पक्षी प्रवास क्या है पक्षी प्रवास के प्रकार और कारणों का विस्तार से वर्णन कीजिए? - pakshee pravaas kya hai pakshee pravaas ke prakaar aur kaaranon ka vistaar se varnan keejie?

HomeZoologyपक्षियों में प्रवास पर टिप्पणी | Comments on Migration in Birds in Hindi

पक्षियों में प्रवास (Migration in Birds)

पक्षियों के जीवन से संबंधित घटनाओं में सर्वाधिक अद्वितीय व चमत्कारिक घटना है, पक्षियों में प्रवास (Migration)जन्तुओं को एक स्थान से दूसरे स्थान के नियतकालिक भ्रमण को प्रवास कहा जाता है। पक्षी प्रवसन एक द्विपथ यात्रा है जिसमें पक्षी एक स्थान से दूसरे स्थान यात्रा कर कुछ समय पश्चात् उसी स्थान पर लौट आते हैं।

प्रवास के प्रकार (Kinds of Migration)

1. अक्षांशीय प्रवास (Latitudinal migration) - इस प्रकार के प्रवास में पक्षी शून्य अक्षांश से उच्च अक्षांशो की और गति करते हैं। उत्तरी गोलार्द्ध में यह अधिक प्रचलित प्रवास है। पक्षी शरद ऋतु में भूमध्य रेखा के समीप बिताते हैं व ग्रीष्मकाल आने पर उत्तरी ध्रुव की ओर चले जाते हैं जैसे-गोल्डन प्लोवर, क्रेन आदि।

2. देशांतरीय प्रवास (Longitudinal migration) - दक्षिणी गोलार्द्ध में रहने वाले पक्षियों में लंबवत् प्रवास पाया जाता है। ये पक्षी पूर्व-पश्चिम दिशा में अथवा ग्रीष्मकाल में पर्वतीय स्थानों से मैदानी भागों की ओर प्रस्थान करते हैं व शरद ऋतु के आगमन पर पुनः पर्वतों की ओर चले जाते हैं। उदा.-पैटोगोनियन एलॉवर।

3. तुंग प्रवास (Attitudinal migration) - जहाँ कहीं शीतोष्ण क्षेत्रों में बड़े पर्वत होते हैं, ऋतु परिवर्तन के साथ-साथ पक्षी उनके ढालों पर ऊपर-नीचे नियमित रूप से प्रवास करते हैं। पक्षी ग्रीष्म ऋतु पर्वतीय क्षेत्रों में परन्तु शीत ऋतु निचले क्षेत्रों में व्यतित करते हैं। उदा.- साइबेरिया की विलो टारमिगैन, ग्रेट ब्रिटेन की बैंगनी-हरी अबाबील।

4. आंशिक प्रवास (Partial migration) - कभी-कभी एक ही जाति की कुछ जनसंख्या प्रवास करती है और बाकी नहीं। इस प्रकार शीतोष्ण प्रदेशों की अनेक जातियाँ केवल आंशिक प्रवासी होती है। सॉन्ग थ्रश, रेड ब्रेस्ट, टिंटमाउस व फिंच आदि जो वर्ष पर्यन्त दिखाई पड़ते हैं, वास्तव में आंशिक प्रवासियों का प्रतिनिधित्व करते हैं।

5. अनियमित प्रवास ( Irregular migration) - कुछ पक्षियों में जनन के पश्चात् वयस्क व तरुण भोजन की खोज व शत्रुओं से सुरक्षा पाने हेतु अपने घर से भटककर कुछ मीलों तक फैल जाते है। उदा. बगुला कभी-कभी कुछ कमजोर स्थलीय पक्षी प्रचंड व शक्तिशाली हवाओं में फँसकर अपने मूल स्थान से कई मील दूर चले जाते हैं। उदा. - कूक्कू, थ्रश, वार्बलर आदि।

6. ऋतु प्रवास (Seasonal migration) - कुछ पक्षी एक निश्चित ऋतु में प्रवास करते हैं। ब्रिटेन में स्विफ्ट, अबाबील, बुलबुल व कोकिल ग्रीष्म आगन्तुक है क्योंकि वे बसंत में दक्षिण से आते हैं, जनन करते हैं एवं पतझड़ में पुनः दक्षिण को उड़ जाते हैं। कुछ पक्षी जैसे-फील्डफेयर स्नोबंटिंग व रैडविंग शीत आगन्तुक है क्योंकि ये पतझड़ में उत्तर से आते हैं, शीत ऋतु में रूकते हैं और बसंत में फिर उत्तर की ओर उड़ जाते हैं।

प्रवास के कारण (Causes of Migration)

1. जनदीय उद्दीपन - यह माना जाता है कि जनदों के परिपक्व होने से उनसे शारीरिक व कार्यिकीय परिवर्तन उत्पन्न होते हैं जो प्रवास हेतु पक्षियों को प्रेरित करते हैं। अण्डाशय व वृषण से स्रावित होने वाले हॉर्मोन प्रवास को प्रेरित करते है।

2. वायुमण्डलीय उद्दीपन - भोजन की कमी, धूप में, गर्मी का कम होना, ठण्ड का बढ़ना, दिन का छोटा होना, तूफानी जलवायु आदि भी ऐसे वायुमण्डलीय कारण या उद्दीपन हैं जो पक्षियों को अनुकूल वातावरण में प्रवास हेतु प्रेरित करते हैं।

3. थावरॉइड परिकल्पना - थायरॉइड ग्रंथि से स्रावित हॉर्मोन की उपापचय में महत्वपूर्ण भूमिका होती है। अत: ऐसा माना जाता है कि यह प्रवास का भी नियमन करते हैं।

4. उपापचय पक्ष - उपापचयी क्रियाओं में परिवर्तन के कारण प्रवास से पहले वसा का जमाव प्रारंभ होता है जो प्रवास को प्रेरित करता है।

5. एण्टीपिट्यूटरी हॉर्मोन - यह हॉर्मोन प्रवास व प्रवास की प्रवृत्ति को नियमित रखता है।

प्रवास से लाभ (बenefits of Migration)

1. अनुकूल वातावरण प्राप्त होता है।

3. जनन के लिए उचित स्थान प्राप्त होता है।

3. भोजन की प्रचुरता होती है।

4. पक्षियों की ठण्डे, तूफानी मौसम से रक्षा होती है। 

5. प्रवास पक्षियों को कठोर जलवायु से बचाव में सहायक होता है।

प्रवास से हानि (Loses of Migration)

1. प्रवास के दौरान प्रकाश स्तम्भों या तारों से टकराकर पक्षी मर जाते हैं।

2. छोटे व रक्षाहीन पक्षी शत्रुओं द्वारा नष्ट किए जाते हैं।

3. बिना रूके लंबी यात्रा करने से पक्षी थक जाते हैं व कुछ पक्षी समुद्र से गुजरते हुए उसमें डूब जाते हैं।

4. जलवायु में अचानक हुए परिवर्तन भी प्रवासी पक्षियों के लिए हानिकारक व घातक होते हैं।

पक्षी प्रवास क्या है विस्तार से वर्णन कीजिए पक्षी प्रवास के प्रकार और कारण?

यद्यपि अन्य प्राणियों की अपेक्षा पक्षी अत्यधिक शीत या अत्यधिक उष्णता दोनों के प्रति सहनशील होते हैं, तथापि शरद् ऋतु में जब भोजन का अभाव हो जाता है तब उन्हें बाध्य होकर प्रव्रजन करना पड़ता है, अन्यथा वे मर जाएँ। प्रव्रजन के द्वारा चिड़ियों को दो प्रतिकूल ऋतुओं में भी दो अनुकूल क्षेत्र प्राप्त हो जाते हैं।

पक्षी प्रवास में क्यों जाते हैं कोई तीन कारण लिखिए?

Solution : पक्षियों के प्रवास करने के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं - <br> (1) अपने आपको अधिक सर्दी से बचाने के लिए। <br> (2) अपने आपको अधिक गर्मी से बचाने के लिए। <br> (3) भोजन की तलाश के लिए।

प्रवासी पक्षियों से आप क्या समझते हैं?

कहीं तेज ठंड और बर्फबारी होती है, कहीं मौसम सामान्य और कहीं गर्मी रहती है। रूस के साइबेरिया में सर्दियों में जब तापमान चालीस- पचास तक चला जाता है और लगातार बर्फबारी होती है, तब वहां के पक्षी भारत की ओर प्रवास करते हैं। इसी तरह कई देशों के पक्षी प्राण रक्षा के लिए भारत सहित अनेक देशों में जाकर प्रवास करते हैं।

प्रवासी पक्षी कौन कौन से हैं?

हर साल भारत में विभिन्न प्रजाति के पक्षियों का प्रवास होता है। भारत आने वाले प्रवासी पक्षियों में साइबेरियन क्रेन, ग्रेटर फ्लेमिंगो, रफ, ब्लैक विंग्ट स्टिल्ट, कॉमन टील, वुड सैंडपाइपर जैसी पक्षियों की प्रजातियां शामिल हैं। इन प्रवासी पक्षियों को हम जिम कॉर्बेट, दिल्ली बायोडायवर्सिटी पार्क जैसी जगहों पर भी देख सकते हैं

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