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Short Note
पक्षियों में उड़ने हेतु क्या-क्या रूपांतरण हैं?
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Solution
- अग्रपाद रूपान्तरित होकर पंख बनाते हैं।
- अन्त: कंकाल की लम्बी अस्थियाँ खोखली तथा वायुकोष युक्त होती हैं, जिससे शरीर हल्का रहता है।
- मूत्राशय अनुपस्थित होता है।
- उड़ने में सहायक पेशियाँ विकसित होती हैं।
Concept: प्राणि जगत का परिचय
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Chapter 4: प्राणि जगत - अभ्यास [Page 62]
Q 11.Q 10.Q 12.
APPEARS IN
NCERT Biology Class 11 [जीव विज्ञान ११ वीं कक्षा]
Chapter 4 प्राणि जगत
अभ्यास | Q 11. | Page 62
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क्या पक्षियों को उड़ते समय सचमुच आनंद का अनुभव होता होगा या स्वाभाविक कार्य में आनंद का अनुभव होता ही नहीं? विचार प्रकट कीजिए।
प्रकृति ने पक्षियों को पंख इसलिए दिए ताकि वे हवा में उड़ते हुए आकाश के विस्तार को देख सकें व उसकी ऊँचाइयों को पा सकें। पक्षी चहचहाते हुए, कलरव करते हुए जब उड़ते हैं तो उन्हें बहुत आनंद आता है। जबकि पंख होते हुए भी कुछ पक्षी जैसे बतख, शतुरमुर्ग आदि अधिक उड़ान नहीं भर पाते। उनका सुख व आनंद नाममात्र ही होता है।
सभी
पक्षी स्वाभाविक क्रियाओं को भी आनंदपूर्वक ही पूरा करते हैं जैसे चिड़िया घोंसला बनाते हुए तिनका-तिनका एकत्रित करने में भी आनंदित होती है। पक्षी अपने बच्चों को दाना खिलाने व सुरक्षित स्थान देने में भी आनंद का ही अनुभव करते हैं।
इस प्रकार हम कह सकते हैं कि पक्षी भले ही लंबी उड़ान भरने में अधिक आनंदित होते हों लेकिन स्वाभाविक क्रियाएँ भी उन्हे आनंद प्रदान करती हैं।
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कहानी में से वे पंक्तियाँ चुनकर लिखिए जिनसे स्वतंत्रता की प्रेरणा मिलती हो।
1. यदि तुम्हें स्वतंत्रता प्यारी है तो इस चट्टान के किनारे से ऊपर क्यों नहीं उड़ जाने की कौशिश करते।
2. साँप सोचने लगा कि बाज अभागा था जिसने आकाश की आजादी की प्राप्त करने हेतु अपने प्राणों की बाजी लगा दी।
3. तुम्हारे खून की एक-एक बूँद जिंदगी के अंधेरे में प्रकाश फैलाएगी और साहसी बहादुर दिलों में स्वतंत्रता और प्रकाश के लिए प्रेम पैदा करेगी।
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घायल बाज को देखकर साँप खुश क्यों हुआ होगा?
घायल बाज को देखकर साँप खुश हुआ होगा क्योंकि घायल बाज उसे किसी प्रकार का आघात नहीं पहुँचा सकता था।
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लहरों का गीत सुनने के बाद साँप ने क्या सोचा होगा? क्या उसने फिर से उड़ने की कोशिश की होगी? अपनी कल्पना से आगे की कहानी पूरी कीजिए।
लहरें बाज की वीरता और साहस के कार्यो के गीत गा रही थीं। जिसे सुनकर साँप के मन में भी अपनी कायरता के प्रति
ग्लानि का भाव उत्पन्न हुआ होगा। अवश्य ही उसके मन में उड़ने की इच्छा जागृत हुई होगी।
साँप ने निश्चय ही गुफा से निकलकर असीम आकाश की ऊँचाइयों को पाने हेतु उड़ने का प्रयास किया होगा। अनेक बार असफल होकर अंत में सफलता पाई होगी। इसी प्रकार संसार में एक नए व कम मिलने वाले प्राणी उड़ने वाले साँप का जन्म हुआ होगा।
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साँप उड़ने की इच्छा को मूर्खतापूर्ण मानता था। फिर उसने उड़ने की कोशिश क्यों की?
साँप अपने सीमित
दायरे में केवल रेंगते हुए ही संतुष्ट था। आकाश की ऊँचाइयाँ व बाहर की स्वच्छंदता से उसे कुछ लेना-देना न था। वह उड़ने की इच्छा को मूर्खतापूर्ण मानता है और सोचता है कि उड़ने और रेंगने के बीच कौन-सा बड़ा अंतर है। सबके भाग्य में तो एक न एक दिन मरना लिखा है और मरकर सभी को मिट्टी मे ही मिल जाना है।
जब वह बाज के घायल होने पर भी उसकी उड़ने की असीम चाह देखता है तो उसके मन में भी इच्छा जागृत होती है कि वह भी देखे कि आकाश में ऐसा क्या है, जिसके वियोग में बाज इतना व्याकुल होकर छटपटा रहा है। तब उसने भी उड़ने की
कोशिश की।
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बाज के लिए लहरों ने गीत क्यों गाया था?
बाज ने शत्रुओं से लड़ते हुए अपना कीमती रक्त बहाया था और मरते दम तक वह आकाश की ऊँचाइयों को पाना चाहता था। वह साहसी और सकारात्मक विचारधारा का था तभी तो उसे अपने जीवन से किसी प्रकार की कोई शिकायत न थी। लहरों ने उसकी इसी वीरता और बहादुरी से प्रभावित होकर गीत गाया।
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