2. पत्रकारिता क्या है ?
पत्रकारिता, अंग्रेजी जर्नलिज़म का हिन्दी अनुवाद है। जर्नल शब्द का प्रयोग पत्रिका के लिए होता है मैथ्यू आर्नल्ड के अनुसार-'पत्रकारिता शीघ्रता में लिखे जाने वाला साहित्य है। पत्रकार देश-विदेश की घटनाओं, समस्याओं और सूचनाओं को संकलित कर समाचार रुप में ढाल प्रस्तुत करते हैं। इसी प्रक्रिया को पत्रकारिता कहते हैं।
3. समाचार
हर घटना समाचार नहीं होती। समाचार के रुप में उन्हीं घटनाओं, सूचनाओं और मुद्दों को चुना जाता है। जिन्हें जानने में अधिक से अधिक लोगों की रुचि हो। किसी घटना को समाचार बनने के लिए उसमें नवीनता, जनरुचि, निकटता, प्रभाव जैसे तत्वों का होना आवश्यक है। समाचार किसी भी ऐसी ताजा घटना, विचार या समस्या की रिपोर्ट है जिसमें अधिक से अधिक लोगों की रूचि हो और जिसका प्रभाव अधिक से अधिक लोगों पर पड़े।
4. समाचार के आवश्यक तत्व
क) नवीनता - समाचार बनने के लिए 'न्यू' होने पर ही वह न्यूज है। दैनिक समाचार पत्र रात 12 बजे तक के समाचार कवर करता है जो (डेडलाइन) समय सीमा होती है।
ख) निकटता- लोग उन घटनाओं को जानना चाहते हैं जो भौगोलिक, सामाजिक व सांस्कृतिक रूप में उनसे जुड़ी हो।
ग) प्रभाव - घटना की तीव्रता उससे पता चलती है कि उससे कितने लोग प्रभावित होते हैं।
घ) जनरुचि – किसी घटना, विचार या समस्या के समाचार बनने के लिए यह भी आवश्यक है कि आम लोगों की रूची हो।
ङ) टकराव या संघर्ष – लोगों को टकराव या संघर्ष के बारें में स्वाभाविक दिलचस्पी होती है। चुनाव के दिनों में राजनैतिक दलों के संघर्ष में लोग रुचि रखते हैं।
च) महत्त्वपूर्ण लोग – महत्वपूर्ण लोगों से संबंधित जानकारी में लोग विशेष रुचि रखते हैं।
छ) उपयोगी जानकारी – उपयोगी जानकारियाँ भी समाचार को भूमिका निभाती है इन्हें जानने में आम लोगों की सहन दिलचस्पी होती है।
ज) अनोखापन - अनोखापन लिए हुए घटनाएँ भी समाचार पत्रा में विशेष भूमिका निभाती हैं जैसे किसी शुष्क स्थान पर अत्याधिक वर्षा या बाढ़।
झ) पाठक वर्ग-समाचारीय घटना का महत्त्व इससे भी तय होता है कि खास समाचार का पाठक वर्ग कौन है? पाठक वर्ग की रूचियों और जरूरतों का विशेष ध्यान रखा जाता है। नीतिगत ढाँचा–विभिन्न समाचार संगठनों की समाचारों के चयन और प्रस्तुति को लेकर एक नीति होती है। इस नीति को 'संपादकीय नीति कहते हैं। नीतिगत ढाँचा तथा संपादक ही तय करता है कि कौन-सी खबर चुनी जाए तथा उसकी प्रस्तुति किस प्रकार की जाए।
5. संपादन का अर्थ
संपादन का अर्थ है किसी समाग्री की अशुद्धियों को दूर करके उसे पठनीय बनाना। उपसंपादक अपने संवाददाता की खबरों की भाषा, व्याकरण वर्तनी तथा तथ्यपरक अशुद्धियों को दूर करके उसे प्रकाशित करने का स्थान तय करता है।
6. संपादन के सिद्धान्त – पत्रकारिता को खास बनाए रखने के लिए इन सिद्धान्तों को पालन करना आवश्यक हो जाता है।
क) निष्पक्षता (फेयरनेस) – पत्रकार के लिए निष्पक्ष होना जरूरी है। पत्रकारिता लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ है। निष्पक्षता का अर्थ तटस्थतानहीं है। सही-गलत, न्याय-अन्याय को ध्यान में रख किया जाता है।
ख) तथ्यों की शुद्धता (एक्युरेसी) – मीडिया या पत्रकारिता यथार्थ का प्रतिबिंब है अतः तथ्यों को तोड़-मोड़ कर नहीं प्रस्तुत किया जाना चाहिए।
ग) वस्तुपरकता (आब्जेक्टीविटी) – एक पत्रकार समाचार के लिए तथ्यों का आकलन अपनी धारणा आधार पर न करें उसका वास्तविक रूप प्रस्तुत करें।
घ) संतुलन (बैलेंस) - समाचार को किसी एक पक्ष में झुका नहीं होना चाहिए दोनों पक्षों की बात बराबर लानी चाहिए।
ङ) ग्रोत (सोर्सिंग एट्रीब्यूशन) – किसी भी समाचार में शामिल की गई सूचना एवं जानकारी का कोई स्रोत होना आवश्यक है। स्रोत का उल्लेख आवश्यक हो जाता है।
7. पत्रकारिता के अन्य आयाम –
इनके बिना कोई समाचार, पत्र स्वयं को पूर्ण नहीं मान सकता ।
क) संपादकीय – यह समाचार पत्र का सबसे महत्वपूर्ण पृष्ठ होता है। संपादक इस पृष्ठ पर अपनी राय प्रकट करता है। इस पृष्ठ पर विभिन्न विषयों के विशेषज्ञो के लेख होते हैं । संपादक के नाम पत्र भी इसी पृष्ठ पर होते हैं। वह घटनाओं पर आम लोगों की टिप्पणी होती है।
ख) फोटो पत्रकारिता – जो बात हजार शब्द स्पष्ट नहीं कर सकते उसे एक फोटो स्पष्ट कर देती हैं यह बहुत प्रभावशाली माध्यम है।
ग) कार्टून कोना - कार्टून के माध्यम से की गई धारदार टिप्पणियाँ सीधे पाठक के मन को छूती है ।
घ) रेखांकन और कार्टोग्राफ - इनके प्रयोग से शब्दों के बिना ही आँकड़ों को ग्राफ के द्वारा एक नज़र में समझाया जाता है इसका प्रयोग समाचार पत्रों के अलावा टी.वी. में भी होता है।
8. पत्रकारिता के प्रकार –
क) खोजपरक पत्रकारिता – ऐसी पत्रकारिता जिसमें गहराई से छानबीन करके ऐसे तथ्यों व सूचनाओं को सामने लाने की कोशिश की जाती है, जिन्हें दबाने या छुपाने का प्रयास किया जा रहा हो। आज इसी को स्टिंग ऑपरेशन कहा जाता है।
ख) विशेषीकृत पत्रकारिता – संसदीय, न्यायालय (कानून), आर्थिक, खेल विज्ञान, विकास, अपराध, फैशन और फिल्मों से संबंधित पत्रकार उस क्षेत्र की विशेषज्ञता प्राप्त होते हैं।
ग) वॉचडॉग पत्रकारिता - जब मीडिया सरकार के काम काज पर निगाह रखकर होने वाली गड़बड़ी के पर्दाफाश कर जनता के समक्ष लाती है तो उसे वॉचडॉग पत्रकारिता कहते हैं।
घ) एडवोकेसी पत्रकारिता - जब कोई समाचार संगठन किसी मुद्दे को उछाल कर उसके पक्ष में जनमत हासिल करने के लिए अभियान चलाते हैं तो उसे एडवोकेसी या पक्षधर पत्रकारिता कहते है।
ङ) वैकल्पिक पत्रकारिता - जो मीडिया स्थापित व्यवस्था के विकल्प को सामने लाने और उसके अनुकूल सोच को अभिव्यक्त करता है उसे 'वैकल्पिक मीडिया' कहा जाता है।
9. एक अच्छे पत्रकार को सफल होने के लिए पत्रकारिता के मूल्यों को ध्यान में रखना पड़ता है। इन्हीं मूल्यों को पत्रकार की बैसाखियाँ कहा जाता है-
क) सच्चाई
ख) संतुलन
3) निष्पक्षता
4) स्पष्टता
10. संपादक मंडल – यह एक संगठन है जिसमें संपादक, संयुक्त संपादक, सहायक संपादक, विशेष संपादक, मुख्य संपादक, उप-संपादक, संवाददाता और प्रूफ रीडर शामिल होते हैं।
11. समाचार माध्यमों का मौजूदा रुझान - व्यापारीकरण के कारण सभी अधिक से अधिक धन कमाना चाहते हैं। अतः अपने समाचार-पत्र अथवा चैनल को लोकप्रिय बनाने के लिए सनसनी खोज खबरें 'पीत पत्रकारिता' या पेज थ्री का प्रयोग अधिक से अधिक करते हैं।
12. पत्रकारिता का महत्व –
1) देश-विदेश की गतिविधियों की जानकारी देती है।
2) जनसामान्य को उसके कर्त्तव्य और अधिकारों की जानकारी देती है।
3) रोजगार के अवसर तलाशने में सहायक हैं।
4) राष्ट्रीय चेतना का सशक्त आधार है।
5) युगीन समस्याओं से जनता को जोड़ती है।
6) मानव कल्याण की प्रेरणा देती हैं।
पीत पत्रकारिता- यह पत्रकारिता सनसनी फैलाने का कार्य करती है। पीत पत्रकारिता में अखबार अफवाहों, व्यक्तिगत आरोपों-प्रत्यारोपों, प्रेम संबंधों, भंडाफोड़ और फिल्मी गपशप को समाचार की तरह प्रकाशित करते हैं।
पेज़ थ्री-इसमें फैशन, अमीरों की पार्टियों, महफिलों और जाने-माने लोगों के निजी जीवन के बारे में बताया जाता है। यह आमतौर पर पृष्ठ तीन पर प्रकाशित होती है। इसलिए इसे पेज़ थ्री पत्रकारिता कहते हैं। आजकल इसकी पृष्ठ संख्या अलग भी हो सकती है।
डेडलाइन समाचार माध्यमों में किसी समाचार को प्रकाशित या प्रसारित होने के लिए पहुँचने की आखिरी समय-सीमा को डेडलाइन (समय-सीमा) कहते हैं।
न्यूज़पेग-किसी मुद्दे पर लिखे जा रहे लेख या फीचर में उस नवीनतम घटना का उल्लेख जिसके कारण वह मुद्दा चर्चा में आ गया हो।
स्टिंग ऑपरेशन – तहलका भारत का पहला स्टिंग ऑपरेशन माना जाता है जिसमें सन् 2000 में हुए क्रिकेट मैच फिक्सिंग का पर्दाफ़ाश किया गया। जेसिका लाल को भी न्याय