Rajasthan Board RBSE Class 11 Geography Important Questions Chapter 2 पृथ्वी की उत्पत्ति एवं विकास Important Questions and Answers.
RBSE Class 11 Geography Important Questions Chapter 2 पृथ्वी की उत्पत्ति एवं विकास
बहविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1.
ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति का सर्वमान्य नवीनतम सिद्धान्त है -
(क) नीहारिका सिद्धान्त
(ख) ज्वारीय सिद्धान्त
(ग) ग्रहाणु सिद्धान्त
(घ) बिग बैंग सिद्धान्त।
उत्तर:
(घ) बिग बैंग सिद्धान्त।
प्रश्न 2.
'एडविन हब्बल' का सम्बन्ध निम्न में से किस परिकल्पना से है ?
(क) ज्वारीय परिकल्पना
(ख) नीहारिका परिकल्पना
(ग) ग्रहाणु परिकल्पना
(घ) बिग बैंग परिकल्पना।
उत्तर:
(घ) बिग बैंग परिकल्पना।
प्रश्न 3.
'प्रकाश वर्ष' निम्न में से किसकी इकाई है ?
(क) दूरी की
(ख) समय की
(ग) तापमान की
(घ) ऊँचाई की।
उत्तर:
(क) दूरी की
प्रश्न 4.
वर्तमान समय में ग्रहों की संख्या मानी जाती है
(क) 9
(ख) 10
(ग) 8
(घ) 11
उत्तर:
(ग) 8
प्रश्न 5.
'द बिग स्प्लेट' का सम्बन्ध निम्न में से किससे है ?
(क) पृथ्वी की उत्पत्ति से
(ख) पृथ्वी पर जीवों की उत्पत्ति से
(ग) वायुमण्डल की संरचना से
(घ) चन्द्रमा की उत्पत्ति से।
उत्तर:
(घ) चन्द्रमा की उत्पत्ति से।
प्रश्न 6.
'वायुमण्डल के विकास की कितनी अवस्थाएँ हैं?
(क) दो
(ख) तीन
(ग) चार
(घ) पाँच।
उत्तर:
(ख) तीन
सुमेलन सम्बन्धी प्रश्न -
निम्नलिखित
में स्तम्भ 'अ' को स्तम्भ 'ब' से सुमेलित कीजिए. स्तम्भ 'अ'
स्तम्भ 'अ' | स्तम्भ 'ब' (प्रतिपादक) |
I. वायव्य राशि निहारिका परिकल्पना | (अ) ऑँटो शिमिड |
II. निहारिका परिकल्पना | (ब) जेम्स जीन्स व जैफरी |
III. ज्वारीय परिकल्पना | (स) लाप्लेस |
IV. अन्तर तारक धूलि परिकल्पना | (स) काण्ट |
उत्तर:
स्तम्भ 'अ' | स्तम्भ 'ब' (प्रतिपादक) |
I. वायव्य राशि निहारिका परिकल्पना | (द) लाप्लेस |
II. निहारिका परिकल्पना | (स) काण्ट |
III. ज्वारीय परिकल्पना | (ब) जेम्स जीन्स व जैफरी |
IV. अन्तर तारक धूलि परिकल्पना | (अ) ऑँटो शिमिड |
स्तम्भ 'अ' (विशिष्ट लक्षण) | स्तम्भ 'बं' (सम्बन्धित समय) |
I. आदिमानव | (अ) पुरानूतन |
II. छेटे स्तनपायी | (ब) जुरेसिक युग |
III. डायनासोर का युग | (स) डेवोनियन |
IV. स्थल चर व जलचर जीव | (द) अत्यंत नूतन |
स्तम्भ 'अ' (विशिष्ट लक्षण) | स्तम्भ 'बं' (सम्बन्धित समय) |
I. आदिमानव | (द) अत्यंत नूतन |
II. छेटे स्तनपायी | (अ) पुरानूतन |
III. डायनासोर का युग | (ब) जुरेसिक युग |
IV. स्थल चर व जलचर जीव | (स) डेवोनियन |
रिक्त स्थान पूर्ति सम्बन्धी प्रश्न
निम्न वाक्यों में रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए -
(i) गुरुत्वाकर्षण के कारण सूर्य सतह से ......... के आकार का पदार्थ निकलकर अलग हो गया।
(ii) कणों के घर्षण व टकराव से ....... की आकृति के बादल का निर्माण हुआ।
(iii) तारे निहारिका के अंदर ....... झुंड हैं।
(iv) चंद्रमा की उत्पत्ति लगभग ........ अरब वर्ष पूर्व हुई।
(v) सूर्य की उत्पत्ति लगभग ........... अरब वर्ष पूर्व
हुई।
उत्तर:
(i) सिगार
(ii) चपटी तश्तरी
(iii) गैसों के ग्रंथित
(iv) 4.44
(v) 5
सत्य-असत्य कथन सम्बन्धी प्रश्न
निम्न कथनों में से सत्य-असत्य कथन की पहचान कीजिए -
(i) एकतारक परिकल्पना पृथ्वी की उत्पत्ति एक तारे से बताती है। (सत्य/असत्य)
(ii) बिग बैंग की घटना आज से 14.7 अरब वर्ष पूर्व हुई। (सत्य/असत्य)
(iii) प्रकाश की गति 3 लाख किमी. प्रति सैकेण्ड है। (सत्य/असत्य)
(iv) प्लूटो एक मुख्य ग्रह है।
(सत्य/असत्य)
(v) कैम्ब्रियन युग में बिना रीढ़ की हड्डी वाले जीवों का विकास हुआ। (सत्य/असत्य)
उत्तर:
(i) सत्य
(ii) असत्य
(iii) सत्य
(iv) असत्य
(v) सत्य।
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
पृथ्वी की उत्पत्ति के सम्बन्ध में एक प्रारम्भिक एवं लोकप्रिय मत किस दार्शनिक ने प्रस्तुत किया ?
उत्तर:
जर्मन दार्शनिक इमैनुअल काण्ट ने।
प्रश्न 2.
पृथ्वी की उत्पत्ति के सम्बन्ध में लाप्लेस ने कब व किस परिकल्पना का प्रतिपादन किया ?
उत्तर:
लाप्लेस ने सन् 1796 में पृथ्वी की उत्पत्ति के सम्बन्ध में नीहारिका परिकल्पना का प्रतिपादन किया।
प्रश्न 3.
नीहारिका किसे कहते हैं ? अथवा नेबुला क्या है ?
उत्तर:
अन्तरिक्ष में स्थित हल्की गैसों (जैसे हाइड्रोजन व हीलियम) और धूल के विशालकाय बादलों को नीहारिका (नेबुला) कहते हैं।
प्रश्न 4.
नीहारिका परिकल्पना के अनुसार ग्रहों का निर्माण किस प्रकार हुआ?
उत्तर:
नीहारिका परिकल्पना के अनुसार ग्रहों का निर्माण धीमी गति से घूमते हुए पदार्थों के बादल से हुआ जो कि सूर्य की युवा अवस्था से सम्बद्ध थे।
प्रश्न 5.
नीहारिका परिकल्पना में किन-किन विद्वानों ने संशोधन किया ?
उत्तर:
(i) ऑटो शिमिड
(ii) कार्ल
वाइजास्कर।
प्रश्न 6.
बिग बैंग सिद्धान्त को अन्य किस नाम से भी जाना जाता है ?
उत्तर:
विस्तारित ब्रह्माण्ड परिकल्पना।
प्रश्न 7.
बिग बैंग सिद्धान्त का प्रतिपादक किसे माना जाता है ?
उत्तर:
एडविन हब्बल को।
प्रश्न 8.
एडविन हब्बल के सिद्धान्त को किसका प्रयोग करके समझा जा सकता है?'
उत्तर:
गुब्बारे का प्रयोग करके।
प्रश्न 9.
बिग बैंग की घटना कितने वर्ष पूर्व हुई थी?
उत्तर:
लगभग 13.7 अरब वर्ष पूर्व।
प्रश्न 10.
ब्रह्माण्ड पारदर्शी किस प्रकार हुआ ?
उत्तर:
बिग बैंग की घटना से 3 लाख वर्षों के दौरान तापमान 4500° केल्विन तक गिर गया तथा परमाणवीय पदार्थों का निर्माण हुआ जिसके फलस्वरूप ब्रह्माण्ड पारदर्शी हो गया।
प्रश्न 11.
ब्रह्माण्ड के विस्तार का क्या अर्थ है ?
उत्तर:
ब्रह्माण्ड के विस्तार का अर्थ है-आकाशगंगाओं के मध्य की दूरी में निरन्तर विस्तार के होने से है।
प्रश्न 12.
स्थिर
अवस्था संकल्पना किसने प्रस्तुत की ?
उत्तर:
हॉयल ने।
प्रश्न 13.
आकाशगंगा क्या है ?
उत्तर:
तारों के विशाल समूह को आकाशगंगा कहा जाता है।
प्रश्न 14.
किसी आकाशगंगा का व्यास कितना हो सकता है?
उत्तर:
किसी अकेली अकाशगंगा का व्यास 80 हजार से 1 लाख 50 हजार प्रकाश वर्ष तक हो सकता है।
प्रश्न 15.
आकाशगंगाओं की दूरी प्रकाश वर्षों में क्यों मापी जाती है ?
उत्तर:
आकाशगंगाओं का विस्तार अधिक होने के कारण
उनकी दूरी प्रकाश वर्षों में मापी जाती है।
प्रश्न 16.
एक आकाशगंगा के निर्माण की शुरुआत किस प्रकार होती है ?
उत्तर:
एक आकाशगंगा के निर्माण की शुरुआत हाइड्रोजन गैस से बने विशाल बादल के संचयन से होती है जिसे नीहारिका के नाम से जाना गया।
प्रश्न 17.
तारों का निर्माण कब व किस प्रकार हुआ ?
उत्तर:
तारों का निर्माण लगभग 5-6 अरब वर्ष पहले हुआ। नीहारिका में वृद्धि होने के साथ-साथ गैस के झुण्ड विकसित हुए थे। झुंड बढ़ते-बढ़ते घने गैसीय पिण्ड बन गए, जिससे
तारों का निर्माण हुआ।
प्रश्न 18.
प्रकाश वर्ष से क्या आशय है ?
उत्तर:
एक वर्ष में प्रकाश द्वारा तय की गई दूरी को प्रकाश वर्ष के नाम से जाना जाता है।
प्रश्न 19.
प्रकाश कीगति क्या है ?
उत्तर:
3 लाख किमी. प्रति सैकेण्ड।
प्रश्न 20.
पृथ्वी से सूर्य की औसत दूरी कितनी है ?
उत्तर:
14,95,98,000 किमी.।
प्रश्न 21.
सौर मण्डल किसे कहते हैं?
उत्तर:
सूर्य व उससे सम्बन्धित
परिवार (ग्रह, उपग्रह, धूमकेतु, क्षुद्रग्रहों) को सौरमण्डल कहा गया है।
प्रश्न 22.
सौरमण्डल का जनक किसे माना जाता है ?
उत्तर:
नीहारिका को सौरमण्डल का जनक माना जाता है।
प्रश्न 23.
हमारे सौरमण्डल में कौन-कौन से ग्रह हैं ?
उत्तर:
बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, बृहस्पति, शनि, यूरेनस, नेप्च्यून।
प्रश्न 24.
भीतरी या पार्थिव ग्रह कौन-कौन से हैं ? नाम लिखिए।
उत्तर:
भीतरी या पार्थिव ग्रह चार हैं -
- बुध
- शुक्र
- पृथ्वी
- मंगल।
प्रश्न 25.
पार्थिव ग्रह किसे कहते हैं?
उत्तर:
ऐसे ग्रह जो पृथ्वी के समान बनावट अर्थात् शैलों व धातु की स्थिति को दर्शाते हैं, उन्हें पार्थिव ग्रह कहा जाता है।
प्रश्न 26.
पार्थिव ग्रहों की कोई दो विशेषताएँ
लिखिए।
उत्तर:
- पार्थिव ग्रह पृथ्वी की भाँति ही शैलों व धातुओं से निर्मित हैं।
- ये अपेक्षाकृत अधिक घनत्व वाले ग्रह हैं।
प्रश्न 27.
जोवियन ग्रह क्या हैं ?
उत्तर:
गैसों के झुंड से निर्मित विशाल ग्रहों को जोवियन ग्रह कहते हैं। इनका वायुमण्डल हाइड्रोजन व हीलियम से निर्मित है अथवा बृहस्पति की तरह मिलने वाले ग्रह।
प्रश्न 28.
जोवियन ग्रह कौन-कौन से हैं ? नाम लिखिए।
उत्तर:
जोवियन ग्रह चार हैं -
- बृहस्पति
- शनि
- यूरेनस
- नेप्च्यून।
प्रश्न 29.
बौने ग्रह क्या होते हैं?
उत्तर:
ऐसे ग्रह जिन पर सूर्य के अलावा अन्य किसी ग्रह का प्रभाव पड़ता है।
प्रश्न 30.
पृथ्वी का एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह कौन-सा है ?
उत्तर:
चन्द्रमा।
प्रश्न 31.
डार्विन के मतानुसार चन्द्रमा का निर्माण किस पदार्थ से हुआ है ?
उत्तर:
डार्विन के अनुसार चन्द्रमा का निर्माण उसी पदार्थ से हुआ है जहाँ वर्तमान समय में
प्रशान्त महासागर एक गर्त के रूप में विद्यमान है।
प्रश्न 32.
'द बिग स्प्लेट' क्या है ?
उत्तर:
वैज्ञानिकों के मतानुसार पृथ्वी के उपग्रह के रूप में चन्द्रमा की उत्पत्ति एक बड़े टकराव का परिणाम है जिसे 'द बिग स्प्लैट' के नाम से जाना जाता है।
प्रश्न 33.
प्रारम्भ में पृथ्वी कैसी थी ?
उत्तर:
प्रारम्भ में पृथ्वी चट्टानी, गर्म और वीरान ग्रह थी। जिसका वायुमंडल विरल था एवं हाइड्रोजन तथा हीलियम से बना था।
प्रश्न 34.
पृथ्वी की संरचना कैसी है?
उत्तर-परतदार। प्रश्न 35. स्थलमंडल किसे कहते हैं?
उत्तर:
पृथ्वी की सबसे ऊपरी परत भूपर्पटी का सबसे ऊपरी भाग जो सामान्यतः 200 किमी. तक होता है, उसे स्थलमंडल कहा जाता है।
प्रश्न 36.
महाकल्प क्या है ? महाकल्पों के नाम लिखिए।
उत्तर:
भौगोलिक समय की सबसे बड़ी इकाई को महाकल्प कहते हैं।, विभिन्न महाकल्प निम्नलिखित हैं -
- प्रीकैम्ब्रियन
- पुराजीव
- मध्यजीव
- नवजीवन।
प्रश्न 37.
भू-वैज्ञानिक काल मापक्रम के अनुसार नवजीवन
महाकल्प को कौन-कौन से कल्पों में बाँटा जा सकता है ?
उत्तर:
- तृतीय कल्प
- चतुर्थ कल्प।
प्रश्न 38.
भू-वैज्ञानिक काल मापक्रम के अनुसार मध्यजीवी महाकल्प को कौन-कौन से कल्पों में बाँटा जा सकता है ?
उत्तर:
- ट्रियासिक
- जुरेसिक
- क्रीटेशियस।
प्रश्न 39.
पुराजीव महाकल्प को कौन-कौन से कल्पों में बाँटा जा सकता है ? ।
उत्तर:
- कैम्ब्रियन
- ओ?विसयन
- प्रवालवदि (सिलरियन)
- डेवोनियन
- कार्बोनिफेरस
- परमियन।
प्रश्न 40.
तृतीय कल्प को कौन-कौन से युगों में बाँटा जा सकता है ?
उत्तर:
- पुरानूतन
- आदिनूतन
- अधिनूतन
- अल्पनूतन
- अतिनूतन।
प्रश्न 41.
विभेदन से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
हल्के व भारी घनत्व वाले पदार्थों के अलग होने की प्रक्रिया विभेदन के रूप में जानी जाती है।
प्रश्न 42.
पृथ्वी के धरातल से क्रोड तक कौन-कौन सी परतें पायी जाती हैं ?
उत्तर:
पृथ्वी के धरातल से क्रोड तक पर्पटी, प्रावार, बाह्य क्रोड एवं आन्तरिक क्रोड आदि परतें पायी जाती हैं।
प्रश्न 43.
पृथ्वी के वायुमण्डल की वर्तमान संरचना में कौन-सी गैसों का प्रमुख योगदान है ?
उत्तर:
- नाइट्रोजन
- ऑक्सीजन।
प्रश्न 44.
वर्तमान वायुमण्डल का उद्भव किस प्रकार हुआ ?
उत्तर:
पृथ्वी के ठण्डा होने एवं विभेदन के दौरान पृथ्वी के आन्तरिक भाग से जलवाष्प व अनेक गैसें बाहर निकली जिससे वर्तमान वायुमण्डल का उद्भव हुआ।
प्रश्न 45.
गैस उत्सर्जन किसे कहा जाता है ?
उत्तर:
पृथ्वी के आन्तरिक भाग से धरातल पर गैसों के आने की प्रक्रिया को गैस उत्सर्जन कहा जाता है।
प्रश्न 46.
कौन-सा ग्रह जीवन के लिए उपयुक्त है ?
उत्तर:
पृथ्वी।
प्रश्न 47.
पृथ्वी पर
जीवन के चिह्न किस रूप में पाये जाते हैं ?
उत्तर:
पृथ्वी पर जीवन के चिह्न अलग-अलग समय की चट्टानों में पाए जाने वाले जीवाश्म के रूप में पाये जाते हैं।
प्रश्न 48.
मछली का उद्भव किस कल्प में हुआ?
उत्तर:
ओ?विसयन कल्प में।
लघु उत्तरीय प्रश्न (SA1 प्रश्न)
प्रश्न 1.
लाप्लेस कौन था ? इनके द्वारा प्रस्तुत नीहारिका परिकल्पना को संक्षेप में बताइए।
अथवा
लाप्लेस ने सौरमण्डल की उत्पत्ति के
सम्बन्ध में क्या विचार प्रस्तुत किए ?
उत्तर:
फ्रांस निवासी लाप्लेस एक गणितज्ञ एवं ज्योतिषी था। इन्होंने 1796 ई. में अपनी पुस्तक 'विश्व व्यवस्था की व्याख्या' में सौरमण्डल की उत्पत्ति के सम्बन्ध में अपने विचार प्रस्तुत किए। इन्होंने कान्ट की परिकल्पना में संशोधन प्रस्तुत किया जो नीहारिका परिकल्पना के नाम से जाना जाता है। इस परिकल्पना के अनुसार ग्रहों का निर्माण धीमी गति से घूमते हुए पदार्थों के बादल से हुआ जो कि सूर्य की युवा अवस्था से सम्बद्ध थे।
प्रश्न 2.
द्वैतारक
सिद्धान्त क्या है ? अथवा द्वैतारक परिकल्पना क्या है ?.
उत्तर:
पृथ्वी की उत्पत्ति से सम्बन्धित वह सिद्धान्त या परिकल्पना जो पृथ्वी सहित सौरमण्डल की उत्पत्ति दो तारों से मानती है, द्वैतारक सिद्धान्त कहलाता है। इस सिद्धान्त के अनुसार सौरमण्डल का निर्माण सूर्य के समीप दूसरे भ्रमणशील तारे के द्वारा माना जाता है। इस वर्ग की अधिकांश परिकल्पनाओं का प्रतिपादन बीसवीं शताब्दी के प्रारम्भ में हुआ। चेम्बरलिन व मोल्टन, जेम्स जीन्स, जैफ्रीज, रसेल आदि वैज्ञानिकों की परिकल्पनाएँ इसी वर्ग के अन्तर्गत
सम्मिलित की जाती हैं।
प्रश्न 3.
ऑटो शिमिड एवं कार्ल वाइजास्कर के पृथ्वी की उत्पत्ति से सम्बन्धित विचारों को स्पष्ट कीजिए। अथवा ऑटो शिमिड एवं कार्ल वाइजास्कर ने नीहारिका परिकल्पना में क्या संशोधन प्रस्तुत किए ?
उत्तर:
1943 ई. में रूस के ऑटोशिमिड एवं जर्मनी के कार्ल वाइजास्कर ने नीहारिका परिकल्पना में कुछ संशोधन प्रस्तुत किए। उनके विचार से सूर्य एक सौर नीहारिका से घिरा हुआ था जो मुख्य रूप से हाइड्रोजन, हीलियम एवं धूलिकणों से निर्मित थी। इन कणों के घर्षण एवं टकराने से एक
चपटी तश्तरी की आकृति के बादल का निर्माण हुआ तथा अभिवृद्धि प्रक्रम द्वारा ही पृथ्वी सहित अन्य ग्रहों का निर्माण हुआ।
नोट:
पाठ्यपुस्तक में नीहारिका परिकल्पना में संशोधन का समय 1950 ई. लिखा हुआ है, जबकि वास्तविक समय 1943 ई. है। अतः विद्यार्थी 1943 ई. पढ़ें।
प्रश्न 4.
बिग बैंग सिद्धान्त के अनुसार ब्रह्माण्ड का विस्तार किन-किन अवस्थाओं में हुआ ?
उत्तर:
बिग बैंग सिद्धान्त के अनुसार ब्रह्माण्ड का निर्माण निम्न अवस्थाओं में हुआ -
- प्रारम्भ में वे समस्त पदार्थ, जिनसे ब्रह्माण्ड बना है, अति छोटे गोलकों के रूप में एक ही स्थान पर स्थित थे।
- बिग बैंग की प्रक्रिया में अति छोटे गोलकों में भीषण विस्फोट हुआ। इस प्रकार की विस्फोट प्रक्रिया से वृहत विस्तार हुआ। विस्फोट के बाद एक सैकेण्ड के अल्पांश के अन्तर्गत ही वृहत विस्तार हुआ। बिग बैंग होने के आरम्भिक तीन मिनट के अन्तर्गत ही पहले अणु का निर्माण हुआ।
- बिग बैंग से 3 लाख वर्षों के दौरान तापमान लगभग 4500° केल्विन तक गिर गया और आणविक पदार्थों का निर्माण हुआ तथा ब्रह्माण्ड पारदर्शी हो गया।
प्रश्न 5.
ब्रह्माण्ड के विस्तार का क्या अर्थ है ? हॉयल ने इसका क्या विकल्प प्रस्तुत किया ?
उत्तर:
ब्रह्माण्ड के विस्तार का अर्थ है आकाशगंगाओं के मध्य की दूरी में विस्तार का होना। हॉयल ने इसका विकल्प 'स्थिर अवस्था संकल्पना' के नाम से प्रस्तुत किया। इस संकल्पना के अनुसार ब्रह्माण्ड हमेशा से एक जैसा रहा है। अर्थात् ब्रह्माण्ड आरम्भ से एक ही स्थिति में है तथा हमेशा इसी स्थिति में बना रहेगा।
प्रश्न 6.
तारों के निर्माण की प्रक्रिया को संक्षेप में
बताइए।
उत्तर:
ऐसी मान्यता है कि तारों का निर्माण लगभग 5 से 6 अरब वर्षों पहले हुआ। आकाशगंगाओं में असंख्य तारे पाये जाते हैं। एक अकेली आकाशगंगा का व्यास 80 हजार से 1 लाख 50 हजार प्रकाश वर्ष के बीच हो सकता है। आकाशगंगा का निर्माण प्रारम्भ में हाइड्रोजन गैस से बने बादलों के संचयन से हुआ, जिसे 'नीहारिका' कहा गया। इस नीहारिका में गैसीय बादलों के झुण्ड विकसित हुए जो बाद में गैसीय पिण्डों में बदल गये। इन्हीं गैसीय पिण्डों से तारों का निर्माण हुआ।
प्रश्न 7.
ग्रहों का निर्माण कौन-कौन सी प्रक्रियाओं में हुआ?
उत्तर:
ग्रहों का निर्माण तीन प्रक्रियाओं में हुआ। सर्वप्रथम गैसीय बादलों से क्रोड का निर्माण हुआ। द्वितीय अवस्था में गैसीय बादल के संघनन से क्रोड को आवृत्त करने वाला पदार्थ छोटे गोलों के रूप में विकसित हुआ। संघटन की प्रक्रिया द्वारा छोटे
गोले बड़े पिण्ड बने और आपस में जुड़ गये। छोटे पिण्डों की अधिक संख्या एकत्रित होकर ग्रहाणुओं के रूप में बदल गयी। छोटे ग्रहाणुओं के मिलने से ग्रहों का निर्माण हुआ।
प्रश्न 8.
सौरमण्डल किसे कहते हैं ? संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
सूर्य, ग्रहों (संख्या में आठ), उपग्रहों (संख्या में 63), लाखों छोटे पिण्डों; जैसे-क्षुद्र ग्रहों, धूमकेतु एवं वृहद् मात्रा में धूलि कणों तथा गैसों के परिमण्डल को सौरमण्डल कहते हैं। दूसरे शब्दों में सूर्य के चारों ओर अंडाकार मार्ग में परिक्रमा करने वाले
ग्रहों, उपग्रहों, पुच्छल तारे, उल्का आदि के समूह को सौरमण्डल कहते हैं। सूर्य की स्थिति सौरमण्डल के मध्य में है। सम्पूर्ण सौरमण्डल का व्यास 733 करोड़ मील के लगभग है।
प्रश्न 9.
चन्द्रमा की उत्पत्ति किस प्रकार हुई ? संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
चन्द्रमा पृथ्वी का एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह है। इसकी उत्पत्ति 4.44 अरब वर्षों पूर्व मानी जाती हैं। वैज्ञानिकों की मान्यता है कि चन्द्रमा की उत्पत्ति एक बड़े टकराव के कारण हुई जिसे 'द बिग स्प्लैट' कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि
पृथ्वी की उत्पत्ति के कुछ समय बाद ही एक विशाल पिण्ड पृथ्वी से टकराया जिससे पृथ्वी का एक हिस्सा टूटकर अन्तरिक्ष में बिखर गया। यह पदार्थ पृथ्वी के कक्ष में घूमने लगा जो चन्द्रमा कहलाया।
प्रश्न 10.
पृथ्वी का उद्भव एवं विकास किस प्रकार हुआ ?
उत्तर:
पृथ्वी का उद्भव लगभग 460 करोड़ वर्ष पूर्व हुआ था। प्रारम्भ में पृथ्वी चट्टानी, गर्म एवं निर्जन ग्रह थी। इसका वायुमण्डल विरल था जो कि हाइड्रोजन व हीलियम गैसों से बना था। यह आज की पृथ्वी के वायुमण्डल से बहुत भिन्न था। अनेक घटनाओं एवं
क्रियाओं से यह चट्टानी, निर्जन एवं गर्म पृथ्वी एक सुन्दर ग्रह के रूप में परिवर्तित हो गयी। आज से लगभग 380 करोड़ वर्ष पूर्व इस ग्रह पर जीवन का विकास हुआ। पृथ्वी की संरचना परतदार है जिसका बाह्य भाग कम घनत्व का तथा आन्तरिक भाग अधिक घनत्व का है।
प्रश्न 11.
भू-पर्पटी का विकास कैसे हुआ?
उत्तर:
अत्यधिक ताप के कारण पृथ्वी आंशिक रूप से द्रव अवस्था में रह गई और तापमान की अधिकता के कारण ही हल्के व भारी घनत्व के मिश्रण वाले पदार्थ घनत्व के अंतर के कारण अलग होने लगे। इस स्थिति में
भारी पदार्थ पृथ्वी के केन्द्र में चले गये जबकि हल्के पदार्थ पृथ्वी की सतह/ऊपरी भाग की तरफ आ गए। इनके ठंडे होने व ठोस रूप में परिवर्तित होने से भू-पर्पटी का निर्माण हुआ।
प्रश्न 12.
पृथ्वी का पदार्थ अनेक परतों में क्यों विभाजित हो गया ? इसकी विभिन्न परतें बताइए।
उत्तर:
चन्द्रमा की उत्पत्ति के दौरान भीषण टक्कर होने की प्रक्रिया के कारण पृथ्वी का तापमान पुनः बढ़ गया। विभेदन की इस प्रक्रिया द्वारा पृथ्वी का पदार्थ अनेक परतों में विभाजित हो गया। पृथ्वी के धरातल से क्रोड तक
निम्न तीन परतें पायी जाती हैं -
- पर्पटी (क्रस्ट)
- प्रावार (मेन्टल)
- क्रोड
(अ) बाह्य क्रोड
(ब) आन्तरिक क्रोड।
प्रश्न 13.
वायुमण्डल के विकास की प्रमुख अवस्थाओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
वर्तमान वायुमण्डल के विकास की निम्नलिखित तीन अवस्थाएँ हैं -
- प्रथम अवस्था - वर्तमान वायुमण्डल के विकास की इस अवस्था में आदिकालिक वायुमण्डलीय गैसों का ह्रास हुआ।
- द्वितीय अवस्था - इस अवस्था में भाप एवं जलवाष्प का पृथ्वी से उत्सर्जन हुआ जिसने वायुमण्डल के विकास में सहयोग किया।
- तृतीय अवस्था - इस अवस्था में जैवमण्डल की प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया द्वारा वायुमण्डल की संरचना को संशोधित किया।
प्रश्न 14.
महासागरों का निर्माण किस प्रकार हुआ?
उत्तर:
लगातार ज्वालामुखी विस्फोट से वायुमंडल में जलवाष्प व गैस बढ़ने लगी। पृथ्वी के ठंडा होने के साथ-साथ जलवाष्प का संघनन प्रारम्भ हो गया। वायुमंडल में मौजूद कार्बन डाइऑक्साइड के वर्षा के पानी में घुलने से तापमान में और अधिक गिरावट हुई जिसके कारण
अधिक संघनन व अधिक वर्षा हुई। पृथ्वी के धरातल पर वर्षा का जल गर्गों में इकट्ठा होने लगा जिससे महासागरों का निर्माण हुआ।
प्रश्न 15.
धरातल पर जीवन की उत्पत्ति कैसे हुई ? संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
वैज्ञानिकों की मान्यता है कि धरातल पर जीवन का विकास लगभग 380 करोड़ वर्ष पहले प्रारम्भ हुआ। आधुनिक वैज्ञानिक धरातल पर जीवन की उत्पत्ति को एक प्रकार की रासायनिक प्रतिक्रिया मानते हैं। इस रासायनिक प्रतिक्रिया से पहले जटिल जैव अणु बने और उनका समूहन हुआ। यह समूहन अपने आपको दोहराता
था। यह निर्जीव पदार्थ को जीवित तत्व में परिवर्तित करने में सक्षम था। 300 करोड़ साल पुराने भू-गर्भिक शैलों में पाई जाने वाली सूक्ष्म संरचना आज के शैवाल की संरचना से मिलती-जुलती है। पहले एककोशीय जीवाणु का विकास हुआ और धीरे-धीरे मानव का विकास हुआ। मानव धरातल पर सर्वोत्तम कृति मानी जाती है।
लघु उत्तरीय प्रश्न (SA2 प्रश्न)
प्रश्न 1.
पृथ्वी की उत्पत्ति से सम्बन्धित सिद्धान्तों को कितने भागों में बाँटा गया है ? संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
यह
सर्वमान्य सत्य है कि पृथ्वी की उत्पत्ति अन्य ग्रहों के साथ एवं एक ही प्रक्रिया द्वारा हुई। पृथ्वी की उत्पत्ति से सम्बन्धित सिद्धान्तों को निम्नांकित दो भागों में विभाजित किया गया है -
(1) एकतारक परिकल्पना - इसे 'अद्वैतवादी' या 'एकतारक संकल्पना' भी कहा जाता है। इसमें ग्रहों तथा पृथ्वी की उत्पत्ति एक ही तारे से हुई मानी जाती है। इसके अन्तर्गत 'कास्त द बफन', काण्ट, लाप्लेस, रॉस एवं लॉकियर आदि के विचारों को सम्मिलित किया जाता है।
(2) द्वैतारक परिकल्पना - इसे द्वैतवादी सिद्धान्त (Bi-Parental Concept) भी कहा जाता है। इसमें पृथ्वी व ग्रहों की उत्पत्ति सूर्य एवं उसके साथ एक या दो तारों के सहयोग से मानी गयी है। इस संकल्पना के अन्तर्गत चेम्बरलेन एवं मोल्टन की ग्रहाणु परिकल्पना, जेम्स जीन्स एवं जेफरीज की ज्वारीय संकल्पना तथा एच. एन. रसेल की द्वैतारक परिकल्पना को सम्मिलित किया जाता है।
प्रश्न 2.
चेम्बरलिन एवं मोल्टन की ग्रहाणु परिकल्पना का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
उत्तर:
ग्रहाणु परिकल्पना का प्रतिपादन शिकागो विश्वविद्यालय के टी. सी. चेम्बरलिन एवं एफ. आर.
मोल्टन ने 1904 ई. में किया। इस परिकल्पना के अनुसार पृथ्वी की उत्पत्ति सूर्य के निकट एक भ्रमणशील तारे के आने से हुई। भ्रमणशील तारे ने अपनी आकर्षण शक्ति से सूर्य सतह से सिगार के आकार का कुछ पदार्थ अलग कर दिया। यह तारा जब सूर्य से दूर चला गया तो सूर्य सतह से बाहर निकला हुआ यह पदार्थ सूर्य के चारों तरफ घूमने लगा और यही पदार्थ धीरे-धीरे संघनित हो गया जिससे छोटे-छोटे ग्रहाणुओं की उत्पत्ति हुई। पदार्थ की कुल मात्रा वर्तमान ग्रहों के पदार्थ से बहुत अधिक थी। धीरे-धीरे बड़े आकार के केन्द्रक विकसित हो गए।
इन केन्द्रकों ने सूर्य से निकले हुए पदार्थ को अपनी ओर आकर्षित कर लिया और ग्रहों का निर्माण हुआ।
नोट:
पाठ्यपुस्तक में चेम्बरलिन व मोल्टन द्वारा इस परिकल्पना के प्रस्तुतीकरण का समय 1900 ई. बताया गया है, जो गलत है। वास्तविक समय 1904 ई. है।
प्रश्न 3.
ग्रहों के विकास की अवस्थाओं को संक्षेप में बताइए।
अथवा
ग्रहों का निर्माण एवं विकास किस प्रकार हुआ ?
उत्तर:
ग्रहों के निर्माण एवं विकास की निम्नलिखित अवस्थाएँ मानी जाती हैं -
(i) प्रथम अवस्था
नीहारिका के अन्दर गैस के गुंथित झुण्ड पाये जाते हैं। इन गुंथित झुण्डों में गुरुत्वाकर्षण बल से गैसीय बादल में गैसीय क्रोड का निर्माण हुआ। इस गैसीय क्रोड के चारों ओर गैस व धूलि कणों की घूमती हुई तश्तरी विकसित हुई।
(ii) द्वितीय अवस्था - इस अवस्था में गैसीय बादल का संघनन आरम्भ हुआ तथा क्रोड को ढकने वाला पदार्थ छोटे गोलों के रूप में विकसित हुआ। ये छोटे गोल पारस्परिक आकर्षण प्रक्रिया द्वारा ग्रहाणुओं के रूप में विकसित हुए। ये ग्रहाणु गुरुत्वाकर्षण बल के परिणामस्वरूप आपस में जुड़ गये।
(iii) तृतीय अवस्था - ग्रहों के विकास की इस अन्तिम अवस्था में इन अनेक छोटे-छोटे ग्रहाणुओं के सहवर्धित होने पर कुछ बड़े पिण्ड ग्रहों के रूप में निर्मित हुए। इस तरह ग्रहों का निर्माण एवं विकास हुआ।
प्रश्न 4.
सौरमण्डल के ग्रहों को कितने भागों में बाँटा गया है ?
उत्तर:
सौरमण्डल में ग्रहों की संख्या 8
है। 2006 (अगस्त से पूर्व) तक प्लूटो को भी एक ग्रह माना जाता था, किन्तु अन्तर्राष्ट्रीय खगोलकी संगठन ने अपनी बैठक (अगस्त 2006) में इसे 'बौने ग्रह' के रूप में परिभाषित किया। सौरमण्डल के ग्रहों को दो भागों में विभाजित किया गया है -
(1) आन्तरिक ग्रह इन्हें 'पार्थिव ग्रह' भी कहते हैं। बुध, शुक्र, मंगल तथा पृथ्वी को इसके अन्तर्गत सम्मिलित किया गया है। ये ग्रह पृथ्वी की भाँति ही शैलों तथा धातुओं से बने हैं और अपेक्षाकृत अधिक घनत्व वाले हैं।
(2) बाह्य ग्रह अन्य चार ग्रह बृहस्पति, शनि, अरुण एवं वरुण को बाह्य ग्रह कहा गया है। बृहस्पति (Jupiter) की भाँति होने के कारण इन ग्रहों को जोवियन (Jovian) ग्रह भी कहा जाता है। ये ग्रह आकार में अपेक्षाकृत बड़े हैं। इनका घनत्व अपेक्षाकृत कम है तथा इनका सघन वायुमण्डल हाइड्रोजन तथा हीलियम गैस से बना है।
प्रश्न 5.
पार्थिव (आन्तरिक) तथा जोवियन (बाह्य) ग्रहों में अन्तर बताइए।
उत्तर:
पार्थिव तथा जोवियन ग्रहों में प्रमुख अन्तर निम्नलिखित हैं।
- पार्थिव ग्रह आकार में छोटे तथा जोवियन ग्रह आकार में अपेक्षाकृत अधिक बड़े हैं।
- पार्थिव ग्रह सूर्य से अपेक्षाकृत कम दूरी पर स्थित हैं जबकि जोवियन ग्रहों की दूरी सूर्य से अधिक है।
- पार्थिव ग्रहों की संरचना चट्टानी है जबकि जोवियन ग्रहों की संरचना गैसीय है।
- पार्थिव ग्रहों के उपग्रहों की संख्या कम (पृथ्वी का केवल एक तथा मंगल के दो) हैं जबकि जोवियन ग्रहों के उपग्रहों की संख्या अधिक (बृहस्पति के 16, शनि के 30, अरुण के 17 तथा वरुण के 8 उपग्रह) हैं।
प्रश्न 6.
पृथ्वी की भूपर्पटी के विकासक्रम को संक्षेप में
बताइए।
अथवा
स्थलमण्डल के विकासक्रम का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
उत्तर:
ग्रहाणु व अन्य खगोलीय पिण्डों की संरचना अधिकांशतया घने एवं हल्के पदार्थों के मिश्रण से हुई है। ग्रहाणु, ग्रहों की उत्पत्ति से पूर्व ब्रह्माण्ड में बिखरे हुए छोटे-छोटे धूलिकणों जैसी आकृति वाले कण थे। इन ग्रहाणुओं के एकत्र होने से ही पृथ्वी सहित अन्य ग्रहों का निर्माण हुआ। गुरुत्व बल के कारण जब पदार्थों का एकत्रीकरण हो रहा था तो इन एकत्रित पिण्डों ने पदार्थ को प्रभावित किया जिससे अत्यधिक ताप की उत्पत्ति हुई।
अत्यधिक ताप के कारण पृथ्वी आंशिक रूप से द्रव अवस्था में परिवर्तित हो गयी। तापमान की अधिकता के कारण ही चट्टानों के हल्के व भारी पदार्थों का स्तरीकरण होना प्रारम्भ हो गया। भारी पदार्थ पृथ्वी के केन्द्र की ओर चले गये तथा हल्के पदार्थ धरातलीय भाग की ओर आने लगे। ये पदार्थ समय के साथ-साथ ठण्डे हो गये और ठोस रूप में परिवर्तित होकर छोटे आकार के हो गये। अंत में ये पृथ्वी की भूपर्पटी के रूप में विकसित हो गये।
प्रश्न 7.
जलमण्डल का विकास किस प्रकार हुआ ? संक्षिप्त विवरण दीजिए।
उत्तर:
पृथ्वी के आरम्भिक वायुमण्डल में जलवाष्प, नाइट्रोजन, कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन व अमोनिया आदि गैसें अधिक मात्रा में थी तथा स्वतन्त्र रूप से ऑक्सीजन की मात्रा अत्यन्त न्यून थी। धरातल पर लगातार ज्वालामुखी विस्फोट होने से वायुमण्डल में जलवाष्प एवं विभिन्न गैसों की मात्रा तीव्र गति से बढ़ने लगी। पृथ्वी के ठंडा होने के साथ-साथ जलवाष्प का संघनन प्रारम्भ हो गया। वायुमण्डल में उपस्थित कार्बन डाइऑक्साइड के वर्षा के पानी में घुलने से तापमान में और अधिक गिरावट आ गयी। इसके परिणामस्वरूप अधिक संघनन प्रारम्भ हो
गया तथा धरातल पर अत्यधिक वर्षा हुई। पृथ्वी के धरातल पर वर्षा का जल गर्मों में एकत्रित होने लगा जिससे महासागरों का निर्माण हुआ। पृथ्वी पर उपस्थित समस्त महासागर पृथ्वी की उत्पत्ति से लगभग 50 करोड़ वर्षों के अन्तर्गत निर्मित हुए, जिनमें जीवन का विकास हुआ।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
सौरमंडल क्या है ? ग्रहों का वर्गीकरण कर इनके निर्माण व विकास की अवस्थाएँ बताइए।
उत्तर:
सौरमण्डल - सूर्य तथा इसके साथी आकाशीय पिण्डों के समूह को सौरमण्डल कहते हैं।
ग्रह, प्राकृतिक उपग्रह, क्षुद्रग्रह, धूमकेतु एवं उल्काएँ आदि सूर्य के साथी आकाशीय पिण्ड हैं। इनके अतिरिक्त अन्तर्ग्रहीय धूलि और गैस के समूह भी हैं। इन सबसे मिलकर ही सौरमण्डल बना है।
ग्रह - ग्रह वे आकाशीय पिण्ड हैं, जो निश्चित कक्षाओं पर सूर्य की परिक्रमा करते हैं। ग्रहों में अपना प्रकाश नहीं होता है। वे अपारदर्शी होते हैं और सूर्य के प्रकाश को परावर्तित करते हैं। ग्रह अपने अक्ष पर घूमते हैं।
ग्रहों का वर्गीकरण - सौरमण्डल में ग्रहों की संख्या 8 है। सूर्य से दूरी के क्रम में इनके नाम इस प्रकार हैं -
बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, बृहस्पति, शनि, यूरेनस (अरुण) व नेप्च्यून (वरुण)। अभी तक प्लूटो को भी एक ग्रह माना जाता था किन्तु अन्तर्राष्ट्रीय खगोलिकी संगठन ने अगस्त 2006 में अपनी बैठक में इसे बौने ग्रह के रूप में परिभाषित किया।
सौरमण्डल के ग्रहों को दो भागों में विभाजित किया गया है -
(i) आन्तरिक ग्रह - क्षुद्र ग्रहों की पट्टी और सूर्य के बीच स्थित ग्रहों बुध, शुक्र, पृथ्वी और मंगल को आन्तरिक ग्रह कहते हैं। इन्हें पार्थिव ग्रह भी कहते हैं। ये चारों ग्रह पृथ्वी के समान ठोस हैं तथा अपेक्षाकृत उच्च घनत्व वाले चट्टानी खनिजों एवं धातुओं से बने हैं।
(ii) बाह्य ग्रह - क्षुद्र ग्रहों की पट्टी के बाहर वाले ग्रहों-बृहस्पति, शनि, यूरेनस (अरुण) एवं नेप्च्यून (वरुण) को बाह्य ग्रह कहते हैं। बृहस्पति की भाँति होने के कारण इन ग्रहों को जोवियन ग्रह भी कहते हैं। ये ग्रह आकार में अपेक्षाकृत बड़े हैं। इनका घनत्व अपेक्षाकृत कम है। ये सभी ग्रह मुख्यतः तरल और गैसीय पदार्थों से बने हैं। गैसों में हाइड्रोजन एवं हीलियम की प्रधानता है।
ग्रहों के निर्माण व विकास की अवस्थाएँ - समस्त ग्रहों का निर्माण लगभग 4.6 अरब वर्ष पूर्व हुआ। ग्रहों के निर्माण व विकास की विभिन्न अवस्थाएँ मानी गयी हैं, जो निम्नलिखित हैं -
(i) गैस व धूलिकणों की तश्तरी विकसित होना - नीहारिका के अन्दर गैस के गुंथित झुंड के रूप में तारे पाये जाते हैं। इन गुंथित झुण्डों में गुरुत्वाकर्षण बल से गैसीय बादल में गैसीय क्रोड का निर्माण हुआ। इन गैसीय क्रोड के चारों ओर गैस व धूलिकणों की घूमती हुई तश्तरी विकसित हुई।
(ii) ग्रहाणुओं का विकास होना - ग्रहों के विकास की द्वितीय अवस्था में गैसीय बादल का संघनन प्रारम्भ हुआ तथा क्रोड को ढकने वाला पदार्थ छोटे गोलों के रूप में विकसित हुआ। ये छोटे गोले पारस्परिक आकर्षण प्रक्रिया द्वारा ग्रहाणुओं के रूप में विकसित हुए। ये ग्रहाणु गुरुत्वाकर्षण बल के परिणामस्वरूप आपस में जुड़ गए।
(iii) बड़े पिण्डों से ग्रहों का निर्माण होना - ग्रहों के विकास की अन्तिम अवस्था में अनेक छोटे-छोटे ग्रहाणुओं के सहवर्धित होने पर कुछ बड़े पिण्ड ग्रहों के रूप में निर्मित हुए। इस तरह ग्रहों का निर्माण एवं विकास हुआ।
प्रश्न 2.
भू-वैज्ञानिक काल मापक्रम को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
भू-वैज्ञानिक समय सारणी को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
पृथ्वी का वर्तमान स्वरूप एक लम्बी प्रक्रिया का प्रतिफल है। वर्तमान तक आने से पूर्व अलग-अलग कालक्रमों में विभिन्न दशाओं का स्वरूप उत्पन्न हुआ है। इन
सभी दशाओं को भू-वैज्ञानिक कालक्रम प्रणाली के अनुसार अग्रानुसार प्रदर्शित किया गया है -
इयान (Eons) | महाकल्प (Era) | कल्प (Period) | युग (Epoch) | आयु/आधुनिक वर्ष पहले (Age/Years before present) | जीवन/मुख्य घटनाएँ (Life/Major Events) |
चतुर्थ कल्प (Quaternary) | अभिनव अत्यन्त नूतन | 0 से 10,000 & 10,000 से 20 लाख वर्ष | आधुनिक मानव आदिमानव (Homosapiens) | ||
नवजीवन (cenozoic) (आज से 6.3 करोड़ वर्ष पहले) | तृतीय कल्प (Tertiary) | अतिनूतन अल्पनूतन अधिनूतन अदिनूतन पुरानूतन | 20 लाख से 50 लाख 50 लाख से 2.4 करोड़ 2.4 करोड़ से 3.7 करोड़ 3.7 करोड़ से 5.8 करोड़ 5.7 करोड़ से 6.5 करोड़ | आरम्भिक मनुष्य के पूर्वज बनमानुष, फूल वाले पौधे और वृक्ष मनुष्य से मिलता-जुलंता वनमानुष जंतु खरगोश (Rabbits and hare) छोटे स्तनपायी : चूहे, आदि। | |
मध्यजीवी (Mesozoic) 6.5 करोड़ से 24.5 करोड़ वर्ष पहले स्तनपायी | क्रीटेशियस जुरेसिक ट्रियासिक | 6.5 करोड़ से 14.4 करोड़ 14.4 से 20.8 करोड़ 20.8 से 24.5 करोड़ वर्ष | डायनासोर का विलुप्त होना। डायनासोर का युग। मेंढक व समुद्री कहुआ। | ||
पुराजीव (24.5 करोड़ वर्ष से | पर्मियन कार्बोनिफेरस डेखोनियन प्रवालवदि सिलरियन ओर्डोविसयन कैम्स्रियन | 24.5 करोड़ से 28.6 वर्ष 28.6 से 36,0 करोड़ वर्ष 36.0 से 40.8 करोड़ 40.8 करोड़ से 43.8 करोड़ 43.8 से 50.5 करोड़ 50.5 से 57.0 करोड़ | रेंगने वाले जीवों की अधिकता जल स्थलचर। पहले रेंगने वाले जंतु-रीढ़ की हड्ड़ी वाले पहले जीव स्थल व जल पर रहने वाले जीव स्थल पर जीवन के प्रथम चिह्ल : पौधे पहली मछली स्थल पर कोई जीवन नहीं : जल में बिना रीढ़ की हड्डी वाले जीव। | ||
प्रागजीव (Proterezoic) आद्य महाकल्प | पूर्व-कैम्ब्रियन 57 करोड़ से 4 अरब 80 करोड़ वर्ष पहले | 57 करोड़ से 2 अरब 50 करोड़ वर्ष 2.5 अरब से 3.8 अरब वर्ष पहले 3.8 अरब से 4.8 अरब वर्ष पहले | कई जोड़ों वाले जीव ब्लू-ग्रीन शैवालः एक कोशीय जोवाणु महाद्वीप व महासागरों का निर्माण : महासागरों व वायुमण्डल में कार्बन ड्डाइऑक्साइड की अधिकता | ||
हेडियन | |||||
तारों की उत्पत्ति | 5 अरब से 13.7 वर्ष पहले | 5 अरब वर्ष पहले 12 अरब वर्ष पहले 13.7 अरब वर्ष पहले | सूर्य की उत्पत्ति ब्रह्मांड की उत्पत्ति | ||
सुपरनोवा | |||||
बिग बैंग |
प्रश्न 3.
पृथ्वी पर वायुमण्डल एवं जलमण्डल का विकास किस प्रकार हुआ ? विस्तार से वर्णन कीजिए।
उत्तर:
पृथ्वी पर वायुमण्डल एवं जलमंडल का विकास निम्न प्रकार से हुआ -
वायुमण्डल का विकास - पृथ्वी के वायुमण्डल की वर्तमान संरचना में नाइट्रोजन एवं ऑक्सीजन गैसों का प्रमुख योगदान है। वर्तमान वायुमण्डल के विकास की तीन अवस्थाएँ हैं, जो निम्नलिखित हैं -
(i) प्रथम अवस्था - वायुमण्डल के विकास की प्रारम्भिक अवस्था में धरातल पर हाइड्रोजन व हीलियम गैसों की अधिकता थी। यह वायुमण्डल सौर पवन के कारण पृथ्वी से दूर हो गया। सौर पवन सूर्य द्वारा उत्सर्जित गैसों का आवेशित बादल है जो कि सूर्य में सभी दिशाओं में गमन करता है। ऐसी स्थिति पृथ्वी सहित समस्त पार्थिव ग्रहों—बुध, शुक्र व मंगल पर भी हुई। समस्त पार्थिव ग्रहों से सौर पवन के प्रभाव के कारण आदिकालिक वायुमण्डल या तो दूर धकेल दिया गया या समाप्त हो गया।
(ii) द्वितीय अवस्था - वायुमण्डल के विकास की इस अवस्था में पृथ्वी के ठण्डा होने एवं विभेदन के दौरान पृथ्वी के आन्तरिक भाग से अनेक गैसें व जलवाष्प बाहर निकले। इसी से आज के वायुमण्डल का उद्भव हुआ। आरम्भ में वायुमण्डल में जलवाष्प, नाइट्रोजन, कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन, अमोनिया आदि गैसें अधिक मात्रा में तथा स्वतन्त्र ऑक्सीजन बहुत कम मात्रा में थी।
(iii) तृतीय अवस्था - वायुमण्डल के विकास की इस अवस्था में वायुमण्डल की संरचना को जैवमण्डल के प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया ने संशोधित किया।
जलमण्डल का विकास - पृथ्वी पर लगातार ज्वालामुखीय विस्फोट होने से वायुमण्डल में जलवाष्प व गैसों की मात्रा बढ़ने लगी। पृथ्वी के ठंडा होने के साथ-साथ जलवाष्प का संघनन होना प्रारम्भ हो गया। वायुमण्डल में उपस्थित कार्बन डाईऑक्साइड गैस के वर्षा के पानी में घुलने से पृथ्वी के तापमान में और अधिक कमी आने लगी। फलस्वरूप अधिक संघनन हुआ और लाखों वर्षों तक निरन्तर मूसलाधार वर्षा होती रही। बादलों की भयंकर गड़गड़ाहट और बिजली की तेज चमक के साथ प्रलयंकारी वर्षा होती रही। पृथ्वी के गड्डों में जल भर गया तथा वे महासागर बन गये। पृथ्वी पर उपस्थित महासागर पृथ्वी की उत्पत्ति से लगभग 50 करोड़ वर्षों के अन्तर्गत बने। इस तरह पृथ्वी पर जलमण्डल का विकास हुआ।
विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे गए इस अध्याय से सम्बन्धित महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
पृथ्वी की परिधि की परिगणना करने वाले प्रथम ग्रीक
विद्वान कौन थे?
(क) अरस्तु
(ख) हेरोडोट्स
(ग) अनैक्सीमैंडर
(घ) इरेटास्थेनीज।
उत्तर:
(घ) इरेटास्थेनीज।
प्रश्न 2.
निम्न में से जिसने सूर्य के तल से निसृत ज्वारीय फिलामेंट से हमारे सौर परिवार के ग्रहों की उत्पत्ति मानी है, वह
(क) जेम्स जीन्स
(ख) लाप्लेस
(ग) कान्ट
(घ) ऑटो शिमिड।
उत्तर:
(क) जेम्स जीन्स
प्रश्न 3.
परमोकार्बनी हिमनदन किस भूवैज्ञ निक महाकल्प के अन्तर्गत आता है?
(क) आर्कियोजोइल
(ख) पुराजीवी
(ग) मध्यजीवी
(घ) सीनोजोइक।
उत्तर:
(ख) पुराजीवी
प्रश्न 4.
निम्न में से किस युग में पृथ्वी लगभग बर्फ से ढकी हुई थी?
(क) क्रिटेशियस युग
(ख) प्लायोसीन युग
(ग) प्लीस्टोसीन युग
(घ) टर्शियरी युग।
उत्तर:
(ग) प्लीस्टोसीन युग
प्रश्न 5.
पृथ्वी की उत्पत्ति से सम्बन्धित अन्तर-तारक धूलि की परिकल्पना को किसने प्रस्तुत किया है?
(क) ऑटो शिमिड
ने
(ख) वाइजैकर ने
(ग) काण्ट ने
(घ) रसेल ने।
उत्तर:
(क) ऑटो शिमिड ने
प्रश्न 6.
टेथिस सागर अस्तित्व में आया था
(क) प्री कैम्ब्रियन युग के अन्त में
(ख) पैलियोजोइक युग के अन्त में
(ग) मेसोजोइक युग के अन्त में
(घ) कैनोजोइक युग के अन्त में।
उत्तर:
(ख) पैलियोजोइक युग के अन्त में
प्रश्न 7.
ज्वारीय परिकल्पना के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
(क) यह एक एकात्मक परिकल्पना
है
(ख) इसके प्रणेता ब्रितानी वैज्ञानिक जेम्स जीन्स थे
(ग) यह फिलामेण्ट को सौरमण्डल की उत्पत्ति हेतु उत्तरदायी मानती है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं?
(क) केवल क एवं ख
(ख) केवल ख एवं ग
(ग) केवल क एवं ग
(घ) क, ख एवं ग।
उत्तर:
(ख) केवल ख एवं ग
प्रश्न 8.
निम्न में से किसके सबसे अधिक उपग्रह हैं?
(क) अरुण (यूरेनस)
(ख) वरुण (नेप्च्यून)
(ग) बृहस्पति (जुपीटर)
(घ)
शनि (सटर्न)।
उत्तर:
(घ) शनि (सटर्न)।
प्रश्न 9.
किस भू-वैज्ञानिक कल्प में छिछले सागर वाला सरीसृप इक्थिओसॉरस सर्वप्रथम प्रकट हुआ ?
(क) सिलूरियन
(ख) डिवोनी
(ग) ट्राइऐसिक
(घ) ऑर्डोवेशन।
उत्तर:
(ख) डिवोनी 3
प्रश्न 10.
होयेल ने
अपना सिद्धान्त किस नाम से प्रस्तुत किया था ?
(क) सुपरनोवा सिद्धान्त
(ख) द्वैतारक सिद्धान्त
(ग) अन्तरतारक धूल सिद्धान्त
(घ) ज्वारीय सिद्धान्त।
उत्तर:
(क) सुपरनोवा सिद्धान्त
प्रश्न 11.
सूची I को सूची II से सुमेलित कीजिए, नीचे दिये कूट से सही उत्तर चुनिए।
सूची I (महाकल्प) | सूची II (युग) |
(A) पैलीओजोइक | 1. जुरासिक |
(B) मैसोजोइक | 2. आर्कियन |
(C) प्री-कैम्बियन | 3. ऑलिगोसीन |
(D) कैनोजोइक | 4. सिलूरियन |
उत्तर:
A | B | C | D | |
(क) | 1 | 4 | 2 | 3 |
(ख) | 4 | 1 | 2 | 3 |
(ग) | 1 | 4 | 3 | 2 |
(घ) | 4 | 1 | 3 | 2 |
प्रश्न 12.
निम्न में से कौन-सा कल्प डायनासोर के विलुप्त होने तथा फूलों वाली वनस्पति एवं सरीसृप की वृद्धि से अधिक सम्बन्धित है ?
(क) जुरैसिक
(ख) ट्रियैसिक
(ग) क्रिटेशियस
(घ) परमियन।
उत्तर:
(ग) क्रिटेशियस
प्रश्न 13.
ग्रहों की ऐसी व्यवस्था जिसमें सबसे छोटे ग्रह दोनों छोरों पर तथा बड़े ग्रह बीच में हों निम्नलिखित में से किस सिद्धान्त से सम्बन्धित हैं ?
(क) बिग बैंग सिद्धान्त
(ख) ज्वारीय
परिकल्पना
(ग) युग्म तारा सिद्धान्त
(घ) सेफीड सिद्धान्त।
उत्तर:
(ख) ज्वारीय परिकल्पना
प्रश्न 14.
पृथ्वी की उत्पत्ति के समर्थन में दी गयी परिकल्पना में निम्नलिखित में से किस एक विद्वान ने कहा है, 'मुझे पदार्थ दें और मैं उससे संसार बना दूंगा' ?
(क) जेम्स जीन्स
(ख) टी. सी. चेम्बरलिन
(ग) इमानुअल कान्ट
(घ) लाप्लेस।
उत्तर:
(ग) इमानुअल कान्ट
प्रश्न 15.
मंगल एवं बृहस्पति की कक्षाओं के
मध्य सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करने वाले छोटे-छोटे टुकड़ों के आकाशीय पिण्डों को कहा जाता है ? .
(क) उल्का
(ख) धूमकेतु
(ग) उल्कापिंड
(घ) क्षुद्रग्रह।
उत्तर:
(घ) क्षुद्रग्रह।
प्रश्न 16.
उल्का है
(क) तीव्र गति से चलता तारा
(ख) बाह्य
अन्तरिक्ष से पृथ्वी के वायुमण्डल में प्रविष्ट हुए द्रव्य का अंश
(ग) तारामण्डल का भाग
(घ) पुच्छहीन धूमकेतु।
उत्तर:
(घ) पुच्छहीन धूमकेतु।