सागर की अपेक्षा पंक जल को श्रेष्ठ क्यों बताया गया है? - saagar kee apeksha pank jal ko shreshth kyon bataaya gaya hai?

सागर की अपेक्षा पंक-जल को श्रेष्ठ क्यों बताया गया है। इसके माध्यम से कवि ने क्या सीख दी है?

सागर की अपेक्षा पंक-जल को श्रेष्ठ इसलिए बताया गया है क्योंकि कीचड़ का पानी छोटे जीव-जन्तुओं का प्यास बुझाने की सामर्थ्य रखना है किन्तु सागर का जल खारा होने के कारण व्यर्थ है क्योंकि उसका किसी कार्य में उपयोग नहीं हो सकता। कहने का अभिप्राय है कि वह छोटा व्यक्ति भी धन्य है जो परोपकार करता है, किन्तु उस बड़े अर्थात् धनी व्यक्ति का जीवन व्यर्थ है जो समाज की भलाई के लिए कार्य नहीं करता।

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निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए-
जलहीन कमल की रक्षा सूर्य भी क्यों नहीं कर पाता?

जलहीन कमल की रक्षा सूर्य भी इसलिए नहीं कर पाता क्योंकि जल से ही कमल की प्यास बुझती है. वह खिलता है और जीवन पाता है। कमल की सम्पत्ति जल है। अपनी सम्पत्ति नष्ट होने पर दूसरा व्यक्ति साथ नहीं दे सकता।

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निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए-
हमें अपना दुःख दूसरों पर क्यों नहीं प्रकट करना चाहिए? अपने मन की व्यथा दूसरों से कहने पर उनका व्यवहार कैसा हो जाता है?

हमें अपना दु ख दूसरों पर प्रकट नहीं करना चाहिए, क्योंकि संसार उसका मजाक उड़ाता है। हमें अपना दुःख अपने मन में ही रखना चाहिए। अपने मन की व्यथा दूसरों से कहने पर उनका व्यवहार परिहास पूर्ण हो जाता है।

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निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए-
रहीम ने सागर की अपेक्षा पंक जल को धन्य क्यों कहा है?

रहीम ने सागर की अपेक्षा पंक जल को धन्य इसलिए कहा है क्योंकि सागर का जल खारा होता है, वह किसी की प्यास नहीं बुझा सकता जबकि पक जल धन्य है जिसे पीकर छोटे-छोटे जीवों की प्यास तृप्त हो जाती है। इसलिए कवि ने ऐसा कहा है।

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निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए-
प्रेम का धागा टूटने पर पहले की भाँति ‘क्यों नहीं हो पाता?

प्रेम आपसी लगाव और विश्वास के कारण होता है। यदि एक बार यह लगाव या विश्वास टूट जाए तो फिर उसमें पहले जैसा भाव नहीं रहता। मन में दरार आ जाती है। जिस प्रकार सामान्य धागा टूटने पर उसे जब जोड़ते हैं तो उसमें गाँठ पड़ जाती है। इसी प्रकार प्रेम का धागा भी टूटने पर पहले के समान नहीं हो पाता।

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निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए-
एक को साधने से सब कैसे सध जाता है?

एक पर अटूट विश्वास करके उसकी सेवा करने से सब कार्य सफल हो जाते हैं तथा इधर-उधर भटकना नहीं पड़ता। एक को साधने से सब कार्य उसी प्रकार सिद्ध हो जाते हैं जिस प्रकार जड़ को सींचने से फल, फूल आदि मिलते हैं। उसी प्रकार परमात्मा को साधने से अन्य सब कार्य कुशलता पूर्वक संपन्न हो जाते हैं।

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विषयसूची

  • 1 सागर की अपेक्षा पंक जि को श्रेष्ठ क्यों बत य गय है इसके म ध्यम से कठि ने क्य सीि दी है?
  • 2 पंक जल अच्छा क्यों है?
  • 3 धागा टूट जाने पर यदि पुनः उसे जोड़ा जाए तो उसमें क्या परिवर्तन आएगा?
  • 4 कीचड़ के जल की क्या विशेषता है?
  • 5 धागा टूटने पर कफर क्यों नहीं लमल पाता?
  • 6 प्रेम रूपी धागा जुड़ जाने पर क्या होता हैं?

सागर की अपेक्षा पंक जि को श्रेष्ठ क्यों बत य गय है इसके म ध्यम से कठि ने क्य सीि दी है?

इसे सुनेंरोकेंसागर की अपेक्षा पंक-जल को श्रेष्ठ इसलिए बताया गया है क्योंकि कीचड़ का पानी छोटे जीव-जन्तुओं का प्यास बुझाने की सामर्थ्य रखना है किन्तु सागर का जल खारा होने के कारण व्यर्थ है क्योंकि उसका किसी कार्य में उपयोग नहीं हो सकता।

पंक जल अच्छा क्यों है?

इसे सुनेंरोकेंQuestion 3: रहीम ने सागर की अपेक्षा पंक जल को धन्य क्यों कहा है? उत्तर: कीचड़ में जल की अल्प मात्रा होती है फिर भी इस जल से कई जीवों की प्यास बुझती है। लेकिन सागर का जल विशाल मात्रा में होने के बावजूद किसी की प्यास नहीं बुझा पाता। इसलिए रहीम ने सागर की अपेक्षा पंक जल को धन्य कहा है।

कौन जल धन्य है *?

इसे सुनेंरोकेंकौन-सा जल धन्य है? A. रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो चटकाय। टूटे से फिर ना मिले, मिले गाँठ परि जाय।।

जि स पर वि पदा पड़ती है वह कहाँ जा ता है रही म के दो हे के आधा र पर लि खि ए L?

ज्योंजैसे
कोय कोई
धनि धन्य
आखर अक्षर
जिय जीव

धागा टूट जाने पर यदि पुनः उसे जोड़ा जाए तो उसमें क्या परिवर्तन आएगा?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर : (क) जिस प्रकार टूटे हुए धागे को जोड़ने पर उसमें गांठ पड़ जाती है, उसी प्रकार प्रेम के टूटे हुए दिल को जोड़ने पर वह पहले के समान नहीं रह पाता।

कीचड़ के जल की क्या विशेषता है?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर:- पहाड़ लुप्त कर देने वाले कीचड़ की विशेषता है कि बहुत अधिक कीचड़ का होना। यह कीचड़ जमीन के नीचे बहुत गहराई तक होता है। ऐसा कीचड़ गंगा नदी के किनारे खंभात की खाड़ी सिंधु के किनारे पर होता है।

कवि के अनुसार जीवन में किसका महत्व है *?

इसे सुनेंरोकेंरहीम के अनुसार जीवन की सार्थकता परोपकार में है। उनका कहना है कि वे लोग धन्य हैं जिनका शरीर सदा सबका उपकार करता है। जिस प्रकार मेंहदी बाँटने वाले के अंग पर भी मेंहदी का रंग लग जाता है उसी प्रकार परोपकार करने वाले का शरीर भी सुशोभित रहता है।

पहले पद में कवि द्वारा कौन सा भाव अभिव्यक्त किया गया?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर:- इस पंक्ति का भाव यह है कि फल-फूल पाने के लिए जड़ को ही सींचना चाहिए अर्थात् कवि यहाँ पर एक ही ईश्वर भक्ति की ओर ध्यान देने के लिए कहते हैं। 4. दीरघ दोहा अरथ के, आखर थोरे आहिं।

धागा टूटने पर कफर क्यों नहीं लमल पाता?

प्रेम रूपी धागा जुड़ जाने पर क्या होता हैं?

इसे सुनेंरोकेंप्रेम का धागा संबंधों को जोड़ता है इस तथ्य को स्पष्ट करते हुए रहीम जी कहते हैं कि प्रेम रूपी धागे को झटके से नहीं तोड़ना चाहिए। अगर इसमें एक बार गाँठ पड़ जाती है तो यह फिर नहीं जुड़ता और अगर जुड़ता भी है तो इसमें गाँठ पड़ जाती है अर्थात् प्रेम सम्बन्ध कठिनाई से बनते हैं।

रहीम जी ने सागर की अपेक्षा पंक जल को क्यों श्रेष्ठ बताया है?

Question 3: रहीम ने सागर की अपेक्षा पंक जल को धन्य क्यों कहा है? उत्तर: कीचड़ में जल की अल्प मात्रा होती है फिर भी इस जल से कई जीवों की प्यास बुझती है। लेकिन सागर का जल विशाल मात्रा में होने के बावजूद किसी की प्यास नहीं बुझा पाता। इसलिए रहीम ने सागर की अपेक्षा पंक जल को धन्य कहा है।

पंख जल अच्छा क्यों है?

उत्तर : पंक में प्राप्त अल्प जल से क्षुद्र प्राणियों की प्यास बुझती है, लेकिन समुद्र के अथाह जल से किसी भी प्राणी की प्यास नहीं बुझती है। इसीलिए कवि ने पंक जल को सागर जल की अपेक्षा धन्य कहा है

धागा टूटने पर जोड़ा जाए तो क्या होता है?

जिस प्रकार धागा टूटने पर जब उसे जोड़ा जाए तो एक गाँठ पड़ ही जाती है।

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