माता यशोदा ने कृष्ण को क्या बताया था? - maata yashoda ne krshn ko kya bataaya tha?

  • कैकेयी और कौशल्या ने भी लिया था वरदान

    भगवान कृष्ण अपने भक्तों की हर इच्छा पूरी करते हैं और सभी मुश्किलों से बचाते हैं। मानव कल्याण के लिए द्वापर युग में भाद्रपद मास अष्टमी तिथि को भगवान विष्णु ने देवकी के गर्भ कृष्ण रूप में जन्म लिया और उसके बाद यमुना पारकर मथुरा से गोकुल माता यशोदा के पास आ गए। गोकुल में एक तरफ कृष्ण ने कई राक्षसों का अंत किया तो दूसरी तरफ मनोहर लीलाएं रचीं। कभी माखन चुराया तो कभी मटकी फोड़ी। माता यशोदा ने कृष्ण का लालन-पालन किया और कृष्ण ने उनको पूरे ब्रह्मांड के दर्शन कराए। श्रीमद् भागवत में बताया गया है कि मुक्तिदाता भगवान से जो कृपा प्रशाद नंनदारी यशोदा को मिला, वैसा न ब्रह्मा, शंकर और उनकी पत्नी लक्ष्मीजी को भी प्राप्त नहीं हुआ। लेकिन फिर भी माता योशदा की एक इच्छा ऐसी थी, जो भगवान ने उनके अगले जन्म में पूरी की। आइए जानते हैं माता यशोदा की ऐसी कौन सी इच्छा थी….

  • सूर्यग्रहण वाले दिन मिले थे माता यशोदा और कृष्ण

    श्रीमद् भागवत के अनुसार, जब भगवान कृष्ण कुरुक्षेत्र की तरफ जा रहे थे तब वह माता यशोदा और नंदबाबा से मिले थे। भगवान कृष्ण को देखकर दोनो रोने लगे और ऐसा लगा कि जैसे उनके शरीर में फिर से जान आ गई हो। जिस दिन कृष्णजी से नंदबाबा और माता यशोदा मिली थीं, उस दिन सूर्यग्रहण था और वे वहां तीर्थ स्थल समांत पंचक के दर्शन करने जा रहे थे।

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  • नंदबाबा से भी हुई मुलाकात

    समांत पंचक वही तीर्थ स्थल है, जहां हजारों क्षत्रीयों का वध करने के बाद परशुरामजी ने घोर तपस्या की और पश्चाताप किया था। श्रीकृष्ण देवकी और वसुदेव के साथ थे, जहां उनकी मुलाकात यशोदा और नंदबाबा से हुई थी। इस मुलाकात में देवकी और यशोदा गले लगकर बहुत रोईं और उन्होंने अपने सभी गम भुला दिए। इसके बाद एक बार और भगवान कृष्ण की यशोदा माता से मुलाकात हुई थी।

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  • माता यशोदा ने बताई अपनी इच्छा

    इस मिलन के बाद श्रीकृष्ण माता यशोदा से मिलने तब पहुंचे, जब वह मृत्युशैय्या पर लेटी हुई थीं और अंतिम सांसों में कृष्ण का नाम लिए जा रही थीं। तब उन्होंने कृष्ण से कहा कि लल्ला मुझे केवल एक चीज का पछतावा है, जिसको मैंने आजतक किसी को नहीं बताया। मैं तुम्हारे किसी भी विवाह में शामिल नहीं हो सकी। तब कृष्ण ने कहा मैय्या तुम्हारी यह इच्छा जरूर पूरी होगी। इसके बाद भगवान कृष्ण ने माता यशोदा को गोलोक भेज दिया।

  • वकुलादेवी के रूप में लिया जन्म

    पौराणिक कथाओं के अनुसार, माता यशोदा का अगला जन्म माता वकुलादेवी के रूप में हुआ। भगवान वेंकटेश्वर (श्रीकृष्ण) ने पद्मावती के साथ विवाह किया था, जिसमें वकुलादेवी शामिल हुई थीं। एकबार भगवान वेंकटेश्वर को चोट लग गई तब वकुलादेवी एक मां की तरह उनकी देखभाल की थी। वकुलादेवी ने ही भगवान विष्णु का नाम श्रीनिवासन रखा था।

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  • कैकेयी ने लिया वरदान

    जब भगवान विष्णु ने राम का अवतार लिया था तब कैकेय राम से बहुत प्रेम करती थीं, लेकिन कालचक्र में कुछ कार्य होने की वजह से उन्होंने राम के लिए वनवास मांगा। लेकिन फिर भी उनका राम के प्रति प्रेम कम नहीं हुआ। वनवास से आने के बाद कैकेयी ने राम से कहा कि अगले जन्म में तुम मेरे गर्भ से जन्म लेना और मुझे अपनी माता बनने का सौभाग्य देना।

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  • कौशल्या बनी यशोदा

    माता कौशल्या को भी भगवान राम दुखी नहीं करना चाहते थे तो उन्होंने कहा कि भले ही मैं अगले जन्म में माता कैकेयी के गर्भ से जन्म लूंगा लेकिन मैं आपका ही पुत्र कहलाऊंगा। भगवान राम ने इस कथन को कृष्ण रूप में पूरा किया कैकेयी देवकी बनी, जिसके गर्भ से जन्म लेने के बाद भी कौशल्या यशोदा बनी और भगवान कृष्ण हमेशा यशोदा नंदन कहलाए।

माता यशोदा ने कृष्ण को क्या बताया र्ा?

माता यशोदा ने कृष्ण को क्या बताया था? Answer: माँ यशोदा ने बालक कृष्ण को यह बताया था कि दूध पीने से तेरी चोटी बलराम की तरह लंबी और मोटी हो जाएगी। यह काढ़ते गूंथते समय नागिन के समान दिखाई देगी।

माता यशोदा पिछले जन्म में कौन थी?

माता यशोदा की जन्म कथा नंद पिछले जन्म में द्रोण थे। एक अन्य कथा के अनुसार पूर्व जन्म में माता यशोदा ने भगवान विष्णु की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उन्हें वर मांगने को कहा। यशोदा माता ने बोला कि मेरी तपस्या तभी पूर्ण होगी जब आप मुझे पुत्र के रूप में प्राप्त होंगे।

यशोदा कृष्ण की कौन थी?

पौराणिक ग्रंथों में यशोदा को नंद की पत्नी कहा गया है। भागवत पुराण में यह कहा गया है देवकी के पुत्र भगवान श्री कृष्ण का जन्म देवकी के गर्भ से मथुरा के राजा कंस के कारागार में हुआ। कंस से रक्षा करने के लिए जब वासुदेव जन्म के बाद आधी रात में ही उन्हें यशोदा के घर गोकुल में छोड़ आए तो उनका पालन पोषण यशोदा ने किया।

यशोदा कृष्ण की भोली बातें सुनकर क्या आशीर्वाद देती है class 8?

उत्तर : श्रीकृष्ण, बलराम जी की तरह अपनी चोटी चाहते थे परन्तु उनकी चोटी छोटी है। माता यशोदा इसी बात का लाभ उठाकर श्रीकृष्ण को प्रलोभन देते हुए दूध पिलाती हैं कि अगर तुम रोज़ दूध पिओगे तो तुम्हारी चोटी भी बलराम भैया कि तरह मोटी व बड़ी होगी।

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