रेल का पुराना नाम क्या है? - rel ka puraana naam kya hai?

झांसी रेलवे स्टेशन जिसका नाम अब वीरांगना लक्ष्मीबाई हो गया है.

jhansi railway station is now virangna laxmibai : झांसी उत्तर प्रदेश के पुराने जिलों में एक है. इसका नाम चंदेल राजाओं के राज में झांसी पड़ा और फिर पिछले कई सौ सालों से इसका यही नाम है. यहां मराठा राज हुआ. जिसकी आखिरी राज प्रमुख और रानी लक्ष्मी बाई थीं. जब अंग्रेजों ने झांसी राज्य का विलय ईस्ट इंडिया में करना चाहा तो लक्ष्मी बाई ने उनसे जंग की.

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  • News18India
  • Last Updated : December 31, 2021, 12:17 IST

    उत्तर प्रदेश के पुराने जिलों में एक और प्रसिद्ध शहर झांसी के रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर वीरांगना लक्ष्मीबाई कर दिया गया है. शहर का नाम झांसी ही रहेगा. हालांकि ये कुछ अटपटा लगता है. वो भी तब जबकि इस नाम को बदलने की कभी मांग ही नहीं की गई. वैसे झांसी नाम हमारे मुहावरों और कोक्तियों से जुड़ा रहा है. कहा जा सकता है झांसी और रानी लक्ष्मीबाई का नाम अपने आपमें एक- दूसरे के पूरक हो चुके हैं.

    जब रानी लक्ष्मीबाई शासन करती थीं, तब भी इस जगह का नाम इसका नाम झांसी ही था. रेलवे स्टेशन तो यहां बाद में बना.

    रानी लक्ष्मीबाई के निधन के बाद अंग्रेजों ने 1880 के आखिर में ये रेलवे स्टेशन बनवाया. झांसी का रेलवे स्टेशन देश के सबसे महत्वपूर्ण रेलवे स्टेशनों में एक है. इसके प्लेटफॉर्म आम रेलवे प्लेटफार्म से ज्यादा लंबे हैं इन पर एक साथ दो ट्रेनों को हैंडल किया जा सकता है.

    झांसी रेलवे स्टेशन की इमारत किसी किले की तरह लगती है और उसमें उसी तरह का रंगोरोगन भी किया गया है.

    इसका नाम ना मुगलों ने रखा और ना अंग्रेजों ने
    वैसे झांसी का नाम ना तो मुगलों द्वारा रखा गया और ना ही अंग्रेजों के द्वारा. ये तो स्वाभाविक तौर पर सैकड़ों सालों से लोगों की जुबान पर चढ़ता आया है. कभी किसी ने झांसी के रेलवे स्टेशन का नाम बदलने की बात भी नहीं सोची. ये राज्य सरकार की योजना है. उन्होंने तीन महीने पहले केंद्र सरकार को इस तरह का प्रस्ताव भेजा, जिसे स्वीकार कर लिया गया.

    कई शहरों के नाम बदले गए
    इससे पहले योगी सरकार ने अपने कार्यकाल में फैजाबाद को अयोध्या, इलाहाबाद को प्रयागराज, मुगलसराय को दीन दयाल उपाध्याय नगर बना दिया गया है. बस इस अंतर ये है कि जिले का नाम नहीं बदला गया है. बल्कि केवल रेलवे स्टेशन का नाम बदला है.

    वैसे रेलवे स्टेशन के नाम को बदलने के पीछे राज्य सरकार का तर्क यही है रानी लक्ष्मीबाई वीरांगना थीं. इस इलाके की पहचान उन्हीं से है, जिसका सांस्कृतिक तौर पर महत्व है. हालांकि जानने वाले इसके पीछे सियासी फायदे नुकसान को देख रहे हैं.

    झांसी और रानी लक्ष्मीबाई का नाम एक दूसरे के इतने पूरक हो चुके हैं कि इसे लेकर ना जाने कितनी लोकोक्तियां और मुहावरे गढ़े गए. (विकी कामंस)

    कैसे पड़ा इस ऐतिहासिक शहर का नाम झांसी
    आइए अब जानते हैं कि झांसी का नाम कैसे झांसी पड़ा और फिर रानी लक्ष्मीबाई के साथ मुकम्मल तौर पर चस्पां हो गया. झांसी प्रसिद्ध ऐतिहासिक शहर है. ‘भारतीय इतिहास’ में इसका महत्त्वपूर्ण स्थान रहा है. इस शहर को 1857 के बाद रानी लक्ष्मीबाई की वीरता से जोड़कर देखा जाता रहा है.

    ये शहर 09 शताब्दी में बसा. झांसी के क़िले का निर्माण 1613 ई. में ओरछा शासक वीरसिंह बुन्देला ने करवाया था. कहा जाता है राजा वीरसिंह बुन्देला ने दूर से पहाड़ी पर एक छाया देखी, जिसे बुन्देली भाषा में ‘झाँई सी’ बोला गया. इसी शब्द के बिगड़ते स्वरूप इस शहर का नाम झांसी पड़ गया. 1734 ई. में छत्रसाल के निधन के बाद बुन्देला क्षेत्र का एक तिहाई भाग मराठों को दे दिया गया. फिर ये एक मराठा राज्य बन गया.

    क्यों रानी लक्ष्मीबाई की जंग अंग्रेजों से हुई
    रानी लक्ष्मीबाई के पति का नाम राजा गंगाधर राव था. 1857 ई. में उनकी मृत्यु हो गई. ईस्ट इंडिया कंपनी इस पूरे राज्य का कंपनी के राज्य के तौर पर विलय करने की घोषणा कर दी. विधवा रानी लक्ष्मीबाई ने इसका विरोध किया. उन्होंने विरोधस्वरूप 1857 के स्वाधीनता संग्राम में शिरकत किया. हालांकि जून 1858 में रानी के निधन के बाद अंग्रेजों ने उनके राज्य पर कब्जा कर लिया. सन 1886 ई. में झांसी को यूनाइटेड प्रोविंस में जोड़ा गया, जो देश की आज़ादी के बाद 1956 में उत्तर प्रदेश बना.

    रेलवे स्टेशन का नाम बदलने की प्रक्रिया
    रेलवे स्टेशन का नाम बदलने की प्रक्रिया की शुरुआत राज्य सरकार की तरफ से होती है
    राज्य सरकार का अनुरोध रेलवे बोर्ड के पास जाता है
    रेलवे बोर्ड इसे अनापत्ति के लिए गृह मंत्रालय के पास भेजता है
    गृह मंत्रालय की मंजूरी के बाद रेलवे बोर्ड नाम को बदल देता है
    नाम बदलने के साथ स्टेशन का कोड भी बदला जाता है
    कोड को रेलवे के सारे दस्तावेजों में जगह दी जाती है
    हालांकि कोड बदलने से बड़े पैमाने पर कागजों और दस्तावेजों में बदलाव करना पड़ता है

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    Tags: Jhansi news, Jhansi Railway Station Name Changed, Maharani Laxmibai Birthday, Veerangana Laxmibai Railway Station Jhansi

    FIRST PUBLISHED : December 31, 2021, 12:17 IST

    ट्रेन को शुद्ध हिंदी में क्या कहते हैं?

    ट्रेन को हिंदी में 'लौह पथ गामिनी' कहते हैं. इसके अलावा इसे आसान भाषा में रेलगाड़ी भी कह देते हैं.

    रेलवे का पहला नाम क्या था?

    क्षेत्र तथा मंडल.

    ट्रेन का पूरा नाम क्या है?

    रेलगाड़ी शब्द दो शब्द रेल और गाड़ी से मिलकर बना है जिसका अर्थ होता है रेल (अब हिन्दी में इसे रेल की पटरी या सिर्फ पटरी कहते हैं) पर चलने वाली गाड़ी।

    स्टेशन का हिंदी में क्या कहते हैं?

    वहीं, रेलवे स्टेशन को हिंदी में 'लौह पथ गामिनी विराम बिंदु' या 'लौह पथ गामिनी विश्राम स्थल' कहा जाता है. यह नाम इतना लंबा और क्लिष्ट है कि लोग अंग्रेजी में रेलवे स्टेशन बुलाना पसंद करते हैं. देसी भाषा में रेलवे स्टेशन को रेलगाड़ी पड़ाव स्थल कहा जाता है.

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