Rajasthan Board RBSE Class 10 Social Science Important Questions Geography Chapter 6 विनिर्माण उद्योग Important Questions and Answers.
RBSE Class 10 Social Science Important Questions Geography Chapter 6 विनिर्माण उद्योग
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
लौह-इस्पात उद्योग है-
(अ) आधारभूत उद्योग
(ब) कृषि आधारित उद्योग
(स) उपभोक्ता उद्योग
(द) सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग
उत्तर:
(अ) आधारभूत उद्योग
प्रश्न 2.
विश्व में पटसन तथा पटसन निर्मित माल का सबसे बड़ा उत्पादक देश है-
(अ) भारत
(ब) पाकिस्तान
(स) बांग्लादेश
(द) चीन
उत्तर:
(अ) भारत
प्रश्न 3.
भारत की अधिकांश चीनी मिलें निम्न में से जिन राज्यों में स्थित हैं, वे हैं-
(अ) उत्तर प्रदेश तथा बिहार
(ब) बिहार तथा पश्चिम बंगाल
(स) पंजाब तथा हरियाणा
(द) उत्तर प्रदेश तथा हरियाणा
उत्तर:
(अ) उत्तर प्रदेश तथा बिहार
प्रश्न 4.
निम्न में से कौनसा शहर भारत की इलैक्ट्रोनिक राजधानी कहा जाता है-
(अ) मुम्बई
(ब) बंगलौर
(स) कोलकाता
(द) चेन्नई
उत्तर:
(ब) बंगलौर
प्रश्न 5.
निम्न में से
कौनसा उपभोक्ता उद्योग है-
(अ) सिलाई मशीन
(ब) ताँबा प्रगलन
(स) एल्यूमिनियम प्रगलन
(द) लौह-इस्पात
उत्तर:
(अ) सिलाई मशीन
प्रश्न 6.
निम्न में से कौनसा रेशा गोल्डन फाइबर कहलाता है?
(अ) सूती
(ब) ऊनी
(स) जूट
(द) रेशमी
उत्तर:
(स) जूट
प्रश्न 7.
निम्न में से संयुक्त क्षेत्र का उद्योग है?
(अ) भेल [BHEL]
(ब) सेल [SAIL]
(स) टिस्को [TISCO]
(द) ओ आई एल [OIL]
उत्तर:
(द) ओ आई एल [OIL]
प्रश्न 8.
गुड़ व खांडसारी के उत्पादन में विश्व में प्रथम स्थान है-
(अ) चीन का
(ब) भारत का
(स) ब्राजील का
(द) श्रीलंका का
उत्तर:
(ब) भारत का
प्रश्न 9.
भारत में पहला सीमेंट उद्योग कारखाना कहाँ लगाया गया
था?
(अ) चेन्नई
(ब) मुम्बई
(स) कोलकाता
(द) उदयपुर
उत्तर:
(अ) चेन्नई
प्रश्न 10.
भारत का मुख्य अपशिष्ट पदार्थ है-
(अ) फ्लाई एश
(ब) फोस्को-जिप्सम
(स) लोहा-इस्पात की अशुद्धियाँ (slag)
(द) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(द) उपर्युक्त सभी
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-
1. ........ कार्यों में लगे व्यक्ति कच्चे माल को परिष्कृत वस्तुओं में परिवर्तित करते हैं।
2. पहला सफल सूती वस्त्र
उद्योग 1854 में ......... में लगाया गया।
3. इस्पात को कठोर बनाने के लिए इसमें ........ की कुछ मात्रा की भी आवश्यकता होती है।
4. भारत में .......... में अधिकांश लोहा तथा इस्पात उद्योग संकेद्रित हैं।
5. कारखानों द्वारा निष्कासित एक लीटर अपशिष्ट से लगभग .......... स्वच्छ जल दूषित होता है।
उत्तरमाला:
1. द्वितीयक
2. मुंबई
3. मैंगनीज
4. छोटा नागपुर के पठारी क्षेत्र
5. आठ गुणा।
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
किसी देश के आर्थिक विकास की रीढ किसे कहा जाता है?
उत्तर:
विनिर्माण उद्योग को।
प्रश्न 2.
खनिज आधारित किन्हीं दो उद्योगों के नाम बताइये।
उत्तर:
- लौह एवं इस्पात उद्योग
- सीमेण्ट उद्योग।
प्रश्न 3.
विनिर्माण उद्योग अपने लक्ष्यों की प्राप्ति किसकी सहायता से करता है?
उत्तर:
राष्ट्रीय विनिर्माण प्रतिस्पर्धा परिषद की सहायता से।
प्रश्न 4.
नगरों द्वारा प्रदान की गई सुविधाओं से लाभान्वित अनेक उद्योग जब नगरों के पास ही केन्द्रित हो जाते हैं तो उसे क्या कहा जाता है?
उत्तर:
समूहन बचत।
प्रश्न 5.
भारत में सार्वजनिक क्षेत्र में लगे तथा सरकारी ऐजेन्सियों द्वारा प्रबन्धित तथा सरकार के द्वारा संचालित एक प्रमुख उद्योग का नाम बताइये।
उत्तर:
स्टील अथॉरिटी ऑफ इण्डिया।
प्रश्न 6.
किन्हीं दो प्रमुख उपभोक्ता उद्योगों के नाम बताइये।
उत्तर:
- चीनी उद्योग
- कागज उद्योग।
प्रश्न 7.
भारत की इलैक्ट्रॉनिक राजधानी के रूप में उभरे शहर का नाम बताइये।
उत्तर:
बंगलौर।
प्रश्न 8.
कृषि उत्पादों पर आधारित उद्योगों से क्या आशय है?
उत्तर:
जिन उद्योगों के लिए कच्चा माल कृषि से प्राप्त होता है, कृषि उत्पादों पर आधारित कहलाते हैं।
प्रश्न 9.
प्रयुक्त कच्चे माल के स्रोत के आधार पर विनिर्माण उद्योगों को दो वर्गों में वर्गीकृत कीजिए।
उत्तर:
- कृषि आधारित विनिर्माण उद्योग।
- खनिज आधारित विनिर्माण उद्योग।
प्रश्न 10.
कृषि आधारित दो उद्योगों के नाम लिखिए।
उत्तर:
कृषि
आधारित दो उद्योग हैं-
- चीनी उद्योग
- सूती वस्त्र उद्योग।
प्रश्न 11.
श्वेत क्रान्ति क्या है?
उत्तर:
भारत में दूध का उत्पादन बढ़ाने के लिए डेयरी उद्योग के आधुनिकीकरण करने को 'श्वेत क्रान्ति' कहा जाता है।
प्रश्न 12.
सीमेण्ट बनाने के लिए काम में आने वाले किन्हीं दो कच्चे माल का नाम लिखिए।
उत्तर:
- चूना पत्थर
- सिलिका।
प्रश्न 13.
भारत में वस्त्र निर्माण उद्योग के प्रमुख केन्द्रों के नाम बताइए।
उत्तर:
मुम्बई, अहमदाबाद, कोयम्बटूर, नागपुर, कोलकाता तथा कानपुर भारत में वस्त्र निर्माण उद्योग के प्रमुख केन्द्र हैं।
प्रश्न 14.
भारत में पटसन उद्योग की दो प्रमुख समस्याओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
- पटसन से बने कालीनों तथा टाट-बोरियों की माँग में लगातार कमी होना।
- पटसन से बनी वस्तुओं का मूल्य अधिक होना।
प्रश्न 15.
भारत में सूती वस्त्र उद्योग का सर्वप्रथम कारखाना कब व किस स्थान पर लगाया गया?
उत्तर:
भारत में सूती वस्त्र उद्योग का सर्वप्रथम कारखाना 1854 में मुम्बई में स्थापित किया गया।
प्रश्न 16.
लौह-इस्पात उद्योग को भारी उद्योग क्यों कहा जाता है?
उत्तर:
लौह-इस्पात उद्योग का कच्चा माल तथा तैयार माल
दोनों ही भारी तथा अधिक परिमाण वाले होते हैं। इसी कारण इसे भारी उद्योग कहा जाता है।
प्रश्न 17.
हल्के उद्योग से क्या अभिप्राय है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
वे उद्योग जो कि कम भार वाले कच्चे माल का प्रयोग करके हल्के तैयार माल का उत्पादन करते हैं, हल्के उद्योग कहलाते हैं।
प्रश्न 18.
भारत में कागज बनाने के लिए कौनसा माल उपयोग में लाया जाता है?
उत्तर:
भारत में बांस, सवाईघास तथा गन्ने की खोई कागज बनाने के लिए उपयोग में लाई जाती है।
प्रश्न 19.
भारत में सूती वस्त्र उद्योग की दो समस्याएँ बताइए।
उत्तर:
- अनियमित विद्युत आपूर्ति
- पुरानी मशीनरी।
प्रश्न 20.
उद्योगों की स्थापना को प्रभावित करने वाले कारक बताइये।
उत्तर:
उद्योगों की स्थापना-
- कच्चे माल की उपलब्धता,
- श्रमिक,
- पूँजी,
- शक्ति के साधन तथा
- बाजार की उपलब्धता से प्रभावित होती है।
प्रश्न 21.
उपभोक्ता उद्योग से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
वे उद्योग जो कि उत्पादन उपभोक्ताओं के सीधे उपयोग के लिए करते हैं, उपभोक्ता उद्योग कहलाते हैं।
प्रश्न 22.
भारत सूती वस्त्रों का निर्यात कौन-कौनसे देशों को करता है? कोई चार देश लिखिए।
उत्तर:
भारत संयुक्त राज्य अमेरिका, इंग्लैण्ड, रूस और फ्रांस को सूती
वस्त्र निर्यात करता है।
प्रश्न 23.
भारत में चीनी उद्योग की दो चुनौतियाँ बताइये।
उत्तर:
- उद्योग का अल्पकालिक होना,
- पुरानी व असक्षम तकनीक का इस्तेमाल।
प्रश्न 24.
भारत में लौह-इस्पात उद्योग की दो समस्याएँ बताइए।
उत्तर:
- उच्च लागत तथा कोकिंग कोयले की सीमित उपलब्धता,
- कम श्रमिक उत्पादकता।
प्रश्न 25.
एल्यूमिनियम के दो उपयोग बताइए।
उत्तर:
हवाई जहाज बनाने तथा बर्तन एवं तार बनाने में एल्यूमिनियम का उपयोग किया जाता है।
प्रश्न 26.
भारत में मोटरगाड़ी उद्योग के चार प्रमुख केन्द्र बताइए।
उत्तर:
भारत में दिल्ली, गुड़गाँव, मुम्बई, पुणे, चेन्नई, कोलकाता, लखनऊ में मोटरगाड़ी उद्योग स्थित है।
प्रश्न 27.
जल में
तापीय प्रदूषण किस प्रकार होता है?
उत्तर:
जब कारखानों तथा तापघरों से गर्म जल को बिना ठण्डा किए ही नदियों तथा तालाबों में छोड़ दिया जाता है, तो जल में तापीय प्रदूषण होता है।
प्रश्न 28.
चीनी उद्योग के लिए कच्चा माल क्या है?
उत्तर:
चीनी उद्योग के लिए गन्ना कच्चा माल है।
प्रश्न 29.
एल्यूमिनियम किससे निर्मित किया जाता है?
उत्तर:
एल्यूमिनियम बॉक्साइट से निर्मित किया जाता है।
प्रश्न 30.
विनिर्माण उद्योग के कोई चार उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
- स्टील उद्योग
- मोटरगाड़ी उद्योग
- कपड़ा उद्योग
- बेकरी तथा पेय पदार्थ सम्बन्धी उद्योग।
प्रश्न 31.
किसी देश की आर्थिक उन्नति किन उद्योगों के विकास से मापी जाती है?
उत्तर:
किसी देश की आर्थिक
उन्नति विनिर्माण उद्योगों के विकास से मापी जाती है।
प्रश्न 32.
सतत् पोषणीय विकास हेतु किस प्रकार के आर्थिक विकास की जरूरत है?
उत्तर:
सतत् पोषणीय विकास हेतु पर्यावरणीय संचेतना से युक्त आर्थिक विकास की जरुरत है।
प्रश्न 33.
भारत में विद्युत प्रदान करने वाला
मुख्य निगम कौनसा है?
उत्तर:
भारत में विद्युत प्रदान करने वाला मुख्य निगम राष्ट्रीय ताप विद्युत गृह कॉरपोरेशन है।
प्रश्न 34.
एल्यूमिनियम उद्योग की स्थापना की दो महत्वपूर्ण आवश्यकताएँ क्या हैं?
उत्तर:
- नियमित ऊर्जा की पर्ति
- कम कीमत पर कच्चे माल की सुनिश्चित उपलब्धता।
लघूत्तरात्मक प्रश्न (Type-I)
प्रश्न 1.
विनिर्माण उद्योग के महत्त्व को बताइये।
उत्तर:
- विनिर्माण उद्योग कृषि के आधुनिकीकरण में सहायक होने के साथ-साथ द्वितीयक एवं तृतीयक सेवाओं में रोजगार उपलब्ध कराता है।
- विनिर्माण उद्योगों में निर्मित सामान के निर्यात से विदेशी मुद्रा की प्राप्ति होती है।
- बेरोजगारी तथा गरीबी का उन्मूलन होता है।
- पिछड़े क्षेत्रों में उद्योगों की स्थापना से क्षेत्रीय असमानताएँ कम होती हैं।
प्रश्न 2.
"भारत में लौह इस्पात उद्योग का पूर्ण विकास नहीं हो सका।" इसके कोई दो कारण लिखिए।
अथवा
भारत में लौह इस्पात उद्योग
के पूर्ण विकसित न होने के लिए उत्तरदायी प्रमुख चार कारण लिखिए।
उत्तर:
- उच्च उत्पादन लागत तथा कोकिंग कोयले की सीमित उपलब्धता।
- कम श्रमिक उत्पादकता।
- ऊर्जा की अनियमित आपूर्ति।
- अविकसित अवसंरचना।
प्रश्न 3.
भारत में सूती वस्त्र
उद्योग की उन्नति के लिए दो सुझाव दीजिए।
उत्तर:
भारत में सूती वस्त्र उद्योग की उन्नति के लिए दो सुझाव निम्न प्रकार हैं-
- बुनाई व अन्य सम्बन्धित क्षेत्रों में नियमित विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित की जाये।
- पुरानी तथा चलन से बाहर हो चुकी मशीनों को हटाकर नई मशीनरी का उपयोग किया जाये।
प्रश्न 4.
भारत में उद्योगों द्वारा उत्पन्न वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने वाले चार उपायों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
- सल्फर-डाईऑक्साइड, कार्बन-डाईऑक्साइड तथा मोनो-ऑक्साइड के स्रोत को कम किया जाना चाहिए।
- उद्योगों से निकलने वाले प्रदूषकों पर नियंत्रण किया जाये।
- उद्योगों द्वारा निकलने वाले धुएं तथा राख पर प्रेसिपिटेटर लगाकर नियंत्रण किया जाए।
- वायु प्रदूषण करने वाले उद्योगों को शहरों से दूर स्थानान्तरित किया जाये।
प्रश्न 5.
भारत में सूती वस्त्र उद्योग के विकेन्द्रीकरण के लिए उत्तरदायी किन्हीं चार कारकों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भारत में सूती वस्त्र उद्योग के
विकेन्द्रीकरण के लिए उत्तरदायी कारक निम्न हैं-
- कपास के उत्पादन क्षेत्र में वृद्धि तथा विविधता का आना।
- कृत्रिम रूप से नम जलवायु उत्पन्न करना।
- परिवहन और संचार के साधनों का विकास होना।
- कुशल तथा सस्ते श्रमिकों की गतिशीलता का बढ़ना।
प्रश्न 6.
जमशेदपुर का इस्पात कारखाना स्वामित्व के आधार पर किस क्षेत्र में आता है? यह जमशेदपर में क्यों स्थापित है? दो कारण लिखिए।
उत्तर:
स्वामित्व के आधार पर जमशेदपुर का इस्पात कारखाना निजी
क्षेत्र में आता है। जमशेदपुर में इसकी स्थापना के कारण ये हैं-
- लोहा, कोयला और चूना पत्थर (कच्चा माल) का निकटवर्ती क्षेत्रों में सुलभ होना।
- कोलकाता बंदरगाह इसके निकट है जहाँ से सामान का आयात-निर्यात आसानी से होता है।
प्रश्न 7.
रसायन उद्योग का क्या अर्थ है?
रसायन उद्योग के महत्त्व के बारे में दो बिन्दु बताइए।
उत्तर:
रसायन उद्योग का अर्थ- जिन औद्योगिक इकाइयों में कार्बनिक तथा अकार्बनिक रसायनों की मदद से वस्तुएँ बनाई जाती हैं, उसे रसायन उद्योग कहते हैं।
रसायन उद्योग का महत्त्व-
- इनमें विभिन्न प्रकार की औषधियों का निर्माण होता है।
- कीटनाशक, खरपतवारनाशक, फफूंद नाशक दवाएँ कृषि और जनस्वास्थ्य के लिए महत्त्वपूर्ण हैं।
प्रश्न 8.
वर्तमान में कृषि और उद्योग साथ-साथ बढ़ रहे हैं? स्पष्ट
कीजिए।
उत्तर:
कृषि और उद्योग एक-दूसरे के पूरक हैं। इनका विकास साथ-साथ होता है। कृषि पर आधारित उद्योग कच्चे माल के लिए कृषि पर निर्भर हैं तथा इनके द्वारा निर्मित उत्पाद यथा सिंचाई के लिए पम्प, उर्वरक, कीटनाशक दवाएँ, प्लास्टिक पाइप, मशीनें व कृषि औजार आदि पर किसान निर्भर हैं।
प्रश्न 9.
भारत की अर्थव्यवस्था में वस्त्र उद्योग के महत्त्व का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
- देश का यह अकेला उद्योग है जो कच्चे माल से उच्चतम अतिरिक्त मूल्य उत्पाद तक की श्रृंखला में परिपूर्ण तथा आत्मनिर्भर है।
- वस्त्र उद्योग देश में बड़े पैमाने पर व्यक्तियों को रोजगार उपलब्ध करवाता है।
- भारत की सकल विदेशी मुद्रा का एक बड़ा भाग इसी उद्योग से प्राप्त होता है।
प्रश्न 10.
भारत में सूती वस्त्र उद्योग के समक्ष उपस्थित चार प्रमुख समस्याओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारत में सूती वस्त्र उद्योग निम्नलिखित समस्याओं से ग्रस्त है-
- इस उद्योग की अधिकांश मिलें पुरानी हो गई हैं।
- इन मिलों की प्रौद्योगिकी पुरानी है।
- भारत में उत्तम किस्म के कपास की कमी है।
- भारत में विकास का स्वरूप असंतुलित है।
प्रश्न 11.
'समूहन बचत' से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
नगर उद्योगों को बाजार तथा सेवाएँ उपलब्ध कराते हैं। शहरों द्वारा उद्योगों को उपलब्ध कराई जाने वाली सुविधाओं में बैंकिंग, बीमा,
परिवहन, श्रमिक तथा वित्तीय सलाह आदि प्रमुख हैं। शहरी केन्द्रों द्वारा दी गई सुविधाओं से लाभान्वित कई बार बहुत से उद्योग शहरों के समीप स्थापित हो जाते हैं, जिसे 'समूहन बचत' कहा जाता है।
प्रश्न 12.
स्वतन्त्रता से पूर्व विनिर्माण उद्योगों की स्थापना का क्या आधार था?
उत्तर:
स्वतंत्रता से पूर्व अधिकतर विनिर्माण उद्योगों की स्थापना का आधार दूरस्थ देशों से व्यापार था। जैसेमुम्बई, कोलकाता व चेन्नई आदि । यहाँ से समुद्री जहाजों द्वारा दूरस्थ देशों से आसानी से व्यापार किया जा सकता
था। परिणामस्वरूप कुछ एक नगर औद्योगिक केन्द्र के रूप में उभरे जो ग्रामीण कृषि पृष्ठप्रदेश (hinterland) से घिरे थे।
प्रश्न 13.
उद्योग की आदर्श अवस्थिति को चित्र बनाकर दर्शाइए।
उत्तर:
प्रश्न 14.
भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए सूचना
प्रौद्योगिकी का क्या महत्त्व है?
उत्तर:
- सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग में लाखों लोगों को रोजगार मिला हुआ है।
- इस क्षेत्र में रोजगार पाये व्यक्तियों में लगभग 30 प्रतिशत महिलाएं हैं। इससे महिलाओं को विकास का मौका मिला है।
- यह उद्योग विदेशी मुद्रा प्राप्त करने का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत बन गया है।
- इस उद्योग ने सेवा क्षेत्र के विकास में भरपूर सहायता की है।
प्रश्न 15.
प्रमुख भूमिका के आधार पर उद्योगों का वर्गीकरण कीजिए।
उत्तर:
प्रमुख भूमिका के आधार पर उद्योग निम्न दो प्रकार के होते हैं-
- आधारभूत उद्योग-ऐसे उद्योग जिनके उत्पादन या कच्चे माल पर दूसरे उद्योग निर्भर रहते हैं, जैसे-लोहा इस्पात, ताँबा, प्रगलन व एल्यूमिनियम प्रगलन उद्योग।
- उपभोक्ता उद्योग-ऐसे उद्योग जो उत्पादन उपभोक्ताओं के सीधे उपयोग हेतु करते हैं। जैसे-चीनी, दंतमंजन, कागज, पंखे, सिलाई मशीन आदि।
प्रश्न 16.
पूँजी निवेश के आधार पर उद्योगों को वर्गीकृत कीजिए।
उत्तर:
पूँजी निवेश के आधार पर उद्योगों का वर्गीकरण-
- लघु उद्योग-एक लघु उद्योग को परिसंपत्ति की एक इकाई पर अधिकतम निवेश मूल्य के परिप्रेक्ष्य में परिभाषित किया जाता है। यह निवेश सीमा, समय के साथ परिवर्तित होती रहती है। वर्तमान में अधिकतम निवेश एक करोड़ रुपए तक वाले उद्योग लघु उद्योग कहलाते हैं।
- वृहत् उद्योग-अगर किसी उद्योग में यह निवेश एक करोड़ रुपए से अधिक है तो उसे वृहत् उद्योग कहा जाता है।
प्रश्न 17.
मिनी इस्पात संयंत्र क्या है? वर्णन कीजिए।
उत्तर:
मिनी इस्पात संयंत्र-मिनी इस्पात संयंत्र छोटे संयंत्र होते हैं जिनमें विद्युत भट्टी, रद्दी इस्पात व स्पंज आयरन का प्रयोग होता है। इनमें रि-रोलर्स होते हैं जिनमें इस्पात सिल्लियों का इस्तेमाल किया जाता है। ये हल्के स्टील या निर्धारित अनुपात के मृदु व मिश्रित इस्पात का
उत्पादन करते हैं।
प्रश्न 18.
वस्त्र उद्योग में अतिरिक्त मूल्य उत्पाद को चित्र बनाकर दर्शाइए।
उत्तर:
प्रश्न 19.
वस्त्र उद्योग में प्रत्येक चरण पर मूल्य में वृद्धि होती है। उदाहरण देकर समझाइये।
उत्तर:
वस्त्र उद्योग में
प्रत्येक चरण पर मूल्य में वृद्धि होती है। उदाहरण के लिये माना धागा 85 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से बेचा जाता है। अगर यह पतलून के रूप में बेचा जाए तो इसकी कीमत 800 रु. प्रति किलोग्राम है। रेशे से धागा, धागे से कपड़ा और कपड़े से परिधान बनाने के प्रत्येक चरण पर मूल्य में वृद्धि होती है।
प्रश्न 20.
भारत में छोटा नागपुर के पठारी क्षेत्र में अधिकांश लोहा तथा इस्पात उद्योग संकेन्द्रित होने के क्या कारण हैं?
उत्तर:
- भारत में छोटा नागपुर के पठारी क्षेत्र में लोहा तथा इस्पात उद्योग के विकास के लिए अधिक अनुकूल सापेक्षिक परिस्थितियाँ हैं।
- इनमें लौह अयस्क की कम लागत, उच्च कोटि के कच्चे माल की निकटता, सस्ते श्रमिक और स्थानीय बाजार में इनकी माँग सम्मिलित हैं।
लघूत्तरात्मक प्रश्न (Type-II)
प्रश्न 1.
भारत में कृषि पर आधारित चार
उद्योगों के नाम लिखो। भारतीय अर्थव्यवस्था में इनका क्या महत्त्व है?
उत्तर:
कृषि आधारित उद्योग भारत में कृषि आधारित चार उद्योग ये हैं-
- सूती वस्त्र उद्योग,
- रेशम वस्त्र उद्योग,
- जूट या पटसन उद्योग तथा
- वनस्पति तेल उद्योग।
भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि उद्योगों का महत्त्व-
- कृषि पर आधारित विभिन्न उद्योगों में करोड़ों लोगों को रोजगार मिला हुआ है।
- कृषि-आधारित उद्योगों का कुल औद्योगिक उत्पादन में सबसे बड़ा भाग है।
- ये उद्योग विभिन्न उद्योगों के कच्चे माल के प्रमुख स्रोत हैं।
- कृषि पर आधारित उद्योगों ने कृषि पैदावार में बढ़ोतरी को प्रोत्साहित किया है।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
(i) उद्योग बाजार सम्बन्ध को दर्शाने वाली तालिका के रिक्त 1 और 2 स्थानों
की पूर्ति कीजिए।
उत्तर:
(1) कारखाना
(2) पूँजी।
(ii) स्वर्णिम चतुर्भुज महा राजमार्गों का क्या महत्त्व है?
उत्तर:
- यह महा राजमार्ग प्रमुख मेगासिटियों के मध्य की दूरी व परिवहन समय को न्यूनतम करता है।
- यह राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के अधिकार क्षेत्र में है।
प्रश्न 3.
राष्ट्रीय ताप विद्युत गृह द्वारा पर्यावरण प्रबन्धन किस प्रकार किया जाता है? बताइए।
उत्तर:
भारत में राष्ट्रीय ताप विद्युत गृह कॉरपोरेशन विद्युत प्रदान करने वाला मुख्य निगम है। यह निगम निम्न प्रकार पर्यावरण प्रबन्धन करता है-
- आधुनिकतम तकनीकों पर आधारित उपकरणों का सही उपयोग करके तथा विद्यमान उपकरणों में सुधार।
- अधिकतम राख का इस्तेमाल कर अपशिष्ट पदार्थों का न्यून उत्पादन करना।
- पारिस्थितिकी सन्तुलन बनाए रखने के लिए हरित क्षेत्र की सुरक्षा तथा वृक्षारोपण के लिए प्रेरित करना।
- तरल अपशिष्ट प्रबन्धन, राख-युक्त जलीय पुनर्चक्रण तथा राख संग्रह प्रबन्धन द्वारा पर्यावरण प्रदूषण को कम करना।
प्रश्न 4.
निजी एवं सहकारी क्षेत्र के उद्योगों में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
निजी एवं सहकारी क्षेत्र के उद्योगों में अन्तर
निजी क्षेत्र के उद्योग | सहकारी क्षेत्र के उद्योग |
1. निजी क्षेत्र के उद्योगों का स्वामित्व किसी व्यक्ति, फर्म अथवा समूह के पास होता है। | 1. सहकारी क्षेत्र के उद्योग कुछ लोगों के समूह द्वारा सहकारिता के आधार पर चलाए जाते हैं। |
2. इन उद्योगों में व्यक्ति, फर्म अथवा समूह पूँजी का निवेश करते हैं। | 2. इन उद्योगों में हिस्सेदार पूँजी का निवेश करते हैं। |
3. इन उद्योगों में लाभ या हानि व्यक्ति, फर्म अथवा समूह को होती है। | 3. इन उद्योगों में लाभ-हानि का विभाजन हिस्सेदारों में आनुपातिक रूप से होता है। |
प्रश्न 5.
भारत में एल्यूमिनियम प्रगलन उद्योग का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
एल्यूमिनियम प्रगलन उद्योग-भारत में एल्यूमिनियम प्रगलन द्वितीय सबसे महत्त्वपूर्ण धातु शोधन उद्योग है। यह हल्का, जंग अवरोधी, ऊष्मा का सुचालक, लचीला तथा अन्य धातुओं के मिश्रण से अधिक कठोर बनाया जा
सकता है। हवाई जहाज बनाने, बर्तन तथा तार बनाने में इसका उपयोग किया जाता है। अनेक उद्योगों में इसका महत्त्व इस्पात, ताँबा, जस्ता व सीसे के विकल्प के रूप में प्रयुक्त होने से बढ़ा है।
वितरण- वर्तमान समय में देश में 8 एल्यूमिनियम प्रगलन संयन्त्र हैं जो कि नालको व बालको (उड़ीसा), पश्चिमी बंगाल, केरल, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र व तमिलनाडु राज्यों में स्थित हैं।
प्रश्न 6.
भारत में मोटरगाडी उद्योग का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
मोटरगाड़ी उद्योग-मोटरगाड़ी यात्रियों तथा
सामान के तीव्र परिवहन के साधन हैं । देश में विभिन्न केन्द्रों पर ट्रक, बस, कार, मोटर साइकिल, स्कूटर, तिपहिया तथा बहुउपयोगी वाहन बनाए जाते हैं। उदारीकरण के उपरान्त प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के साथ नवीन प्रौद्योगिकी के उपयोग से यह उद्योग विश्वस्तरीय विकास के स्तर पर आ गया है। वर्तमान में नये और आधुनिक मॉडल के वाहनों का बाजार तथा वाहनों की माँग बढ़ी है जिससे इस उद्योग में विशेषकर कार, दोपहिया तथा तिपहिया वाहनों में अपार वृद्धि हुई है। यह उद्योग दिल्ली, गुड़गाँव, मुम्बई, पुणे, चेन्नई, कोलकाता, लखनऊ,
इन्दौर, हैदराबाद, जमशेदपुर तथा बंगलौर के आसपास स्थित है।
प्रश्न 7.
सीमेण्ट उद्योग में तेजी से हुए विकास के कारणों पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
सीमेण्ट उद्योग के तीव्र विकास के कारण-
- भारत में ग्रामीण और नगरीय दोनों क्षेत्रों में आवास की भारी कमी है। पुलों, बाँधों, भवनों, हवाई अड्डों के निर्माण में सीमेंट का प्रयोग बहुत अधिक होता है।
- देश के विभिन्न भागों में आज बड़े तथा छोटे सीमेण्ट कारखानों के द्वारा विविध प्रकार के सीमेंट का उत्पादन किया जाता है।
- देश में कच्चे माल के रूप में चूने का पत्थर, सिलिका, एल्यूमिना तथा जिप्सम पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है।
- कच्चे माल के उपलब्ध क्षेत्रों में शक्ति के साधन, परिवहन की सुविधा, सस्ते व कुशल श्रम की सुलभता से सीमेण्ट उद्योग का तीव्र विकास हुआ।
- गुणवत्ता में सुधार के कारण, भारत की बड़ी घरेलू माँग के अतिरिक्त पूर्वी एशिया, मध्यपूर्व, अफ्रीका तथा दक्षिण एशिया के बाजारों में भी इसकी बहुत माँग है।
प्रश्न 8.
भारी उद्योग और हल्के उद्योग में अन्तर कीजिए।
उत्तर:
- वे उद्योग जिनमें प्रयुक्त कच्चा माल व तैयार माल दोनों भारी होते हैं, वे भारी उद्योग और जिनमें ये दोनों हल्के होते हैं, वे हल्के उद्योग कहलाते हैं।
- भारी उद्योग अधिक स्थान घेरने वाले होते हैं जबकि हल्के उद्योग कम स्थान घेरते हैं।
- भारी उद्योगों में केन्द्रीकरण की प्रवृत्ति पाई जाती है जबकि हल्के उद्योगों का विस्तार सर्वत्र पाया जाता है।
- भारी उद्योगों में अधिक पूँजी की आवश्यकता होती है जबकि हल्के उद्योगों में अपेक्षाकृत कम पूँजी की आवश्यकता होती है।
- लोहा-इस्पात उद्योग, भारी मशीन उद्योग, सीमेण्ट उद्योग भारी उद्योग हैं; पंखा, साइकिल, पेन, टेलीफोन, रेडियो आदि के उद्योग हल्के उद्योग हैं।
प्रश्न 9.
भारतीय अर्थव्यवस्था में वस्त्र उद्योग का महत्त्व स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भारतीय अर्थव्यवस्था में वस्त्र उद्योग का महत्त्व-वस्त्र उद्योग एक कृषि आधारित
उद्योग है। इसे अपने उत्पादों के निर्माण के लिए कृषि से प्राप्त कच्चे माल पर निर्भर रहना पड़ता है। भारतीय अर्थव्यवस्था में वस्त्र उद्योग का महत्त्व निम्न बिन्दुओं से स्पष्ट है-
- वस्त्र उद्योग का औद्योगिक उत्पादन में महत्त्वपूर्ण योगदान है।
- यह उद्योग लगभग लाखों व्यक्तियों को रोजगार उपलब्ध करवाता है। यह रोजगार उपलब्ध कराने की दृष्टि से कृषि के पश्चात् दूसरा बड़ा उद्योग है।
- वस्त्र उद्योग कृषकों, कपास चुनने वालों, गाँठ बनाने वालों, कताई करने वालों, रंगाई करने वालों, डिजाइन बनाने वालों, पैकेट बनाने वालों और सिलाई करने वालों को जीविका प्रदान करता है।
- वस्त्र उद्योग के कारण रसायन रंजक मिल स्टोर तथा पैकेजिंग स्गमग्री और इंजीनियरिंग उद्योग की भी माँग बढ़ती है।
- धागे तथा तैयार वस्त्र के निर्यात से विदेशी मुद्रा की प्राप्ति होती है।
- यह देश का एकमात्र उद्योग है जो कच्चे माल से उच्चतम अतिरिक्त मूल्य उत्पाद तक की श्रृंखला में परिपूर्ण एवं आत्मनिर्भर है।
प्रश्न 10.
उद्योग-बाजार सम्बन्ध का प्रारूप खींचिये।
उत्तर:
प्रश्न 11.
इस्पात निर्माण प्रक्रिया का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर:
इस्पात निर्माण की प्रक्रिया निम्न प्रकार है-
- कच्चा माल (लौह-अयस्क) को लोहा एवं इस्पात संयंत्रों तक लाया जाता है।
- लौह-अयस्क को भट्टी में डालकर गलाया जाता है, फिर इसमें चूना पत्थर मिलाया जाता है तथा धातु के मैल को हटाया जाता है।
- पिघले हुए लोहे को साँचों में डालकर ढलवाँ लोहा तैयार किया जाता है।
- ढलवां लोहे को पुनः गलाकर ऑक्सीजन द्वारा उसकी अशुद्धि को हटाकर तथा मैंगनीज, निकल, क्रोमियम मिलाकर शुद्ध किया जाता है।
- रोलिंग, प्रेसिंग, ढलाई एवं गढ़ाई के द्वारा धातु को आकार दिया जाता है।
प्रश्न 12.
चीनी उद्योग में दक्षिण एवं पश्चिमी राज्यों की ओर स्थानान्तरण होने की प्रवृत्ति के कारणों को बताइए।
उत्तर:
- दक्षिणी व पश्चिमी राज्यों में गन्ने में सुक्रोस की अधिक मात्रा का होना।
- अपेक्षाकृत ठण्डी जलवायु का होना भी गुणकारी है।
- यहाँ स्थित चीनी मिलें सहकारिता क्षेत्र के अंतर्गत आती हैं। यहाँ गन्ने की खेती एवं चीनी मिलों को सहकारिता तंत्र के अन्तर्गत एकीकृत किया गया है।
- उत्तर भारत की तुलना में यहाँ गन्ने की प्रति हैक्टेयर उपज का अधिक होना।
- उत्तर भारत की तुलना में यहाँ सिंचाई सुविधाओं की पर्याप्तता होना।
प्रश्न 13.
सीमेंट उद्योग पर एक लेख लिखिए।
उत्तर:
सीमेंट उद्योग-सीमेंट उद्योग एक आधारभूत उद्योग है। घर, कारखाने, पुल, सड़कें, हवाई अड्डा, बाँध तथा अन्य व्यापारिक प्रतिष्ठानों के निर्माण में
सीमेंट आवश्यक पदार्थ है। इस उद्योग हेतु कच्चा माल चूना पत्थर, सिलिका, एल्यूमिना एवं जिप्सम होता है। रेल परिवहन के अतिरिक्त इसमें कोयला तथा विद्युत ऊर्जा भी आवश्यक है।
विकास-भारत में पहला सीमेंट कारखाना सन् 1904 में चेन्नई में लगाया गया था। स्वतंत्रता के पश्चात् इस उद्योग का प्रसार हुआ। सन् 1989 से मूल्य व वितरण में नियंत्रण समाप्ति तथा अन्य नीतिगत सुधारों से सीमेंट उद्योग ने क्षमता, प्रक्रिया व प्रौद्योगिकी व उत्पादन में अत्यधिक तरक्की की है। अब देश में अनेक बड़े तथा छोटे सीमेंट संयंत्र हैं जिनमें विविध प्रकार के सीमेंटों का उत्पादन किया जाता है।
सीमेंट की घरेलू बाजार में बहुत माँग है साथ ही पूर्वी एशिया, मध्यपूर्व, अफ्रीका तथा दक्षिण एशिया के बाजारों में भी बहुत माँग है।
प्रश्न 14.
सूचना प्रौद्योगिकी तथा इलेक्ट्रॉनिक उद्योग के बारे में बताइये।
उत्तर:
सूचना प्रौद्योगिकी तथा इलेक्ट्रॉनिक उद्योग-पूरे विश्व में वर्तमान में इस उद्योग का महत्व बढ़ता जा रहा है। भारत में भी सूचना प्रौद्योगिकी तथा इलेक्ट्रॉनिक उद्योग का बहुत विकास हुआ है। इस उद्योग का
वर्णन निम्न बिंदुओं में स्पष्ट है-
- भारत में इलैक्ट्रोनिक उद्योग के अंतर्गत ट्रांजिस्टर से लेकर टेलीविजन, टेलीफोन, सेल्यूलर टेलीकॉम, टेलीफोन एक्सचेंज, राडार, कम्प्यूटर तथा दूरसंचार उद्योग के लिए उपयोगी अनेक अन्य उपकरण तक बनाये जाते हैं।
- बेंगलूरु भारत की इलेक्ट्रॉनिक राजधानी के रूप में उभरा है।
- भारत में इलेक्ट्रोनिक सामान के अन्य महत्वपूर्ण उत्पादक केंद्र मुंबई, दिल्ली, हैदराबाद, पुणे, चेन्नई, कोलकाता तथा लखनऊ हैं। बेंगलुरु, नोएडा, मुम्बई, चेन्नई, हैदराबाद और पुणे में इस उद्योग का सर्वाधिक संकेंद्रण हुआ है।
- भारत में सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग के सफल होने का कारण हार्डवेयर व सॉफ्टवेयर का निरंतर विकास है।
प्रश्न 15.
राष्ट्रीय ताप विद्युत गृह (NTPC) पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
अथवा
राष्ट्रीय ताप विद्युत गृह किस प्रकार पर्यावरण तथा संसाधन संरक्षण का ध्यान रखता है?
उत्तर:
राष्ट्रीय ताप विद्युत गृह (NTPC) भारत में राष्ट्रीय ताप विद्युत गृह कारपोरेशन विद्युत प्रदान करने वाला मुख्य निगम है। इसके पास
पर्यावरण प्रबंधन तंत्र (EMS) 14001 के लिए आईएसओ (ISO) प्रमाण पत्र है। यह निगम प्राकृतिक पर्यावरण और संसाधन के संरक्षण का पूरा ध्यान रखता है तथा इन्हें ध्यान में रखकर ही विद्युत संयंत्रों की स्थापना करता है। पर्यावरण एवं संसाधन संरक्षण के लिए यह निम्न उपाय करता है-
- आधुनिकतम तकनीकों पर आधारित उपकरणों का सही उपयोग करके तथा विद्यमान उपकरणों में सुधार करना।
- अधिकतम राख का इस्तेमाल कर अपशिष्ट पदार्थों का न्यून उत्पादन रखना।
- पारिस्थितिकी संतुलन बनाए रखने के लिए हरित क्षेत्र की सुरक्षा तथा वृक्षारोपण के लिए प्रेरित करना।
- तरल अपशिष्ट प्रबंधन, राख युक्त जलीय पुनर्चक्रण तथा राख-संग्रह (Ash pond) प्रबंधन द्वारा पर्यावरण प्रदूषण को कम करना।
- पारिस्थितिकीय दृष्टि से सभी ऊर्जा संयंत्रों की मॉनिटरिंग तथा समीक्षा करना एवं आँकड़ों का ऑनलाइन प्रबन्धन करना।
निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
विनिर्माण उद्योग के महत्त्व पर भौगोलिक निबन्ध लिखिए।
उत्तर:
विनिर्माण उद्योग का महत्त्व विनिर्माण उद्योग सामान्य रूप से विकास तथा विशेष रूप से आर्थिक विकास की रीढ़ की हड्डी माने जाते हैं। विनिर्माण उद्योग के महत्त्व का विवेचन इस प्रकार है, यथा-
(i) विनिर्माण उद्योग न केवल कृषि के आधुनिकीकरण में सहायक होते हैं, अपितु द्वितीयक व तृतीयक सेवाओं में रोजगार उपलब्ध करवाकर कृषि पर निर्भरता को कम करते हैं।
(ii) भारत
में औद्योगिक विकास बेरोजगारी तथा गरीबी उन्मूलन की एक आवश्यक शर्त है। देश में सार्वजनिक तथा संयुक्त क्षेत्र में लगे उद्योग इसी विचारधारा पर आधारित थे। जनजातीय तथा पिछड़े क्षेत्रों में उद्योगों की स्थापना का उद्देश्य भी क्षेत्रीय असमानताओं को कम करना था।
(iii) विनिर्माण उद्योगों में निर्मित वस्तुओं के निर्यात से वाणिज्य-व्यापार को बढ़ावा मिलता है जिससे अपेक्षित विदेशी मुद्रा की प्राप्ति होती है।
(iv) विश्व के वे देश ही विकसित हैं जो कि कच्चे माल को विभिन्न तथा अधिक मूल्यवान तैयार माल में
विनिर्मित करते हैं। भारत का विकास विविध व शीघ्र औद्योगिक विकास में निहित है।
(v) कृषि तथा उद्योग एक-दूसरे से अलग नहीं हैं। ये एक-दूसरे के पूरक हैं। यथा-भारत में कृषि पर आधारित उद्योगों ने कृषि पैदावार में वृद्धि को प्रोत्साहित किया है। ये उद्योग कच्चे माल के लिए कृषि पर निर्भर हैं तथा इनके द्वारा निर्मित उत्पाद यथा सिंचाई के लिए पम्प, उर्वरक, कीटनाशक दवाएँ, प्लास्टिक पाइप, मशीनें व कृषि औजार आदि पर किसान निर्भर हैं। इसी कारण विनिर्माण उद्योग के विकास तथा स्पर्धा से न केवल कृषि उत्पादन को बढ़ावा मिला है, अपितु उत्पादन प्रक्रिया भी सक्षम हुई है।
प्रश्न 2.
उद्योगों की अवस्थिति को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक बताइए और चर्चा करें कि ये कारक कैसे उद्योगों की अवस्थिति को प्रभावित करते हैं?
अथवा
किसी क्षेत्र विशेष में किसी उद्योग के स्थानीयकरण के लिए उत्तरदायी प्रमुख कारकों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
किसी क्षेत्र विशेष में किसी उद्योग के स्थानीयकरण के लिए उत्तरदायी प्रमुख कारक निम्नलिखित हैं-
- कच्चे माल की उपलब्धता- किसी क्षेत्र में किसी उद्योग की स्थापना का प्रमुख कारक उस क्षेत्र में कच्चे माल की पर्याप्त मात्रा में उपलब्धता का होना होता है। कच्चे माल की सुलभता के कारण ही छोटा नागपुर क्षेत्र में लौहइस्पात उद्योग, हुगली क्षेत्र में जूट उद्योग, महाराष्ट्र व गुजरात में सूती वस्त्र उद्योग अवस्थित है।
- जलवायु- देश के अलग-अलग क्षेत्रों में जलवायु का भिन्न स्वरूप होने के कारण विभिन्न उद्योगों का विकास हुआ है। तटवर्ती क्षेत्रों की आर्द्र एवं नम जलवायु जहाँ वस्त्र उद्योग के लिए उपयुक्त है, वहीं शुष्क क्षेत्रों में आटा मिलों का विकास हुआ है।
- शक्ति के साधन- मशीनों को चलाने के लिए शक्ति प्रमुख साधन है। किसी क्षेत्र में उद्योगों की स्थापना के लिए वहाँ शक्ति के साधन की उपलब्धता भी आवश्यक है।
- परिवहन की सुविधा- किसी क्षेत्र में किसी उद्योग के विकास के लिए यह आवश्यक है कि उसके माल के परिवहन के लिए वहाँ पर्याप्त सुविधा हो, बाजार की निकटता हो आदि।
- सस्ते श्रम की उपलब्धता- किसी क्षेत्र में उद्योगों की स्थापना के लिए यह आवश्यक है कि उस उद्योग के लिए वहाँ कुशल और अकुशल श्रमिक सस्ते में उपलब्ध होते हैं।
- पूँजी- किसी क्षेत्र में उद्योगों की स्थापना के लिए यह आवश्यक है कि सरकार या निजी क्षेत्र वहाँ पूँजी निवेश करने के लिए तैयार हो।।
- सरकारी नीतियाँ- सरकारी नीतियाँ भी उद्योगों की अवस्थिति को प्रभावित करती हैं। कुछ क्षेत्रों में उद्योग लगाने पर सरकार विशेष सुविधाएँ देती है। आधारभूत सुविधाएँ तथा करों में छूट देती है। इनसे प्रभावित होकर उन क्षेत्रों में उद्योगों का विकास होता है।
प्रश्न 3.
भारत में सूती वस्त्र उद्योग के विकास पर एक भौगोलिक निबन्ध लिखिए।
उत्तर:
सूती वस्त्र उद्योग विकास- प्राचीन भारत में सूती वस्त्र हाथ से कताई और हथकरघा बुनाई तकनीकों से बनाये जाते थे। अठारहवीं शताब्दी के बाद वस्त्र निर्माण के लिए विद्युतीय करघों का उपयोग किया जाने लगा। बाद में
इंग्लैण्ड में जब मशीनों द्वारा निर्मित वस्त्रों का उत्पादन बढ़ा तो भारतीय वस्त्र उद्योग बहुत पिछड़ गया।
भारत में सर्वप्रथम सफल सूती वस्त्र उद्योग 1854 में मुम्बई में स्थापित किया गया।
स्थानीयकरण के कारक- आरम्भिक वर्षों में सूती वस्त्र उद्योग महाराष्ट्र तथा गुजरात के कपास उत्पादन क्षेत्रों तक ही सीमित थे। कपास की उपलब्धता, बाजार, परिवहन, बन्दरगाहों की समीपता, श्रम, नमीयुक्त जलवायु आदि कारकों ने सूती वस्त्र के स्थानीयकरण को बढ़ावा दिया। भारत में सूती धागों की कताई का कार्य महाराष्ट्र, गुजरात तथा तमिलनाडु राज्यों में केन्द्रित है लेकिन सूती, रेशमी, जरी, कशीदाकारी आदि में बुनाई के परम्परागत कौशल और डिजाइन देने के लिए बुनाई अत्यधिक विकेन्द्रित है।
अन्य उद्योगों को लाभ-इस उद्योग का कृषि से निकट सम्बन्ध है; यह किसानों, कपास चुनने वालों, डिजाइन बनाने वालों, पैकेट बनाने वालों और सिलाई करने वालों को जीविका प्रदान करता है। इस उद्योग के कारण रसायन रंजक मिल स्टोर तथा पैकेजिंग सामग्री और इंजीनियरिंग उद्योग की माँग बढ़ती है। फलस्वरूप इन उद्योगों का विकास होता है।
व्यापार-भारत जापान को सूत का निर्यात करता है। देश में बने सूती वस्त्र के अन्य आयातक देश संयुक्त राज्य अमेरिका, इंग्लैण्ड, रूस, फ्रांस, पूर्वी यूरोपीय देश, नेपाल, सिंगापुर, श्रीलंका तथा अफ्रीका के देश हैं। सूती रेशे के विश्व व्यापार में हमारे देश की भागीदारी काफी महत्त्वपूर्ण है। यह कुल अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का लगभग एक-चौथाई भाग है। देश में बुनाई और कताई तथा प्रक्रमण इकाइयाँ देश में उत्पन्न किये गये उच्च कोटि के धागे का उपयोग नहीं कर पाती हैं। इसके परिणामस्वरूप हमार बहुत से कताई करने वाले सूती धागे का निर्यात करते हैं जबकि परिधान निर्माताओं को कपड़ा आयात करना पड़ता है।
प्रश्न 4.
भारत में पटसन उद्योग पर एक भौगोलिक निबन्ध लिखिए।
उत्तर:
पटसन उद्योग विकास- भारत पटसन व पटसन fर्मित सामान का सबसे बड़ा उत्पादक है तथा बांग्लादेश के पश्चात् दूसरा बड़ा निर्यातक भी है। वर्ष 2010-11 में भारत में लगभग 80 पटसन उद्योग थे। इनमें अधिकांश पश्चिमी बंगाल में हुगली नदी के तट पर 98 किलोमीटर लम्बी तथा 3 किलोमीटर चौड़ी एक संकड़ी मेखला में स्थित हैं। पहला पटसन उद्योग कोलकाता के निकट रिशरा
में 1855 में लगाया गया था। पटसन उद्योग प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से लाखों लोगों को रोजगार उपलब्ध कराता है।
हुगली नदी तट पर पटसन उद्योग के विकास के कारण भारत में हुगली नदी तट पर पटसन उद्योग के विकसित होने के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं-
- पटसन उत्पादक क्षेत्रों की निकटता।
- सस्ते जल परिवहन की सुविधा।
- सड़क, रेल व जल परिवहन का जाल।
- कच्चे माल का मिलों तक ले जाने में सहायक होना।
- प्रचुर जल उपलब्ध होना।
- सस्ते श्रमिक उपलब्ध होना।
- कोलकाता का एक बड़े नगरीय केन्द्र के रूप में बैंकिंग, बीमा और जूट के सामान के निर्यात के लिए बन्दरगाह की सुविधाएं प्रदान करना।
पटसन उद्योग की चुनौतियाँ- पटसन उद्योग की चुनौतियों में प्रमुख भारत में जूट उत्पादक क्षेत्रों का कम होना है। 1947 में देश के विभाजन के पश्चात् पटसन मिलें तो भारत में रह गईं लेकिन तीन-चौथाई जूट उत्पादक क्षेत्र पूत्री पाकिस्तान अर्थात् बांग्लादेश में चले गये। इसके अलावा अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में कृत्रिम वस्त्रों से और बांग्लादेश. व्राजील. फिलीपीन्स, मित्र तथा थाईलैण्ड जैसे अन्य देशों से कड़ी प्रतिस्पर्धा शामिल है।
व्यापार- भारत में उत्पादित किए जाने वाले पटसन के प्रमुख खरीददार अमेरिका, कनाडा, रूस. सऊदी अरब, इंग्लैण्ड और आस्ट्रेलिया हैं।
प्रश्न 5.
भारत में लौह-इस्पात उद्योग पर एक भौगोलिक निबन्ध लिखिए।
उत्तर:
लौह-इस्पात
उद्योग
लौह-इस्पात उद्योग एक आधारभूत उद्योग है; क्योंकि अन्य सभी भारी, हल्के और मध्यम उद्योग इनसे वनी मशीनरी पर निर्भर हैं। विविध प्रकार के इंजीनियरिंग सामान, निर्माण सामग्री, रक्षा, चिकित्सा, टेलीफोन, वैज्ञानिक उपकरण और विभिन्न प्रकार की उपभोक्ता वस्तुओं के निर्माण के लिए इस्पात की आवश्यकता होती है।
लौह-इस्पात उद्योग के विकास की दशाएँ-लोहा तथा इस्पात एक भारी उद्योग है; क्योंकि इसमें प्रयुक्त कच्चा तथा तैयार माल दोनों ही भारी और स्थूल होते हैं और इसके लिए अधिक परिवहन लागत की आवश्यकता होती है। इस उमंग के लिए लौह-अयस्क, कोकिंग कोल तथा चूना-पत्थर का अनुपात लगभग 4 : 2 : 1 का है। इस्पात को कठोर वनाने के लिए इसमें मैंगनीज की कुछ मात्रा की भी आवश्यकता होती है। इस्पात उद्योगों की स्थापना में सक्षम परिवहन की आवश्यकता होती है।
उत्पादन एवं खपत-वर्ष 2018 में भारत 106.5 मिलियन लाख टन इस्पात का विनिर्माण करके विश्व में कने इस्पात उत्पादकों में दूसरे स्थान पर था। यह स्पंज लौह का सबसे बड़ा उत्पादक है। इस्पात के अधिक उत्पादन के बावजूद भी 2018 में यहाँ प्रतिवर्ष प्रति व्यक्ति खपत केवल 70.9 किलोग्राम थी जबकि इसी अवधि में विश्व में प्रति व्यक्ति ओसत खपत 224.5 किलोग्राम थी।
कारखानों की संख्या वर्तमान समय में भारत में 10 मुख्य संकलित उद्योग तथा बहुत से छोटे इस्यात संयन्त्र है। सार्वजनिक क्षेत्र के लगभग सभी उपक्रम अपने इस्पात को स्टील अथॉरिटी ऑफ इण्डिया के माध्यम से बेचते हैं जवांक टिस्को टाटा स्टील के नाम से अपने उत्पाद को स्वयं बेचती है।
अवस्थिति-पश्चिमी बंगाल, उड़ीसा, झारखण्ड, छत्तीसगढ़, कर्नाटक तथा तमिलनाडु राज्यों में भारत के लोह इस्पात उद्योग का केन्द्रीयकरण हुआ है।
हमारा कुल इस्पात उत्पादन घरेलू माँग पूर्ति हेतु पर्याप्त है फिर भी हम उच्च कोटि का इस्पात दूसरे देशों से आयात करते हैं।
संभावनाए-निजी क्षेत्र में उद्यमियों के प्रयत्न से तथा उदारीकरण व प्रत्यक्ष विदेशी निवेश ने इस उद्योग को प्रोत्साहन दिया है। इस्पात उद्योग को अधिक स्पर्धावान बनाने के लिए अनुसंधान और विकास के संसाधनों को नियत करने की आवश्यकता है।
प्रश्न 6.
आधारभूत उद्योग के महत्त्व पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
आधारभूत उद्योग का महत्त्व निम्न बिन्दुओं
द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है-
- आधारभूत उद्योगों के उत्पादन या कच्चे माल पर दूसरे उद्योग निर्भर करते हैं। जैसे-लोहा इस्पात उद्योग, ताँबा प्रगलन उद्योग आदि।
- अन्य सभी भारी, हल्के और मध्यम उद्योग इनसे बनी मशीनरी पर निर्भर हैं।
- विविध प्रकार के इंजीनियरिंग सामान, निर्माण सामग्री, रक्षा, चिकित्सा, टेलीफोन, वैज्ञानिक उपकरण और. विभिन्न प्रकार की उपभोक्ता वस्तुओं के निर्माण के लिए आधारभूत उद्योगों द्वारा उत्पादित मशीनों तथा सामानों की आवश्यकता होती है।
- ये उद्योग एक देश के विकास के पैमाने होते हैं।
- आधारभूत उद्योग ही देश के आधुनिकीकरण में सहायक होते हैं।
- ये लाखों लोगों को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार उपलब्ध कराते हैं।
प्रश्न 7.
लोहा व इस्पात उद्योग मुख्यतः छोटा नागपुर के पठारी क्षेत्र में क्यों स्थित है? किन्हीं छः
कारणों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
भारत के छोटा नागपर के पठारी क्षेत्र में लौह-इस्पात
उद्योग के स्थानीयकरण के कारण
भारतीय प्रायद्वीप में छोटा नागपुर के पठारी क्षेत्र का विस्तार बिहार, झारखण्ड, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, छत्तीसगढ़ तथा मध्य प्रदेश राज्यों में है। इस क्षेत्र में देश के छः बड़े इस्पात केन्द्र स्थापित हैं। ये हैं-जमशेदपुर, बोकारो, कुल्टी, बर्नपुर, दुर्गापुर, राउरकेला तथा भिलाई। लोहा-इस्पात उद्योग के इस क्षेत्र में केन्द्रित होने के निम्नलिखित कारण हैं-
- कच्चे माल की उपलब्धि- इस उद्योग का कच्चा माल लौह-अयस्क, कोयला, मैंगनीज तथा चूना पत्थर है। यह पठारी क्षेत्र इन खनिजों में धनी है। अतः परिवहन व्यय से बचने के लिए इसी क्षेत्र में विभिन्न लौह-इस्पात उद्योगों की स्थापना हुई है।
- जलापूर्ति-इस उद्योग के लिए नियमित रूप से पर्याप्त जलापूर्ति की आवश्यकता होती है। इस क्षेत्र में दामोदर और दामोदर की सहायक नदियों से पर्याप्त मात्रा में पानी सुलभ है।
- शक्ति के साधन-कोयला तथा जल दोनों ही यहाँ शक्ति के साधन के रूप में सुलभ हैं।
- परिवहन-इस क्षेत्र में सड़क तथा रेल मार्गों का जाल बिछा हुआ है। इससे औद्योगिक केन्द्रों की स्थापना में भारी मदद मिली है।
- कुशल व सस्ते श्रमिक-यह सघन आबादी क्षेत्र है। सस्ते कुशल एवं अकुशल श्रमिक यहाँ पर्याप्त संख्या में मिलते हैं।
- विशाल पूँजी-इस उद्योग के लिए विशाल पूँजी की आवश्यकता होती है। अतः सरकार तथा टाटा ने इस क्षेत्र में लौह-इस्पात उद्योगों का विकास किया है।
प्रश्न 8.
एल्यूमिनियम निर्माण प्रक्रिया को प्रवाह चार्ट चित्र द्वारा दर्शाइए।
उत्तर:
प्रश्न 9.
भारत में रसायन उद्योग के विकास पर भौगोलिक निबन्ध लिखिए।
उत्तर:
रसायन उद्योग भारत में रसायन उद्योग का तीव्र गति से विकास हो रहा है तथा फैल रहा है। सकल घरेलू उत्पाद में इसकी भागीदारी लगभग 3 प्रतिशत है। यह एशिया का तीसरा बड़ा उद्योग
है तथा विश्व में आकार की दृष्टि से 12वें स्थान पर है। इसमें लघु और वृहत् दोनों प्रकार की विनिर्माण इकाइयाँ शामिल हैं। रसायन उद्योग ने निम्नलिखित दो क्षेत्रों में तीव्र गति से वृद्धि की है-
(1) अकार्बनिक रसायन- अकार्बनिक रसायनों में सल्फ्यूरिक अम्ल यथा उर्वरक, कृत्रिम वस्त्र, प्लास्टिक, गोंद, रंग-रोगन, डाई, नाइट्रिक अम्ल, क्षार, सोडा एश, काँच, साबुन, शोधक या अपमार्जक, कागज में प्रयुक्त होने वाले रसायन तथा कास्टिक सोडा आदि शामिल हैं। इन उद्योगों का देश में विस्तृत फैलाव है।
(2) कार्बनिक रसायन- कार्बनिक रसायनों में पेट्रोरसायन शामिल हैं जो कि कृत्रिम वस्त्र, कृत्रिम रबर, प्लास्टिक, रंजक पदार्थ, दवाइयाँ, औषध रसायनों के बनाने में प्रयोग किए जाते हैं। ये उद्योग तेलशोधनशालाओं या पेट्रोरसायन संयन्त्रों के समीप स्थित हैं।
उपभोक्ता उद्योग होना-रसायन उद्योग अपने आप में एक बड़ा उपभोक्ता भी है। आधारभूत रसायन एक प्रक्रिया के द्वारा अन्य रसायन उत्पन्न करते हैं, जिनका उपयोग औद्योगिक अनुप्रयोग, कृषि अथवा उपभोक्ता बाजारों के लिए किया जाता है।
प्रश्न 10.
भारत में उर्वरक उद्योग के विकास पर एक भौगोलिक निबन्ध लिखिए।
उत्तर:
उर्वरक उद्योग उर्वरक उद्योग नाइट्रोजनी उर्वरक मुख्य रूप से यूरिया, फॉस्फेटिक उर्वरक तथा अमोनियम फॉस्फेट और मिश्रित उर्वरक जिनमें तीन मुख्य पोषक उर्वरक नाइट्रोजन, फॉस्फेट व पोटाश शामिल हैं, के उत्पादन क्षेत्रों के
आस-पास केन्द्रित है। पोटाश पूरी तरह से आयात किया जाता है; क्योंकि देश में वाणिज्यिक रूप से या किसी भी रूप में प्रयुक्त होने वाले पोटाश या पोटेशियम यौगिकों के भण्डार नहीं हैं।
उत्पादन- भारत नाइट्रोजनी उर्वरकों के उत्पादन में विश्व के प्रमुख देशों में एक है। यहाँ अनेक उर्वरक इकाइयाँ हैं जो कि नाइट्रोजन तथा मिश्रित नाइट्रोजनी उर्वरक निर्मित करती हैं, कुछ इकाइयाँ यूरिया उत्पादन तथा कुछ इकाइयाँ उप-उत्पाद के रूप में अमोनियम सल्फेट का उत्पादन करती हैं तथा कुछ लघु इकाइयाँ केवल सुपर फॉस्फेट का उत्पादन करती हैं।
प्रमुख उत्पादक राज्य-भारत में हरित क्रान्ति के पश्चात् यह उद्योग देश के अन्य अनेक भागों में भी फैल गया। गुजरात, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, पंजाब और केरल राज्य कुल उर्वरक उत्पादन का लगभग 50 प्रतिशत उत्पादन करते हैं। देश के अन्य महत्त्वपूर्ण उत्पादक राज्य आन्ध्र प्रदेश, उड़ीसा, राजस्थान, बिहार, महाराष्ट्र, असम, पश्चिमी बंगाल, गोवा, दिल्ली, मध्य प्रदेश तथा कर्नाटक हैं।
प्रश्न 11.
निम्न आधारों पर उद्योगों का वर्गीकरण कीजिए-
(1) प्रयुक्त कच्चे माल के स्रोत के
आधार पर
(2) स्वामित्व के आधार पर
(3) कच्चे तथा तैयार माल की मात्रा व भार के आधार पर।
उत्तर:
(1) प्रयुक्त कच्चे माल के स्त्रोत के आधार पर-
- कृषि आधारित उद्योग-वे उद्योग जिन्हें अपना कच्चा माल कृषि से प्राप्त होता है, कृषि आधारित उद्योग कहलाते हैं। उदाहरण-सूती वस्त्र, पटसन, चीनी, चाय, कॉफी एवं वनस्पति तेल उद्योग आदि।
- खनिज आधारित उद्योग-वे उद्योग जिन्हें अपना कच्चा माल खनिजों से प्राप्त होता है, खनिज आधारित उद्योग कहलाते हैं। उदाहरण-लोहा व इस्पात, सीमेंट, पेट्रो-रसायन उद्योग आदि।
(2) स्वामित्व के आधार पर-
- सार्वजनिक उद्योग-ये उद्योग सरकारी एजेंसियों अथवा सरकार द्वारा प्रबंधित तथा संचालित होते हैं। उदाहरण-भारत हैवी इलेक्ट्रिकल लिमिटेड (BHEL), स्टील अथॉरिटी ऑफ इण्डिया लिमिटेड (SAIL) आदि।
- निजी उद्योग-इन उद्योगों का स्वामित्व निजी व्यक्तियों या उनके समूहों के पास होता है। उदाहरण-बजाज ऑटो लिमिटेड, डाबर उद्योग आदि।
- संयुक्त उद्योग-ये उद्योग राज्य सरकार तथा निजी क्षेत्र के संयुक्त प्रयास से चलाये जाते हैं। उदाहरणऑयल इण्डिया लिमिटेड (OIL)।
- सहकारी उद्योग-इन उद्योगों का स्वामित्व कच्चे माल की आपूर्ति करने वाले उत्पादकों, श्रमिकों अथवा दोनों के हाथों में होता है। उदाहरण-महाराष्ट्र का चीनी उद्योग, केरल के नारियल पर आधारित उद्योग।
(3) कच्चे तथा तैयार माल की मात्रा व भार के आधार पर-
- भारी उद्योग-ये उद्योग अधिक वजन वाले व अधिक मात्रा में कच्चे माल का उपयोग कर भारी उत्पाद तैयार करते हैं। उदाहरण-लोहा इस्पात उद्योग, सीमेंट उद्योग।
- हल्के उद्योग-ये उद्योग कम वजन वाले कच्चे माल का प्रयोग कर हल्के तैयार माल का उत्पादन करते हैं। उदाहरण-विद्युत सामान उद्योग, घड़ी उद्योग आदि।
प्रश्न 12.
भारत में चीनी उद्योग पर एक लेख लिखिए।
उत्तर:
चीनी उद्योग- चीनी उद्योग भारत का एक मुख्य कृषि आधारित उद्योग है। भारत का चीनी उत्पादन में विश्व में दूसरा स्थान है लेकिन गुड़
व खांडसारी के उत्पादन में इसका प्रथम स्थान है। इस उद्योग में प्रयुक्त कच्चा माल भारी होता है तथा ढुलाई में इसके सूक्रोस की मात्रा घट जाती है।
वितरण- भारत में चीनी मिलें उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, गुजरात, पंजाब, हरियाणा तथा मध्य प्रदेश राज्यों में फैली हैं। चीनी मिलों का 60 प्रतिशत उत्तर प्रदेश तथा बिहार में है। यह उद्योग मौसमी है, अतः सहकारी क्षेत्र के लिए उपयुक्त है।
वर्तमान प्रवृत्ति- पिछले कुछ वर्षों से इन मिलों की संख्या दक्षिणी और पश्चिमी राज्यों में विशेषकर महाराष्ट्र में बढ़ी है। इसका मुख्य कारण यहाँ के गन्ने में अधिक सूक्रोस की मात्रा है। अपेक्षाकृत ठंडी जलवायु भी गुणकारी है। इसके अतिरिक्त इन राज्यों में सहकारी समितियाँ भी सफल रही हैं।
समस्याएँ-चीनी उद्योग की प्रमुख समस्याएँ निम्नलिखित हैं-
- चीनी उद्योग का अल्पकालिक होना- चीनी उद्योग एक मौसमी उद्योग है। यह वर्ष में 4 से 7 महीने के लिए ही होता है। वर्ष के शेष महीनों में मिल व श्रमिक बेकार रहते हैं। इससे उद्योग को आर्थिक समस्या का सामना करना पड़ता है।
- पुरानी तथा असक्षम तकनीक का प्रयोग- भारतीय चीनी मिलों में पुरानी तथा असक्षम मशीनरी व तकनीक के प्रयोग से उत्पादन कम होता है।
- परिवहन की पर्याप्त सुविधा का अभाव- गन्ना उत्पादक क्षेत्रों में चीनी मिलों तक पर्याप्त परिवहन की सुविधाओं के अभाव के कारण गन्ना समय पर कारखानों में नहीं पहुँच पाता है।
- खोइ (Baggasse) का अधिकतम उपयोग न हो पाना।