पूर्णिमा का दूसरा नाम क्या है? - poornima ka doosara naam kya hai?

पूर्णिमा संस्कृत का शब्द है। पूर्णिमा का दिन प्रत्येक मास में तब (दिन) तिथि का होता है जब पूर्णिमा होती है, और प्रत्येक मास में दो चंद्र नक्षत्रों (पक्ष) के बीच के विभाजन को चिह्नित करता है, और चंद्रमा एक सीधी रेखा में सूर्य और के साथ संरेखित होता है पृथ्वी। पूर्णिमा को चंद्रमा के चार प्राथमिक चरणों में से तीसरा माना जाता है; अन्य तीन चरण हैं अमावस्या, पहली तिमाही चंद्रमा और तीसरी तिमाही चंद्रमा। पूर्णिमा 100% प्रकाश दिखाती है, उच्च ज्वार का कारण बनती है, और चंद्र ग्रहण के साथ मिल सकती है।[1]

पूर्णिमा के पर्व[संपादित करें]

  • चैत्र की पूर्णिमा के दिन हनुमान जयंती मनाई जाती है।
  • चैत्र की पूर्णिमा के दिन प्रेम पूर्णिमा पति व्रत मनाया जाता है।
  • वैशाख की पूर्णिमा के दिन बुद्ध जयंती मनाई जाती है।
  • ज्येष्ठ की पूर्णिमा के दिन वट सावित्री मनाया जाता है।
  • आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरू-पूर्णिमा कहते हैं। इस दिन गुरु पूजा का विधान है। इसी दिन कबीर जयंती मनाई जाती है।
  • श्रावण की पूर्णिमा के दिन रक्षाबन्धन का पर्व मनाया जाता है।
  • भाद्रपद की पूर्णिमा के दिन उमा माहेश्वर व्रत मनाया जाता है।
  • अश्विन की पूर्णिमा के दिन शरद पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है।
  • कार्तिक की पूर्णिमा के दिन पुष्कर मेला और भीष्म पञ्चक का अंतिम दिन होता है।
  • मार्गशीर्ष की पूर्णिमा के दिन श्री दत्तात्रेय जयंती मनाई जाती है।
  • पौष की पूर्णिमा के दिन शाकंभरी जयंती मनाई जाती है। जैन धर्म के मानने वाले पुष्यभिषेक यात्रा प्रारंभ करते हैं। बनारस में दशाश्वमेध तथा प्रयाग में त्रिवेणी संगम पर स्नान को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।
  • माघ की पूर्णिमा के दिन संत रविदास जयंती, श्री ललित और श्री भैरव जयंती मनाई जाती है। माघी पूर्णिमा के दिन संगम पर माघ-मेले में जाने और स्नान करने का विशेष महत्व है।
  • फाल्गुन की पूर्णिमा के दिन होली का पर्व मनाया जाता है।

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "The Full Moon". www.timeanddate.com (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 25 November 2017.

गुरु पूर्णिमाआधिकारिक नामअनुयायीउद्देश्यउत्सवअनुष्ठानतिथि2021 dateआवृत्ति

एक शिष्य को आशीर्वाद देते गुरु
गुरु पूर्णिमा (ग्रीष्मकाल के पूर्ण चाँद के दिन गुरु पूजा)
जैन, हिन्दू भक्त & भारत के बौद्ध भिक्षु
आध्यात्मिक गुरु के लिए कृतज्ञता व्यक्त करना[1]
गुरु पूजा और मंदिर में जाना[2]
गुरु पूजा
आषाढ़ पूर्णिमा (शुक्ल पक्ष, पूर्ण चाँद का चमकिल चन्द्र पक्ष) (जून–जुलाई)
24 जुलाई (शनि)
वार्षिक

गुरु पूर्णिमा सनातन धर्म संस्कृति है। आदिगुरु परमेश्वर शिव दक्षिणामूर्ति रूप में समस्त ऋषि मुनि को शिष्यके रूप शिवज्ञान प्रदान किया था। उनके स्मरण रखते हुए गुरुपूर्णिमा मानाया याता है। गुरु पूर्णिमा उन सभी आध्यात्मिक और अकादमिक गुरुजनों को समर्पित परम्परा है जिन्होंने कर्म योग आधारित व्यक्तित्व विकास और प्रबुद्ध करने, बहुत कम अथवा बिना किसी मौद्रिक खर्चे के अपनी बुद्धिमता को साझा करने के लिए तैयार हों। इसको भारत, नेपाल और भूटान में हिन्दू, जैन और बोद्ध धर्म के अनुयायी उत्सव के रूप में मनाते हैं। यह पर्व हिन्दू, बौद्ध और जैन अपने आध्यात्मिक शिक्षकों / अधिनायकों के सम्मान और उन्हें अपनी कृतज्ञता दिखाने के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व हिन्दू पंचांग के हिन्दू माह आषाढ़ की पूर्णिमा (जून-जुलाई) मनाया जाता है।[3][4] इस उत्सव को महात्मा गांधी ने अपने आध्यात्मिक गुरु श्रीमद राजचन्द्र सम्मान देने के लिए पुनर्जीवित किया।[5] ऐसा भी माना जाता है कि व्यास पूर्णिमा वेदव्यास के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है।[6]

पर्व[संपादित करें]

आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा कहते हैं। इस दिन गुरु पूजा का विधान है। गुरु पूर्णिमा वर्षा ऋतु के आरम्भ में आती है। इस दिन से चार महीने तक परिव्राजक साधु-सन्त एक ही स्थान पर रहकर ज्ञान की गंगा बहाते हैं। ये चार महीने मौसम की दृष्टि से भी सर्वश्रेष्ठ होते हैं। न अधिक गर्मी और न अधिक सर्दी। इसलिए अध्ययन के लिए उपयुक्त माने गए हैं। जैसे सूर्य के ताप से तप्त भूमि को वर्षा से शीतलता एवं फसल पैदा करने की शक्ति मिलती है, वैसे ही गुरु-चरणों में उपस्थित साधकों को ज्ञान, शान्ति, भक्ति और योग शक्ति प्राप्त करने की शक्ति मिलती है।[7]

हिंदू सनातन शास्त्र के अनुसार, इस तिथि पर परमेश्वर शिव ने दक्षिणामूर्ति का रूप धारण किया और ब्रह्मा के चार मानसपुत्रों को वेदों का अंतिम ज्ञान प्रदान किया। इसके अलावा,

यह दिन महाभारत के रचयिता कृष्ण द्वैपायन व्यास का जन्मदिन भी है। वे संस्कृत के प्रकांड विद्वान थे। उनका एक नाम वेद व्यास भी है। उन्हें आदिगुरु कहा जाता है और उनके सम्मान में गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा नाम से भी जाना जाता है। भक्तिकाल के संत घीसादास का भी जन्म इसी दिन हुआ था वे कबीरदास के शिष्य थे।[8]

शास्त्रों में गु का अर्थ बताया गया है- अंधकार या मूल अज्ञान और रु का का अर्थ किया गया है- उसका निरोधक। गुरु को गुरु इसलिए कहा जाता है कि वह अज्ञान तिमिर का ज्ञानांजन-शलाका से निवारण कर देता है।[9] अर्थात अंधकार को हटाकर प्रकाश की ओर ले जाने वाले को 'गुरु' कहा जाता है।

  • "अज्ञान तिमिरांधस्य ज्ञानांजन शलाकया, चकच्छू: मिलिटम येन तस्मै श्री गुरुवै नमः "

गुरु तथा देवता में समानता के लिए एक श्लोक में कहा गया है कि जैसी भक्ति की आवश्यकता देवता के लिए है वैसी ही गुरु के लिए भी। [क] बल्कि सद्गुरु की कृपा से ईश्वर का साक्षात्कार भी संभव है। गुरु की कृपा के अभाव में कुछ भी संभव नहीं है। [ख]

आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा कहते हैं। इस दिन गुरु पूजा का विधान है। गुरु पूर्णिमा वर्षा ऋतु के आरम्भ में आती है। इस दिन से चार महीने तक परिव्राजक साधु-सन्त एक ही स्थान पर रहकर ज्ञान की गंगा बहाते हैं। ये चार महीने मौसम की दृष्टि से भी सर्वश्रेष्ठ होते हैं। न अधिक गर्मी और न अधिक सर्दी। इसलिए अध्ययन के लिए उपयुक्त माने गए हैं। जैसे सूर्य के ताप से तप्त भूमि को वर्षा से शीतलता एवं फसल पैदा करने की शक्ति मिलती है, वैसे ही गुरु-चरणों में उपस्थित साधकों को ज्ञान, शान्ति, भक्ति और योग शक्ति प्राप्त करने की शक्ति मिलती है।[10]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "Guru Purnima India: Date, Story, Quotes, Importance, Special Messages". SA News. अभिगमन तिथि 23 जुलाई 2021.
  2. "Guru Purnima 2020: Know Why We Celebrate Guru Purnima". NDTV.com. अभिगमन तिथि 2020-07-03.
  3. "गुरु पूर्णिमा - Guru Purnima".
  4. poornima.html "Guru Poornima (Vyas Puja)" [गुरु पूर्णिमा (व्यास पूजा)] (अंग्रेज़ी में). Sanatan.org. अभिगमन तिथि 3 जुलाई 2020.
  5. थॉमस वेबर (2 दिसम्बर 2004). Gandhi as Disciple and Mentor [गुरु और शिष्य के रूप में गांधी]. कैंब्रिज यूनिवर्सिटी प्रेस. पपृ॰ 34–36. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-1-139-45657-9.
  6. "Guru Purnima 2019: Date, Time and Significance of Vyasa Purnima" [गुरु पूर्णिमा २०१९: व्यास पूर्णिमा का दिन, समय और महत्त्व]. न्यूज़ 18 (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2020-08-03.
  7. "गुरु पूर्णिमा पर विशेष". अमर उजाला. मूल (एएसपी) से 27 सितंबर 2007 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 9 अगस्त 2007.
  8. "भक्तिकाल के सन्त घीसादास". सृजनगाथा. मूल (एचटीएम) से 16 मई 2008 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 9 अगस्त 2007.
  9. "गुरु की महिमा". वेब दुनिया. मूल (एचटीएम) से 8 नवंबर 2007 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 9 अगस्त 2007.
  10. "गुरु पूर्णिमा पर विशेष". अमर उजाला. मूल (एएसपी) से 27 सितंबर 2007 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 9 अगस्त 2007.

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

पूर्णिमा को हिंदी में क्या बोलते हैं?

पूर्णिमा संज्ञा स्त्री॰ [सं॰] पूर्णमासी । वह तिथि जिस दिन चंद्रमा अपने पूरे मंडल के साथ उदय होता है । पर्या॰—पौर्णमासी । पित्र्या ।

अमावस्या और पूर्णिमा क्या है?

हिन्दू पंचांग के अनुसार माह के 30 दिन को चन्द्र कला के आधार पर 15-15 दिन के 2 पक्षों में बांटा गया है- शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष। शुक्ल पक्ष के अंतिम दिन को पूर्णिमा कहते हैं और कृष्ण पक्ष के अंतिम दिन को अमावस्या

पूर्णिमा कितने प्रकार के होते हैं?

वर्ष की 12 पूर्णिमाओं में कार्तिक पूर्णिमा, माघ पूर्णिमा, शरद पूर्णिमा, गुरु पूर्णिमा, बुद्ध पूर्णिमा आदि मुख्य पूर्णिमा मानी गई है।

पूर्णिमा की रात को क्या कहा जाता है?

आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहते हैं। इस रात्रि में चंद्रमा सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है। आप आज रात महालक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए जागरण करें। कहा जाता है कि इस दिन जो व्यक्ति लक्ष्मी सूक्त का पाठ, कनकधारा स्त्रोत, विष्णुसहस्त्रनाम का पाठ करते हैं उन्हें मां धन-धान्य से संपन्न करती हैं

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