रेल की पटरी में जंग क्यों नहीं लगता है - rel kee pataree mein jang kyon nahin lagata hai

नई दिल्ली: क्या आपको पता है रेल की पटरी पर जंग क्यों नहीं लगती है नहीं पता तो आज हम आपको इसी के बारे में बताने जा रहे हैं यदि आप भी आये दिन ट्रेन से सफर करते हैं तो पटरी को देखकर आपके दिमाग में एक सवाल जरुर आया होगा। रेल की पटरी पर जंग क्यों नहीं लगता आमतौर पर हम देखते हैं कि जितने भी लोहे की चीज होती है जिनमें अगर पेंट नहीं किया जाए तो अक्सर उनपर जंग लगने लगती है लेकिन रेल के ट्रैक पर किसी भी तरह का पेंट नहीं किया जाता है। और यह हमेशा खुले वातावरण में रहती हैं इसके बावजूद इनमें जंग का कोई ज्यादा असर दिखाई नहीं देता।

ट्रेन एक ऐसा साधन है जिसमें लगभग सभी आम लोगो ने सफर किया है लेकिन आज भी बहुत से लोग हैं जिनको रेल के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं होती है।

Interesting Fact: हम सभी ने कभी ना कभी ट्रेन में सफर तो किया ही होगा। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि हमें हमारी मंजिल तक पहुंचाने वाली लोहे की पटरियों पर कभी जंग क्यों नहीं लगती और इसके पीछे वजह क्या है ? वैसे तो हमारे घर में भी कई चीजें लोहे की होती हैं और रेल की पटरी भी लोहे की होती है। लेकिन इन दोनों में ऐसा क्या फर्क है कि घर के लोहे में जंग लग जाती है और रेल की पटरी पर कभी जंग नहीं लगती। आइए जानते हैं इसका कारण…..

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लोहे पर जंग लगती ही क्यों है ?

रेल की पटरियों पर जंग क्यों नहीं लगती, ये जानने के लिए सबस पहले ये जानना जरूरी है कि लोहे पर जंग क्यों और कैसे लगती है। लोहा एक मजबूत धातु होता है, लेकिन जब उस पर जंग लगती है तो वह किसी काम का नहीं होता। लोहा या लोहे से बना सामान ऑक्सीजन और नमी के संपर्क में आता है तो लोहे पर एक भूरे रंग की परत आयरन ऑक्साइड जम जाती है और फिर धीरे-धीरे लोहा खराब होने लगता है, साथ ही इसका रंग भी बदल जाता है। इसी को लोहे पर जंग लगना कहते हैं।

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इसलिए नहीं लगती पटरी में जंग

कई लोगों से अगर यह सवाल पूछा जाए तो उनमें से कुछ लोगों का जवाब होता है कि ट्रैक पर पहियों के घर्षण बल के कारण जंग नहीं लगती है, लेकिन ऐसा नहीं है। रेल की पटरी बनाने के लिए एक खास किस्म की स्टील का उपयोग किया जाता है। स्टील और मेंगलॉय को मिला कर ट्रेन की पटरियों को तैयार किया जाता है। स्टील और मेंगलॉय के इस मिश्रण को मैंगनीज स्टील कहा जाता है। इस वजह से ऑक्सीकरण नहीं होता है और कई सालों तक इसमें जंग नहीं लगता है।

रेल की पटरी अगर आम लोहे से बने तो क्या होगा 

रेल की पटरियों को अगर आम लोहे से बनाया जाएगा तो हवा की नमी के कारण उसमें जंग लग सकती है और ट्रैक कमजोर हो सकता है। इसकी वजह से पटरियों को जल्दी-जल्दी बदलना पड़ेगा और साथ ही इससे रेल दुर्घटनाएं होने का खतरा भी बना रहेगा। इसलिए रेलवे इन पटरियों के निर्माण में खास तरह के मैटेरियल का इस्तेमाल करता है।

Ayush Unnikrishnan

Ayush Unnikrishnan is a good-natured individual who hails from Jamshedpur in the Indian state of Jharkhand. He had finished his secondary education at the Dav Public School in Bistupur, which is located in Jamshedpur. Currently, he is a student at National University of Study & Research in Law, Ranchi . In addition to his studies, he works at Mashal News as a reporter and anchor.

बचपन से लेकर अब तक कई बार रेलवे से सफ़र कर चुकेंगे. फिर भी अब तक इससे जुड़ी कई बातें नहीं जानते हैं. जैसे रेलवे के डिब्बे पर X का निशान क्यों होता है?  क्या वजह है जो रेल की पटरी पर जंग नहीं लगती है? ऐसे बहुत से सवाल हैं, जिनके जवाब लोगों के पास नहीं है.

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आइये सबसे पहले जानते हैं कि आखिर ट्रेन की पटरियों पर जंग क्यों नहीं लगती है? 

रिपोर्ट के मुताबिक, रेल की पटरी बनाने के लिये एक ख़ास क़िस्म की स्टील का उपयोग किया जाता है. स्टील और मेंगलॉय को मिला कर ट्रेन की पटरियां तैयार की जाती हैं. स्टील और मेंगलॉय के मिश्रण को मैंगनीज़ स्टील कहा जाता है. इसमें 12 प्रतिशत मैंगनीज़ और 1 प्रतिशत कॉर्बन मिला होता है.

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ऐसा माना जाता है कि स्टील में मौजूद मिश्रण की वजह से ही ट्रेन के ट्रैक का ऑक्सीकरण काफ़ी धीमी गति से होता है. इसका परिणाम ये होता है कि ट्रेन की पटरियों पर सालों-साल जंग नहीं लगती.  

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वहीं अगर ट्रेन के ट्रैक को आम लोहे से बनाया जाये, तो हवा और नमी के कारण उसमें जंग लग जायेगी. जंग लगने से रेल की पटरी को जल्दी-जल्दी बदलना पड़ेगा और इसमें ख़र्च भी काफ़ी है. इसी ख़र्च और समय को बचाने के लिये रेल ट्रैक बनाने के लिये स्टील, कॉर्बन और मैंगनीज़ का उपयोग होता है.  

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आपको बता दें कि हिंदुस्तान में ट्रेन की शुरुआत अंग्रेज़ों द्वारा की गई थी. इसलिये उस समय रेल की पटरियों को बनाने के लिये जंगविरोधी धातुओं का यूज़ किया गया. यही कारण है कि आज भी उस दौर के रेलवे ट्रैक मजबूत और जंगविरोधी बने हुए हैं. हांलाकि, हम में से बहुत से लोग ऐसे हैं, जो सोचते होंगे कि पहियों के घर्षण बल के कारण जंग नहीं लगती है, पर ऐसा नहीं है.  

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ट्रेन के पटिरयों पर जंग क्यों नहीं लगती है, उसकी असली वजह वही है, जो हमने आपको बताई और अब आप ये जानकारी बाक़ी लोगों से भी साझा कर सकते हैं. 

रेल की पटरी में करंट क्यों नहीं आता है?

रेल की पटरियों को थोड़ी थोड़ी दूरी पर अर्थ किया जाता है। इसलिए जहां बिजली का तार गिरता है वहीं से जमीन में चला जाता है और पटरी में करंट आगे नहीं जाता है।

रेल की पटरी कौन से स्टील की बनी होती हैं?

भारतीय रेल पटरियों को स्टील अलॉय से बनाया जाता हैं, जो लोहे को कार्बन सिलिकॉन मिश्रित स्टील से बनाया जाता है, जिसको 880 ग्रेड भी कहते हैं।

रेल की पटरी के नीचे पत्थर क्यों होते हैं?

आपने ट्रेन के चलने पर कंपन महसूस की होगी। इसके चलते पटरियों के फैलने की संभावना भी बढ़ जाती है। ट्रैक पर पत्थर बिछाए इसी कंपन को कम करने का भी काम करते हैं। जब पटरी पर ट्रेन चलती है तब सारा वजन कंक्रीट के बने स्लीपर पर आ जाता है, जिसके आस पास मौजूद पत्थरों से इस कंक्रीट के स्लीपर को स्थिर रहने में मदद मिलती है।

रेल की पटरी पर क्या चलता है?

रेलवे की पटरियों को खास तरह के स्‍टील से तैयार किया जाता है. इसे मैंग्‍नीज स्‍टील कहते हैं. इस खास तरह के स्‍टील में 12 फीसदी मैंग्‍नीज और 0.8 फीसदी कार्बन होता है.

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