भारत में खेले जाने वाले विभिन्न खेलों में एक खेल कबड्डी के नाम से जाना जाता है। इस खेल को लोग बड़े ही उत्साह से खेलते है। इस खेल को खेलने के लिए खिलाड़ी को बल के साथ बुद्धि का होना जरूरी होता है।
मुझे कबड्डी खेलना बेहद पसंद है, क्योंकि इसको खेलने से हमारे शरीर की मांसपेशियां मजबूत होती है। किसी भी खेल को खेलने से आपकी सेहत को कुछ न कुछ लाभ जरूर होता है। इस खेल का कुछ ऐसा दस्तूर होता है, जिसके तहत दो खिलाड़ियों के बीच भीषण द्वंद चलता है। इसमें किसी एक टीम की जीत होती है।
कब्बड़ी प्राचीन खेलो में से एक
कब्बड़ी खेलने से हमारे शरीर में तंदुरुस्ती आती है। कब्बडी खेलने के लिए आपको किसी भी प्रकार के सामान की आवश्यकता नहीं होती है। पहले कबड्डी केवल पंजाब में खेला जाता था। लेकिन अब कब्बड़ी पूरे देश में खेला जाता है।
कबड्डी खेल भारत के पड़ोसी देश नेपाल, पाकिस्तान, श्रीलंका में भी खेला जाने लगा है। इस खेल को भारत के अलग अलग हिस्सो मे अलग अलग नाम से जाना जाता है। कबड्डी खेल की प्राचीनता के बारे में जिक्र करे, तो यह लगभग 4000 वर्ष पुराना खेल है।
महाभारत में भी कबड्डी खेल को खेले जाने का जिक्र किया गया है। कबड्डी के खेल में आपको ताकत और समझदारी दोनो की जरूरत होती है।
कबड्डी खेल के नियम
कबड्डी के खेल में खिलाड़ियों की दो अलग अलग टीम तैयार की जाती है। दोनो टीम में 7-7 खिलाड़ी होते है। कबड्डी के मैदान का क्षेत्रफल का जिक्र करे, तो यह लगभग 13 मीटर गुणा 10 मीटर होता है।
मैदानों के मध्य में लाइन खींची जाती है और मैदानों को दो भाग में विभाजित कर दिया जाता है। खिलाड़ियों के मैदान में प्रवेश करने के बाद टॉस किया जाता है और जितने वाली टीम को दूसरे पाले में जाकर खिलाड़ी को छूकर मध्य रेखा के पार वापस आना होता है या फिर रेखा को छूना होता है।
वही जो खिलाड़ी दूसरे पाले में जाता है। उसे रेडर के नाम से जाना जाता है। रेडर जब ही दूसरे पाले में जाता है, तो उसे बिना रुके कबड्डी शब्द का उच्चारण करना होता है। अगर खिलाडी अपने पाले में वापस आने से पहले कबड्डी कहना बंद कर दे तो वो खिलाडी खेल से बाहर हो जाता है।
खेल के दौरान जो खिलाड़ी दूसरे खिलाड़ी को पकड़ने का प्रयास करते है, उन्हे स्टॉपर के नाम से पुकारते है। कबड्डी खेलते समय खिलाड़ी को दूसरे पाले में जाकर मैदान के किसी खिलाड़ी को छूकर लौटना होता है। खिलाडी जितने खिलाड़ियों को छूकर आएगा उतने खिलाडी खेल से बाहर हो जाते है।
अगर खिलाडी छूकर लौटने मे सफल होता है, तो ऐसे में उसके टीम को अंक मिलता है, साथ ही उसके टीम से बाहर गया खिलाडी भी लौट आता है। मतलब की अगर एक खिलाडी आगे वाले टीम से बाहर होता है, तो दूसरे टीम का खिलाडी अंदर आता है।
यह सिलसिला तब तक चलता है जब तक की किसी एक टीम के सभी खिलाडी बहार नहीं जाते। अगर ऐसा होता है तो आगे वाले टीम को इसके लिए ३ अंक मिलते है और सभी खिलाडी आउट हुए टीम के सभी खिलाडी वापस मैदान पर आ जाते है।
यही नहीं अगर दूसरे पाले के खिलाड़ी रेडर को पकड़ लेते है, तो उन्हें भी अंक मिलता है और पकड़ा जाने वाला खिलाड़ी मैदान से बाहर कर दिया जाता है। कबड्डी खेलने के लिए समय सीमा 20-20 याने की पूरी ४० मिनट की होती है।
इसे दो दौरे में खेला जाता हैं। खिलाड़ी को बीच में पांच मिनट का विराम दिया जाता है। उसके बाद दोनो टीम के पाले बदले जाते है। और समय के आखिर में जिस टीम के पास सबसे ज्यादा अंक होते है वह टीम खेल जित जाती है।
कबड्डी विश्व कप खेल का आयोजन
बांग्लादेश का राष्ट्रीय खेल कबड्डी है। इस खेल को वर्तमान समय में एशियाई खेलों में भी शामिल किया गया है। यही कारण है कि विदेशों में भी यह खेल काफी मशहूर हो गया है। कबड्डी के और भी अन्य बहुत से खेल खेले जाते है, जोकि वजन आधारित होते है।
2004 से कबड्डी का विश्व कप भी खेला जाने लगा है और अब तक सभी विश्व कप खेलो में भारत ने ही विश्व कप जीते है।
महिलाए भी खेलती है कबड्डी खेल
इस खेल में पहले पुरुष खिलाड़ी ही भाग लेते थे। लेकिन आज के समय महिलाएं भी इस खेल में दिलचस्पी ले रही है। नतीजा वो भी कबड्डी में बड़ चढ़ भाग लेने के साथ नाम और शौहरत कमा रही है। महिला प्रतिभागी का पहला विश्व कप पंजाब में 2012 में खेला गया था।
कबड्डी खेल को अभी तक ओलम्पिक में शामिल नहीं किया गया है। जब कभी भी इसको शामिल कर लिया जाएगा। तब एक बात तो पक्की होगी कि भारत को कबड्डी में एक पदक तो जरूर मिलेगा। कबड्डी खेल के अब तक जितने भी एशियन गेम्स हुए है, उन सबमें भारतीय टीम ने पदक जीता है।
कबड्डी से शरीर में आती है फूर्ति
कबड्डी का खेल खेलने के लिए खिलाड़ी का फुर्तीला होना जरूरी होता है। जो खिलाड़ी इस खेल को खेलते है, उनके अंदर गजब का फूर्तिलापन होता है। इस खेल को जीतने के लिए खिलाड़ी में चालाकी के साथ ही साथ शारीरिक बल का सामंजस्य होना चाहिए।
अन्य खेलो को खेलने के लिए काफी बड़े मैदान की जरूरत पड़ती है। वही कबड्डी खेलने के लिए आपको किसी खास स्थान की आवश्यकता पड़ती है। कबड्डी के मैदान पर आप कही भी किसी भी समय इस खेल को खेल सकते है।
इंटरनल ऑर्गेन के लिए फायदेमंद
कबड्डी से शरीर मजबूत और स्वस्थ होता है। कबड्डी खेलते दौरान बिना रुके कबड्डी बोलने से आपके फेफड़े अधिक मजबूत और स्वस्थ होते है। खिलाड़ी के इंटरनल ऑर्गन और बेहतर ढंग से काम करने लग जाते है। दिल की सेहत के लिए भी यह खेल खेलना काफी लाभदायक होता है। खिलाड़ी की सहनशक्ति के अलावा मांसपेशियों को मजबूती मिलती है।
निष्कर्ष
कबड्डी खेल को खेलने का अपना ही विशेष आनंद है। इसको खेलते हुए खिलाड़ी के साथ ही साथ दर्शको में एक अलग सा उत्साह देखने को मिलता है। कबड्डी का खेल खेलने से खिलाड़ियों के अंदर प्रेम और सहयोग की भावना की वृद्धि होती है।
कबड्डी के इस खेल में खिलाड़ियों की संख्या तो सीमित होती है, लेकिन मुकाबला टक्कर का होता है। कबड्डी खेल में खिलाड़ियों के घायल होने की संभावना भी होती है।