राष्ट्रपति का घर कौन सा है? - raashtrapati ka ghar kaun sa hai?

राष्ट्रपति भवन के बारे में आप कितना जानते हैं, क्या आप जानते हैं कितने कमरे हैं, कैसी सुरक्षा व्यस्था है. आइये आपका परचिय राष्ट्रपति भवन से कराते हैं. देश की राजधानी दिल्ली में स्थित राष्ट्रपति भवन बाहर से देखने में जितना सुंदर लगता है, अंदर से वह उतना ही भव्य है.

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद आज अपने गांव पहुंचे. उनके गांव का नाम परौंख है, जो यूपी के कानपुर देहात में पड़ता है. राष्ट्रपति कोविंद रविवार को जैसे ही अपने गांव पहुंचे तो हेलीपैड पर ही उन्होंने अपने गांव की जमीन को चूमा. इसे देखकर वहां मौजूद सीएम योगी, राज्यपाल आनंदी बेन पटेल और उनके सुरक्षाकर्मी भी भावुक हो गए. खुद राष्ट्रपति भी गांव की जमीन पर पैर रखते ही भावुक हो गए. इसी गांव में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का जन्म 1 अक्टूबर 1945 को हुआ था. 

यहां पहुंचने के बाद राष्ट्रपति ने ट्वीट किया, "मैं कहीं भी रहूं, मेरे गांव की मिट्टी की खुशबू और मेरे गांव के निवासियों की यादें सदैव मेरे हृदय में विद्यमान रहती हैं. मेरे लिए परौंख केवल एक गांव नहीं है, ये मेरी मातृभूमि है, जहां से मुझे, आगे बढ़कर, देश-सेवा की सदैव प्रेरणा मिलती रही."

उन्होंने आगे लिखा, "मातृभूमि की इसी प्रेरणा ने मुझे हाई कोर्ट से सुप्रीम कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट से राज्यसभा, राज्यसभा से राजभवन और राजभवन से राष्ट्रपति भवन तक पहुंचा दिया." उन्होंने कहा, "मैंने सपने में भी कभी कल्पना नहीं की थी कि गांव के मेरे जैसे एक सामान्य बालक को देश के सर्वोच्च पद के दायित्व-निर्वहन का सौभाग्य मिलेगा. लेकिन हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था ने ये कर के दिखा दिया."

उन्होंने आखिरी में लिखा, "जन्मभूमि से जुड़े ऐसे ही आनंद और गौरव को व्यक्त करने के लिए संस्कृत काव्य में कहा गया है: जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी अर्थात जन्म देने वाली माता और जन्मभूमि का गौरव स्वर्ग से भी बढ़कर होता है."

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद 25 जून को स्पेशल ट्रेन के जरिए दिल्ली से कानपुर आए हैं. राष्ट्रपति 28 जून को यहां से ट्रेन के जरिए ही लखनऊ जाएंगे और उसके बाद 29 जून को फ्लाइट से दिल्ली लौटेंगे.

यहां पर 138 प्रकार के गुलाब, 10 हजार से ज्यादा ट्यूलिप बल्ब, और 70 विभिन्न प्रजातियों के लगभग 5 हजार मौसमी फूलों की प्रजातियां हैं। 15 एकड़ में फैले इस बाग का निर्माण ब्रिटिश शासन के दौरान हुआ था। कह सकते हैं कि राष्ट्रपति भवन अगर एक आर्किटेक्च्र चमत्का्र है, तो मुगल गार्डन उसकी आत्मा है। आपको बता दें कि मुगल गार्डन का एक हिस्सा खास गुलाब की किस्मों के लिए जाना जाता है।

किसने बनाया मुगल गार्डन -

मुगल गार्डन को पहले फर्स्ट गार्डन ऑफ रिपब्लिक कहा जाता था। अंग्रेजी वास्तुकार सर एडवर्ड लुटियन्स ने इसे डिजाइन किया था। उन्हें खासतौर से इंग्लैंर से बुलाया गया था। बता दें कि जब अंग्रेजों ने 1911 में भारत की राजधानी कोलकाता से दिल्ली बनाई, तब रायसीना की पहाड़ी को काटकर वायसराय हाउस बनाया गया। जिसे अब राष्ट्रपति भवन कहते हैं।

मुगलों के नाम पर क्यों पड़ा इसका नाम -

दिल्ली वह जगह है जहां मुगल सम्राट फिरोज शाह तुगलक ने मुगल परंपराओं के साथ 1,200 गार्डन बनवाए थे। दिल्ली का मुगल गार्डन दशकों से मुगल शासन के युग और संस्कृति को दर्शाता है। दिलचस्प बात है कि सर एडवर्ड लुटियंस ने राजसी गार्डन को डिजाइन करते समय इस्लामी विरासत के साथ ब्रिटिश कौशल को मिला दिया। मुगल गार्डन का डिजाइन ताजमहल के बगीचों, जम्मू और कश्मीर के बगीचों और भारत और पर्शिया की बड़ी पेंटिंग से इंस्पायर था।

मुगल गार्डन में गेहूं की खेती -

1928-29 में, वायसराय लॉर्ड इरविन के अपने एस्टेकट में जाने के बा , सर एडवर्ड लुटियन ने खुद से डिजाइन किए गए बगीचे में प्लांटेशन किया। भारत के पहले गवर्नर-जनरल सी राजगोपालाचारी पहले 330 एकड़ की संपत्ति में रहने के लिए राजी नहीं थे, लेकिन बाद में उन्होंने अपने साथी देशवासियों के साथ मिलकर भोजन की कमी को दूर करने के उद्देश्य से गेहूं उगाने के लिए बगीचे के एक हिस्से का उपयोग करना शुरू किया। यह प्रथा भारत के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने 1962 तक जारी रखी।

मुगल गार्डन के अलावा 3 और गार्डन -

हर्बल गार्डन- भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने साल 2002 में राष्ट्रपति भवन एस्टेट में हर्बल गार्डन की स्थापना की। यहां पर लगभग 33 औषधीय और सुगंधित पौधे जो गठिया, एग्जिमा से लेकर डायबिटीज जैसे रोग को ठीक करने में फायदेमंद है।

स्पिरिच्युअल गार्डन - राष्ट्रपति भवन का आध्यात्मिक गार्डन वास्तव में एक अनूठी सोच है। यहां भारत में प्रचलित विभिन्न धर्मों से जुड़े पौधों और पेड़ों का एक साथ पालन-पोषण किया जाता है।

म्यूजिकल गार्डन - फरवरी 2006 में इसका उद्घाटन किया गया। म्युजिकल गार्डन का उद्देश्य संगीत और विज्ञान के माध्यम से मानव रचनात्मकता को दर्शाना है।

कैसे पहुंचे राष्ट्रपति भवन -

ट्रेन से - आप अपने शहर से दिल्ली के हजरत निजामुद्दीन और नई दिल्ली स्टेशन तक ट्रेन से पहुंच सकते हैं। यहां से बस, मेट्रो और ऑटो की मदद से राष्ट्रपति भवन जाया जा सकता है।

फ्लाइट से - इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट से आप सेंट्रल सेक्रेटेरिएट मेट्रो स्टेरशन जा सकते हैं। यहां से यह जगह मात्र 6 मिनट दूर है।

सड़क मार्ग से - अपने शहर से दिल्ली कश्मीरी गेट या आईएसबीटी के लिए बस पकड़ें। आप यहां से कृषि भवन बस स्टैंय के लिए बस ले सकते हैं, जो 6 मिनट की पैदल दूरी पर है।

भारत के राष्ट्रपति का घर कौन सा है?

राष्ट्रपति भवन भारत सरकार के राष्ट्रपति का सरकारी आवास है।

राष्ट्रपति के घर की कीमत कितनी है?

व्हाइट हाउस की कीमत जहां 258 करोड़ रुपए है, वहीं हमारे राष्ट्रपति भवन की कीमत उससे 14 गुना ज्यादा यानी 3500 करोड़ रुपए है। 10वें नंबर पर पहुंचा व्हाइट हाउस... - इस लिस्ट में 3500 करोड़ के भारत के राष्ट्रपति भवन को 7वें नंबर पर रखा गया है, जिसका एरिया 2 लाख वर्ग मीटर है। - चीन के राष्ट्रपति भवन का एरिया सबसे ज्यादा है।

राष्ट्रपति कौन से नंबर पर है?

25 जुलाई 2017 को राष्ट्रपति का पद रामनाथ कोविंद को प्राप्त हुआ जो भारत के 14वे राष्ट्रपति थे। वर्तमान में द्रौपदी मुर्मू भारत की दूसरी महिला राष्ट्रपति है। 25 जुलाई 2022 को भारत की पन्द्रहवीं राष्ट्रपति बनी है।

राष्ट्रपति भवन में कितने लोग रह सकते हैं?

बैंक्वेट हॉल इस हॉल में 100 से ज्यादा लोगों के बैठने की व्यवस्था है. राष्ट्रपति इस हॉल में दूसरे देश से आये हुए प्रतिनिधियों के साथ डिनर करते हैं. इस हॉल की दोनों दीवारों पर पहले रह चुके राष्ट्रपतियों की कैनवास पर बनाई हुई पोट्रेट तस्वीर लगी हुई हैं.

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