्यवस्था करने की योजना का निर्माण किया गया। जिसे समावेशी शिक्षा (Samaveshi Shiksha) के नाम से जाना जाता हैं। समावेशी शिक्षा दिव्यांगों का मनोबल बढ़ाने का भी कार्य करती हैं।

समावेशी शिक्षा की परिभाषा – UNESCO के अनुसार- ” व्यापक रूप में समावेशन को एक ऐसे सुधार के रूप में लिया जाता हैं जिसमें सीखने वालों की भिन्नता का आधर किया जाता हैं।

समावेशी शिक्षा (Samaveshi Shiksha) में छात्रों की वैयक्तिक भिन्नता का ध्यान रखा जाता हैं। सभी को एक समान मानकर इसमे छात्रों को शिक्षा प्रदान की जाती हैं। शिक्षा के समान अवसर के गुण के सभी सिद्धान्तों का पालन समावेशी शिक्षा में किया जाता हैं। समावेशी शिक्षा हेतु विशिष्ठ प्रशिक्षित शिक्षकों की आवश्यकता होती हैं। जिससे वह छात्रों में मध्य समन्वय स्थापित कर सकें।

समावेशी शिक्षा द्वारा लोकतंत्र को मजबूत किया जाना सम्भव सिद्ध हुआ हैं। इसके द्वारा समानता का अधिकार एवं सांस्कृतिक एवं शिक्षा का अधिकार जैसे अधिकारों की सही प्राप्ति करना एवं लागू करना सम्भव सिद्ध हुआ हैं। समावेशी शिक्षा के द्वारा एक छात्र दूसरे छात्र के गुणों का अनुकरण करता है एवं अच्छे गुणों को अपने व्यवहार में लाता हैं। जिससे उसका मानसिक एवं बौद्धिक विकास की गति तीव्र होती हैं। इस शिक्षा के अंतर्गत छात्रों को शारीरिक शिक्षा भी प्रदान की जाती हैं।

समावेशी शिक्षा (Samaveshi Shiksha) की विशेषता

  • समावेशी शिक्षा लोकतंत्र की भावनाओं का समर्थन करता हैं एवं उस आधार पर ही छात्रों को शिक्षा प्रदान करने का कार्य करता हैं।
  • समावेशी शिक्षा (Samaveshi shiksha) में छात्रों की संख्या सीमित कर 20-25 तक रखी जाती हैं एवं छात्रों के शिक्षण हेतु विशिष्ट प्रशिक्षण वाले अध्यापकों को नियुक्त किया जाता हैं।
  • समावेशी शिक्षा द्वारा छात्र नवीन अनुभव ग्रहण करते हैं। जिससे उनके आत्मविश्वास में वृद्धि होई हैं।
  • समावेशी विद्यालयों का समय के साथ-साथ निरीक्षण भी किया जाता हैं। जिससे निरीक्षणकर्ता जरूरत के अनुसार उसमे सुधार हेतु परिवर्तन का भी सुझाव देते हैं।
  • समावेशी कक्षाओं में दिव्यांगों की सुविधाओं का पूरा-पूरा ध्यान रखा जाता हैं। उनके आने-जाने , खाने-पीने की पूर्ण व्यवस्था करी जाती हैं।
  • उनके आत्मविश्वास में वृद्धि हेतु उनके मनोबल में सुधार लाने का निरंतर प्रयत्न किया जाता हैं।

समावेशी शिक्षा की आवश्यकता

भारतीय शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार हेतु समावेशी शिक्षा को अपनाना एवं इसके क्षेत्र का विस्तार करना अति आवश्यक हैं। यह लोकतंत्र को मजबूती प्रदान करने का कार्य करती हैं। इसके द्वारा संविधान द्वारा दिये गए मौलिक अधिकारों की पूर्ण रूप से प्राप्ति सम्भव हैं। समावेशी शिक्षा के द्वारा समानता के अधिकार का क्रियान्वयन पूर्ण रूप से होना सम्भव हैं। दोस्तों अगर आप समावेशी शिक्षा से संबंधित एक बहुत अच्छी पुस्तक की तलाश में है तो आप नींचे दिए गए link में click कर सकते हैं और अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

समावेशी शिक्षा द्वारा छात्रों को शिक्षा के समान अवसर मिलते हैं। इसमें छात्रों की मानसिक, बौद्धिक, शारीरिक के आधार पर भेदभाव नही किया जाता और यह सभी को एक समान मानकर एक ही स्थान पर शिक्षा प्रदान करने का कार्य करता हैं। इसके द्वारा दिव्यांग छात्रों एवं पिछड़े वर्ग के छात्रों के शिक्षा स्तर में सुधार लाया जा सकता हैं। यह विशिष्ट शिक्षा (special education) का प्रतिरूप हैं।

यह सभी छात्रों को समान शिक्षण-अधिगम के अवसर प्रदान करता हैं। चूंकि यह सभी को शिक्षा के समान अवसर उपलब्द कराता हैं इसीलिए इसके द्वारा शिक्षा के अधिकार अधिनियम,2009 के उद्देश्यों की प्राप्ति भी की जा सकती हैं। समावेशी शिक्षा बिना किसी भेदभाव के सभी को व्यवसायिक अवसर प्रदान कराती हैं।

निष्कर्ष –

आधुनिक युग में समाज की परिस्तिथियों एवं शिक्षा में व्याप्त असमानताओं को देखते हुए जरूरी हैं कि समावेशी शिक्षा का विस्तार किया जाए। परंतु वास्तविकता यह हैं कि वर्तमान में सामान्यतः सभी छात्रों को शिक्षा के समान अवसर उपलब्ध नहीं हो पाते। ऐसे छात्र जो उच्च शिक्षा प्राप्त करना चाहते हैं परंतु उनकी आर्थिक या सामाजिक स्थिति ऐसी नही होती की वो शिक्षा प्राप्त करने में सक्षम हो सकें। दोस्तों आपने आज जाना समावेशी शिक्षा (samaveshi shiksha) क्या हैं? Inclusive Education in Hindi भारतीय शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार हेतु ऐसे छात्रों के लिए भी शिक्षा के समान अवसर उपलब्ध कराने का प्रयास किया जाना चाहिए।

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समावेश से आप क्या समझते हैं?

समावेश- समावेश वह प्रक्रिया है जो प्रतिभाशाली बालकों को प्रत्येक दशा में सामान्य शिक्षा कक्ष में उनकी शिक्षा के लिये लाती है । समन्वित पृथक्करण के विपरीत है । पृथक्करण वह प्रक्रिया है जिसमें समाज का विशिष्ट समुह अलग से पहचाना जाता है तथा धीरे धीरे सामाजिक तथा व्यक्तिगत दूरी उस समूह की तथा समाज की बढ़ती जाती है।

समावेशी शिक्षा से आप क्या समझते है?

समावेशी शिक्षा ऐसी शिक्षा है जिसके अन्तर्गत शारीरिक रूप से बाधित बालक तथा सामान्य बालक साथ-साथ सामान्य कक्षा में शिक्षा ग्रहण करते हैं। अपंग बालकों को कुछ अधिक सहायता प्रदान की जाती है। इस प्रकार समावेशी शिक्षा अपंग बालकों के पृथक्कीकरण के विरोधी व्यावहारिक समाधान है।

समावेशी शिक्षा से आप क्या समझते हैं इसके विकास पर प्रकाश डालें?

समावेशी शिक्षा शारीरिक एवं मानसिक रूप से बाधित सभी बच्चों के लिए है। यह ऐसे प्रत्येक बालक के लिए शिक्षा एवं सामान्य शिक्षक की बात करता है। जो इससे लाभ प्राप्त करने के योग्य है अतः समावेशी शिक्षा का कार्य क्षेत्र ऐसे सभी बालकों के बीच अपनी पहुंच बनाना है एवं उन्हें अधिगम प्रदान कर सामान्य जीवन यापन हेतु अग्रसर करना है।

समावेशी शिक्षा से आप क्या समझते हैं PDF?

समावेशी शिक्षा वह शिक्षा होती है, जिसके द्वारा विशिष्ट क्षमता वाले बालक जैसे मन्दबुद्धि, अन्धे बालक, बहरे बालक तथा प्रतिभाशाली बालकों को ज्ञान प्रदान किया जाता है। समावेशी शिक्षा के द्वारा सर्वप्रथम छात्रों के बौद्धिक शैक्षिक स्तर की जाँच की जाती है, तत्पश्चात् उन्हें दी जाने वाली शिक्षा का स्तर निर्धारित किया जाता है।

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