विषयसूची
शकुंतला का पति कौन था?
इसे सुनेंरोकेंशकुन्तला प्रेमवश दुष्यन्त की बातों में आ गयी और उसने राजा दुष्यन्त से गन्धर्व विवाह कर लिया ।
शकुंतला किसकी माता थी?
इसे सुनेंरोकेंइस पर शकुंतला ने उन्हें बताया कि वह महर्षि की गोद ली हुई कन्या हैं, वास्तविक माता-पिता मेनका और विश्वामित्र हैं।
शकुंतला का नाम कैसे पड़ा?
इसे सुनेंरोकेंविशेष—महाभारत में लिखा है कि शकुंतला का जन्म विश्वामित्र के वीर्य से मेनका अप्सरा के गर्भ से हुआ था जो इसे वन में छोड़कर चली गई थी । वन में शकुंतों (पक्षियों) आदि ने हिंसक पशुओं से इसकी रक्षा की थी इसी से इसका नाम शकुंतला पड़ा । वन में से इसे कणव ऋषि उठा लाए थे और अपने आश्रम में रखकर कन्या के समान पालते थे ।
राजा भरत के कितने पुत्र थे?
इसे सुनेंरोकेंभरत का विवाह विदर्भराज की तीन कन्याओं से हुआ था। जिनसे उन्हें नौ पुत्रों की प्राप्ति हुई।
राजा दुष्यंत किसका पुत्र था?
इसे सुनेंरोकेंदुष्यंत संज्ञा पुं॰ [ सं॰ दुष्यन्त] पुरुवंशी एक राजा जो ऐति नामक राजा के पुत्र थे । विशेष—महाभारत में इनकी कथा इस प्रकार लिखी है— एक दिन राजा दुष्यंत शिकार खेलते खेलते थककर कण्व मुनि के आश्रम के पास जा निकले । उस समय कण्व मुनि की पाली हुई लड़की शकुंतला वहां थी ।
महाराजा दुष्यंत कौन थे?
इसे सुनेंरोकेंपुरुवंश के राजा दुष्यंत और शकुंतला के पुत्र भरत की गणना ‘महाभारत’ में वर्णित 16 सर्वश्रेष्ठ राजाओं में होती है। कालिदास कृत महान संस्कृत ग्रंथ ‘अभिज्ञान शाकुंतलम’ के एक वृत्तांत अनुसार राजा दुष्यंत और उनकी पत्नी शकुंतला के पुत्र भरत के नाम से भारतवर्ष का नामकरण हुआ।
शकुंतला का जन्म कब हुआ था?
इसे सुनेंरोकेंशकुन्तला देवी (4 नवम्बर 1929 – 21 अप्रैल 2013) जिन्हें आम तौर पर “मानव कम्प्यूटर” के रूप में जाना जाता है, बचपन से ही अद्भुत प्रतिभा की धनी एवं मानसिक परिकलित्र (गणितज्ञ) थीं। उनकी प्रतिभा को देखते हुए उनका नाम 1982 में ‘गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स’ में भी शामिल किया गया।
शकुंतला के पुत्र का क्या नाम था?
भरतशकुंतला / बच्चे
शकुंतला के बेटे का क्या नाम था?
इसे सुनेंरोकेंराजा दुष्यंत व ऋषि-कन्या शकुंतला के पुत्र का नाम भरत था।
शकुंतला देवी का जन्म कब और कहां हुआ?
इसे सुनेंरोकेंमानसिक गणनाएं पलक झपकते ही कर लेने में माहिर शकुंतला देवी का जन्म 4 नवम्बर, 1929 को बंगलौर (कर्नाटक) शहर में एक रूढ़िवादी कन्नड़ ब्राह्मण परिवार में हुआ था. शकुंतला देवी एक गरीब परिवार में जन्मीं थीं, जिस कारण वह औपचारिक शिक्षा भी नहीं ग्रहण कर पाई थीं.
राजा दुष्यंत के पूर्वज कौन थे?
इसे सुनेंरोकेंदुष्यंत संज्ञा पुं॰ [ सं॰ दुष्यन्त] पुरुवंशी एक राजा जो ऐति नामक राजा के पुत्र थे । विशेष—महाभारत में इनकी कथा इस प्रकार लिखी है— एक दिन राजा दुष्यंत शिकार खेलते खेलते थककर कण्व मुनि के आश्रम के पास जा निकले । उस समय कण्व मुनि की पाली हुई लड़की शकुंतला वहां थी । उसने राजा का उचित सत्कार किया ।
शकुंतला के कितने पुत्र थे?
इसे सुनेंरोकेंशकुंतला निराश होकर राजमहल के बाहर निकली। उस समय उसकी माँ मेनका उसे उठा ले गई और कश्यप ऋषि के आश्रय में उनके आश्रम में रखा जहाँ शकुन्तला ने एक पुत्र को जन्म दिया।
हिन्दी[सम्पादन]
प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]
शब्दसागर[सम्पादन]
दुष्यंत संज्ञा पुं॰ [ सं॰ दुष्यन्त] पुरुवंशी एक राजा जो ऐति नामक राजा के पुत्र थे । विशेष—महाभारत में इनकी कथा इस प्रकार लिखी है— एक दिन राजा दुष्यंत शिकार खेलते खेलते थककर कण्व मुनि के आश्रम के पास जा निकले । उस समय कण्व मुनि की पाली हुई लड़की शकुंतला वहां थी । उसने राजा का उचित सत्कार किया । राज उसके रूप पर मुग्घ हो गए । पूछने पर राजा को मालूम हुआ कि शकुंतला एक अप्सरा के गर्भ से उत्पन्न विश्वामित्र ऋषि की कन्या है । जब राजा ने विवाह का प्रस्ताव किया तब शकुंतला ने कहा 'यदि गांधर्व विवाह में कुछ दोष न हौ और आप मेरे ही पुत्र को युवराज बनाएँ तो मैं सम्मत हूँ' । राजा विवाह करके शकुंतला को कण्व ऋषि के आश्रम पर छोड़ अपनी राजधानी में चले गए । कुछ दिन बीतने पर शकुंतला को एक पुत्र हुआ जिसका नाम आश्रम के ऋषियों ने सर्वदमन रखा । कण्व ऋषि ने शकुंतला को पुत्र के साथ राजा के पास भेजा । शकुंतला ने राजा के पास जाकर कहा 'हे राजन ! यह आपका पुत्र मेरे गर्भ से उत्पन्न हुआ है और आपका औरस पुत्र है, इसे युवराज बनाइए' । राजा को सब बातें यद तो थीं पर लोक- निंदा के भय से उन्होंने उन्हें छिपाने की चेष्टा की औ र शकुंतला का तिरस्कार करते हुए कहा—'हे डुष्ट ! तपस्वनी ! तू किसकी पत्नी है ? मैंने तुझसे कोई संबंध कभी नहीं किया, चल दूर हो' । शकुंतला ने भई लज्जा छोड़कर जो जो जी में आया खूब कहा । इसपर देववाणी हुई 'हे राजन् ! यह पुत्र आपही का है, ईसे ग्रहण कीजिए । हम लोगों के कहने से आप इसका भरण करें और इस कारण इसका भरत नाम रखे' । देववाणी सुनकर राजा ने शकुंतला का ग्रहण किया । आगे चलकर भरत बड़ा प्रतापी राजा हुआ । इसी कथा को लेकर कालिदास ने 'अभिज्ञान शकुंतल' नाटक लिखा है । पर कवि ने कौशल से राजा दुष्यंत को दुष्ट नायक होने से बचाने के लिये दुर्वासा के शाप की कल्पना की है और यह दिखाया है कि उसी शाप के प्रभाव से राजा सब बातें भूल गए थे । दूसरी बात कवि ने यह की है कि जिस निर्लज्जता और धृष्टता के साथ शकुंतला का बिगड़ना महाभारत में लिखा है उसको वे बचा गए हैं ।