प्रतिवर्ती क्रिया से आप क्या समझते हैं उदाहरण सहित समझाइए? - prativartee kriya se aap kya samajhate hain udaaharan sahit samajhaie?

नमस्कार दोस्तों प्रश्न है प्रतिवर्ती क्रिया क्या है एक उदाहरण द्वारा समझाइए तो दोस्तों आइए देखते हैं कि प्रतिवर्ती क्रिया क्या होती है तो दोस्तों प्रतिवर्ती क्रिया एक ऐसी अनुक्रिया होती है अनुप्रिया होती है जो कि तुरंत ही हो जाती है यह तुरंत होती है तो दोस्तों यह अभिक्रिया है किस प्रकार होती है कि इनमें मस्तिष्क के आदेश की आवश्यकता नहीं होती है यह इतनी सारी मेंटेनेंस इतनी जल्द होती है कि यह अभिक्रियाएं मेरुरज्जु के द्वारा ही संपन्न हो जाती है यानी कि इसमें मस्तिष्क के आदेश की आवश्यकता नहीं होती मेरुरज्जु क्या आदेश के द्वारा ही यह भी

क्रियाएं संपन्न हो जाती है इन्हें स्वता प्रेरित अभिक्रिया या रिफ्लेक्स एक्शन अभिक्रिया भी कहते हैं तो दोस्तों इसके उदाहरण हैं जैसे कि पलकों का झपकना दोस्तों यदि हमारे आंखों पर तेज प्रकाश पड़ता है तो हमारी आंखें स्वता बंद हो जाती हैं या हमारी आंखों के आसपास कुछ आता है जैसे कि किसी का हाथ या फिर कोई अन्य पदार्थो हमारी पलके स्वयं ही चिपक जाती हैं इस प्रकार सीखना यह भी प्रतिवर्ती क्रिया का एक उदाहरण है यदि हमारी नाक या गले में कोई अवांछित कांड चला जाता है जिसके कारण हमें छींक आती है या खांसी भी आ जाती है तो यह भी हमारी प्रतिवर्ती क्रिया का एक उदाहरण है तो दोस्तों हम एक चित्र के माध्यम

से देखते हैं कि प्रतिवर्ती क्रिया किस प्रकार से संपन्न होती है तो दोस्तों यह हमारा चित्र है प्रतिवर्ती क्रिया के उदाहरण का 220 में सबसे पहले क्या होता है कि उद्दीपन होता है यानी कि एक गर्म पानी से भरा कोई पात्र है कोई पात्र है इसमें की गर्म पानी भरा है यदि इस पर हमारा हाथ गलती से लग जाता है यह हमारा हाथ है यह कह दो उसको मनुष्य का हाथ है यदि यदि यह हमारा हाथ किस पात्र से गलती से लग जाता है तो अभिक्रिया किस प्रकार होगी तो दोस्तों जो हमारा हाथ है उसे हम कहेंगे उद्दीपन अभी ग्राही अंग यह हाथ हमारा कहलाता है उद्दीपन अभी ग्राही अंग तथा जब इसे हम यानी कि जब गर्म पात्र को छूते हैं तो हमें होगा

संवेदन यानी कि हमें उसका एहसास होगा कि हाथ पर कुछ गर्म वस्तु लगी है उसके बाद यह संवेदना जो है यह जाएगी तंत्रिका के पास तथा तंत्रिका से यह जाएगी मेरुरज्जु के पास मेरुरज्जु के पास तथा मेरुरज्जु से पुनः तंत्रिका के पास आदेश आएगा तंत्रिका से पुनः जो संवेदना है वह जाएगी उद्दीपन अभी ग्राही अंग के पास था वह आदेश देगी कि इस हाथ को यहां से हटा लेना चाहिए इस प्रकार हम चित्र में भी देख सकते हैं कि जो यह पात्र हैं यहां से हाथ 24:00 पर लगेगा तो संवेदी तंत्रिका के द्वारा यह संवेदी तंत्रिका है इसके द्वारा जो संदेश है वह जाएगा मेरुरज्जु के पास यह है हमारी नीरू रज्जू के पास मेरुरज्जु से पुनः संदेश आएगा प्रेरक पत्रिका द्वारा तथा हाथ के पास

जाएगा कि हाथ को हटा लेना चाहिए इस प्रकार यह प्रक्रिया चलती है आशा करते हैं आप इस प्रश्न का उत्तर समझ आया होगा वीडियो को देखने के लिए धन्यवाद

Q.33: प्रतिवर्ती क्रिया क्या है? चित्र की सहायता से इसका वर्णन करिए।

उत्तर : प्रतिवर्ती क्रियाएं स्वायत्त प्रेरक के प्रत्युत्तर हैं। ये क्रियाएं मस्तिष्क की इच्छा के बिना होती हैं। इसलिए ये अनैच्छिक क्रियाएं हैं। यह बहुत स्पष्ट और यांत्रिक प्रकार की हैं। जैसे-जब हमारी आंखों पर तेज़ रोशनी पडती है तो हमारी आंख की पुतली अचानक छोटी होने लगती है। यह क्रिया तुरंत और हमारे मस्तिष्क पीछे की इच्छा के बिना होती है।

प्रतिवर्ती क्रियाएँ मेरुरज्जु द्वारा नियंत्रित पेशियों द्वारा अनैच्छिक क्रियाएं होती हैं जो प्रेरक के प्रत्युत्तर में होती हैं।

यदि शरीर के किसी भाग में अचानक एक पिन चुभोया जाए तो संवेदियों द्वारा प्राप्त यह उद्दीपक इस क्षेत्र के एफैरेंट तंत्रिका तन्तु को उद्दीपित करता है। तंत्रिका तंत्र मेरु तंत्रिका के पृष्ठीय पथ द्वारा इस उद्दीपक को मेरुरज्जु तक ले जाता है।

मेरुरज्जु से यह उद्दीपन के अधरीय पथ द्वारा एक या अधिक इफैरेंट (Efferent) तंत्रिका तंतु में पहुंचता है। इफैरेंट तंत्रिका तंतु प्रभावी अंगों को उद्दीपित करता है। पिन चुभोने के तुरंत बाद इसी कारण प्राणी प्रभावी भाग हटा लेता है। उद्दीपक का संवेदी अंग से प्रभावी अंग तक का पथ प्रतिवर्ती चाप कहलाता है।

प्रतिवर्ती चाप तंत्रिका तंत्र की क्रियात्मक इकाई बनाती है। प्रतिवर्ती चाप में होता है

(i) संवेदी अंग-वह अंग या स्थान जो प्रेरक को प्राप्त करता है।

(ii) एफैरेंट तंत्रिका तन्तु (Afferent Nerve Fibre)– यह संवेदक प्रेरणा को संवेदी अंग से केंद्रीय तंत्र तक ले जाता है जैसे मस्तिष्क या मेरुरज्जु।

(ii) केंद्रीय तंत्रिका तंत्र-मस्तिष्क या मेरुरज्जु का कुछ भाग।

(iv) इफैरेंट अथवा मोटर तंत्रिका (Efferent Or Motor Nerve) यह केंद्रीय तंत्रिका तंत्र से मोटर प्रेरणाओं को प्रभावी अंगों तक लाता है जैसे पेशियां अथवा ग्रंथियां।

 (v) प्रभावी अंग (Effector)—यह तंत्रिका विहीन भाग जैसे ग्रंथियों की पेशियां जहां मोटर प्रेरणा खत्म होती है और प्रत्युत्तर दिया जाता है।

कार्य-प्रतिवर्ती क्रिया प्रेरक को तुरंत प्रत्युत्तर देने में सहायता करती है और मस्तिष्क को भी अधिक कार्य से मुक्त करती है।

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  7. प्रतिवर्ती क्रिया क्या है संक्षिप्त में वर्णन करें?

प्रतिवर्ती क्रिया-

“अनेक क्रियाएं बाहरी उद्दीपनों के कारण अनुप्रिया (response) के रूप में होती है। इन्हें प्रतिवर्ती क्रिया (reflex action) कहते हैं।”

स्वादिष्ट भोजन देखते ही मुंह में लार का आना, कांटा चुभते ही पैर का झटके के साथ ऊपर उठ जाना, तेज प्रकाश में आंख की पुतली का सिकुड़ जाना तथा अंधेरे में उसका फेल जाना, खांसना आदि अनेक प्रतिवर्ती क्रिया में है। यह क्रियाएं रीड-रज्जु से नियंत्रित होती है। मस्तिष्क निकाल देनी है पर भी यह चलती है अतः प्रतिवर्ती क्रिया किसी उद्दीपन के प्रति आ गया अंगों के तंत्र द्वारा तीव्र गति से की जाने वाले स्वचालित अनुक्रिया है। इनके संचालन में मस्तिष्क भाग नहीं लेता है।

Table of Contents

  • प्रतिवर्ती क्रिया-
  • महत्व (Importance)-
  • प्रतिवर्ती क्रिया में मस्तिष्क की भूमिका-
प्रतिवर्ती क्रिया के लिए प्रतिवर्ती चाप।

रीड-रज्जु से रीड तंत्रिका निकलती है। प्रत्येक रीड तंत्रिका पृष्ठ मूल तथा अधर मूल से बनती है। पृष्ठ मूल में संवेदी तंतु (sensory filament) तथा अधर मूल में चालक तंतु (motor filament)‌ होते हैंं।

संवेदी अंग उद्दीपन को ग्रहण कर संवेदी तंतुओं द्वारा रीड-रज्जू तक पहुंचते हैं। इसके फलस्वरूप रीड-रज्जू से अनुक्रिया के लिए आदेश चालक। तंतुओं द्वारा संबंधित मांसपेशियों को मिलता है और अंग अनुक्रिया‌ करता है।

इस प्रकार संवेदी अंगों से, संवेदनाओं को संवेदी तंतुओं द्वारा, रीड-रज्जू तक आने या रीड-रज्जू से प्रेरणा के रूप में अनुक्रिया‌ करने वाले अंग की मांस पेशियों तक पहुंचने के मार्ग को प्रतिवर्ती चाप (reflex arch) तथा होने वाली क्रिया को प्रतिवर्ती क्रिया (reflex action) कहते हैं।

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महत्व (Importance)-

बाह्य या आंतरिक उद्दीपन के फल स्वरुप होने वाली यह क्रियाएं मेरुरज्जु द्वारा नियंत्रित होती है। इससे मस्तिष्क का कार्यभार कम हो जाता है। क्रिया होने के पश्चात मस्तिष्क को सूचना प्रेषित कर दी जाती है।

प्रतिवर्ती क्रिया में मस्तिष्क की भूमिका-

रुधिर में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ जाने से थकान महसूस होती है। गहरी श्वास द्वारा CO2 की अधिक मात्रा को शरीर से बाहर निकालना उबासी लेना (yawning) कह जाता है कहलाता है।

प्रतिवर्ती क्रियाओं का उदाहरण: रुधिर में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ जाने से थकान महसूस होती है। गहरी श्वास द्वारा CO2 की अधिक मात्रा को शरीर से बाहर निकालना उबासी लेना (yawning) कह जाता है कहलाता है।

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इन्हें भी पढ़ें:- मृदा और इसका निर्माण (Soil and its construction)

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प्रतिवर्ती क्रिया क्या होती है उदाहरण सहित समझाइए?

जैसे-जब हमारी आंखों पर तेज़ रोशनी पडती है तो हमारी आंख की पुतली अचानक छोटी होने लगती है। यह क्रिया तुरंत और हमारे मस्तिष्क पीछे की इच्छा के बिना होती है। प्रतिवर्ती क्रियाएँ मेरुरज्जु द्वारा नियंत्रित पेशियों द्वारा अनैच्छिक क्रियाएं होती हैं जो प्रेरक के प्रत्युत्तर में होती हैं।

प्रतिवर्ती क्रिया किसे कहते हैं यह कितने?

Solution : प्रतिवर्ती क्रियाएँ स्वायत्त प्रेरक के प्रत्युत्तर हैं। ये क्रियाएँ मस्तिष्क की इच्छा के बिना होती हैं। इसलिए ये अनैच्छिक क्रियाएँ हैंयह बहुत स्पष्ट और यांत्रिक प्रकार की है।

प्रतिवर्ती क्रिया क्या है इसका क्या महत्व है?

1. प्रतिवर्ती क्रिया के लिए मस्तिष्क के किसी प्रक्रम की आवश्यकता नहीं होती इसलिए सोचने-समझने में समय नहीं लगता। 2. प्राणी बिना सोचे-समझे इन की सहायता से शरीर की रक्षा करता रहता है।

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