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पूजा की बत्ती बनाने की विधि (Pooja Ki Batti Banane Ki Vidhi)

updated Aug 20, 2022, 01:23 AM | 👤 Admin

पूजा की बत्ती बनाने की विधि | रुई से बत्ती कैसे बनाये? | रुई से बत्ती बनाने की विधि

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लालबागचा राजा के दर्शन भक्तों के बीच इतने प्रसिद्ध क्यों हैं?

मुंबई, महाराष्ट्र में गणेश चतुर्थी को लेकर एक अलग ही जश्न मनाया जाता है। लालबागचा राजा की एक झलक पाने के लिए लोग बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। मुंबई के लालबागचा राजा को नवसाला पवन बप्पा के नाम से जाना जाता है। लालबागचा के दर्शन के लिए हर साल हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं।

गणेशोत्सव 2022

आइए जानें! श्री गणेशोत्सव, श्री गणेश चतुर्थी, अनंत चतुर्दशी एवं गणपति विसर्जन से जुड़ी कुछ जानकारियाँ, प्रसिद्ध भजन एवं सम्वन्धित अन्य प्रेरक तथ्य..

बुढ़वा मंगल विशेष 2022

इस वर्ष बुढ़वा मंगल एवं राधाष्टमी दोनों ही पर्व एक ही दिन अर्थात 6 सितंबर 2022 को आयोजित किए जा रहे हैं।

तिरुपति तिरुमाला दर्शन की यात्रा में कितना खर्च आएगा?

तिरुपति तिरुमाला एक बहुत ही पवित्र हिंदू तीर्थ स्थल है और भारत के सबसे अमीर मंदिरों में से एक है, तिरुमाला पहाड़ियों में भगवान श्री वेंकटेश्वर स्वामी का मंदिर, आंध्र प्रदेश राज्य में स्थित है। चेन्नई, बैंगलोर और हैदराबाद से 5000 की लागत से आप आसानी से तिरुपति तिरुमाला जा सकते हैं और भगवान श्रीनिवासन का आशीर्वाद ले सकते हैं।

  • 🌙 चंद्र नवमी
  • 🐚 परिवर्तनी एकादशी
  • 🚩 बुढ़वा मंगल
  • 🐎 तेजादशमी
  • ☂️ वामन जयन्ती
  • 🔱 प्रदोष व्रत
  • ✨ दशलक्षण पर्व

  • हनुमान गढ़ी, दतिया @Datia, Madhya Pradesh

  • श्री कसबा गणपति मंदिर @Pune, Maharashtra

  • श्री सिद्धी गणेश मंदिर @Gurugram, Haryana

भक्ति-भारत विशेष:

  • भारत के चार धाम
  • द्वादश ज्योतिर्लिंग
  • सप्त मोक्ष पुरी
  • ब्रजभूमि के प्रसिद्ध मंदिर
  • प्रसिद्ध इस्ककों टेंपल्स
  • बिरला के प्रसिद्ध मंदिर
  • महाभारत काल से दिल्ली के प्रसिद्ध मंदिर
  • सिरसागंज के प्रसिद्ध मंदिर
  • दिल्ली के कालीबाड़ी मंदिर
  • दिल्ली मे माता के प्रसिद्ध मंदिर
  • दिल्ली के प्रसिद्ध शिव मंदिर
  • दिल्ली के प्रसिद्ध हनुमान बालाजी मंदिर
  • दिल्ली और आस-पास के प्रसिद्ध मंदिर

घर या मंदिर में पूजा करने के लिए कुछ विशेष सामग्री का होना जरूरी है। उन सभी को मिलाकर ही पूजा की जाती है। हालांकि पूजा सामग्री तो बहुत सारी होती है, लेकिन यहां प्रस्तुत है पूजा के 20 प्रतीक वस्तुएं।

1. शालग्राम : विष्णु की एक प्रकार की मूर्ति जो प्रायः पत्थर की गोलियों या बटियों आदि के रूप में होती है और उस पर चक्र का चिह्न बना होता है। जिस शिला पर यह चिह्न नहीं होता वह पूजन के लिए उपयुक्त नहीं मानी जाती। यह सभी तरह की मूर्तियों से बढ़कर है और सिर्फ इसी की पूजा का विधान है।

2. शिवलिंग : शिव की एक प्रकार की मूर्ति जो प्रायः गोलाकार में जनेऊ धारण किए होती है। इसे शिवलिंग कहा जाता है अर्थात शिव की ज्योति। यह सभी तरह की मूर्तियों से बढ़कर है और सिर्फ इसी की पूजा का विधान है। शालग्राम और शिवलिंग के घर में होने से घर की ऊर्जा में संतुलन कायम होता है और सभी तरह की शुभता बनी रहती है।

3. आचमन : छोटे से तांबे के लोटे में जल भरकर उसमें तुलसी डालकर हमेशा पूजा स्थल पर रखा जाता है। यह जल आचमन का जल कहलाता है। इस जल को तीन बार ग्रहण किया जाता है। माना जाता है कि ऐसे आचमन करने से पूजा का दोगुना फल मिलता है।

4. पंचामृत : पंजामृत का अर्थ पांच प्रकार के अमृत। दूध, दही, शहद, घी व शुद्ध जल के मिश्रण को पंचामृत कहते हैं। कुछ विद्वान दूध, दही, मधु, घृत और गन्ने के रस से बने द्रव्य को 'पंचामृत कहते हैं और कुछ दूध, दही, घी, शक्कर, शहद को मिलाकर पंचामृत बनाते हैं। मधुपर्क में घी नहीं होता है। इस सम्मिश्रण में रोग निवारण गुण विद्यमान होते हैं, यह पुष्टिकारक है।

5. चंदन : चंदन शांति व शीतलता का प्रतीक है। एक चंदन की बट्टी और सिल्ली पूजा स्थल पर रहना चाहिए। चंदन की सुगंध से मन के नकारात्मक विचार समाप्त होते हैं। चंदन को शालग्राम और शिवलिंग पर लगाया जाता है। माथे पर चंदन लगाने ने मस्तिष्क शांत भाव में रहता है।

6. अक्षत : अत्यंत श्रम से प्राप्त संपन्नता का प्रतीक है चावल जिसे अक्षत कहा जाता है। अक्षत अर्पित करने का अर्थ यह है कि अपने वैभव का उपयोग अपने लिए नहीं, बल्कि मानव की सेवा के लिए करेंगे।

7. पुष्प
:
देवी या देवता की मूर्ति के समक्ष फूल अर्पित किए जाते हैं। यह सुंदरता का अहसास जगाने के लिए है। इसका अर्थ है कि हम भीतर और बाहर से सुंदर बनें।

8. नैवेद्य : नैवद्य में मिठास या मधुरता होती है। आपके जीवन में मिठास और मधुरता होना जरूरी है। देवी और देवता को नैवद्य लगाते रहने से आपके जीवन में मधुरता, सौम्यता और सरलता बनी रहेगी। फल, मिठाई, मेवे और पंचामृत के साथ नैवेद्य चढ़ाया जाता है।

9. रोली : यह चुने की लाल बुकनी और हल्दी को मिलाकर बनाई जाती है। इसका एक नाम कुंकूम भी है। इसे रोज नहीं लगाया जाता। प्रत्येक पूजा में इसे चावल के साथ माथे पर लगाते हैं। इसे शुभ समझा जाता है। यह आरोग्य को धारण करता है। रक्त वर्ण साहस का भी प्रतीक है। रोली को माथे पर नीचे से ऊपर की ओर लगाना अपने गुणों को बढ़ाने की प्रेरणा देता है।

10. धूप : धूप सुगंध का विस्तार करती है। सुगंध से आपके मन और ‍मस्तिष्क में सकारात्मक भाव और विचारों का जन्म होता है। इससे आपके मन और घर का वातारवण शुद्ध और सुगंधित बनता है। सुगंध का जीवन में बहुत महत्व है। धूप को अगरबत्ती नहीं कहते हैं। घर में अगरबत्ती की जगह धूप जलाएं। धूप जिसमें जलाते हैं उसका एक अलग से पात्र आता है।

11. दीपक : पारंपरिक दीपक मिट्टी का ही होता है। इसमें पांच तत्व हैं मिट्टी, आकाश, जल, अग्नि और वायु। कहते हैं कि इन पांच तत्वों से ही सृष्टि का निर्माण हुआ है। अतः प्रत्येक हिंदू अनुष्ठान में पंचतत्वों की उपस्थिति अनिवार्य होती है।

12. गरुड़ घंटी : जिन स्थानों पर घंटी बजने की आवाज नियमित आती है, वहां का वातावरण हमेशा शुद्ध और पवित्र बना रहता है। इससे नकारात्मक शक्तियां हटती है। नकारात्मकता हटने से समृद्धि के द्वार खुलते हैं। घर के पूजा स्थान पर गरुड़ घंटी रखी जाती है।

13. शंख : जिस घर में शंख होता है वहां लक्ष्मी का वास होता है। शंख सूर्य व चंद्र के समान देवस्वरूप है जिसके मध्य में वरुण, पृष्ठ में ब्रह्मा तथा अग्र में गंगा और सरस्वती नदियों का वास है। तीर्थाटन से जो लाभ मिलता है, वही लाभ शंख के दर्शन और पूजन से मिलता है।

14. जल कलश : जल से भरा कलश देवताओं का आसन माना जाता है। दरअसल, हम जल को शुद्ध तत्व मानते हैं, जिससे ईश्वर आकृष्ट होते हैं। इसे मंगल कलश भी कहा जाता है। एक कांस्य या ताम्र कलश में जल भरकर उसमें कुछ आम के पत्ते डालकर उसके मुख पर नारियल रखा होता है। कलश पर रोली, स्वस्तिक का चिह्न बनाकर, उसके गले पर मौली (नाड़ा) बांधी जाती है। जल कलश में पान और सुपारी भी डालते हैं।

15. कौड़ी : पुराने समय से कुछ ऐसी परंपराएं या उपाय प्रचलित हैं जिन्हें अपनाने पर देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। पीली कौड़ी को देवी लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है। एक-एक पीली कौड़ी को अलग-अलग लाल कपड़े में बांधकर घर में स्थित तिजोरी और जेब में रखने से धन समृद्धि बढ़ती है।

16. तांबे का सिक्का : तांबे में सात्विक लहरें उत्पन्न करने की क्षमता अन्य धातुओं की अपेक्षा अधिक होती है। कलश में उठती हुई लहरें वातावरण में प्रवेश कर जाती हैं। यदि कलश में तांबे के पैसे डालते हैं, तो इससे घर में शांति और समृद्धि के द्वार खुलेंगे। देखने में ये उपाय छोटे से जरूर लगते हैं लेकिन इनका असर जबरदस्त होता है।

17.पाट : एक ऐसा पटिया जिस पर उक्त सभी सामग्री को रखा जाता है। कुल लोग सिंहासन (चौकी, आसन) की तरह पाट बनवा लेते हैं। हालांकि आजकल बाजार में बने बनाए मंदिर आने लगे हैं जिसके अंदर यह सभी सामग्री रखी जा सकती है, लेकिन मंदिर और मूर्ति घर में रखना चाहिए या नहीं यह किसी लाल किताब के विशेषज्ञ से पूछकर ही रखें। पाट पर सफेद, पीला या लाल वस्त्र बिझाकर ही उस पर उक्त सामग्री रखी जाती है।

18.दुर्गा
मूर्ति


:
दुर्गा जी की स्वर्ण, रजत या ताम्र मूर्ति रखें। अगर ये उपलब्ध न हो सकें, तो मिट्टी की मूर्ति अवश्य होनी चाहिए। लेकिन मूर्ति का साइज बहुत बड़ा नहीं होना चाहिए। चूंकि नवरात्रि में माता की पूजा विशेष रूप से की जाती है इसलिए माता की मूर्ति जरूर होना चाहिए।

19.गंगा जल : एक तांबे के बुत ही छोटे से लोटे में गंगाजल भरकर अवश्य रखें। कई बार हमें इस जल की आवश्यकता पड़ती है। गंगाजल का कलश भी जल कलश की तरह रखें।

20. अन्य सामग्री : हल्दी की गांठ, यज्ञोपवीत, बाल मुकुंद और गणेशजी की पीतल की छोटी सी मूर्ति, कर्पूर, इत्र की शीशी, चांदी का सिक्का, नाड़ा (लच्छा), शहद (मधु), इलायची (छोटी), लौंग, खड़ा धनिया, दूर्वा,
रुद्राक्ष व स्फटीक की माला और पूजन समग्री।

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