रावण के कितने माथे होते हैं? - raavan ke kitane maathe hote hain?

Dussehra 2021: बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में दशहरा का पर्व मनाया जाता है. पौराणिक कथा रामायण के अनुसार भगवान राम ने दशहरे के दिन ही लंकापति रावण का वध किया था और लंका पर विजय प्राप्त की थी. अस्त्र-शस्त्रों का पारंगत बलशाली सोने की लंका के सम्राट रावण के बारे में वैसे तो कई सारी कथाओं में बहुत कुछ पढ़ा होगा, लेकिन आपको आज हम दशानन की कुछ और दिलचस्प बातें बताने जा रहे हैं-

रावण से जुड़ीं कुछ अहम बातें 


1. दशानन रावण के थे 10 सिर: रावण की कोई मामूली सत्ता नहीं थी. रावण के 10 सिर थे. धर्म कहता है 10 दिशाएं होती हैं, जो रावण 10 दिशाओं पर नियंत्रण कर सकता था. लेकिन यहां 10 सिर से तात्पर्य कुछ और ही है. दरअसल रावण के गले में 9 मणियों की एक माला थी. ये माला रावण के 10 सिर होने का भ्रम पैदा करती थी. रावण को मणियों की यह माला उनकी मां कैकसी ने दी थी. 

2. शिवजी के सबसे बड़े भक्त: रावण को शिवजी का सबसे बड़ा भक्त बताया जाता है. शिवजी ने ही उन्हें रावण नाम दिया था. रावण शिवजी को अपने साथ कैलाश पर्वत से लंका ले जाना चाहता था जिसके लिए भगवान शिव तैयार नहीं थे. रावण ने जब कैलाश पर्वत उठाने का प्रयास किया तो शिव की ताकत से उनकी उंगली दब गई और वो दर्द से तड़पने लगा. 

3. इस तरह नाम पड़ा रावण: दर्द में तड़पते हुए भी रावण शिवजी के सामने तांडव करने लगा, जिससे भगवान शिव आश्चर्य में पड़ गए. बाद में उन्होंने प्रसन्न होकर दशानन को रावण नाम दिया, जिसका अर्थ होता है तेज आवाज में दहाड़ना. 

4. राम के लिए किया था यज्ञ: रावण ने भगवान राम के लिए एक बार यज्ञ भी किया था. भगवान राम की सेना को समुद्र पर सेतु बनाने के लिए शिवजी का आशीर्वाद चाहिए था और इसके लिए एक यज्ञ करना था जो सिर्फ ज्ञानी ब्राह्मण द्वारा ही संभव था. इसके लिए राम ने रावण को यज्ञ करने का निमंत्रण भेजा. रावण भगवान शिव को काफी मानता था, इसलिए वो इस निमंत्रण को ठुकरा न सका.

5. संगीत से था प्रेम: रावण को संगीत से भी अत्यंत प्रेम था. रावण को रूद्र वीणा बजाने में हराना लगभग नामुमकिन था. ऐसा कहा जाता है कि रावण जब भी परेशान होता था तो वीणा बजाता था. 

6. लक्ष्मण के दिए सफलता के मंत्र: रावण ने अपने अंतिम समय में भगवान राम के छोटे भाई लक्ष्मण से बात की थी. इस दौरान उन्होंने लक्ष्मण को जीवन में सफलता से जुड़े कई मूल मंत्र दिए थे. रावण को वेद और संस्कृत का उच्च ज्ञान था. रावण को चारों वेदों का ज्ञान था. रावण को एक अच्छा रणनीतिकार और बुद्धीमानी ब्राह्मण का दर्जा मिला हुआ था.

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रावण को 'दस मुख' या यानी 10 सिर वाला भी कहा जाता है और यही कारण है कि उसको 'दशानन' कहा जाता है. साहित्यिक किताबों और रामायण में उनको 10 सिर और 20 भुजाओं के रूप में दर्शाया गया है. रावण, मुनि विश्वेश्रवा और कैकसी के चार बच्चों में सबसे बड़ा पुत्र था. उनकों छह शास्त्रों और चारों वेदों का भी ज्ञान था. इसलिए ऐसा माना जाता है कि वह अपने समय का सबसे विद्वान् था. आइये इस लेख के माध्यम से अध्ययन करते हैं कि रावण के दस सिर आखिर किस बात का प्रतीक हैं.

What does Ravana ten heads symbolises?

रावण लंका का रजा था जिसे दशानन यानी दस सिरों वाले के नाम से भी जाना जाता था. रावण रामायण का एक केंद्रीय पात्र है| उसमें अनेक गुण भी थे जैसे अनेकों शास्त्रों का ज्ञान होना, अत्यंत बलशाली, राजनीतिज्ञ, महापराक्रमी इत्यादि|

रावण को राक्षस के राजा के रूप में दर्शाया गया है जिसके 10 सिर और 20 भुजाएँ थी और इसी कारण उनको "दशमुखा" (दस मुख वाला ), दशग्रीव (दस सिर वाला ) नाम दिया गया था।  रावण के दस सिर 6 शास्त्रों और 4 वेदों के प्रतिक हैं, जो उन्हें एक महान विद्वान और अपने समय का सबसे बुद्धिमान व्यक्ति बनाते हैं। वह 65 प्रकार के ज्ञान और हथियारों की सभी कलाओं का मालिक था l रावण को लेकर अलग-अलग कथाएँ प्रचलित हैं l

वाल्मीकि रामायण के अनुसार रावण दस मस्तक, बड़ी दाढ़, ताम्बे जैसे होंठ और बीस भुजाओं के साथ जन्मा था l वह कोयले के समान काला था और उसकी दस ग्रिह्वा कि वजह से उसके पिता ने उसका नाम दशग्रीव रखा था l इसी कारण से रावण दशानन, दश्कंधन आदि नामों से प्रसिद्ध हुआ l

आइए जानते  हैं रावण के दस सिर किस बात का प्रतीक हैं

क्या आप जानते हैं कि रावण ने ब्रह्मा के लिए कई वर्षों तक गहन तपस्या की थी l अपनी तपस्या के दौरान, रावण ने ब्रह्मा को प्रसन्न करने के लिए 10 बार अपने सिर को काट दिया। हर बार जब वह अपने सिर को काटता था तो एक नया सिर प्रकट हो जाता था l इस प्रकार वह अपनी तपस्या जारी रखने में सक्षम हो गया।
 
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अंत में, ब्रह्मा, रावण की तपस्या से प्रसन्न हुए और 10 वें सिर कटने के बाद प्रकट हुए और उन्हें वरदान मांगने को कहा l इस पर रावण ने अमरता का वरदान माँगा पर ब्रह्मा ने निश्चित रूप से मना कर दिया, लेकिन उन्हें अमरता का आकाशीय अमृत प्रदान किया, जिसे हम सभी जानते हैं कि उनके नाभि के तहत संग्रहीत किया गया था।
भारतीय पौराणिक कथाओं को समझना काफी मुश्किल है, ये कथाएँ एक और कहानी को दर्शाती है और दूसरी तरफ उन कहानियों के पीछे गहरा अर्थ छिपा होता हैl रावण के दस सिर को दस नकारात्मक प्रवृत्तियों के प्रतीक के रूप में भी माना गया हैl

रावण के बारे में 10 आश्चर्यजनक तथ्य
ये प्रवृत्तियां हैं काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद, मत्सर, घृणा, ईर्ष्या, द्वेष एवं भय l कैसे इन प्रवृत्तियों को भड़ावा मिलता हैl

1. अपने पदनाम, अपने पद या योग्यता को प्यार करना – अहंकार को भड़ावा देना l

2. अपने परिवार और दोस्तों को प्यार करना - अनुराग, लगाव या मोहा l

3. अपने आदर्श स्वभाव को प्यार करना - जो पश्चाताप की ओर जाता है l

4. दूसरों में पूर्णता की अपेक्षा करना - क्रोध या क्रोध की ओर अग्रसर होना l

5. अतीत को प्यार करना - नफरत या घृणा के लिए अग्रणी होना l

6. भविष्य को प्यार करना - डर या भय के लिए अग्रणी l

7. हर शेत्र में नंबर 1 होना चाहते हैं - यह ईर्ष्या को भड़ावा देती है l

8. प्यार करने वाली चीजें - जो लालच या लोभा को जगाती है l

9 विपरीत लिंग के प्रति आकर्षित होना - वासना है l

10. प्रसिद्धि, पैसा, और बच्चों को प्यार - असंवेदनशीलता भी लाता है l

ये सभी नकारात्मक भावनाएं या फिर "प्रेम के विकृत रूप" हैं l देखा जाए तो हर क्रिया, हर भावना प्यार का ही एक रूप है। रावण भी इन नकारात्मक भावनाओं से ग्रस्त था और इसी कारण ज्ञान व श्री संपन्न होने के बावजूद उनका विनाश हो गया।

अंत में यह कहना गलत नही होगा की रावण के दस सिर यह दर्शाते हैं  कि अगर आपके पास जरुरत से कहीं अधिक है, तो इसका कोई उद्देश्य नहीं है अर्थार्त ये सब इच्छाएँ वीनाश की और ले जाती हैं l

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